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तुम  याद  आ  गए । (गीत)
किसीने     छेड़ा    यूँ     ही    ज़िक्र    तेरा,    तुम  याद  आ  गए ।
कुछ  महक  रहा  है  दिल  में  फिर  से, बस   तुम  याद  आ  गए ।
अंतरा-१.
दो  सांसो  का  घुलमिल  जाना, वो  अधर  मघुरस  झरना । 
मधुरस ने  घूँघट फिर  उकसाया, बस  तुम  याद  आ  गए ।
किसी ने   छेड़ा   यूँ   ही   ज़िक्र   तेरा, तुम  याद  आ  गए ।
(उकसाना = उठाना)
अंतरा-२.
खिला-खिला  सा  चेहरा और  वो  तिरछी  नज़र  का  पहरा ।
कनखियोँ से फिर किसी ने देखा, बस तुम  याद  आ  गये ।  
किसी ने   छेड़ा    यूँ   ही   ज़िक्र   तेरा, तुम  याद  आ  गए ।
(कनखियोँ से देखना=निगाहेँ बचा कर देखना)
अंतरा-३.
इस   जहाँ   की  तुम  नहीं  थीं, शायद आसमाँ  की  परी  थी..!
उगते  चाँद ने  फिर  दिल को  छूआ,बस  तुम  याद  आ  गये ।
किसी   ने    छेड़ा   यूँ     ही   ज़िक्र   तेरा,  तुम  याद  आ  गए ।
अंतरा-४.
बात   नहीं   जज़बातों   में, औकात   नहीं    इन  सांसो  में ।
रूठ  चाँद से अभी-अभी खग टूटा, बस  तुम  याद  आ  गए । 
किसी ने   छेड़ा    यूँ   ही   ज़िक्र   तेरा, तुम  याद  आ  गए ।
(जज़बात=मनोभाव; औक़ात=सामर्थ्य शक्ति;  खग=तारा)
मार्कण्ड दवे । दिनांकः १३-०८-२०१२.
 


 
 
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