
तुम वही मैं वही प्यार की ख़ामोशी वही बंदिशों की इंटों में उखड़ी साँसें भी वही .... दिल की कलम से...: वो मुझसे पूछ रहा...
🔽विश्व ब्लॉगकोश से जुड़ें और दर्ज कराएं अंतर्जाल पर अपनी सार्थक उपस्थिति
|
तुम वही मैं वही प्यार की ख़ामोशी वही बंदिशों की इंटों में उखड़ी साँसें भी वही .... दिल की कलम से...: वो मुझसे पूछ रहा...
कलम के तराजू पर कृष्ण की तरह पड़ी हैं रचनाएँ ..... तुलसी का पत्ता रख उत्सव की बुनियाद मजबूत कर रही हूँ .... सरस्वती अपनी वीणा के स्वर लिए...