शनिवार, 31 जुलाई 2010

वर्ष के श्रेष्ठ व्यंग्य पोस्ट का खिताब

ब्लोगोत्सव-२०१० के अंतर्गत वर्ष २००८ के जनवरी माह से वर्ष-२०१० के ३१ मार्च तक प्रकाशित विभिन्न ब्लॉग पोस्ट से एक पोस्ट का चयन करते हुए उन्हें सम्मानित करने की योजना थी इसी परिप्रेक्ष्य में परिकल्पना पर श्रेष्ठ पोस्ट श्रृंखला प्रकाशित की गयी थी,

इस श्रंखला में भिन्न-भिन्न ब्लॉग से कतिपय श्रेष्ठ पोस्ट का चयन किया गया था, जिसमें से तीन श्रेष्ठ पोस्ट को वर्ष के श्रेष्ठ पोस्ट की संज्ञा ब्लोगोत्सव की टीम द्वारा प्रदान करते हुए तीनों पोस्ट लेखक को अलग से सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है !

आज हम उन्हीं तीनों पोस्ट में से एक व्यग्य पोस्ट की चर्चा करने जा रहे हैं -

श्रेष्ठ व्यंग्य पोस्ट : झोला छाप डॉक्टर
व्यंग्यकार : राजीव तनेजा
चिट्ठा : हंसते रहो
मूल ब्लॉग पर प्रकाशन की तिथि : 22 जून 2008
ब्लोगोत्सव-२०१० के दौरान परिकल्पना पर विगत दिनों इसके लिंक प्रकाशित किये गए थे
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वर्ष की श्रेष्ठ देशभक्ति कविता का सम्मान

एक ऐसी कविता जिसके शब्द बाजुओं में फड़कन और मन में उत्साह का संचार कर दे ...राष्ट्र के प्रति अपने उतरदायित्व निभाने को आप आतुर हो जायेंगे !
इस कविता का शीर्षक है : कारगिल के शहीदों के प्रति
और इसके रचयिता हैं : पवन चन्दन
ब्लोगोत्सव की टीम ने इस कविता को वर्ष की श्रेष्ठ देशभक्ति कविता का खिताब देते हुए कवि पवन चन्दन को सम्मानित करने का निर्णय लिया है !
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शुक्रवार, 30 जुलाई 2010

वर्ष के श्रेष्ठ युवा गीतकार का सम्मान

एक ऐसा युवा चिट्ठाकार जो सुमधुर गीतकार भी है और उसके गीत के लफ्ज बांचने वाले का अहम् ही नहीं गलता अपितु वह गहरे संवेदनाओं में डूबने को मजबूर भी हो जाता है !
जिनके शब्द भावना की भूमि पर प्रतिभा के अभिनव अंकुर का संकल्पित प्रस्फुटन है और छंद अलग-अलग आयामों में जीवन के विराट वैविध्य की कलात्मक प्रस्तुतियां !
जिनकी प्रवाहशीलता के साथ-साथ अर्थ व्यंजनायें व्यापक प्रभामंडल को विस्तारित करने में समर्थ होती है वहीं गीतात्मकता पाठकों को बरबस आकर्षित !
जानते हैं कौन हैं वो ?
वो हैं रविकांत पाण्डेय
जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष के श्रेष्ठ युवा गीतकार का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है!
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वर्ष के श्रेष्ठ युवा कवि का सम्मान

एक ऐसा कवि/चिट्ठाकार जिसने महज डेढ़ वर्षों की चिट्ठाकारी में वह मुकाम प्राप्त करने में सफल हुआ जो मुकाम शायद हीं किसी को अबतक प्राप्त हुआ हो .

एक ऐसा कवि जिसकी कविता की आग जलाती नहीं वल्कि कलुषित परिवेश की कालिमा जलाकर उसके बदले एक खुशहाली से भरे विहान की ललक में ही आग जगाती है !

एक ऐसा कवि जिसकी साहित्यिक साधना पाठकों के सिने में दबी आग को बाहर ही नहीं निकालते वल्कि उन्हें आंदोलित भी करती है !
जानते हैं कौन है वो ?
वो हैं ओम आर्य

जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष का श्रेष्ठ युवा कवि का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है !
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गुरुवार, 29 जुलाई 2010

वर्ष के श्रेष्ठ विज्ञान पोस्ट का सम्मान

१० मई २०१० को हिंदी के प्रतिष्ठित समाचार पत्र जनसत्ता के नियमित स्तंभ में एक आलेख ब्लोगोत्सव-२०१० से साभार प्रकाशित किया गया था , शीर्षक था " भविष्य का यथार्थ"
यह अपने आप में एक प्रमाण है पोस्ट की श्रेष्ठता का , इस आलेख में भविष्य से संबंधित उन पहलूओं पर प्रकाश डाला गया है जो पूर्णत: प्रमाणिक और सत्यता से परिपूर्ण है !
इसके लेखक हैं जीशान हैदर जैदी

ब्लोगोत्सव की टीम ने इस पोस्ट को वर्ष का श्रेष्ठ विज्ञान पोस्ट का अलंकरण देते हुए इसके लेखक को सम्मानित करने का निर्णय लिया है !

वर्ष के श्रेष्ठ उत्सवी गीतकार का सम्मान

कहा गया है कि प्रेम में जीव अभय हो जाता है , वहां तो सिर्फ समर्पण ही रह जाता है ! प्रेम सर्वस्व न्योछावर करके गदगद हो जाता है ! अहंकार सबकुछ पाकर भी खुश नहीं होता है ! प्रेम दूसरों की छाया बनकर अपने को धन्य मानता है, अहंकार दूसरो की छाया छीनकर भी उदास बना रहता है ....प्रेम जब कुछ बाँट नहीं पाता तब दुखी होता है !

ऐसे दो गीतकार हैं हमारे चिट्ठाजगत में जिनका एक मात्र उद्देश्य है प्रेम बांटना ....उनके गीतों में प्रेम की कोमलता होती है और छंद श्रृंगार से सराबोर ! इनके गीत ह्रदय की धड़कन और साँसों के आरोह-अवरोह के वे सरगम होते हैं जिसमें डूबकर पाठक सत्य -शिव और सुन्दर की तलाश हेतु आतुर हो जाता है !

