मंथरा 
 
 जो लोग अपना भला बुरा नहीं समझते 
 आँख मूँद कर, दूसरों की सलाह पर है चलते 
 उन पर मुसीबत आती ही आती है 
 बुद्धि भ्रष्ट करने के लिए ,हर केकैयी को ,
 कोई ना कोई मंथरा मिल ही जाती है 
 
 मदन मोहन बाहेती'घोटू'
 
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