वर्ष-2011 में जहां प्रेम की
रचनात्मकता दिखी
वहीँ रचनात्मकता में प्रेम....
गतांक से आगे ...
परिकल्पना ब्लॉग सर्वे के माध्यम से किए गए एक आंकलन के अनुसार हिंदी में राजनीति, सामाजिक मुद्दे, अध्यात्म, दर्शन, धर्म और संस्कृति से संवंधित ब्लॉग का औसत 22% है, वहीँ विज्ञान, अंतरिक्ष और इतिहास से संवंधित ब्लॉग का औसत केवल 1% । यात्रा, जीवनशैली, स्वास्थ्य, गृह डिजाइन और चिकित्सा से संवंधित ब्लॉग का औसत जहां 14 % है वहीँ समूह ब्लॉग केवल 2% के आसपास । सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस हिंदी ब्लॉगिंग को न्यू मीडिया या कंपोजिट मीडिया कहा जा रहा है उसी से संवंधित ब्लॉग अर्थात न्यूज पोर्टल और प्रिंट मीडिया के ब्लॉग का औसत केवल 5% है । कुल हिंदी ब्लॉग का 5% ब्लॉगसामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों से संवंधित है, जबकि हिंदी प्रचार प्रसार से संवंधित ब्लॉग का औसत 18% है । हास्य, व्यंग्य, पहेली और कार्टून से संवंधित ब्लॉग का औसत जहां 3% के आसपास है वहीँ शिक्षा से संवंधित ब्लॉग का प्रतिशत केवल 2% के आसपास ।
साहित्य के ब्लॉग का औसत भी बहुत संतोषप्रद नही दीखता, क्योंकि तमाम हिंदी प्रेमियों में साहित्यकारों की संख्या सर्वाधिक होने के वाबजूद औसत केवल14% के आसपास है । अन्य विषयों का आंकलन करने पर पाया गया कि पर्यावरण, वन्य जीवन, ग्लोबलवार्मिंग से संबंधित ब्लॉग के साथ-साथ वेब डिजाइन, ई– लर्निंग, पॉडकास्ट, रेडियो, वीडियो, खेल, खेल गतिविधि, खाद्य, पाक कला, टीवी, बॉलीवुड सिनेमा, मनोरंजन आदि से संबंधित ब्लॉग का औसत1% के आसपास है । बच्चों से संबंधित ब्लॉग का औसत जहां 2% है, वहीँ नारी सशक्तिकरण से संबंधित ब्लॉग का औसत केवल 1% के आसपास। सबसे दयनीय स्थिति है बंगाली, कन्नड़, गुजराती, मलयालम, सिंधी, उर्दू, संस्कृत, तमिल तथा अंग्रेजी से अनुवाद वाले ब्लॉग के साथ-साथ मानव संसाधन, वित्त, प्रबंधन, निवेश, शेयर बाजार, व्यापार, सरकार, विज्ञापन, कानून,खोज, इंटरनेट मार्केटिंग, वेब विश्लेषिकी,प्रौद्योगिकी, गैजेट्स, मोबाइल,संगीत, नृत्य,फैशन,उद्यम और आविष्कार से संबंधित ब्लॉग की , जिसकी औसत काफी नगण्य है ।
वर्ष-2011 में अधिकांश मुद्दों पर कोई न कोई पोस्ट देखने को अवश्य मिली है । साक्षात्कार से ले कर कृषि और विदेशी घटनाक्रमों से ले कर धर्म व महिलाएं– बहस के हरेक मुद्दे को हिंदी ब्लॉग पर इस वर्ष समेट लेने की कोशिश की गई लगती है।
एक ब्लॉग है कस्बा, एन.डी.टी.वी. के रबीश कुमार अर्थात एक पत्रकार का का ब्लॉग है मगर इसकी अधिकांश पोस्ट पढ़ कर लगता है कि किसी ऐसे 'साहित्यिक' व्यक्ति का ब्लॉग है जो अपने आप में डूब कर केवल काव्य रचना नहीं करता बल्कि समाज के प्रति बेहद संवेदनशीलता के साथ सोचता है, विचार रखता है|निश्चित रूप से हिंदी ब्लॉग जगत का अनमोल मोती है यह ब्लॉग।