ये दोनों गीतकार हैं क्रमश: डा. रूप चन्द्र शास्त्री मयंक और संजीव वर्मा सलिल


इन दोनों सुमधुर गीतकारों को ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष के श्रेष्ठ उत्सवी गीतकार का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है !

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बुधवार, 28 जुलाई 2010

वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार (लेखन और गायन )

एक ऐसा गीतकार जिसकी प्रतिभा को स्थानीय स्तर पर केवल दबाया ही न गया हो, अपितु उन्हें उस स्थान को प्राप्त करने से वंचित भी रखा गया जिसके वे सचमुच हक़दार थे ...!

एक ऐसा गीतकार जिसकी लेखनी से प्रेम के स्वर प्रस्फुटित होते हैं और कंठ में निवास करती हैं स्वयं सरस्वती ....जिसके गीत पाठकों/श्रोताओं को आंदोलित ही नहीं करते अपितु भीतर-ही भीतर नए महासमर के लिए तैयार भी करते हैं .....जिसकी प्रेमानुभुतियाँ इंसानियत के लड़खड़ाते कदमों को संभालने में, प्रेम पंजरी फांकने वालों को झुलसाने से बचाने में और हताश-निराश लोगों को आशा की किरण प्रदान करती है !

कहा भी गया है कि काव्य के निरिक्षण, परिक्षण और मूल्यांकन के सच्चे अधिकारी वही होते हैं जिनकी अभिव्यक्तियाँ प्रेम से सनी होती है ....यादों की बस्तियों में जिनके अपने महल-दुमहलें होती है और जो सपनों के सत्संग में स्नेह सुरभि लुटाता हो ....!

ऐसे ही एक काव्य व्यक्तित्व का नाम है राजेन्द्र स्वर्णकार
जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार (लेखन और गायन) से अलंकृत करते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है !

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वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार (आंचलिक)

हमारे युग के सर्वाधिक लोकप्रिय गीतकार पद्मश्री नीरज की मान्यता है,कि " गीत ही आदि गीत ही मध्य गीत ही अंत, बिन गीत विश्व है केवल मरघट के सामान " राष्ट्रकवि दिनकर ने अपने महाकाव्य 'उर्वशी' में बड़े ही प्रभावी ढंग से निरुपित किया है , कि " बौद्धिक निर्मितियां नहीं हार्दिक प्रस्तुतियां ही अंतस के रक्तिम ज्वार की परिचय -पत्रिकाएं बनती है और एक क्रान्तिदर्शी कवि के अत्याहत रागतत्व को विजय- वैजयंती प्रदान करती है !"

एक ऐसा गीतकार जिसकी गीतात्मक अभिव्यक्तियों में एक और प्रीति के फाग का राग है तो दूसरी ओर गहन दार्शनिक चिंतन- सरणि का सारभूत अध्यात्म का पराग भी है ...!

एक ऐसा गीतकार जिसके बिंब और कथ्य ग्रामीण परिस्थितियों से लबरेज है वहीं भाव व्यापक प्रभामंडल को आयामित करने में समर्थ ...!

जिसकी प्रवाहशीलता के साथ-साथ अर्थ व्यंजनायें बरबस आकर्षित करती है और जिसकी जिन्दादिली से वाकिफ है पूरा हिंदी चिट्ठाजगत ...!

जानते हैं कौन हैं वो ?
वो हैं रायपुर निवासी ललित शर्मा
जिन्हें ब्लोगोत्सव-२०१० की टीम ने वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार (आंचलिक) का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है !
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मंगलवार, 27 जुलाई 2010

वर्ष का श्रेष्ठ बाल साहित्यकार सम्मान


आज का सम्मान एक ऐसे चिट्ठाकार के नाम, जो सक्रियता की मिसाल है और जिसे सदलेखन को प्रोत्साहन देने वाले चिट्ठाजगत के पहले सम्मान को प्रारम्भ करने का श्रेय जाता है।

ये ऐसे चिट्ठाकार हैं, जो आम तौर से 'तस्लीम', 'साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन' और 'सर्प संसार' सम्बंधी वैज्ञानिक चेतना का प्रसार करने वाली गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं, पर मूलत: वे एक बाल साहित्यकार हैं और बहुत ही कम उम्र में बाल साहित्य की उन ऊचाँईयों का स्पर्श किया है, जो बहुतों के लिए सपनों जैसा है।

जानते हैं कौन हैं ये ?
ये हैं लखनऊ निवासी श्री ज़ाकिर अली 'रजनीश'

जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने हिंदी चिट्ठाकारी से संवंधित आलेख लेखन के लिए वर्ष के श्रेष्ठ बाल साहित्यकार का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है।

श्री ज़ाकिर अली 'रजनीश' के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करे।

वर्ष के श्रेष्ठ लेखक ( हिंदी चिट्ठाकारी से संवंधित आलेख हेतु )

एक ऐसा चिट्ठाकार जिसने मात्र एक वर्ष की हिंदी चिट्ठाकारी में वह श्रेष्ठता हासिल करने में सफलता पायी है जो शायद किसी को वर्षों की साधना के पश्चात भी हासिल नहीं होता !

एक ऐसा चिट्ठाकार जिसकी भाषा बरबस आकर्षित करती है और शब्द चमत्कृत करते हैं ....हिंदी चिट्ठाकारी को नया आयाम देने की दिशा में सक्रीय नए चिट्ठाकारों में ये वेहद समर्पित और उत्साह से परिपूर्ण हैं !

जानते हैं कौन हैं ये ?
ये हैं भोपाल निवासी श्री प्रमोद तांबट

जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने हिंदी चिट्ठाकारी से संवंधित आलेख लेखन के लिए वर्ष के श्रेष्ठ लेखक का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है .

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सोमवार, 26 जुलाई 2010

वर्ष की श्रेष्ठ प्रस्तुति

किसी शायर ने कहा है, कि- " बादल हो तो बरसों कभी बेआब जमीं पर, खुशबू हो अगर तुम तो बिखर क्यूँ नहीं जाते !!" ब्लोगोत्सव की २०० से ज्यादा प्रस्तुतियों से एक श्रेष्ठ प्रस्तुति का चयन आसान नहीं था .....
ब्लोगोत्सव की टीम इस दिशा में लगातार माथापच्ची करती रही और अंतत: इस निष्कर्ष पर पहुंची कि कैप्टन मृगांक नंदन और उनकी टीम के द्वारा प्रस्तुत देश भक्ति की भावना से ओतप्रोत विडिओ प्रस्तुति को ही वर्ष की श्रेष्ठ प्रस्तुति की संज्ञा दी जाए ......!

