"ब्लॉगिंग में कमाई" विषय पर
खुलकर बहस हुई वर्ष -2011 में
गतांक से आगे -
वर्डप्रेस, ब्लॉगर, रीडिफ आदि के जरिए ब्लॉग बनाना बहुत आसान हैं। लेकिन क्या ब्लॉगों के लिए भी उसी तरह विज्ञापन जुटाए जा सकते हैं जैसे कि वेबसाइटों या पत्र.पत्रिकाओं के लिए जुटाए जाते हैं?
- बालेन्दु शर्मा दाधीच
(वरिष्ठ हिंदी ब्लॉग समीक्षक )
वर्ष-2003 से सफ़र की शुरुआत कर महज आठ वर्षों में हिंदी ब्लॉगिंग , जिसे न्यू मीडिया का दर्जा प्राप्त हो चुका है , अत्यंत विस्तृत और व्यापक होता जा रही है| ब्लॉगिंग धीरे-धीरे कमाई का जरिया भी बन रही है | इन्हीं विषयों की पड़ताल करते कुछ उपयोगी पोस्ट इस वर्ष प्रकाशित हुए हैं | आइए चलते हैं इस वर्ष के इन्हीं कुछ उपयोगी पोस्ट की ओर :
ब्लॉगों पर गूगल और माइक्रोसॉट द्वारा दिए जाने वाले विज्ञापनों की प्रधानता है। गूगल ने अपने सर्च इंजन पर दिखाए जाने वाले दूसरे लोगों के विज्ञापनों का दायरा बढ़ाने के लिए अन्य वेबसाइटों तथा ब्लॉगों पर भी उन्हें देने की शुरूआत की थी। ऐसा 'एडसेन्स' नामक कायर्क्रम के लिए किया गया, जिसके लिए कोई भी वेबसाइट या ब्लॉग संचालक आवेदन कर सकता है। छोटी सी प्रक्रिया के बाद गूगल से एक कोड दिया जाता है जिसे अपने वेब.पेज में पेस्ट करने के बाद आपको गूगल द्वारा स्थानांतरित किए जाने वाले विज्ञापन मिलने लगते हैं। जिस पेज पर जैसी सामग्री, उसी तरह का विज्ञापन गूगल द्वारा स्वचालित ढंग से दिखाया जाता है। लेकिन एक उलझन है। आपको पैसे तब मिलते हैं जब कोई व्यक्ति इन विज्ञापनों पर क्लिक करता है। ऐसा कहना है बालेन्दु शर्मा दाधीच का ।
ब्लॉगिंग से कमाई करने की आस देखने वालों के लिए यह एक अच्छी खबर हो सकती है। एक नई सेवा चालू की गई है. पोस्ट्स जीनियस. यह बहुभाषी सेवा है, जिसमें हिंदी भी शामिल है. इस सेवा के जरिए ब्लॉग पोस्टें लिख कर कमाई की जा सकती है। यह सेवा दो-तरफा है। जहाँ ब्लॉगर या वेबसाइट मालिक किसी उत्पाद के रीव्यू व ब्लॉग पोस्टें लिख कर कमाई कर सकते हैं तो तो उत्पादक या विक्रेता ऐसी पोस्टें लिखवा कर अपने उत्पाद का विज्ञापन/विपणन भी कर सकते हैं। छीटें और बौछारें पर यह जानकारी बांटी है वरिष्ठ ब्लॉगर रवि रतलामी ने ।