कई ब्लॉग इंटरनेट जगत की कई हिंदी-उपयोगी हलचलों के बारे में लगातार बताते हुए नज़र आये। क्या नया आया? कौन सी तकनीक का प्रयोग कैसे करें? इंटरनेट/ ब्लॉग/ हिंदी संबंधी किस समस्या से किस प्रकार छुटकारा पाएं? अपने ब्लॉग या वेबसाइट को कैसे 'एनरिच' करें? इन सारे विषयों पर लगातार बात करता रहा
हिंदी ब्लॉग टिप्स जो ब्लॉग संबंधी कई समाधानों के लिए एक बेहद उपयोगी है। वहीँ मोबाइल ब्लॉगिंग, पोस्ट व टाइपिंग संबंधी प्राइवेसी, प्रोटेक्शन आदि कई सवालों के जवाब पूरी निर्भीकता के साथ देते रहे
नवीन प्रकाश अपने ब्लॉग
hindi tech तकनिकी हिंदी में पर । हां एक बात और, ब्लॉगिंग टिप्स के अलावा यहां कुछ और भी आपको मिलेगा जैसे आपस की बात, इन्टरनेट एक्स्प्लोरर,कंप्यूटर कीमतें,डेस्कटॉप,ब्लॉगर टेम्पलेट आदि ।कई वर्षों की चुप्पी के बाद पिछले वर्ष पुन: सक्रिय हुए प्रारंभिक दिनों के ब्लॉगर
श्रीश शर्मा यानी ईपंडित इस वर्ष चिठ्ठाकारों के मददगार साबित हुए ।
हिंदी ब्लॉगजगत केवल साहित्य और मुद्दों का अखाड़ा मात्र नहीं है। यहां हल्की-फुल्की चीजें भी मौजूद हैं। जैसे कार्टून, हास्य आदि। वर्ष-2008 से सक्रिय
ताऊ रामपुरिया ने
ताऊ डाट इन पर इसवर्ष भी खूब धमाल मचाया, जैसा कि नाम से जाहिर है, हास्य का पिटारा है यह ब्लॉग। दिमागी कसरत और तनाव मुक्ति के लिए सर्वथा उपयुक्त जगह।
अप्रैल-2007 से लगातार कला और संगीत में सराबोर होकर तरह तरह का खूबसूरत प्रयोग कर रहा है एक ब्लॉग
रेडियो वाणी । यहां पुराने गानों को 'पढ़ा' भी जा सकता है और डाउनलोड भी किया जा सकता है। सगीत के विभिन्न आयाम को समेटे अनोखे प्रयोग करने वाले ब्लॉगर युनुस खान मध्यप्रदेश के दमोह शहर में पैदा हुए और म0प्र0 के कई शहरों में पले बढे । बचपन से ही संगीत, साहित्य और रेडियो में गहरी दिलचस्पी थी । सन 1996 से मुंबई स्थित देश के प्रतिष्ठित रेडियो चैनल विविध भारती (vividh bharati) में ये एनाउंसर हैं । नए पुराने तमाम अच्छे गीतों में गहरी रूचि है इनकी । संगीत प्रेमियों के लिए उपयुक्त जगह है ये।
इस वर्ष ब्लॉग स्पेस का उपयोग जागरुकता फैलाने के लिए काफी हुआ ।ब्लॉग पर महिला अधिकारों, पर्यावरण संबधी मसलों और समाज के विभिन्न वर्गों के हितों पर काफी कुछ लिखा गया । कहीं अन्ना का आन्दोलन छाया रहा तो कहीं कीमतों में बढ़ोत्तरी का रोना।कहीं सरकार और सरोकार के प्रति द्वंद्व दिखा तो कहीं बंगाल के चुनावी परिणाम पर आश्चर्य मिश्रित प्रतिक्रया, किन्तु इस सबसे अलग एक ब्लॉग ऐसा भी था जो हर पल मानवाधिकार की बात करता रहा पूरे वर्ष भर ।
