जी हाँ......एक यथार्थ हमारे समक्ष होता है जिसे हम जीते हैं , यूँ कहें जीना पड़ता है , सामना करना होता है, पर एक यथार्थ - जो वस्तुतः होना चाह...
मुस्कुराईये कि आप लखनऊ में हैं !
१३ दिनों के महाराष्ट्र प्रवास के बाद कल यानी २७ अगस्त को मेरी फ्लाईट जैसे ही लखनऊ एयरपोर्ट पर लैंड हुई , मन के किसी कोने से आवाज़ आयी "...
पिछड़ा वर्ग की सामाजिक स्थिति का विश्लेषण :रमेश प्रजापति
पुस्तक समीक्षा समाजशास्त्र की ज्यादातर पुस्तकें अंग्रेजी में ही उपलब्ध होती थी, परन्तु पिछले कुछ वर्षो से हिन्दी में समाजशास्त्र की पुस्तकों...
एक और नयी पहल : एक गीत एक कहानी एक नज़्म एक याद
"ले अभाव का घाव ह्रदय का तेज मोम सा गला अश्रु बन ढला सुबह जो हुई सभी ने देख कहा --- शबनम है !" - सरस्वती प्रसाद ज़िन्दगी के दर्द...
चर्चा-ए-आम : कालिया और उनकी ‘टीम’ को ज्ञानपीठ से बाहर किया जाय....
आजकल साहित्य जगत में चर्चा-ए-आम है श्री विभूति नारायण राय की महिला लेखकों के प्रति गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी ........इस टिप्पणी को लेकर लगातार...
जिस दिन वोट नहीं खरीदे जाएंगे, उसी दिन सही मायने में सच्ची आजादी इस देश को मिलेगी
स्वतन्त्रता दिवस पर आयोजित विशेष परिचर्चा के १० वें दिन की शुरुआत में श्री सलीम खान के विचारों से रूबरू हुए , इसी कड़ी में आईये हिंदी के चर्...
स्वतन्त्रता का कल्पवृक्ष
विगत १५ अगस्त से लगातार इस विशेष परिचर्चा : आपके लिए आज़ादी के क्या मायने है ? पर हिंदी जगत के प्रमुख व्यक्तित्व के विचारों से मैं आपको अ...
आज़ादी तो तब ही होगी जब हम देश के, समाज के ग़लत तत्वों के उत्पीडन से आज़ाद न हो जाएँ,
आज परिचर्चा का दसवां दिन है, कल मैंने कई महत्वपूर्ण चिट्ठाकारों के विचार से रूबरू हुए थे ......इसी कड़ी में आज के दिन की शुरुआत हम करने जा...
अब बताएं हम किसी भी मायने में कही से भी स्वतंत्र है कहां?
इस विशेष परिचर्चा के नौवें दिन का समापन एक ऐसे चिट्ठाकार से कर जो राजभाषा के रूप में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए पिछले 14 वर्षों से सरका...
देखता हूँ रात्रि से भी ज्यादा काली भोर को .....
आज़ादी के क्या मायने है आपके लिए ? इस विषय पर आयोजित परिचर्चा में आप विगत १५ अगस्त से लगातार हिंदी चिट्ठाजगत के कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों के ...
क्या यह विडम्बना नहीं हॆ कि हमें अपने आज़ाद देश में आज़ादी के मायने पर परिचर्चा करनी पड़ रही हॆ ।
स्वतन्त्रता दिवस पर आयोजित विशेष परिचर्चा का आज नौवां दिन है, आईये आज के दिन की शुरुआत करते हैं हिंदी के बहुचर्चित कवि श्री दिविक रमेश जी स...
आज़ादी का ये मतलब तो नहीं हो जाता कि किसी को क़ानून की परवाह ही नहीं हो
आईये अब चलते हैं हिंदी के बहुचर्चित व्यंग्यकार और ब्लोगर श्री राजीव तनेजा जी के पास और पूछते हैं उनसे कि क्या है उनके लिए आज़ादी के मायने ? ...
स्वतन्त्रता का मतलब हरचरना का फटा सुथन्ना
आईये इस परिचर्चा को आगे बढाते हैं और हिंदी के वेहद सक्रीय चिट्ठाकार लोक्संघर्ष सुमन जी पूछते हैं क्या है उनके लिए आज़ादी के मायने ? =======...
सच्ची आज़ादी को समझने के लिए हमें आम आदमी की तरह सोचना होगा
परिकल्पना की विशेष परिचर्चा के आठवें दिन आईये श्री विनोद कुमार पाण्डेय जी से पूछते हैं: क्या है उनके लिए आज़ादी के मायने ? भारत देश को आज़ाद ...
पहले भी गरीब पिटता था आज भी उसे पिटने की पूरी आजादी है।
इस महत्वपूर्ण परिचर्चा के सातवें दिन का पटाक्षेप हिंदी के बहुचर्चित व्यंग्यकार श्री प्रेम जनमेजय जी से करने जा रहा हूँ , तो आईये उनसे पूछ...
अराजकता हमेशा गुलामी या विनाश की ओर ले जाती है।
अभी ब्रेक से पहले हम संगीता जी के विचारों से रूबरू हुए, अब आईये चलते हैं श्री सुभाष राय जी के पास और उनसे पूछते हैं क्या है उनके लिए आज़ादी...
स्वतंत्रता का अर्थ उच्छृंखलता या मनमानी नहीं होती ।
स्वतन्त्रता दिवस पर आयोजित परिचर्चा का आज सातवाँ दिन है ! इस सातवें दिन की शुरुआत हम करने जा रहे हैं श्रीमती संगीता पुरी जी से , आईये उनस...