रविवार, 31 अक्टूबर 2010
हिम्मत बुलंद है तो मिलेगी तुम्हें मंजिल....
(ग़ज़ल )
जीना है एक-एक पल टटोलकर जियो
जब तक जियो प्रभात जिगर खोलकर जियो ।
हिम्मत बुलंद है तो मिलेगी तुम्हें मंजिल-
कदमों को मगर नापकर व तोलकर जियो ।
रह जायेगी बस याद तेरी इस जहान में -
कोयल की तरह मीठे बोल बोलकर जियो ।
दिल में खुलूश है तो शिकवे-गिले है क्या -
आँखों की लाज आंसूओं में घोलकर जियो ।
सच कहूं तो कामयाबी का वसूल है-
कानों के साथ-साथ नयन खोलकर जियो ।
() रवीन्द्र प्रभात
गुरुवार, 28 अक्टूबर 2010
शर्म की पोशाक को वह छोड़ करके आ गया
गा रहे हैं गीत फिर भी साज से हैं बेखबर-
बुधवार, 27 अक्टूबर 2010
दिल तो बच्चा है जी .....
वर्ष के प्रारंभिक दिनों में मेरे मन में यह ख्याल आया कि क्यों न अंतरजाल पर ब्लोगोत्सव मनाया जाए । मित्रों से सलाह-मशविरा किया और १५ अप्रैल से १५ जून तक चले इस ब्लोगोत्सव -२०१० ने अनेक कीर्तिमान बनाए । ब्लोगोत्सव पर महज दो महीनों में २०० से ज्यादा प्रतिभागी शामिल हुए , २००० से ज्यादा टिप्पणियाँ प्राप्त हुई, १०० से ज्यादा प्रशंसक बने और प्रतिदिन इस उत्सव में ८०० से ज्यादा पाठक पहुंचते रहे । ब्लोगोत्सव में ५० सृजनकर्मियों को सम्मानित भी किया गया जो अपने आप में एक कीर्तिमान है । ब्लोगोत्सव के समापन के पश्चात दो नए पन्ने हम आपके लिए लेकर आये ।
वटवृक्ष , जिसमें नज़्म, गीत, कविता, ग़ज़ल आदि का मनमोहक सफ़र शुरू किया गया अंतरजाल की लोकप्रिय कवियित्री रश्मि प्रभा के द्वारा ।
आने वाले दिनों में वटवृक्ष पर प्रकाशित रचनाकारों को पारिश्रमिक देने की भी योजना बनायी जा रही है ,साथ ही वटवृक्ष की रचनाओं को सहेजकर त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन करने की भी योजना बन रही है । इसलिए यदि आप रचनाकार हैं और अभीतक वटवृक्ष का हिस्सा नहीं बने हैं तो अपनी रचनाएँ वटवृक्ष को अवश्य भेजें , निम्न ई मेल आई डी पर- ravindra.prabhat@gmail.com
ब्लॉग परिक्रमा , जिसपर अभी क्रमवार हिंदी ब्लोगिंग के शैशव काल से अबतक की गतिविधियों पर मेरे द्वारा प्रकाश डाला जा रहा है ।
शब्द सभागार , जिसपर साहित्य/संस्कृत और ब्लॉग जगत की महत्वपूर्ण गतिविधियों अथवा कार्यक्रम की रपट प्रकाशित की जाती है ।
मंगलवार, 26 अक्टूबर 2010
करते हो क्यूँ न पहल तौबा-तौबा ।
दो गज़लें
(एक)
है अचंभित हवा ये पहल देखकर
ताश के जो बने हैं महल देखकर ।
कंपकंपी सी हुई और शहर रो पडा-
इस जमाने का रद्दोबदल देखकर ।
मैंने समझा शहर में तबाही हुई-
अपने बेटों की आँखें सजल देखकर ।
पेंड की आड़ में था खडा आदमी-
भेड़ियों के गए दिल दहल देखकर ।
दुश्मनों की तरफदारी करने लगे-
दोस्तों की कमी आज़कल देखकर ।
बज़्म में कुछ सुना न सका है प्रभात-
आपके पास अपनी ग़ज़ल देखकर ।
(दो)
बनाया था मैंने महल तौबा-तौबा
कि मैं ही हुआ बे दखल तौबा-तौबा ।
जले मेरा घर मेरे ही सामने मैं-
तमाशा बना आजकल तौबा-तौबा ।
ये ग़ालिब के जुमले से तुमने चुराए-
जिगर की जमीं पर ग़ज़ल तौबा-तौबा ।
अदब के पुजारी हो लेकिन नहीं क्यों-
वतन के लिए एक पल तौबा-तौबा ।
वो मैयत में आये मगर इस अदा से-
नज़र उनकी थी न सजल तौबा- तौबा ।
अमन के लिए तुम ही प्रभात अब-
करते हो क्यूँ न पहल तौबा-तौबा ।
() रवीन्द्र प्रभात
शनिवार, 23 अक्टूबर 2010
बहुप्रतीक्षित ब्लॉग परिक्रमा में शामिल होईये आप भी .....