मानव अधिकार संबंधी लेख यही नाम है इस ब्लॉग का, फरवरी महीने की एक पोस्ट में जिसमें ब्लॉगर का कहना है कि, "अंजाम देखा आपने हुस्ने मुबारक का,था मिस्र का भी वही जो है हाल भारत का,परजीवियों के राज का तख्ता पलट कर दो,जन में नई क्रांति का जोश अब भर दो,उठो आओ हिम्मत करो क्रांति का परचम धरो,मत भूलो यह सरोकार अच्छा है मानवाधिकार।"
साहित्यिक ब्लॉग की श्रेणी में इस वर्ष
'वातायन' में काफी सक्रियता देखी गयी । वरिष्ठ लेखक रूपसिंह चंदेल का ब्लॉग वातायन कविता, कहानी, जीवनी, आलेख, रिपोर्ट और यहां तक कि साहित्यिक समाचारों का एक अनुपम गुलदस्ता है। इस वर्ष इसपर कई साहित्यकारों की उत्कृष्ट रचनाएं पढ़ने को मिली है । इसी श्रेणी का एक और सक्रिय ब्लॉग
सृजनयात्रा' अपनी सक्रियता से सबको अचंभित करता रहा पूरे वर्ष भर। इसके मॉडरेटर सुभाष नीरव साहित्यकार हैं और अपनी रचनाओं का संकलन उन्होंने यहां किया है। सुभाष नीरव के अन्य साहित्यिक ब्लॉग यथा
कथा पंजाब ,
गवाक्ष ,
सेतु साहित्य ,
वाटिका आदि ने भी इस वर्ष पाठकों को काफी आकर्षित किया ।
डॉ.सरोजिनी साहू का विश्व की नारीवादी लेखिकाओं में एक विशिष्ट स्थान हैं. दिनेश कुमार माली ने अपने ब्लॉग 'सरोजिनी साहू की श्रेष्ठ कहानियां' में लेखिका की कई चुनी हुई कहानियों का अनुवाद पेश करने का प्रयास किया है, किन्तु अफसोस इस बात का है कि हिंदी में उडिया साहित्य से अनुवाद का एकमात्र यह ब्लॉग इस वर्ष अपडेट नहीं हुआ।
विगत चार वर्षों से सक्रिय होमियोपैथिक उपचार से संबंधित प्रभात टंडन का महत्वपूर्ण ब्लॉग
HOMEOPATHY -A NEW APPROACH इस वर्ष पूरी तरह निष्क्रिय रहा ।
जिस शरीर के सहारे हम जीवन भर 'जीते' हैं, उसके प्रति अक्सर उदासीन रहते हैं। तब तक, जब तक यह गंभीर संकेतों द्वारा खुद अपनी ओर हमारा ध्यान न खींचे। एक ब्लॉग है
RAINBOW/इंद्रधनुष,जहाँ कैंसर पर बात होती है। चाट जाने वाले इस रोग से जुड़े तमाम पहलुओं और जानकारियों से अवगत करवाने वाली ब्लॉगर आर अनुराधा खुद एक कैंसर विजेता हैं। हिंदी ब्लॉग जगत में यह अपनी तरह का संभवतः पहला ब्लॉग है और वर्ष-2008 से लगातार सक्रिय भी है।
अब आईए बेटियों की बात करते हैं । एक अनोखा ब्लॉग है
बेटियों का ब्लॉग। हिंदी ब्लॉगजगत में अपनी तरह का यह अनोखा ब्लॉग है जहां केवल बेटियों की ही चर्चा होती है। इसमें बेटियों के माता- पिता और खुद बेटियां अपनी बातें साझा करती हैं।
मीडियाकर्मियों क्रमश:
आर. अनुराधा ,
राजेंद्र भट्ट ,
प्रणव प्रियदर्शी और
दिलीप मंडल द्वारा संचालित ब्लॉग
रिजेक्टमाल पर इस वर्ष हालांकि कुछ खास हलचल नहीं देखा गया, किन्तु कुछ अच्छे विषय और मुद्दे को उठाकर पाठकों को आकर्षित अवश्य किया है। आंकड़ों और संवेदनाओं का अनूठा संगम है यह ब्लॉग, क्योंकि यहां तर्क के आधार पर भावनाओं को स्थापित किया जाना देखा गया है।