इसलिए कैप्टन मृगांक नंदन और उनकी टीम के द्वारा प्रस्तुत विडिओ प्रस्तुति को श्रेष्ठ प्रस्तुति का अलंकारं देते हुए ब्लोगोत्सव की टीम ने सम्मानित करने का निर्णय लिया है जो देश के स्वाभिमान को अक्षुण बनाए रखने हेतु सतत संकल्पित युवा सेनानियों को ब्लोगोत्सव की यह सप्रेम भेंट है ...!

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वर्ष के श्रेष्ठ आकर्षण के अंतर्गत वर्ष की श्रेष्ठ उदीयमान गायिका

आज की प्रस्तुति के क्रम में मुझे हिंदी फिल्म का एक पुराना गाना स्मरण हो आया अचानक -"बच्चे मन के सच्चे, सारे जग के आँख के तारे.....!"

हम ऐसे ही तीन नन्हे सितारों की बात करने जा रहे हैं जिनकी उपस्थिति मात्र से गरिमामय हो गया था ब्लोगोत्सव का समापन समारोह !
जिन्होंने अपने नन्हे मन में छिपी बड़ी इच्छाशक्ति के बल पर ब्लोगोत्सव को दिया एक बड़ा आकाश और संगीत की एक ऐसी जमीन जिसपर टिककर आज पूरा हिंदी चिट्ठाजगत सर उठाकर देखने को आतुर है आकाश के झिलमिल सितारों को ....!

संगीत के प्रति इन तीनों की श्रद्धामयी भावना और साँसों-साँसों में बसी अदम्य आकांक्षा की खुशबू .....अपराजेय ख्वाहिशों के साथ पवित्रता की हद तक ईश को समर्पित है ....
खुशबू /अपराजिता और ईशिता

यही तीनों स्वर साधिकाएँ हैं जिन्हें हम अपनी ब्लोगोत्सव -२०१० की टीम की सहमति से वर्ष के श्रेष्ठ आकर्षण के अंतर्गत वर्ष की श्रेष्ठ उदीयमान गायिका से अलंकृत करने जा रहे हैं !

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रविवार, 25 जुलाई 2010

आवश्यक सूचना

परिकल्पना तथा ब्लोगोत्सव-२०१० से जुड़े समस्त पाठकों/शुभचिंतकों और मित्रों को अवगत कराना है कि आज रविवार का अवकाश होने के कारण लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान-२०१० की अगली कड़ी का प्रकाशन नहीं हुआ है , कल यानी सोमवार को प्रात: ११ बजे और अपराह्न ३ बजे हम पुन: उपस्थित होंगे सम्मान की अगली कड़ी के साथ ...!

ब्लोगोत्सव-२०१० टीम
आवश्यक सूचना

शनिवार, 24 जुलाई 2010

वर्ष के श्रेष्ठ टिप्पणीकार (पुरुष)

कहा जाता है कि -" जिस टिप्पणी में दर्शन नहीं वह टिपण्णी कहाँ ?" वह तो मरे हुए कुछ शब्दों की शवयात्रा है . ...!

टिप्पणी तो साधना के तन और मन के पोर-पोर को झंकृत करने की क्षमता रखती है , हहराती-घहराती आकाश की छाती चीरती कुत्सित विचारधाराओं को विचलित कर देती है .

टिप्पणी में तो वह शक्ति होती है कि पराजय के कगार पर पहुंचे योद्धाओं में जीत की ललक जगा देती है .परों की तलाश में भटकती हुयी साधना को माया और राम दोनों के दर्शन करा देती है . यानी टिप्पणी साहित्य के लिए अमृत भी है और विष भी ....इसलिए उसका महत्व साहित्य की तमाम विधाओं से कहीं ज्यादा है .

एक ऐसा कवि जिसकी पहचान हिंदी चिट्ठाजगत में धूमकेतु के सामान है , जिनकी कवितायें हिंदी साहित्य को प्रयाग की पावनता प्रदान करती है , सुर-सरस्वती और संस्कृति की त्रिवेणी में डूबने को मजबूर कर देती है , पाठकों के मन-मस्तिस्क पर सीधे उतर जाने वाले इस युवा कवि का नाम है- हिमांशु

किन्तु ब्लोगोत्सव में उनके द्वारा प्रस्तुत सारगर्भित टिप्पणियों के लिए ब्लोगोत्सव की टीम ने उन्हें वर्ष के श्रेष्ठ टिप्पणीकार (पुरुष) का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है !
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वर्ष की श्रेष्ठ महिला टिप्पणीकार

कहा जाता है कि -" जिस टिप्पणी में दर्शन नहीं वह टिपण्णी कहाँ ?" वह तो मरे हुए कुछ शब्दों की शवयात्रा है . ...!
टिप्पणी तो शब्द-शब्द से दर्शन टपकाती है . टिप्पणी में जीवन दर्शन नहीं हो तो उसकी कोई प्रासंगिकता नहीं होती वह तो निष्प्राण होती है . चूँकि टिप्पणी पत्थरों तक में प्राण-प्रतिष्ठा करती है , इसलिए उसका महत्व साहित्य की तमाम विधाओं से कहीं ज्यादा है .

एक ऐसी गीतकार जो गीत रचती है, गीत बांचती है ...यहाँ तक कि गीत जिसका ओढ़ना-बिछौना है , गीत जिसका स्वप्न है , गीत जिसका खिलौना है....जो अपने नाम के साथ गीत लिखना पसंद ही नहीं करती, अपितु गीत जिसकी प्राण-उर्जा है ऐसा महसूस करती है .