इस वर्ष योगेन्द्र पाल का बहुत ही उपयोगी और महत्वपूर्ण आलेख प्रकाशित हुआ ब्लॉगिंग से कमाई!! मैं तैयार हूँ, आप? इस आलेख में योगेन्द्र का आत्मविश्वास पूरी तरह दृष्टिगोचर होता है । योगेन्द्र कहते हैं कि "पिछले 2 बर्षों से कमाने के मौके देने वाली साईट को देख-परख रहा था और कई वेबसाईट को जांचने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूँ की प्रारंभ में कमाई करने के लिए एडसेंस से बेहतर कुछ नहीं है, यह विचार मेरे दिमाग में बहुत पहले से थे पर मैं पहले यह देख लेना चाहता था की एडसेंस से ठीक-ठाक आय हो सकती है या नहीं और पैसे समय पर मिल जाते हैं या नहीं? और एडसेंस पर पूरा भरोसा होने के बाद अब वक्त है अपने विचार आपको बताने का और उनमे आपको शामिल करने का हालांकि मैं पूरी तरह गूगल एडसेंस पर निर्भर नहीं हूँ पर बाकी सभी रास्ते तब खुलते हैं जब हम कुछ बड़ा कर चुके होते हैं, प्रारंभ में गूगल ही मदद करता है ।"
इस वर्ष प्रवासी दुनिया पर भी इसी विषय पर एक वेहतरीन आलेख पढ़ने को मिला है ।व्यावसायिक ब्लॉगिंग यानी कमाने का एक नया जरिया नामक आलेख में बालेन्दु कहते हैं कि "जब अंग्रेजी में एक लोकप्रिय ब्लॉग ‘डिजिटल इंस्पिरेशन’ चलाने वाले अमित अग्रवाल ने कहा कि उन्हें गूगल एडसेंस के जरिए रोजाना एक हजार डॉलर तक की कमाई हो रही है तो भारतीय ब्लॉगरों में यकायक ही उत्साह, जोश और उम्मीदों का संचार हुआ। अंग्रेजी ही नहीं अन्य भाषाओं के ब्लॉगरों में भी। कुछ उत्साही युवा कामकाज छोड़कर पूर्णकालिक ब्लॉगर बन गए तो कुछ ने मीडिया हाउस की तर्ज पर अनेक ब्लॉगों की श्रृंखला शुरू कर दी। यूं तो कुछ ब्लॉगर बंधु पहले से ही गूगल प्रायोजित विज्ञापन लगा रहे थे, अब उनकी संख्या कई गुना उछल गई। एडसेंस विज्ञापनों को पाठक द्वारा क्लिक किए जाने पर ब्लॉग संचालक को एक बहुत छोटी, परिवर्तनशील राशि का भुगतान होता है। लेकिन वरिष्ठ ब्लॉगर रवि रतलामी को छोड़कर कोई हिंदी ब्लॉगर इस माध्यम से दस-बीस डॉलर से ज्यादा धन कमाने में नाकाम रहा। हां, इस प्रलोभन ने बड़ी संख्या में युवकों को हिंदी ब्लॉगिंग की ओर आकर्षित जरूर किया।" हमारा जौनपुर पर मासूम साहब कहते हैं कि "वेबसाइट या ब्लॉग बना के पैसे कमाना बहुत मुश्किल काम नहीं बस आप को पता होना चाहिए कि आप के पाठको को क्या पसंद है. इस से पहले मैंने ब्लॉग कैसे बनाएं पे एक लेख़ लिखा था और मेरी पिछली पोस्ट पे लोगों ने बहुत से सवाल पूछे और बहुतों ने मुझे मेल किया.मैं अपने इस लेख़ मैं आप सभी को यह समझाने कि कोशिश करुंगा कि गूगल एडसेंस क्या है और आप को पैसे कैसे मिल सकते हैं?"