अब आइये ज़रा प्रेम अथवा प्रेम की अनुभूतियों की ओर चलें,जहां सादगी है,पवित्रता है और भावनाओं की गहरी अनुभूति भी।
हिंद युग्म की अनुपम प्रस्तुति है एक
ब्लॉग आवाज़ जहां साज और आवाज़ का वेहद संतुलित संयोजन देखने को मिला इस वर्ष।वैसे तो इस ब्लॉग का अंदाज़े वयं हीं कुछ और है, किन्तु प्यार की अनुभूति से सराबोर उसकी एक प्रस्तुति ने पाठकों को काफी आकर्षित किया शीर्षक है
इसी को प्यार कहते हैं.. प्यार की परिभाषा जानने के लिए चलिए हम शरण लेते हैं।
शमशेर बहादुर सिंह की कविता की इन पंक्तियों "आज कोई ज़ख्म इतना नाज़ुक नहीं जितना यह वक्त है.. जिसमे हम तुम, सब रिस रहे हैं....चुप चुप" को पञ्चलाईन बनाता
अभी का एक ब्लॉग है
एहसास प्यार का.. जिसपर वर्ष-2011 में प्यार की सुखद अनुभूतियों से लबरेज कई पोस्ट देखे गए।
हृदयानुभूति का मानना है कि "
प्यार एक मात्र भ्रम है इससे अधिक कुछ नहीं,हाँ सभी को इसका अलग-अलग ग़ुमां ज़रूर होता है। कोई प्यार में बावरा हुआ जाता है कोई प्यार में खुद को तलाशता है। आप सही गलत सब प्यार की नज़र से देखते हैं और यही भ्रम आपको खोखला करता चला जाता है,पूरी तरह।" वैसे तो
वटवृक्ष एक ब्लॉग है, किन्तु ब्लॉग पर प्रकाशित उत्कृष्ट रचनाओं का एक नायाब गुलदस्ता है । इसपर भी वर्ष-2011 में अनेकानेक स्तरीय प्रेम कवितायें पढ़ने को मिली।इस पर इस वर्ष प्रकाशित
प्यार के पोपकोर्न काफी लोकप्रिय हुआ ।
प्रेम की अनुभूतियों को काव्य में गूंथकर अनुपम प्रस्तुति करने वाला एक और ब्लॉग है
आरंभन जहां इस वर्ष प्रेम पर आधारित अनेकानेक मोहक प्रस्तुतियां देखी गयी । वहीँ
मेरी भावनाएं पर रश्मि प्रभा ने किताबों वाला प्यार की चर्चा की । मन को छूती हुयी इस काव्य प्रस्तुति को पाठकों ने काफी सराहा। रजनीश ने काव्य में पिरोकर जहां
प्यार भरी बातें की.... वहीँ
रचना ने कहा कि प्यार हो जाने का एहसास प्यार पाने के अहसास से ज्यादा सुकून देता हैं ।
cinema- सिलेमा पर इस वर्ष प्रकाशित तमाम प्रेम परक फिल्म की समीक्षा प्रस्तुत की गयी है
प्यार ही प्यार, बेशुमार..शीर्षक से ।
ब्लॉग का नाम है
" किस्सा और कहानी, ग़ज़ल, गीत और चुटकुला, प्यार और दोस्ती" ।इस ब्लॉग पर हर प्रकार की प्रस्तुति केवल प्यार को केंद्र में रखकर प्रस्तुत की जाती है। हिंदी में मज़ेदार, हंसाने वाले, शिक्षाप्रद, कहानी, किस्सा, चुटकुला, दोस्त, दोस्ती, गीत, ग़ज़ल, शायरी, प्यार, प्रेम, कमाई, चिंता, आर.टी.यू., जोक्स, और भी बहुत खुछ है इस ब्लॉग में।
मेरी दोस्ती मेरा प्यार नाम से एक ब्लॉग भी है ब्लोगर हैं मुस्कान, जिसपर इस वर्ष कुछ बेहतर अनुभूतियों से पाठक रूब रू हुए ।
सच का सामना पर पूछा गया कि आखिर यह यह प्यार क्या है ?