किन्तु आपको यह जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि ब्लोगोत्सव-२०१० में प्रस्तुत उनकी टिप्पणी इतनी सारगर्भित रही कि उन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने उन्हें वर्ष की श्रेष्ठ महिला टिप्पणीकार का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है !
जानते हैं कौन हैं वो ?
वो हैं श्रीमती संगीता स्वरुप जी !
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शुक्रवार, 23 जुलाई 2010

वर्ष के श्रेष्ठ परिचर्चा लेखक

एक ऐसा उदीयमान लेखक और व्यंग्यकार जब सृजन के लिए कलम उठाता है तो जग के कंटीले करील-कुंजों को प्रयाग की पावनता प्रदान कर देता है ....!
"वसुधैव कुटुंबकम" तक जाकर क्षितिज को भी अपनी बांहों के घेरे में भर लेने की प्रचेष्टा जिसकी रचनाओं में पूरी तरह प्रतिविंबित होती है और जो साहित्य की विभिन्न विधाओं से जन कल्याण के साथ ही साथ जग कल्याण करता है ...!
जानते हैं कौन है वो?
वो है बहुचर्चित युवा लेखक व् व्यंग्यकार श्री दीपक मशाल

जिन्हें ब्लोगोत्सव-२०१० की टीम ने इस बार वर्ष के श्रेष्ठ परिचर्चा लेखक का खिताब देते हुए लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया है !

वर्ष की श्रेष्ठ परिचर्चा लेखिका

एक ऐसी लेखिका जिसकी साधना के स्वर पाठकों के मन के सुदूर घाटियों में अन्तर्निहित स्वर को ध्वनित- प्रतिध्वनित करने में पूरी तरह सक्षम है ...!
एक ऐसी लेखिका जिसकी साधना जब सरस्वती की अग्निविना पर सुर साधती है तो साहित्य की अग्नि धाराएं प्रवाहित होने लगती है ...! इन अग्निधाराओं में कहीं अग्नि की आंच धाह मारती है तो कहीं कलुषित परिवेश की कालिमा जलाकर उसके बदले एक खुशहाली से भरे विहान की ललक दिखा जाती है....!
जानते हैं कौन है वो?
वो हैं सूरत (गुजरात) निवासी प्रीती महेता
जिन्हें ब्लोगोत्सव-२०१० की टीम ने वर्ष की श्रेष्ठ परिचर्चा लेखिका का खिताब देते हुए लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया है !
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गुरुवार, 22 जुलाई 2010

वर्ष के श्रेष्ठ कवि (कविता पाठ)

कहा गया है- " वाक्यं रसात्मकं काव्यं " यानी रसों से सरावोर वाक्य ही काव्य है ।
एक ऐसा प्रवासी भारतीय कवि जिनकी कविता तो आकर्षित करती ही है , आवाज़ भी कम आकर्षित नहीं करती ।
उस आवाज़ में यदि कविता रूपी महुए का स्वाद आपने एक बार चख लिया तो समझिये हमेशा के लिए आप उनकी आवाज़ में आबद्ध हो जायेंगे ।
जानते हैं कौन हैं वो ?
वो हैं श्री अनुराग शर्मा
जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने ब्लोगोत्सव पर प्रसारित उनकी कविता "गड़बड़झाला" को आधार बनाते हुए उन्हें वर्ष के श्रेष्ठ कवि (कविता पाठ ) का अलंकरण देते हुए लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।

वर्ष के श्रेष्ठ गज़लकार

एक ऐसा गज़लकार जिनकी ग़ज़लों का सबसे बड़ा आकर्षण प्रभावोत्पादकता है . पढ़ने वाले को यह महसूस होता है कि यह उन्ही की दिली बातों का वर्णन है।
एक ऐसा गज़लकार जिनकी ग़ज़लों के शिल्प और कथ्य में गज़ब का तारतम्य होता है । शब्दों का विभाजन विभिन्न घटकों की मात्रा संख्या के अंतर्गत वे ऐसे करते हैं कि पढ़ने वाला कोई भी पाठक उनकी ग़ज़लों का मुरीद हो जाए ।
आज अपनी अकुंठ संघर्ष चेतना और एक के बाद दूसरी विकासोन्मुख प्रवृति के बीच जिनकी ग़ज़ल हिन्दी साहित्य में अपनी स्वतन्त्र उपस्थिति दर्ज कराने को वेचैन दिखती है।
जानते हैं कौन है वो ?
वे हैं श्री दिगंबर नासवा
जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष के श्रेष्ठ गज़लकार का अलंकरण देते हुए लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान-२०१० से सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।

बुधवार, 21 जुलाई 2010

वर्ष के श्रेष्ठ क्षेत्रीय लेखक

हिंदी चिट्ठाजगत से जुडा एक ऐसा लेखक जो अपनी माटी , अपनी सभ्यता-संस्कृति और आंचलिक लोक कलाओं को आयामित करने की दिशा में विगत कई वर्षों से सक्रिय है ।
एक ऐसा लेखक जब अपनी सांस्कृतिक विरासत के गुणों और विशेषताओं को प्रस्तुत करता है तो हर भारतीयों का सीना गर्व से फूल जाता है ।
जानते हैं कौन हैं वो ?
वो हैं छतीसगढ़ की माटी में लोटा-लोटा कर जवान हुआ एक ऐसा लेखक जो जीता है तो छातिसगढ़ी संस्कृति के लिए और लिखता है तो छतीसगढ़ी संस्कृति को अक्षुण बनाए रखने के लिए ....!
नाम है संजीव तिवारी
जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष के श्रेष्ठ क्षेत्रीय लेखक का खिताब देते हुए इस बार लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।
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वर्ष की श्रेष्ठ युवा गायिका

किसी भी उत्सव की परिपूर्णता बिना बच्चों बिना युवाओं की भागीदारी के बिना संभव नहीं होती ....यही कुछ हुआ ब्लोगोत्सव के साथ भी ....नन्ही पाखी ने जहां उत्सव की धमाकेदार शुरुआत की वहीं मालविका ने ब्लोगोत्सव के १५० पोस्ट पूरे होने पर गीतों से भरी शाम प्रस्तुत कर पहली बार हिंदी चिट्ठाजगत में अपनी हंगामेदार भागीदारी देने में सफल रही । साथ ही उत्सव को एक नया आयाम देकर गरिमामय बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की ।
सबसे सुखद बात तो यह है कि इन्होने ब्लोगोत्सव में शामिल होने के लिए अपना ब्लॉग बनाया ....इस होनहार युवा गायिका को ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष की श्रेष्ठ युवा गायिका का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।
बहुत सारे चिट्ठाकारों के लिए यह उदीयमान गायिका भले ही अपरिचित हों, किन्तु ये बड़ी तेजी से संगीत की दुनिया में एक मुकाम बनाने की दिशा में अग्रसर है ।
नाम है मालविका निराजन

