जाता सबका है,
क्योंकि अगर ले गए 
तो पीछे क्या छोड़ जायेंगे ! 
 
 
 
समझना है इसे ...
समझाना भी है 
पत्ते गिरेंगे नहीं 
तो पनपने की जगह कहाँ रह जाएगी !!!
कहना,सुनना,शिकायत ...
ज़रूरी है 
कुछ कहा नहीं सुना नहीं 
शिकायतों का पुलिंदा नहीं बनाया 
तो अगली मुलाकात में नोक झोंक की गुंजाइश ही ना हो !!!
क्योंकि =
काँटों का बिछौना(गोपाल कृष्ण शुक्ल)
पाया है जिसको उसको खोना है
कहती है दुनिया ऐसा ही होना है।
उड लो कितना भी आसमानों में
किसी दिन तो जमींदोज़ होना है।
आजमा लो चाहे कितना भी तुम
ज़िंदगी वक्त का एक खिलौना है।
चार दिन अभी हँस कर काट लो
आगे सिर्फ़ आँसुओं को ही ढोना है।
सितारों के ख्वाबों में रह लो, पर
ज़िन्दगी काँटों का ही बिछौना है।
क्योंकि =
अनुशील: एक मात्र कवच!(अनुपमा पाठक)
होता है ऐसा भी...
जीवन के समानांतर चलता रहता है,
कुछ मौत के जैसा भी-
मन में घर कर जाती है
उदासीनता,
उत्साह का इस कदर लोप हो चुका होता है...
मानों वह कभी रहा ही न हो
अस्तित्व का अंश!
जबकि सच्चाई यह होती है-
उत्साह वैसे ही रहा होता है अपना
जैसे सम्बद्ध है साँसों से जीवन,
मुक्तहस्त लुटाई गयीं होती हैं खुशियाँ
फूलों से होता है भरा हुआ
खिला खिला उपवन!
फिर,
क्या अकारण ही छाती है निराशा?
चिंतित मन को क्या हो दिलासा?
इस मनःस्थिति से
कैसे हो मुक्ति?
शायद,
मन के भीतर ही है कहीं
छिपी हुई युक्ति!
वो
मिल जाए बस,
आत्मविश्वास ही हो सकता है
सभी व्याधियों के विरुद्ध-
एक मात्र कवच! 

..............................
आप कहीं जाईएगा मत, क्योंकि -
वटवृक्ष पर नीलिमा उपस्थित हैं
अपनी एक सारगर्भित कहानी झुमकी के साथ
आप कहानी का पाठ करें
मैं और कुछ लेकर उपस्थित होती हूँ एक मध्यांतर के बाद !
आप कहीं जाईएगा मत, क्योंकि -
वटवृक्ष पर नीलिमा उपस्थित हैं
अपनी एक सारगर्भित कहानी झुमकी के साथ
आप कहानी का पाठ करें
मैं और कुछ लेकर उपस्थित होती हूँ एक मध्यांतर के बाद !
 



 
 
... जीवन तभी जीवन है,जब आत्मविश्वास है, बिल्कुल सही ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति, गोपाल कृष्ण जी एवं अनुपमा जी को बहुत-बहुत बधाई उत्कृष्ट अभिव्यक्ति के लिये
जवाब देंहटाएं!!
बहुत ही स्टिक पोस्ट
जवाब देंहटाएंजीवन पथ पर कुछ काँटों के फूल खिले हैं ,
जवाब देंहटाएंअब लगता है जीवन को जीना आएगा |
बहुत सुन्दर प्रस्तुति |
सादर
आत्मविश्वास ही हो सकता है
जवाब देंहटाएंसभी व्याधियों के विरुद्ध-
एक मात्र कवच!
बीच काँटों के पड़ी इस ज़िंदगी में...
फूल के आसार कितने ...?
हर असंभव बादल कर के ....
पोछने हैं आंसुओं के धार जितने...!!
बहुत सुंदर अभिव्यक्तियाँ ...सभी ...!!
उड लो कितना भी आसमानों में
जवाब देंहटाएंकिसी दिन तो जमींदोज़ होना है।
उड लो कितना भी आसमानों में
किसी दिन तो जमींदोज़ होना है।
दोनो ही रचनायें बेहद उम्दा
Thank you so much Rashmi jee .........Meri story ko itna samman dene ke liy ......
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंएक के साथ एक जुड़ी सभी रचनाएँ... बहुत अच्छी ! दिल को छू गयीं...!
जवाब देंहटाएंसत्य तो यही है, मगर दिल सुनता नहीं ना..... :(
~सादर!!!
सभी रचनाएं अच्छी लगीं...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचनाओं का सराहनीय चयन ! बधाई स्वीकार करें !
जवाब देंहटाएंsunder rachnao ke liy abahar
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंरचनाएँ अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंwww.yuvaam.blogspot.com