सरस्वती का साधक अग्निवीणा का साधक होता है । चाहे वह गीतकार हो, कवि हो अथवा व्यंग्यकार, वह तो आग बोता है, आग काटता है । ऐसी आग जो आखो के जाले काटकर पुतलियो को नयी दिशा देती है,अन्धेरा काटकर सूरज दिखाती है, हिमालय गलाकर वह गंगा प्रवाहित करती है जिससे सबका कल्याण हो ।
साहित्य की आग रूलाती नही हँसाती है,सुलाती नही जगाती है,मारती नही जिलाती है । इस आग की लपटे शाश्वत और चिरन्तन होती है । जो साहित्यिक साधक काल के जितने खण्डो को अपनी रचनाओ की अग्नीरेखा मे बान्ध सकता है वह उतना ही सफल होता है । क्या आज भी आपको शेक्सपेयर का "ब्रुट्स्" नही मिल जाता ? गाँव के हाट मे नागार्जुन का "बलचनवा" नही दीख जाता ? प्रेमचन्द का होरी किसी अलाव के पास सिर झुकाये बैठा नही मिल जाता आखो मे आग की लपटे लिये किसी "मद्यप क्लीव रामगुप्त" की नपुन्सकता को धिक्कारती जय शंकर प्रसाद की " ध्रुबस्वामिनी" किसी जनता दरवार मे नही नजर आती ? जरूर आती है । यही तो रचनाधर्मी साधक की साधना के शाश्वत और चिरन्तन होने का प्रमाण है ।
रचनाधर्मी साधक की साधना की यह आग हिन्दी चिट्ठाकारी में अनबरत कायम रहे, इसलिए मैने ये फ़ैसला किया है कि परिकल्पना पर अब हमेशा किसी न किसी प्रकार की प्रतियोगिता आयोजित की जाती रहेगी ताकि सकारात्मक ब्लॉगिंग को बढ़ावा मिलता रहे । इसी उद्देश्य से वर्ष के प्रारंभ में फागुनाहट सम्मान की परिकल्पना की गयी ।
मैने लगभग दो दर्जन प्राप्त प्राणवाण रचनाओ की पोटली से तीन मोती निकाले - एक गीत,एक कविता और एक व्यंग्य का चुनाव करते हुये आपसे परामर्श माँगा था कि इन तीनो रचनाओ मे से आप किसे फगुनाहट सम्मान के लिये उपयुक्त मानते है । आपने अपना बहुमूल्य वोट दिया, जिसके लिये हम आपके प्रति अपना विनम्र आभार अर्पित करते हुये " परिकल्पना फगुनाहट सम्मान-2010" हेतु विजेता और उप विजेता के नाम की घोषणा करने जा रहे है ।
कुल वोट-74
विजेता - श्री वसन्त आर्य
कुल वोट-74
- श्री वसन्त आर्य की रचनाओ के समर्थन मे प्राप्त वोट -36
- श्री ललित शर्मा की रचनाओ के समर्थन मे प्राप्त वोट - 30
- श्री अनुराग शर्मा की रचनाओ के समर्थन मे प्राप्त वोट-08
विजेता - श्री वसन्त आर्य
- रचना का नाम- जब फागुन मे रचायी मंत्री जी ने शादी
- वर्ग- हास्य / व्यंग्य
- आपको मिलते है-रु.5000/- सम्मान-राशि,ई -सर्टिफिकेट और छ्प्पन भोग की मिठाइयाँ साथ ही अगले वर्ष आयोजित फागुनाहट सम्मान के निर्णायक मंडल के सदस्य होने का गौरव ।
- रचना का नाम-सजना सम्मुख सजकर सजनी खेल रही है होली..