मंगलवार, 20 जुलाई 2010

वर्ष के श्रेष्ठ व्यंग्यकार

एक ऐसा चिट्ठाकार जो व्यंग्य की चाशनी में डूबोकर जब साहित्य परोसता है तो फिर चखने वाले के होठों से आह निकालने के बजाये स्वत:वाह निकल जाता है .....!
एक ऐसा व्यंग्यकार जिसके व्यंग्य वाण से आहत व्यक्ति भी मुस्कुराने को विवश हो जाता है ....जो सबका दोस्त है दुश्मन किसी का नहीं ....दुश्मन है भी तो केवल खोखली व्यवस्था का .....! जो मशहूर है खुशमिजाजी के लिए हिन्दी चिट्ठाजगत में ।
जानते हैं कौन है वो?
वो है अविनाश वाचस्पति

चिट्ठाजगत में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिस ने अविनाश वाचस्पति का नाम न सुना हो। अविनाश जी की उर्जा और स्फूर्ति जगजाहिर है । जिन विषयों पर वे लिखते हैं उसकी व्यापकता तारीफे काबिल है।
ब्लोगोत्सव-२०१० की टीम ने इस वार इस बहुचर्चित व्यंग्यकार को वर्ष का श्रेष्ठ व्यंग्यकार का खिताब देते हुए लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।

वर्ष की श्रेष्ठ सह लेखिका

एक ऐसी लेखिका जो अपने को लेखिका से ज्यादा कलाकार कहलाना पसंद करती है । खुद कुछ नहीं बोलती , बोलती है केवल इनकी कलम -कभी माँ, कभी बेटी, तो कभी पत्नी बनकर .....!
स्मृतियों के आईने में झांककर जब इनकी कलम बोलती है तो पढ़ने बालों के जेहन में तूफ़ान पैदा कर देती हैं , संस्मरण के बहाने इनके शब्द जब रोते हैं तो पढ़ने वालों की आँखों से करुणा और स्नेह की धाराएं फूट पड़ती हैं ....खुद के लिए प्रचार जिन्हें पसंद नहीं ....जो महसूस करती हैं बिना लाग-लपेट के बयान कर देती हैं,आप इसे जो नाम देना चाहें दे दें आपकी मर्जी ....!
जो अख़बारों ,मासिकों तथा आकाशवाणी के लिए तीन भाषाओँ क्रमश:हिंदी,मराठी तथा अंग्रेजी में लिखती हैं . जिनकी ज़्यादातर किताबें मराठी में प्रकाशित हुई है , किन्तु हिंदी ब्लॉग पर सक्रियता अन्य हिंदी भाषी लेखकों से कहीं ज्यादा है ।
जानते हैं कौन हैं वो ?
वो है शमा
यानी शमा कश्यप
ब्लोगोत्सव-२०१० की टीम ने इन्हें इस बार वर्ष की श्रेष्ठ सह लेखिका का खिताब देते हुए लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान -२०१० से सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।

सोमवार, 19 जुलाई 2010

आवश्यक सूचना

अचानक यू .पी.एस जल जाने के कारण संघनक कार्यप्रणाली अवरूद्ध हो गयी है , फलत: आज सम्मान की उद्घोषणा प्रभावित हुई है । मरम्मत का कार्य युद्धस्तर पर जारी है ....तबतक होने वाले असुविधा के लिए हमें खेद है ।
ब्लोगोत्सव टीम

रविवार, 18 जुलाई 2010

लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान की चर्चा प्रिंट मीडिया में

आगरा से प्रकाशित होने वाले डी एल ए समाचारपत्र के दिनांक १७.०७.२०१० के अंक में लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान-२०१० के अंतर्गत वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका (संस्मरण ) श्रीमती सरस्वती प्रसाद और वर्ष के श्रेष्ठ लेखक --- श्री रवि रतलामी की वृहद् चर्चा हुई है , चर्चाकार डा सुभाष राय जी को ब्लोगोत्सव-२०१० की पूरी टीम की ओर से कोटिश: आभार !

आज रविवार का अवकाश होने के कारण सम्मान की अगली कड़ी प्रकाशित नहीं की जा सकी है , कल सुबह ११ बजे हम उपस्थित होंगे वर्ष की श्रेष्ठ सह लेखिका और अपराह्न ३ बजे वर्ष के श्रेष्ठ व्यंग्यकार की उद्घोषणा के साथ ।
बने रहिये परिकल्पना के साथ -
आपका-
रवीन्द्र प्रभात

शनिवार, 17 जुलाई 2010

वर्ष के श्रेष्ठ कवि

हिंदी चिट्ठाजगत में सक्रीय एक ऐसा कवि जो 20 वीं शताब्दी के आठवें दशक में अपने पहले ही कविता संग्रह 'रास्ते के बीच' से चर्चित हुए ! जो 38 वर्ष की ही आयु में 'रास्ते के बीच' और 'खुली आँखों में आकाश' जैसी अपनी मौलिक कृतियों पर 'सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड' जैसा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले पहले कवि बने । जिनका जीवन निरंतर संघर्षमय रहा है। जो 11 वीं कक्षा के बाद से ही आजीविका के लिए काम करते हुए शिक्षा पूरी की। जो 17-18 वर्षों तक दूरदर्शन के विविध कार्यक्रमों का संचालन किया और 1994 से 1997 में भारत की ओर से दक्षिण कोरिया में अतिथि आचार्य के रूप में भेजे गए, जहाँ साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उन्होंने कीर्तिमान स्थापित किए।

जानते हैं कौन हैं वो ?
वे हैं डा. दिविक रमेश

जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने इस बार वर्ष के श्रेष्ठ कवि का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है ...!