education jangul पर यह बताया गया कि ब्लॉगिंग में कॅरियर तलाशने वालों की नहीं है कमी वहीँ 16 मार्च को सिरसा में आयोजित ब्लॉगिंग में करीयर पर कार्यशाला में कैसे करेंगे ब्लॉगिंग से कमाई के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी। बताया गया कि ब्लॉगिंग का शौक आपकी कमाईका बेहतर साधन बन सकता है। अपने इसी शोक की बदोलत कई लोग लाखों कमा रहे हं। यदि आपको यह शौक है तो आप भी डॉलर में कमाई कर सकते हैं। अगर आप की लेखन में रूचि है और इंटरनेट पर काम करना भी आप को भाता है तो ब्लॉगिंग आप के लिए रोजी-रोटी कमाने का साधन बन सकता है। साइबर-संसार की आधारभूत समझ के साथ ब्लॉगिंग के कार्य में जुटा जाए तो प्रारंभिक परिश्रम के बाद बहुत जल्द आप अपनी इस अभिरूचि को अपनी जीविका के आधार में तब्दील कर सकते हैं। देश और दुनिया में ऐसे ब्लॉगरों की लंबी कतार है जो इस विधा से लाखों रूपये मासिक की आमदनी पा रहे हैं। ब्लॉगर और www.sunilnehra.com के संपादक सुनील नेहरा ने पत्रकारिता विभाग की प्रिंट व साइबरमीडिया कार्यशाला में यह बात कही।
हिंदी ब्लॉगिंग की चुनौतियां विषय पर मीडिया मीमांशा में उमेश चतुर्वेदी का एक सारगर्भित आलेख आया इस वर्ष, जिसमें उमेश कहते हैं कि एक अमरीकी संस्था 'बोस्टन कंस्लटिंग ग्रुप' की पिछले साल आई रिपोर्ट 'इंटरनेट्स न्यू बिलियन' के मुताबिक भारत में इन दिनों 8.1 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ता हैं। इनमें मोबाइल फोन धारकों की संख्या शामिल नहीं है। ट्राई की रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2010 तक देश में मोबाइल फोन धारकों की संख्या बढ़कर 77 करोड़ हो गई है। इनमें कितने लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसका सही-सही आंक़ड़ा मौजूद नहीं है। लेकिन इतना तो तय है कि इनमें से करीब आधे उपभोक्ता अपने मोबाइल फोन पर ही इंटरनेट का इस्तेमाल तो कर ही रहे हैं। बहरहाल बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की रिपोर्ट पर ही ध्यान दें तो देश और हिंदी में ब्लॉगिंग की संभावना ज्यादा है।
वर्ष के आखिरी दिनों में दैनिक भास्कर के पत्रकार और अपने ब्लॉग शब्दों की सफ़र के माध्यम से हिन्दी शब्दों के इतिहास और व्युत्पत्ति परिचित कराने वाले ब्लॉगर अजित वाडनेकर का साक्षात्कार आया चिट्ठा चर्चा पर । अजित का मानना है कि "हिन्दी का सृजनधर्मी समाज सम्भवतः अपनी खूबियों से परे खामियों के साथ यहाँ मौजूद है। हम ब्लॉगिंग की प्रकृति को ही समझ नहीं पाए हैं। ब्लॉगिंग के मूल स्वरूप से हटकर कहीं न कहीं इसे साहित्य और पत्रकारिता का कलेवर देने का प्रयास किया जाता रहा है। संघ-सम्मेलन जैसी गतिविधियों के ज़रिये ब्लॉगर खुद को महिमंडित करने लगा है। प्रिन्ट मीडिया में सृजनधर्मियों के लिए कम होते अवसरों का लाभ ब्लॉगविधा को मिलना था, पर हम उसका लाभ नहीं ले पाए। हालाँकि कई लोगों की निजी प्रतिभा ब्लॉगिंग की वजह से जिस तरह उजागर हुई है, वैसा उभार उन्हें बरसों में नहीं मिला था। निजी तौर पर मेरे लिए ब्लॉगिंग डाक्युमेंटेशन का माध्यम है।"
