![हर तरफ़ संत्रास अब मैं क्या करूं आशा ?](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEijr4L7Hr4xBKuITzd_sv6XfzKhNY6_sAW6nqYWOENS0ZIYyXtEkuG08W9JJF8AER3b6FwuzdQPiAmHJuXuoZftUgN_olWT_eLLhKUuK5BdSTiCFQJzhNUG42XVjgLRUrmMStRqecY-nvw/s72-c/jhopadee.jpg)
छल रहा विश्वास अब मैं क्या करूं आशा ? हर तरफ़ संत्रास अब मैं क्या करूं आशा ? दर्द का है साज, कोई अब तरन्नुम दे- कह रहा मधुमास अब मैं क्या ...
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छल रहा विश्वास अब मैं क्या करूं आशा ? हर तरफ़ संत्रास अब मैं क्या करूं आशा ? दर्द का है साज, कोई अब तरन्नुम दे- कह रहा मधुमास अब मैं क्या ...
अनुप्रास हुआ मन-मन्दिर , जीवन मधुमास हुआ ! भ्रमरों के ओठों पे वासंती गीत , मनमीत हुए सरसों में - मादक एहसास हुआ .......अनुप्रास हुआ ...!! प्...
रामभरोसे की कल की बतकही से नाराज गजोधर ने आज चौपाल में घोषणा की कि कोई भी व्यक्ति विवाद वाला विषय नही उठाएगा , धरीछान ने अपनी सहमति जतायी औ...
"सारथी " ने हिन्दी के ब्लोग का मूल्यांकन करने की एक नई परम्परा की शुरुआत करने की घोषणा पिछले दिनों की और इसी कड़ी में उन्होने हिन्...
कल मैंने राज ठाकरे को पानी पूरी खाते देखा ,जी हाँ वही पानी-पूरी जिसे कहीं गुपचुप , कहीं गोलगप्पे तो कहीं पानी बताशे कहे जाते हैं , यानी कि ज...