मैं और मेरी सोच पर शशांक मेहता ने प्यार पर बड़ी खुबसूरत कविता कही कल का प्यार और आज की दोस्ती ।
उन्मुक्त ने कहा प्यार तो होता ही है।
रैन बसेरा पर प्यार कुछ अनोखे ढंग से परोसा गया ।
कुश की कलम ने कहा प्यार को प्यार ही रहने दो.. कोई नाम ना दो, जबकि
मेरी भावनायें ने कहा प्यार मर जाता है।
इन सबके अलावा
स्पंदन SPANDAN पर रूहानी प्यार "रॉक स्टार",
क्वचिदन्यतोSपि पर आप किस बच्चे को ज्यादा प्यार करते हैं,
चला बिहारी ब्लॉगर बनने पर प्यार, दोस्ती और भक्ति, मनोज पटेल द्वारा अनूदित नाजिम हिकमत की कविता तुम्हें प्यार करता हूँ मैं को
पढ़ते-पढ़ते पर पाठकों ने काफी पसंद किया । बहुत कुछ लिखा गया इस वर्ष प्यार के ऊपर, किन्तु एक ब्लॉग पर लिखा गया भावनाओं से परे जाकर सच और नहीं लिखा गया सच के सिबा कुछ और।
हर इंसान का दिमाग खूबसूरती पर तत्काल प्रतिक्रिया देता है। उसमें भी जितनी खूबसूरती चेहरे की भाती है, उतनी इमारत, वस्तु यहाँ तक कि प्रकृति की भी नहीं। मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक शोध के अनुसार, मस्तिष्क में फसी फार्म फेस एरिया यानी एफएफए भाग होता है, जो खूबसूरत और आकर्षक चेहरा देख हरकत में आ जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, अब किस मस्तिष्क को कौन सा चेहरा भा जाएगा, यह गुत्थी अभी नहीं सुलझाई जा सकी है। बल्कि प्यारी की परिभाषा ही बदल गई है। प्यार या चाहत के लिए अभीतक दिल को दोषी माना जाताथा, मगर अब हकीकत सामने आई कि ‘लव एड फर्स्ट साइट’ यानी चेहरा देखते ही प्यार हो जानेकी घटना मस्तिष्क काकिया धरा होता है, चोट बेचारे दिल पर होती है। इस वर्ष प्यार की गहन अनुभूतियों का वैज्ञानिक परिक्षण करता एक सार्थक पोस्ट लेकर आये
डा. जाकिर अली रजनीश अपने ब्लॉग तस्लीम पर
ध्वस्त हो गयी प्यार की परिभाषा शीर्षक से ।
........विश्लेषण अभी जारी है,फिर मिलते हैं लेकर वर्ष-2011 की कुछ और झलकियाँ