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मिट्टी   पलित   हो   गई । (गीत)
देखा  न  देखा, नज़रभर  जो  उसने, मिट्टी  पलित   हो   गई ।
परवान  चढ़ने से  पहले  ही  चाहत, जबर  निंदित   हो   गई ।
(परवान चढ़ना= सीमा पार करना; जबर= जबरदस्त; निंदित= अपमानित)
अंतरा-१.
`लव-गुरू` कहलाने   का, ठोस  सबब  था  हमारे पास, मगर ।
न   जाने  क्या  हुआ  हमें, अचानक   बुद्धि   कुंठित  हो  गई ।
देखा  न  देखा, नज़रभर  जो  उसने, मिट्टी  पलित   हो   गई ।
(सबब= कारण; कुंठित= मंद बुद्धि)
अंतरा-२.
सजे - सजाये,  अनमोल  आशिक   थे,  इश्किया   बाज़ार  में..!
आज  हमारी क़िमत,सर से  पाँव तक, गुबार  मंडित  हो  गई..!
देखा   न  देखा, नज़रभर  जो  उसने,  मिट्टी  पलित   हो   गई ।
( गुबार= धूल; मंडित=  ढका हुआ,आच्छादित)
अंतरा-३.
ज़रा  सी   गुनाही  हुई   हमसे, नाज़ो - अदा  उठाने  की  और..!
हसरतों   की   सरगर्मीयाँ,   बे - तहाशा    उत्तेजित  हो   गई ।
देखा  न  देखा, नज़रभर  जो  उसने, मिट्टी पलित   हो   गई ।
(हसरत= इच्छा; सरगर्मीयाँ= उत्तेजना; बे-तहाशा= अंधाधुंध; उत्तेजित= भड़का)
अंतरा-४.
पहले चिंगारी, फिर  धुँआँ, फिर  उठी  आग   बराबर - बराबर । 
इश्कज़ादों  की    तबाही   भी,  अनक़रीब   संतुलित  हो   गई..!
देखा  न  देखा,  नज़रभर  जो  उसने,  मिट्टी  पलित   हो   गई ।
(अनक़रीब= क़रीब-क़रीब; संतुलित= नपातुला, बैलेंस्ड)
मार्कण्ड दवे । दिनांकः१४-०९-२०१२.
MARKAND DAVE
http://mktvfilms.blogspot.com   (Hindi Articles)
 


 
 
सुंदर गीत |
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट में आपका स्वागत है |
जमाना हर कदम पे लेने इम्तिहान बैठा है