- वर्ग- गीत
- आपको मिलते है-रू.500/-मूल्य की पुस्तके और अगले वर्ष पुनः आयोजित परिकल्पना फगुनाहट सम्मान हेतु स्वतः नामित प्रथम रचनाकार होने का गौरव ।
एक नजर वोट की गणना मे अपनायी गयी प्रक्रिया के सन्दर्भ मे-
श्री जी के अवधिया जी ने सार्वजनिक रूप से श्री वसंत आर्य और ललित शर्मा जी की कविताओं को सराहा है, किंतु मेल के माध्यम से उन्होने वोट केवल एक रचनाकार को ही दिया है ।इनके वोट को गणना मे शामिल किया गया है ।
श्री ज्ञान दत्त पांडे जी ने सार्वजनिक रूप से श्री वसंत आर्य और श्री अनुराग शर्मा की कविताओं के प्रकाशन के बाद अपनी टिप्पणी दी है, मगर उन्होने वोट किसी को भी नही किया है इसलिए उनके वोट शामिल नही किए गये हैं ।
सुश्री पूर्णिमा जी ने श्री वसन्त आर्य और श्री अनुराग शर्मा जी की कविताओ पर अपनी टिप्पणी दी है मगर वोट केवल एक व्यक्ति को किया है ।
श्री पी. सी. गोदियाल जी ने सार्वजनिक रूप से तीनो रचनाओ को सराहा है, इसलिये इनके वोट को गणना मे शामिल नही किया गया है ।
सुश्री निर्मला कपिला जी ने सार्वजनिक रूप से तीनो रचनाओ को सराहा है, किन्तु वोट केवल एक रचनाकार को दिया है ।इनके वोट को गणना मे शामिल किया गया है ।
श्री सुमन जी ने सार्वजनिक रूप से श्री अनुराग शर्मा और श्री ललित शर्मा दोनो की रचनाओ को सराहा है मगर उन्होने वोट किसी को भी नही किया है, इसलिये उनके वोट को गणना मे शामिल नही किया गया है ।
श्री जाकीर अली रजनीश,अनील त्रिपाठी,डा.दिनेशचन्द्र अवस्थी,गितेश, देवमणी पाण्डेय, कुमार राधारमण,महफूज अली,मानस के साथ-साथ सुश्री पुर्णिमा,माला,सन्ध्या आर्य ने श्री वसन्त के समर्थन में सार्वजनिक रूप से अपना वोट दिया है, इसलिये उनके वोट को इस गणना मे शामिल किया गया है ।
सार्वजनिक रूप से अदा जी ने श्री ललित शर्मा जी के समर्थन मे वोट करने का वचन दिया,किन्तु मेल/ SMS अथवा सार्वजनिक रूप से उनका वोट प्राप्त नही हुआ है फिर भी उनके वचन रूपी वोट को इस गणना मे शामिल कर लिया गया है ।
कवि कुलवन्त जी ने श्री ललित शर्मा जी को विजेता होने की अग्रिम शुभकामनाये तो दे दी, मगर किसी भी माध्यम से वोट करना भूल गये, इसलिये उन्हे इस गणना मे शामिल नही किया गया है ।
ब्लोगवाणी पसन्द छः ललित शर्मा,छः वसन्त आर्य और तीन अनुराग शर्मा जी के लिये किये गये है, इसे भी वोट की गणना मे शामिल किया गया है ।
सार्वजनिक रूप से परिकल्पना के पोस्ट प्रतिक्रिया मे श्री वसन्त आर्य की रचना को छः पाठको ने शानदार और तीन पाठको ने रोचक बताया है, वही श्री ललित शर्मा जी की रचना को एक पाठक ने शानदार और दो ने रोचक बताया है, वही श्री अनुराग शर्मा जी की कविता को दो पाठको ने शानदार और दो ने रोचक बताया है । मगर इस प्रतिक्रिया को वोटो की गणना मे शामिल नही किया गया है ।
श्री ललित शर्मा जी की रचना पोस्ट पर टिप्पणी करने वाले टिप्पणीकारो मे से चार टिप्पणीकारो ने मेल के माध्यम से वोट किया है, इसलिये उनके द्वारा मेल से किये गये वोट को ही मान्यता दी गयी है ।
वोटो की गणना मे उन ब्लोगरो की राय भी शामिल है जिनसे विजेता के चयन मे मौखिक, लिखित अथवा दूरभाष पर राय ली गयी है ।
सार्वजनिक टिप्पणियो के माध्यम से प्राप्त वोट मे आगे रहे श्री वसन्त आर्य,दूसरे स्थान पर रहे श्री ललित शर्मा और तीसरे स्थान पर रहे श्री अनुराग शर्मा । इसीप्रकार मेल से प्राप्त वोट मे आगे रहे श्री ललित शर्मा,दूसरे स्थान पर रहे श्री वसन्त आर्य और तीसरे स्थान पर रहे श्री अनुराग शर्मा । एस. एम. एस. के माध्यम से प्राप्त वोट मे आगे रहे श्री वसन्त आर्य, दूसरे स्थान पर रहे श्री ललित शर्मा और तीसरे स्थान पर रहे श्री अनुराग शर्मा ।
सबसे सुखद बात तो यह है कि इस वोटिंग प्रक्रिया में उन सभी वरिष्ठ चिट्ठाकारो के निष्पक्ष सुझाव प्राप्त हुए हैं, जिनसे सुझाव माँगे गये थे ।
केवल दो-एक चिट्ठाकार ही ऐसे थे जिन्होंने रचना न पढ़ पाने अथवा समय की कमी की बात करते हुए अपनी स्पष्ट राय देने में असमर्थता व्यक्त की ।
आपने एक महीने तक परिकल्पना पर हिंदी के कालजयी साहित्यकारों के साथ- साथ आज के कुछ महत्वपूर्ण कवियों की वसंत पर आधारित कवितायें पढी, जिसमें कवितायें भी थी,व्यंग्य भी , ग़ज़ल भी , दोहे भी और वसंत की मादकता से सराबोर गीत भी, जिन्होंने इसका भरपूर रसास्वादन किया, सकारात्मक टिप्पणियाँ की और हमारा मार्गदर्शन किया उन्हें हम दिल से अपना आभार व्यक्त करते हैं ।आप सभी को होली की रंग भरी शुभकामनाएँ !