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वर्ष की श्रेष्ठ कवियित्री

एक ऐसी कवियित्री जो कविवर पन्त की मानस पुत्री श्रीमती सरस्वती प्रसाद की बेटी हैं । स्वर्गीय सुमित्रा नंदन पन्त ने जिनका नामकरण ही नहीं किया अपितु अपनी स्व रचित पंक्तियाँ इनके नाम की..."सुन्दर जीवन का क्रम रे, सुन्दर-सुन्दर जग-जीवन"।

शब्दों की पांडुलिपि जिन्हें विरासत में मिली है। मन जहाँ तक जाता है, इनके शब्द उसकी अभिव्यक्ति बन जाते हैं। जिन्हें शब्दों की जादुई ताकत माँ ने दी और कमल बनने का संस्कार पिता ने, परिपक्वता समय की तेज आँधी ने।

सपने जिनकी नींव हैं और लेखनी जिनकी ताक़त .....जो सपनों की दुनिया में कोमलता ढूँढती हैं और हकीक़त कविता के रूप में सामने आ जाती है .... इनका मानना है कि सपनों की दुनिया मन की कोमलता को बरकरार रखती है...हर सुबह चिड़ियों का मधुर कलरव - नई शुरूआत की ताकत के संग इनके मन-आँगन में उतरा...ख़ामोश परिवेश में सार्थक शब्दों का जन्म होता रहा और ये अबाध गति से बढती गईं और यह एक और सौभाग्य कि आज यहाँ हैं....अपने सपने, अपने आकाश, अपने वजूद के साथ!
जानते हैं कौन हैं वो ?
वो हैं रश्मि प्रभा

इन्हें ब्लोगोत्सव-२०१० की टीम ने वर्ष की श्रेष्ठ कवियित्री का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।

शुक्रवार, 16 जुलाई 2010

वर्ष के श्रेष्ठ हिंदी प्रचारक ....


हिंदी का एक ऐसा साधक जिसकी मौन साधना आगे-आगे चलती है और सारे स्वर-व्यंजन के साथ समय पीछे-पीछे ....जो एक समर्पित लेखक, अनुसंधानकर्ता, एवं हिन्दी-सेवी हैं.जिन्होंने भौतिकी, देशीय औषधिशास्त्र, और ईसा के दर्शन शास्त्र में अलग अलग विश्व्वविद्यालयो से डाक्टरेट किया है और आजकल पुरातत्व के वैज्ञानिक पहलुओं पर अपने अगले डाक्टरेट के लिये गहन अनुसंधान कर रहे हैं. जो एक अमरीकी विश्वविद्यालय के मानद कुलाधिपति भी हैं....!

जिन्होंने ६ भाषाओं में ६० से अधिक ग्रन्थ एवं ६००० से अधिक लेख दर्शन, धर्म, भौतिकी, विज्ञान, इलेक्ट्रानिक्स, संगणक, मनोविज्ञान, भाषा, जर्नलिस्म, पुरावस्तुशास्त्र, एवं देशी चिकित्सा पद्धतियों पर लिखा है. जिनका लिखा "हिन्दु धर्म परिचय" मलयालम भाषा में एक प्रसिद्ध पाठ्य पुस्तक है !

जिन्होंने अपने जीवन में राजभाषा हिन्दी की साधना और सेवा करने का प्रण बचपन में ही कर लिया था. जिनका मानना है कि यदि हम भारतीय संगठित हो जायें तो सन २०२५ से पहले हिन्दुस्तान एक विश्व-शक्ति बन जायगा. फिर से एक सोने की चिडिया भी बन जायगा....!
जानते हैं कौन हैं वो ?
वो हैं हिंदी चिट्ठाजगत के परम श्रद्धेय चिट्ठाकार
शास्त्री जे. सी. फिलिप
ब्लोगोत्सव की टीम ने हिंदी के इस परम अनुरागी को वर्ष के श्रेष्ठ हिंदी प्रचारक का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है !
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लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान : वर्ष की श्रेष्ठ चित्रकार















अल्पना माने रंगोली…'अल्पना' शब्द संस्कृत के - 'ओलंपेन' शब्द से निकला है, ओलंपेन का मतलब है - लेप करना।
मगर किसी का नाम हो अल्पना और वह अपने नाम के अनुरूप अपनी अभिरुचियों को विकसित करते हुए जीवित किवदंती बन जाए तो उसे क्या कहेंगे आप ? यही न कि उसने अपने नाम को चरितार्थ कर दिया .........
जिनकी कलाकृतियाँ लिमका बुक ऑफ वर्ल्ड रिकोर्ड में शुमार की गयी हैं और जिनके बनाए ग्रीटिंग्स की धाक है कला जगत में .....
जानते हैं कौन है वो ?
वो हैं श्रीमती अल्पना देशपांडे
ब्लोगोत्सव की टीम ने इन्हें वर्ष की श्रेष्ठ चित्रकार का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है ....!
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गुरुवार, 15 जुलाई 2010

वर्ष के श्रेष्ठ लेखक (यात्रा वृत्तांत )

एक ऐसा चिट्ठाकार जो चिट्ठा चर्चा पर अपनी पैनी अभिव्यक्ति के लिए मशहूर है । भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में एक जिम्मेदारी वालेपद पर पदासीन होने के बावजूद अपने साहित्यिक और सृजन कर्म से कोई समझौता न करना जिनके फितरत में शामिल है . जिनके कथ्य और शिल्प अनायास ही चमत्कृत करते हैं .......जानते हैं कौन है वो ?
वो हैं श्री मनोज कुमार
( नाम : मनोज कुमार, जन्म 1962, ग्राम – रेवाड़ी, ज़िला – समस्तीपुर, बिहार शिक्षा – स्नातकोत्तर जन्तुविज्ञान (एमएससी जूऑलजी) पत्र पत्रिकाओं में लेखन, कादम्बिनी, मिलाप, राजस्थान पत्रिका आदि में लेख, कहानी, आकाशवाणी हैदराबाद पर कविताएं प्रकाशित। पेशे से भारत सरकार, रक्षा मंत्रालय, कार्यरत।)

ब्लोगोत्सव की टीम ने उन्हें वर्ष के श्रेष्ठ लेखक (यात्रा वृत्तांत ) का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है .

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वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका (यात्रा वृत्तांत )

एक ऐसी लेखिका जो अपनी मातृ भाषा जितनी अच्छी जानती हैं , उतना ही उनका अँग्रेज़ी और रूसी भाषा पर समानाधिकार है . बचपन में अपने इंजीनियर पिता के साथ होली के साहित्यिक टाइटिल बनाने वाली आज खुद ही बहुत अच्छी कविताएँ और आलेख लिखती हैं . टी वी चेनल्स हेतु आलेखों के साथ साथ हिन्दी - अँग्रेज़ी - रूसी भाषा अनुवाद भी वे बखूबी करती हैं ॥

उनके अनुसार अँग्रेज़ी अथवा अन्य भाषाएँ जानना उतने गर्व की बात नही है , जितना अपनी मातृ भाषा हिंदी को महत्व देना गर्व की बात है । अपने मनोभाव कागज पर उतारना उन्हें अच्छा लगता है। जिसे ही वे अपना साहित्य मानती हैं ॥

ग़ज़ल सुनना, कविताएँ लिखना , पेंटिंग करना , ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करना आदि उनकी अभि रुचियाँ उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को उजागर करती हैं . मृदुभाषी और सकारात्मक दृष्टिकोण वाली यह लेखिका आज के दौर में "ब्लॉग्स" को अपनी अभिव्यक्ति का सबसे अच्छा माध्यम मानती हैं।

जानते हैं कौन है वह ?