जैसा कि आप सभी को विदित है कि पूर्व में ऐसी घोषणा की गयी थी कि परिकल्पना से जुड़े समस्त चिट्ठाकारों के लिए हम शीघ्र ही एक ऐसा पन्ना लेकर आ रहे हैं , जिसका नाम होगा : ब्लॉग परिक्रमा । इसके अंतर्गत हम प्रत्येक सप्ताह एक प्रेरक ब्लॉग की परिक्रमा करेंगे अर्थात उसका समग्र विश्लेषण करेंगे और बताएँगे कि क्यों पढ़ा जाए यह ब्लॉग ? इसी क्रम में आप सभी को यह अवगत कराना है कि वायदे के अनुसार परिकल्पना की ब्लॉग परिक्रमा की शुरुआत दिनांक २१.१०.२०१० से हीं हो चुकी है , किन्तु आज से हम एक उद्देश्यपूर्ण शुरुआत कर रहे हैं , पहले चरण में हिंदी ब्लोगिंग की शुरुआत से अबतक की संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत की जा रही है । इसके बाद हम अलग-अलग ब्लॉग की श्रृंखलाबद्ध परिक्रमा करेंगे । |
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तो देर किस बात कि शामिल होईये हमारे साथ उस ब्लॉग की परिक्रमा में जो प्रेरक है हिंदी ब्लॉग जगत के लिए .....यहाँ किलिक करें
गुरुवार, 21 अक्टूबर 2010
अब बचा क्या बिल्लोरानी जान हीं तो शेष है ....
देश का सम्मान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
लुट गया सम्मान सस्ते में, मोगैंबो खुश हुआ
ऐसी लड़ी है आंख पश्चिम से कि देखो खो गयी-
मनमोहनी मुस्कान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
अपना हिन्दुस्तान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
बिक गया इंसान सस्ते में , मोगैम्बो खुश हुआ !!
नेता बना भगवान सस्ते में , मोगैम्बो खुश हुआ !!
कर गए अपमान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
खो गयी पहचान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ !!
कह दो दे दूं जान सस्ते में, मोगैम्बो खुश हुआ!!
बुधवार, 20 अक्टूबर 2010
आपकी नाराजगी जो रह गयी है ।
ग़ज़ल :
एक कतरा जिंदगी जो रह गयी है
घोल दे सब गन्दगी जो रह गयी है ।
भीख देगा कौन , मुझको ये बताओ-
तुझमें ये आवारगी जो रह गयी है ।
आंख से आंसू छलक जाते अभीतक-
इश्क में संजीदगी जो रह गयी है ।
चाँदनी में घूमता है रात भर वह-
चाँद में दोशीजगी जो रह गयी है ।
सर-कलम कर मेरा, खंजर फेंक दे-
आंख में शर्मिंदगी जो रह गयी है ।
फासला प्रभात से है इसलिए बस-
आपकी नाराजगी जो रह गयी है ।
() रवीन्द्र प्रभात
*दोशीजगी: कुवांरापन
सोमवार, 18 अक्टूबर 2010
सस्ती कितनी जान हमारी बस्ती में ।
ग़ज़ल:
कुछ सूखे जलपान हमारी बस्ती में
सुपली भर है धान हमारी बस्ती में ।
हवा देखकर आज यहाँ शर्मिन्दा है-
टूटे छप्पर-छान हमारी बस्ती में ।
पुतले रोज जलाते लेकिन डरते भी -
रावण से भगवान हमारी बस्ती में ।
फैशन में गुमराह हुए ये बच्चे भी-
मुंह में दाबे पान हमारी बस्ती में ।
महिलाओं पर जोर-जुल्म दिखलाकर के -
बनती पुलिस महान हमारी बस्ती में ।
क्या-क्या जुल्म न ढाए खादी वालों ने-
सस्ती कितनी जान हमारी बस्ती में ।
मुंह में राम बगल में छुरी जो रखते वे-
पाते हैं सम्मान हमारी बस्ती में ।
सैर-सपाटे को आये थे जो प्रभात-
उनकी बड़ी दूकान हमारी बस्ती में ।
() रवीन्द्र प्रभात
शनिवार, 16 अक्टूबर 2010
कुत्सित अवधारणाओ के ऊपर....
शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2010
वर्धा संगोष्ठी में उपस्थित थे गांधी, निराला, शमशेर और अज्ञेय भी ....
चौंक गए न आप ?
मैं फिर जनम लूंगा
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आईये आपको दिखाते हैं हम सेवाग्राम आश्रम में रखी गांधी जी के द्वारा उपयोग में लायी जाने वाली कुछ बस्तुएं - |
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ये हैं लखनऊ निवासी रवि नागर जो उपस्थित थे दिनांक ०९.१०.२०१० को कविवर आलोक धन्वा जी कि अध्यक्षता में आयोजित काव्य संध्या के दौरान....जैसे ही काव्य संध्या का समापन हुआ बहने लगी सुर सरस्वती और संस्कृति की त्रिवेणी ....होने लगा उद्घोष कालजयी कविताओं का ! रवि नागर ने अतुकांत कविताओं को संगीत में इसप्रकार पिरोया था कि श्रोता मंत्रमुग्ध होकर बेसुध सुनते रहे और इसप्रकार साक्षात महसूस होते रहे निराला , शमशेर, अज्ञेय आदि कवि....! वह तोड़ती पत्थर;
() शमशेर हारमोनियम पर सुर साधते श्री रवि नागर |
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बुधवार, 13 अक्टूबर 2010
वर्धा में केवल विचार मंथन ही नहीं मस्ती की पाठशाला भी
वाएं से जाकिर अली रजनीश,रवीन्द्र प्रभात,एडवोकेट पवन दुग्गल, जय कुमार झा,गायत्री शर्मा,अनूप शुक्ल और प्रियरंजन पालीवाल समापन सत्र के पश्चात फुर्सत के क्षणों में । |
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फुर्सत के क्षणों में श्री आलोक धन्वा जी के साथ जय कुमार झा और रवीन्द्र प्रभात |
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भूदान और अन्त्योदय जैसे अमर वाक्य के प्रस्तावक प्रणेता आचार्य विनोबा भावे की समाधि स्थल पर जाकिर अली रजनीश, हर्षवर्द्धन,रवीन्द्र प्रभात, शैलेश भारतवासी और संजीत त्रिपाठी आदि । |
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आचार्य विनोबा भावे की साधना स्थली पवनार आश्रम के पास प्रवाहित पवनार नदी में धमाल करते रवीन्द्र प्रभात, प्रियरंजन पालीवाल, श्रीमती अनिता कुमार,जय कुमार झा, प्रो.ऋषभ देव शर्मा, शैलेश भारतवासी,अविनाश वाचस्पति आदि । |
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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की साधनास्थली सेवा ग्राम स्थित उनके दफ्तर का अवलोकन करते अविनाश वाचस्पति और जाकिर अली रजनीश । |
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इन स्मृतियों में मुझे भी शामिल कर लो भाई ! ऐसा कहते हुए पीछे खड़े प्रोऋषभ देव शर्मा और जाकिर अली रजनीश .....नीचे वाएं से शैलेश भारतवासी, डा कविता वाचक्नवी, श्रीमती अनिता कुमार,श्रीमती अजित गुप्ता, अविनाश वाचस्पति,रवीन्द्र प्रभात और हर्षवर्द्धन । |
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पवनार नदी में स्थित स्मृति स्थल "हे राम " को स्मृतियों में संजोते हुए ब्लोगर्स.....वाएं से श्री अविनाश वाचस्पति, प्रियरंजन पालीवाल,हर्षवर्द्धन,श्रीमती अनिता कुमार,जाकिर अली रजनीश,प्रो ऋषभ देव शर्मा,रवीन्द्र प्रभात,विवेक सिंह,अशोक कुमार मिश्र और डा कविता वाचकन्वी आदि । |
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पवनार नदी का एक दृश्य यह भी रवीन्द्र प्रभात, जाकिर अली रजनीश और विवेक सिंह । |
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पवनार नदी का एक दृश्य यह भी ....रवीन्द्र प्रभात |
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आचार्य विनोबा निवास का एक दृश्य यह भी ..... |
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कविवर आलोक धन्वा के शाथ शैलेश भारतवासी .... |
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सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी,जय कुमार झा और जाकिर अली रजनीश बापू हिल पर.... |
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बापू हिल का एक दृश्य यह भी जय कुमार झा, सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी और विवेक सिंह.... |