अब ब्लॉग बने हैं कमाई का जरिया शीर्षक लेख पर बताया गया है कि ब्लॉग की दुनिया नई तकनीक बनाने वाली कम्पनियों के लिए अपने उत्पादों का प्रचार करने का एक सशक्त जरिया बन चुकी है। कम्पनियां इंटरनेट पर अपने उत्पादों का प्रचार करने के लिए विशेषज्ञ ब्लॉगर को नियुक्त करती हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसके लिए आपको कोई पेशेवर ब्लॉगर होने की जरूरत नहीं। एक आम ब्लॉगर भी पैसे कमा सकता है। बस अपने ब्लॉग और अपने लेखन को पेश करने का तरीका आपके पास होना चाहिए और बस शोहरत आपके कदमों में होगी। साक्षी जुनेजा ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि केवल शिल्पा शेट्टी और बिग ब्रदर प्रकरण पर लिखने से वे लगभग 36,000 रुपए कमा लेंगी। उन्हें बस अपने ब्लॉग पर विज्ञापन लाना था। विज्ञापन कम्पनी ने अपने विज्ञापनों को साक्षी के ब्लॉग पर आने लोगों के सामने प्रदर्शित करने के लिए यह कीमत दी है।ऐसे कई उदाहरण हैं।
वर्तमान समय में मीडिया को पांच भागों में विभक्त किया जा सकता है। सर्वप्रथम प्रिंट, दूसरा रेडियो, तीसरा दूरदर्शन, आकाशवाणी और सरकारी पत्र-पत्रिकाएं चौथा इलेक्ट्रानिक यानि टीवी चौनल, और अब पांचवा सोशल मीडिया। मुख्य रूप से वेबसाइट, न्यूज पोर्टल, सिटीजन जर्नलिज्म आधारित वेबसाईट, ईमेल, सोशलनेटवर्किंग वेबसाइटस, फेसबुक, माइक्रो ब्लागिंग साइट टिवटर, ब्लागस, फॉरम, चैट सोशल मीडिया का हिस्सा है। यही मीडिया अभी ‘न्यू मीडिया’ की शक्ल में कई मठाधीशों की नींद चुरा ली है। इस वर्ष आई हिंदी ब्लॉगिंग की पहली मूल्यांकनपरक पुस्तक "हिंदी ब्लॉगिंग: अभिव्यक्ति की नयी क्रान्ति" की समीक्षा में यह बात समीक्षक अरविन्द श्रीवास्तव ने कही ।
देशनामा पर खुशदीप सहगल ने इस वर्ष कुछ इस अंदाज़ में कहा कि अख़बार की तरह हर ब्लॉगर ज़रूरी होता है..। ऐसे कई लोग हैं, जिनका हमें अहसास हो न हो, लेकिन वो हमारी सहूलियत के लिए चुपचाप कर्मपूजा में लगे रहते हैं...आज अगर आपको अखबार नहीं मिला, और उसकी कमी महसूस कर रहे हैं तो हॉकर, एजेंट, ड्राइवरों जैसे अनसंग हीरो को याद कीजिए, जिनकी वजह से हम रोज़ अपने आस-पास और दुनिया जहान की ख़बरों से रूबरू होते हैं...अखबारों का महत्व आज लोकल खबरों के लिए ज़्यादा है...देश-दुनिया के बड़े शहरों की ख़बरें तो ख़बरिया चैनलों से हर वक्त मिलती ही रहती हैं...लेकिन अपने आसपास क्या हो रहा है, इसके लिए आज भी अखबार से सस्ता और अच्छा साधन और कोई नहीं है...।
हिन्दी ब्लागों की संख्या में दिनों दिन होती बढ़ोतरी को आनलाईन विज्ञापन कम्पनियॉं बहुत ही गंभीरता से ले रही हैं। भारत व विदेशों में हिन्दी ब्लॉगों की लोकप्रियता के सहारे विज्ञापन कम्पनियॉं अपना व्यवसाय करना चाहती हैं एवं इसके लिए हिन्दी ब्लॉगर्स को बतौर पब्लिशर अपने कमाई का हिस्सा भी देना चाह रही हैं। यह जानकारी दी है सजीव तिवारी ने, वहीँ समाचार4मीडिया पर एक महत्वपूर्ण आलेख आया सुप्रिया अवस्थी का जिसमें उन्होंने कहा है कि "ब्लॉग जिसे अभी तक भड़ास का माध्यम ही समझा जाता है और ब्लॉगर चाहे वे कितना भी अच्छा कंटेंट क्यों न दे अपने पाठकों से प्रशंसा के दो शब्द नहीं सुन पाते हैं जिनके वे हकदार होते हैं। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि क्या ब्लॉग कभी एक संस्थान के रूप में उभर सकेगा? यहां बात चाहे किसी भी भाषा के ब्लॉगर की क्यों न हो सभी ब्लॉगर को एक जैसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ब्लॉग को अगर एक कमाई के साधन के रूप में न देखा जाए तो पत्रकारिता के नजरिए से यह एक बहुत ही अच्छा प्रयास है, लेकिन जब कोई रिसर्च करके ब्लॉग पर अपनी स्टोरी पोस्ट करता है तो उसकी अपेक्षाएं कहीं अधिक बढ़ जाती है। आखिर उसे एक पत्रकार के रूप में वह सम्मान क्यों नहीं दिया जाना चाहिए, जब कि वह स्टोरी पोस्ट करने से पहले चार गुना ज्यादा मेहनत करता है।"
........विश्लेषण अभी जारी है,फिर मिलते हैं लेकर वर्ष-2011 की कुछ और झलकियाँ
सुंदर आलेख..