वह हैं श्रीमती शीखा वार्ष्णेय

जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका (यात्रा वृत्तांत) का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।

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बुधवार, 14 जुलाई 2010

लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान : वर्ष के श्रेष्ठ लेखक


एक ऐसा लेखक जिसे हिन्दी साहित्य में छिटपुट लेखन का २० वर्षों का अनुभव है । जो साहित्य के अलावा फीचर लेखन में भी सिद्धहस्त हैं। जो इलेक्ट्रॉनिक्स फ़ॉर यू समूह, दिल्ली की पत्रिकाओं आई.टी तथा लिनक्स फ़ॉर यू में पिछले आठ वर्षों से तकनीकी लेखन करते आ रहे हैं। आई।टी पत्रिका के तकनीकी लेखक पैनल तथा इंडलिनक्स हिन्दी टीम के सदस्य भी हैं।

इसके अतिरिक्त जिन्होंने हिन्दी दैनिक चेतना में २ वर्ष तक तकनीकी स्तम्भ में लेखन किया तथा संप्रति अभिव्यक्ति तथा प्रभासाक्षी में तकनीकी विषयों पर नियमित लिखते हैं। इंटरनेट पर रामचरित मानस को यूनीकोड में उपलब्ध कराने में भी जिनका सक्रिय सहयोग रहा।

चिट्ठाकारी की प्रवीणता और नियमितता जिनका परिचय हैं और लगभग हर प्रविष्टि के साथ एक गज़ल जिनका ट्रेडमार्क। जिनकी चुटीली उक्तियाँ पड़ कर लगता है कि उत्तर भारत के किसी शहर की हवा मन को छूकर निकल गयी, वह हवा जिसमें गज़ल की खुशबू, जमीनी हकीकत, सामजिक पीड़ाओं के बीच भी हँस सकने की हिम्मत और नींद से झझकोर देने वाली अपील शामिल है। सामयिक मुद्दो के साथ गजलों का मिश्रण जिनका अनूठा प्रयोग है।

जानते हैं कौन हैं वो ?

वो हैं हमारे रवि शंकर श्रीवास्तव यानी रवि रतलामी

ब्लोगोत्सव की टीम ने इन्हें वर्ष के श्रेष्ठ लेखक के रूप में इस वर्ष सम्मानित करने का निर्णय लिया है

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वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका (संस्मरण )
















एक ऐसी लेखिका जो पौराणिक साहित्यिक जमीन पर नयी साहित्यिक मूल्यों का निर्माण करती है , परंपरा और आधुनिकता के बीच से अपने आचरण को तय करने वाले सरोकारों का चुनाव करती हैं .....उनका मानना है कि परिस्थितियाँ अजीव तौर पर बिदंबनापूर्ण परिदृश्य सामने ला रही है साहित्य के क्षेत्र में इसलिए हमें नए सकारात्मक वातावरण का निर्माण करना है .....जानते हैं कौन हैं वो ?
वो हैं कविवर पन्त की मानसपुत्री श्रीमती सरस्वती प्रसाद
ब्लोगोत्सव की टीम ने इन्हें वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका (संस्मरण ) का खिताब देते हुए इन्हें सम्मानित करने का निर्णय लिया है ....!
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मंगलवार, 13 जुलाई 2010

वर्ष के श्रेष्ठ विज्ञान कथा लेखक














एक ऐसा ब्लोगर जो विज्ञान की अवधारणाओ को पूरी दृढ़ता के साथ प्रतिष्ठापित करने की दिशा में सक्रिय है । अदम्य उत्साह, कुछ कर गुजरने की मंशा तथा जिजीविषा के भाव जिसके हृदय में प्रबल है और अंधविश्वास के घटाटोप में उलझे लोगों को बाहर निकालने को जो वेचैन दीखता है ....
जानते हैं कौन है वो ?
वो है डा अरविन्द मिश्र
इसीलिए ब्लोगोत्सव की टीम ने इन्हें वर्ष के श्रेष्ठ विज्ञान कथा लेखक का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।
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वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका (कथा-कहानी )















हिंदी ब्लॉगजगत के पास एक ऐसी उत्कृष्ट लेखिका हैं , जिनकी कथा-कहानियों में परिस्थितियों से उत्पन्न विविध प्रकार के भौन्जालों के बीच विवशताभरी छटपटाहट का खुला दस्तावेज सम सम्मुख आता है , साथ ही जन-समुदाय के शोषण, कलह, ईर्ष्या, वर्ण-व्यवस्था से ग्रस्त मन-मानस की कुंठाओं एवं संत्रासों का सहज उदघाटन हो जाता है ।
जानते हैं कौन है वो?
वो हैं निर्मला कपिला ....
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सोमवार, 12 जुलाई 2010

वर्ष के श्रेष्ठ कार्टूनिस्ट
















एक ऐसा ब्लोगर जिसके कार्टून्स की संवेदनशीलता का पैमाना उनके कार्टून्स के अवलोकन मात्र से लगाया जा सकता है ....एक ऐसा कार्टूनिस्ट जिसकी प्रस्तुति की निष्पक्षता पर कभी किसी ने उंगली नहीं उठायी और जिनकी रचनात्मकता का कायल है पूरा चिट्ठा जगत । समकालीन युग और जीवन की प्रवृतियों को सामने रखने की प्रतिबद्धता जहां उनके कार्टून्स की गरिमा प्रदान करती है वहीं उन्हें अन्य कार्टूनिस्ट से अलग पहचान भी देती है ....!

जानते हैं कौन है वो ?

