सरस दरबारी की तीन कविताएं सरस दरबारी की तीन कविताएं

कागज़ की कश्ती   कागज़ की कश्तियाँ वह अधूरे सपने जो एक मज़ाक - एक खेल की उपज होते है - ज़रा सी धचक से बह ...

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1:23 pm

बलात्कार-मुक्त समाज के लिए लें नए संकल्प बलात्कार-मुक्त समाज के लिए लें नए संकल्प

      बा त कोई बीस-बाइस साल पुरानी होगी। लंच टाइम में कुछ लोग भोजन कर रहे थे तो कुछ चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे और कुछ अखबार पढ़ रहे थे। ...

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12:20 pm

सखी तू क्यों है उदास? सखी तू क्यों है उदास?

हल्दू हल्दू बसंत का मौसम शीतल हवा कभी गर्म है मौसम रक्तिम रक्तिम फूले प्लास सखी तू क्यों है उदास? सज़ल नेत्र क्यों खड़ी...

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11:25 am
 
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