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए आभार ...
जवाब देंहटाएंविस्तृत जानकारी के साथ सार्थक विश्लेषण ...आभार सहित बधाई ।
जवाब देंहटाएंयह विश्लेषण नहीं एक उपयोगी दस्तावेज है ब्लॉगिंग के ऊपर, बधाई इस महत्वपूर्ण आलेख के लिए !
जवाब देंहटाएंसार्थक विश्लेषण ...
जवाब देंहटाएंjankari ke liye dhanyavad ravindra ji
जवाब देंहटाएंअति सार्थक यात्रा
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंसुंदर विश्लेषण....बधाई..
जवाब देंहटाएंसार्थक विश्लेषण करता उपयोगी आलेख्।
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग का यह पहलू भी कम रोचक नहीं ......!
जवाब देंहटाएंसचमुच उपयोगी दस्तावेज है यह,बधाई इस महत्वपूर्ण आलेख के लिए !
जवाब देंहटाएंआपका हर विश्लेषण अपने आप में महत्वपूर्ण होता है, अपने आप में महान, आपको प्रणाम !
जवाब देंहटाएंवेहद उम्दा विश्लेषण,बधाई !
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए आभार ...
जवाब देंहटाएंबढिया जानकारी।
जवाब देंहटाएंशानदार विश्लेषण।
उपयोगी एवं सुन्दर विश्लेषण !
जवाब देंहटाएंInformative post.
जवाब देंहटाएंgood.
बढ़िया जानकारी.
जवाब देंहटाएंशानदार विश्लेषण के लिए आभार1.
जवाब देंहटाएंआपकी मेहनत को सलाम !
जवाब देंहटाएंसुंदर संग्रह .. अच्छी प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण जानकारी
जवाब देंहटाएंबढ़िया जानकारी भरा सुन्दर विश्लेषण
जवाब देंहटाएंअब क्या कमाने की चिंता करें.... मरने बैठे पढ़ने बिठाओ :)
जवाब देंहटाएंइतना गहन विश्लेषण पढ़कर आनंद आया.
जवाब देंहटाएंआपका लेखन सदैव की भांति ही भाया...
अच्छी सार्थक जानकारी.
जवाब देंहटाएंआभार.
सार्थक विश्लेषण ...आभार
जवाब देंहटाएंब्लागिंग से नोट छापने का धंधा ठीक वैसा ही फ़्राड भर है जैसे कुछ साल पहले दक्षिण भारत में एक जोकर पानी से पेट्रोल बनाने का अविष्कार करते पाया गया था... आपका संकलन इस विषय पर सभी आलेखों को एक जगह संजोने में साधुवाद का पात्र है ☺
जवाब देंहटाएंविश्लेषणात्मक और उपयोगी लेख के लिए धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंuttam alekh .gahan vishlehsna
जवाब देंहटाएंbadhai aur dhnyavad
rachana
बढ़िया जानकारी भरा विश्लेषण
जवाब देंहटाएंबलाग के जरिए लेखन और लेखन से आर्थिक लाभ! वाह क्या बात है !!बहुत उपयोगी आलेख | मित्रों! मेरा मानना है कि हिंदी भाषा को रोजगारपरक बनाया जाए तो खुद ब खुद उसका प्रचार-प्रसार हो जाएगा फिर हमें हिंदी पखवाड़ा या हिंदी सप्ताह मनाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी |
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