वो है श्री काजल कुमार , जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष के श्रेष्ठ कार्टूनिस्ट के रूप में सम्मानित करने का निर्णय किया है ।


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लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान : वर्ष का श्रेष्ठ नन्हा ब्लोगर

एक ऐसी नन्ही ब्लोगर जिसके तेवर किसी परिपक्व ब्लोगर से कम नहीं ......जिसकी मासूमियत में छिपा है एक समृद्ध रचना संसार .....जो अपने मस्तिस्क की आग को बड़ी होकर पूरी दुनिया के हृदय तक पहुंचाना चाहती है ....जानते हैं कौन है वो ?

वह है हमारी, आपकी,सबकी लाडली अक्षिता ....
यानी अक्षिता पाखी , जिसे हम ब्लोगोत्सव -२०१० में प्रकाशित रचनाओं की श्रेष्ठता के आधार पर "वर्ष की श्रेष्ठ नन्ही ब्लोगर " के रूप में सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।

शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान की उद्घोषणा १२ जुलाई से

हिंदी चिट्ठाजगत में कुछ ऐसे चिट्ठाकार हैं जिनके तेवर का अंदाजा उन्हें गहराई से पढ़े और महसूस किये बगैर नहीं लगा सकते ....जो अपने मस्तिस्क की आग को समूची दुनिया के हृदय तक पहुंचाने को बेताब है और पूरी दुनिया की क्रान्तिधारा को आप तक पहुंचाने को तत्पर ।
किसी को कविता में महारत हासिल है तो किसी को कहानी या फिर संस्मरण में .....कोई आलेख तो कोई शब्दों की श्रृंखला बनाता है .....कोई करता है उद्घोष अपनी राष्ट्रभाषा का तो कोई जूनून की हद तक जाकर करता है सृजन कर्म ....कोई गीत रचता है तो कोई ग़ज़ल ....सबकी अपनी -अपनी अलग विशेषता है । सभी अपने फन में माहिर है सभी श्रेष्ठ हैं ......हम इन्हीं श्रेष्ठ सृजनकारों से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं १२ जुलाई से प्रत्येक दिन परिकल्पना और ब्लोगोत्सव-२०१० पर प्रात: ११ बजे और अपराह्न ३ बजे .........देखना न भूलें !

गुरुवार, 8 जुलाई 2010

एक और नयी पहल : एक गीत एक कहानी एक नज़्म एक याद

"ले अभाव का घाव ह्रदय का तेज
मोम सा गला
अश्रु बन ढला
सुबह जो हुई
सभी ने देख कहा --- शबनम है !"

- सरस्वती प्रसाद

ज़िन्दगी के दर्द ह्रदय से निकलकर बन जाते हैं कभी गीत, कभी कहानी, कोई नज़्म, कोई याद ......जो चलते हैं हमारे
साथ, ....... वक़्त निकालकर बैठते हैं वटवृक्ष के नीचे , सुनाते हैं अपनी दास्ताँ उसकी छाया में.





लगाते हैं एक पौधा उम्मीदों की ज़मीन पर और उसकी जड़ों को मजबूती देते हैं ,करते हैं भावनाओं का सिंचन उर्वर शब्दों की क्यारी में और हमारी बौद्धिक यात्रा का आरम्भ करते हैं....





अनुरोध है, .... इस यात्रा में शामिल हों, स्वागत है आपकी आहटों का .... जिसे 'वटवृक्ष' सुन रहा है ....................






प्रविष्टियाँ निम्न ई-मेल पते पर प्रेषित करें -
ravindra.prabhat@gmail.com


कृपया ध्यान दें :

दिनांक १२.०७.२०१० से परिकल्पना सम्मान-२०१० की घोषणा की जानी है, इस घोषणा के समापन के पश्चात उपरोक्त कार्यक्रम की शुरुआत परिकल्पना पर की जायेगी, इसलिए अपनी रचनाएँ शीघ्र प्रेषित करें !

बुधवार, 7 जुलाई 2010

प्यार देवता है प्यार ही है अल्लाह ....

कल की विडिओ प्रस्तुति के क्रम में आज प्रस्तुत है एक और मुक्तक -
" प्यार देवता है प्यार ही है अल्ला ,
सच्ची मोहब्बत में यार ही है अल्ला,
खुद को जो समझा, खुदाई को समझा-
खुद पे किया ऐतवार ही है अल्ला !"


मंगलवार, 6 जुलाई 2010

यही जिन्दगी का सही फलसफा है, प्यार जिससे करो डूब करके करो.....

ब्लोगोत्सव के बाद परिकल्पना पर एक खामोशी देखी जा रही थी । मेरे कई मित्रों ने मेल तथा फोन करके इस खामोशी का कारण जानना चाहा ......अब क्या बताऊँ पहला कारण तो ये है कि बच्चों की छुटियाँ चल रही थी अब जो बच्चे हमसे दूर रहकर कहीं किसी अन्य शहर में रहकर पढ़ रहे हों उनके साथ कुछ पल बिताने का यह सुयोग मैं कैसे जाने देता ? दूसरा कारण है परिकल्पना सम्मान -२०१० की तैयारी में व्यस्तताओं का बढ़ जाना ।

आज थोड़ा समय मिला तो मैंने सोचा कि अपनी खामोशी तोड़ने के लिए कौन सा माध्यम अपनाया जाए ....तब विचार आया कि अपनी तीन वर्षों की ब्लोगिंग में मैंने अपनी आवाज़ में आपके सामने कभी कुछ भी प्रस्तुत नहीं किया , तो क्यों ना अपनी काव्य प्रस्तुति से हीं शुरुआत करूँ ? इसीलिए आज मैं आपको एक मुक्तक और एक ग़ज़ल सुनाने जा रहा हूँ ।

"मन में उम्मीदों की चाहत भरो, डरो ना किसी से खुद से डरो, यही जिन्दगी का सही फलसफा है, प्यार जिससे करो डूब करके करो.....!" यह मुक्तक मैंने पहली बार आज से लगभग दो वर्ष पूर्व कानपुर स्थित हरकोटियन बटलर इंस्टीट्युट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी के द्वारा आयोजित कवि सम्मलेन में सुनाया था, तब से लगातार प्राय: हर कवि सम्मलेन में मुझसे इस मुक्तक को सुनाने की फरमाईश होती रहती है । आईये शुरुआत करते हैं इसी मुक्तक से -

प्यार जिससे करो डूब करके करो.....



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