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आजादी के बाद किसान, मेहनतकश जनता, खेत मजदूर की हालत में कोई गुणात्मक सुधार नहीं हुआ है तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय पूंजीपति लूटने की आजादी का लाभ उठा कर बहुराष्ट्रीय निगमों के रूप में बदल चुका है। टाटा और अम्बानी अगर अमेरिका में ओबामा को धन देकर चुनाव लड़ाते हैं तो भारत में मनमोहन और अडवानी को भी। कोई भी सरकार बने सरकार इन्ही की चलनी है।
आजादी के विकास हुआ है लेकिन उस विकास का लाभ हरचरना को नहीं मिला है और न भविष्य में मिलने की कोई उम्मीद ही दिखाई दे रही है। ब्रिटिश साम्राज्यवाद से लड़कर आजादी राष्ट्रीय पूंजीपति वर्ग को मिली थी इसीलिए उसका विकास हुआ और सबसे शर्म की बात यह है कि अब हम अमेरिकेन साम्राज्यवाद के पिट्ठू हो रहे हैं। पहले भी यह नारा आया था कि यह आजादी झूठी है, देश की जनता भूखी है।
आजादी का सुख कर्णाटक के रेड्डी बन्धु उठा रहे हैं कि फरवरी 2010 से लेकर जुलाई 2010 तक लगभग 60 हजार करोड़ रुपये का लौह अयस्क कर्णाटक के खदानों से खुदवा कर विदेशों को निर्यात कर चुके हैं यह एक छोटा सा उदहारण है। बड़े-बड़े नौकरशाह, न्यायविद, राजनेता, पूंजीपति आदि को ही आजादी है। हमारे हिस्से की हवा, पानी, वन सम्पदा, खनिज की लूट कर वह मालामाल हो रहे हैं और हम देश यदि बहुत आक्रोशित हुए तो बंदूख लेकर जंगलो में मारे मारे फिर रहे हैं यही हमारे हिस्से की आजादी है । हम उनकी आजादी के जश्न को अपनी मेहनत से सजाते हैं, सवारते हैं और वो सैल्युट लेने के लिए पैदा हुए हैं सैल्युट लेते हैं वह हमारे ऊपर शासन करने के लिए पैदा हुए हैं शासन कर रहे हैं। हम 63 वें स्वतंत्रता दिवस का स्वागत करते हैं, अभिनन्दन करते हैं इस आशा और विश्वास के साथ की शायद हमारी भी भूख और प्यास पर कहीं से आजादी बरसे और जिससे हम तृप्त होंगे।

(हिंदी के बहुचर्चित ब्लोगर )
http://loksangharsha.blogspot.com/
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जारी है परिचर्चा, मिलते हैं एक अल्प विराम के बाद......
nice.
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति
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