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बापू हिल पर जाकिर अली रजनीश |
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अविस्मरणीय रहा वर्धा में आयोजित संगोष्ठी का दूसरा दिन
ब्लॉगिंग के लिए आचार संहिता संभव नहीं है : रवि रतलामी दूसरे दिन के द्वितीय सत्र के दौरान हिंदी के वहुचर्चित ब्लोगर श्री रवि रतलामी ने भोपाल में बैठकर फोन के माध्यम से सेमीनार के दौरान कंप्यूटर पर पावरप्वाइंट प्रेजेंटेशन देते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि "ब्लॉगिंग के लिए आचार संहिता संभव नहीं है। उन्होंने बतौर उदाहरण देते हुए बताया कि विकिलिक्स एक उदाहरण है कि कैसे इसके माध्यम से घोटालों को भी उजागर किया जा सकता है।" उन्होंने यह भी जानकारी दी कि "जिसे कानून का उल्लंघन करना ही होगा उसके लिए इंटरनेट पर कई साफ्टवेयर मौजूद हैं जैसे कि टॉर जिनका उपयोग करते हुए वह बेनामी ब्लॉगिंग कर सकता है।" |
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ब्लॉग भी अब कानून के दायरे में आ चुका है : पवन दुग्गल |
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उन्होंने कहा कि- "ब्लॉग धीरे-धीरे लेकिन जल्दी असर दिखाता है, लोग उसे पढ़कर एक धारणा कायम करते हैंइसी परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कारगिल हमले के दौरान बरखा दत्त पर ब्लॉग हमला किये जाने का भी हवाला दिया।"
उन्होंने कहा कि यदि आपके ब्लॉग पर कोई ऐसी टिप्पणी अथवा पोस्ट है जो आपत्तिजनक है तो हम पहले सर्विस प्रोवाईडर से जानकारी प्राप्त करते हैं और उस बेनामी ब्लोगर तक पहुँचाने के बाद वास्तविक वस्तुस्थिति की जानकारी लेते हैं । फिर यह देखते हैं कि उसका कृत्य किस धारा अथवा उपधारा के अंतर्गत आता है । उसके बाद हम कार्यवाई हेतु न्यायालय की शरण में जाते हैं ।"
कुलपति श्री विभूति नारायण राय के एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि -"यदि आपने ऐसी कोई पोस्ट डाली हो जो विबादासपद है तो संज्ञान में आते ही उसे तत्काल हटा लें , और अपने इस कृत्य के लिए सार्वजनिक माफी मांग लें तो आप बच सकते हैं , बसरते कि आहत व्यक्ति ने आपके पोस्ट का प्रिंट न निकाला हो या फिर भावनाओं में आबद्ध होकर आपको माफ़ कर दे तब ।"
उज्जैन के हरफन मौला ब्लोगर सुरेश चिपलूनकर के एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि-" देश के इंफर्मेशन एक्ट 2000 में 2008 में संशोधन पारित किया गया है जो कि 27 अक्तूबर 2009 से लागू हो चुका है। इस एक्ट के अंतर्गत ब्लॉग, ब्लैकबेरी यहां तक कि सेटेलाइट फोन भी आ चुके हैं ।"
इसी क्रम में उन्होंने कहा कि " ब्लॉगिंग ने आपको पूरी स्वतंत्रता नहीं दी है कि किसी के बारे में कुछ भी जो मन में आया लिख दें, बिना किसी सबूत के। ब्लॉग कानून के दायरे में आ चुका है। कानूनन ब्लॉगिंग इंटरनिजरी है। धारा 79 कहता है कि जिम्मेदारी ब्लॉग, ब्लॉगर व ब्लॉगिंग प्लेटफार्म पर है। किसी जुर्म या कमीशन में भागीदार हैं तो पूरे तौर पर जिम्मेदार। तीन साल की सजा व पांच लाख का जुर्माना। पांच करोड़ तक का हर्जाना (6 माह के भीतर) भी हो सकता है।"
भड़ास ब्लॉग के संचालक श्री यशवंत सिंह के एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि " यदि आप ब्लॉग लेखन से जुड़े हैं और आपको किसी भी राज्य की पुलिस पूछताछ के लिए बुलाती है तो आपको जाना चाहिए और सहयोग करना चाहिए , इससे आप अन्य किसी भी विधिक समस्याओं से बच सकते हैं । "
सोशल नेट्वर्किंग से संवंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में पवन दुग्गल का कहना है कि “वर्तमान समय का आईटी अधिनियम सन 2000 का है जिसमें मूलतः ई-वाणिज्य को बढ़ावा देने का संशोधन था. तब किसी ने सोशल नेटवर्किंग साइट का नाम भी नहीं सुना था. परन्तु आजकल सोशल नेटवर्किंग साइट का व्यापक प्रयोग होने लगा है अतः पिछले वर्ष इस अधिनियम को निगमित किया गया. और अब विशेष रूप से तलाक के मामलों में इस प्रवृत्ति का चलन बढ़ रहा है.
