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जब गजल की बात छिड़ती है.... जब गजल की बात छिड़ती है....

तुम वही मैं वही  प्यार की ख़ामोशी वही  बंदिशों की इंटों में  उखड़ी साँसें भी वही ....   दिल की कलम से...: वो मुझसे पूछ रहा...

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12:31 pm

कोई कम नहीं किसी से ... कोई कम नहीं किसी से ...

कलम के तराजू पर कृष्ण की तरह पड़ी हैं रचनाएँ ..... तुलसी का पत्ता रख उत्सव की बुनियाद मजबूत कर रही हूँ .... सरस्वती अपनी वीणा के स्वर लिए...

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10:00 am
 
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