आमतौर पर इन संदेशों का प्रयोग माध्यमिक सबूतों के रूप में होता है परन्तु यह प्राथमिक सबूतों की तरह महत्वपूर्ण भी हो सकते हैं. दुग्गल के अनुसार अगर हम गुस्सा होकर भी कोई ट्वीट्स या संदेश (जैसे कि “मैं अपनी पत्नी से नफ़रत करता हूं”) करते हैं और अगर इन संदेशों का प्रिंटआउट या स्क्रीन शॉट अदालत में पेश होता है तो यह माध्यमिक सबूत माने जाते हैं.
अश्लीलता और खुलेपन के मुद्दे पर श्री पवन दुग्गल का कहना था कि "काफी बड़ी संख्या में लोग इंटरनेट पर पॉर्न मटीरियल को ही देखना, पढ़ना चाहते हैं। खास बात यह है कि अश्लीलता के मुद्दे पर भी समाज दो तबकों में बंट जाता है, एक में खुलेपन के हिमायती तो दूसरे में संस्कारों के साथी। कोई-न-कोई कॉमन व्यू तो जरूर बनना चाहिए। कम-से-कम खुलेपन की लिमिट तो तय की ही जा सकती है।"
मंगलवार, 12 अक्टूबर 2010
कैमरे में कैद वर्धा में आयोजित संगोष्ठी की सच्चाई
विगत दिनांक ०९-१० अक्टूबर २०१० को वर्धा में महात्मा गांधी अन्तराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित "हिंदी ब्लोगिंग की आचार संहिता " विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी और कार्यशाला का आयोजन हुआ ...प्रस्तुत है स्मृतियों के आईने में कैद कुछ सुनहरे पल ..... हिंदी ब्लॉग जगत की पवित्रता को बचाए रखने की एक मुहीम .....हम आपके सहयोग के आकांक्षी हैं । मंच पर उदघाटन सत्र के दौरान बाएं से श्री आलोक धन्वा, श्रीमती अजित गुप्ता, श्री विभूति नारायण राय, श्री ऋषभ देव शर्मा,श्री अजित राय और श्रीमती कविता वाचकनवी |
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ब्लोगरों को अपनी लक्षमण रेखा स्वयं बनानी होगी : विभूति नारायण राय |
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शुरुआत में जैसे रेल यात्रा करने से लोग डरते थे लेकिन आज यह हमारी आवश्यकता बन गयी है वैसे ही शायद अभी ब्लॉगिंग के शुरुआती दौर में इसके प्रति हिचक है लेकिन आने वाले समय में यह जन समुदाय की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सकती है :आलोक धन्वा |
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देश के कोने-कोने से आये सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत और अभिनन्दन, इस कार्यक्रम के माध्यम से हिंदी ब्लॉग जगत में शिष्टाचार की एक नयी परिभाषा गढ़ने में कामयाब होंगे : सिद्दार्थ शंकर त्रिपाठी |
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पाखंड हर जगह निंदनीय है, चाहे ब्लोगिंग क्यों न हो :प्रो. ऋषभ देव शर्मा |
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सुरेश चिपलूनकर ने स्मृतियों को कैमरे में कैद करने की ठान ली है जिसको फोटो खिचवाना है आये मैं तैयार हूँ । /tr> |
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भाई हमें भी कुछ क्षण बापू को स्मरण करने दो : जाकिर अली रजनीश |
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थोड़ी देर के लिए मुझे भी ध्यान से गुजरने दो : हर्ष वर्द्धन |
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हम होंगे कामयाब एक दिन , पूरा है विश्वास : प्रतिभागियों के समूह के साथ महात्मा गांधी अन्तराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय |
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