कुछ ब्लॉग ऐसे है जिनकी चर्चा कई ब्लॉग विश्लेषकों के माध्यम से विगत वर्ष २००८ में भी हुयी थी और आशा की गई थी की वर्ष २००९ में इनकी चमक बरक़रार रहेगी । ब्लॉग चर्चा के अनुसार सिनेमा पर आधारित तीन ब्लॉग वर्ष २००८ में शीर्ष पर थे । एक तरफ़ तो प्रमोद सिंह के ब्लॉग सिलेमा सिलेमा पर सारगर्भित टिप्पणियाँ पढ़ने को मिलीं थी वहीं दिनेश श्रीनेत ने इंडियन बाइस्कोप के जरिये निहायत ही निजी कोनों से और भावपूर्ण अंदाज से सिनेमा को देखने की एक बेहतर कोशिश की थी । तीसरे ब्लॉग के रूप में महेन के चित्रपट ब्लॉग पर सिनेमा को लेकर अच्छी सामग्री पढ़ने को मिली थी । हालाँकि समयाभाव के कारण परिकल्पना पर केवल एक ब्लॉग इंडियन बाईस्कोप की ही चर्चा हो पाई थी । यह अत्यन्त सुखद है की उपरोक्त तीनों ब्लोग्स वर्ष २००९ में भी अपनी चमक और अपना प्रभाव बनाये रखने में सफल रहे हैं ।
इसीप्रकार जहाँ तक राजनीति को लेकर ब्लॉग का सवाल है तो अफलातून के ब्लॉग समाजवादी जनपरिषद, नसीरुद्दीन के ढाई आखर, अनिल रघुराज के एक हिन्दुस्तानी की डायरी, अनिल यादव के हारमोनियम, प्रमोदसिंह के अजदक और हाशिया का जिक्र किया जाना चाहिए। ये सारे ब्लोग्स वर्ष २००८ में भी शीर्ष पर थे और वर्ष २००९ में भी शीर्ष पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल हुए हैं ।
वर्ष २००८ में संगीत को लेकर टूटी हुई, बिखरी हुई आवाज, सुरपेटी, श्रोता बिरादरी, कबाड़खाना, ठुमरी, पारूल चाँद पुखराज का चर्चित हुए थे , जिनपर सुगम संगीत से लेकर क्लासिकल संगीत को सुना जा सकता था , पिछले वर्ष रंजना भाटिया का अमृता प्रीतम को समर्पित ब्लॉग ने भी ध्यान खींचा था और जहाँ तक खेल का सवाल है, एनपी सिंह का ब्लॉग खेल जिंदगी है पिछले वर्ष शीर्ष पर था। पिछले वर्ष वास्तु, ज्योतिष, फोटोग्राफी जैसे विषयों पर भी कई ब्लॉग शुरू हुए थे और आशा की गई थी कि ब्लॉग की दुनिया में २००९ ज्यादा तेवर और तैयारी के साथ सामने आएगा। यह कम संतोष की बात नही कि इस वर्ष भी उपरोक्त सभी ब्लोग्स सक्रीय ही नही रहे अपितु ब्लॉग जगत में एक प्रखर स्तंभ की मानिंद दृढ़ दिखे । निश्चित रुप से आनेवाले समय में भी इनके दृढ़ता और चमक बरकरार रहेगी यह मेरा विश्वास है ।
यदि साहित्यिक लघु पत्रिका की चर्चा की जाए तो पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष ज्यादा धारदार दिखी मोहल्ला । अविनाश का मोहल्ला कॉलम में चुने ब्लॉगों पर मासिक टिप्पणी करते हैं और उनकी संतुलित समीक्षा भी करते हैं। इसीप्रकार वर्ष २००८ की तरह वर्ष २००९ भी अनुराग वत्स के ब्लॉग ने एक सुविचारित पत्रिका के रूप में अपने ब्लॉग को आगे बढ़ाया हैं।
आपको यह जानकर सुखद आश्चर्य होगा की भारतीय सिनेमा में जीवित किवदंती बन चुके बिग बी श्री अमिताभ बच्चन जल्द ही अपना हिंदी में ब्लॉग शुरू करेंगे। यह घोषणा उन्होंने १४ सितम्बर को हिन्दी दिवस के अवसर पर की है । उन्होंने कहा है कि-" यह बात सही नहीं है कि मैं सिर्फ अंग्रेजी भाषा के प्रशंसकों के लिए लिखता हूं।"अमिताभ ने अपने ब्लॉग पर खुलासा किया है कि "वह जल्दी ही हिंदी और अन्य भाषाओं में ब्लॉग लिखने की चेष्टा करेंगे, ताकि हिंदी भाषी प्रशंसकों को सुविधा हो।" जबकि मनोज बाजपेयी पहले से ही हिन्दी में ब्लॉग लेखन से जुड़े हैं ।
पिछले वर्ष ग्रामीण संस्कृति को आयामित कराने का महत्वपूर्ण कार्य किया था खेत खलियान ने , वहीं विज्ञान की बातों को बहस का मुद्दा बनाने सफल हुए थे पंकज अवधिया अपने ब्लॉग मेरी प्रतिक्रया में । हिन्दी में विज्ञान पर लोकप्रिय और अरविन्द मिश्रा के निजी लेखों के संग्राहालय के रूप में पिछले वर्ष चर्चा हुयी थी सांई ब्लॉग की ,गजलों मुक्तकों और कविताओं का नायाब गुलदश्ता महक की ,ग़ज़लों एक और गुलदश्ता है अर्श की, युगविमर्श की , महाकाव्य की, कोलकाता के मीत की , "डॉ. चन्द्रकुमार जैन " की, दिल्ली के मीत की, "दिशाएँ "की, श्री पंकज सुबीर जी के सुबीर संवाद सेवा की, वरिष्ठ चिट्ठाकार और सृजन शिल्पी श्री रवि रतलामी जी का ब्लॉग “ रचनाकार “ की, वृहद् व्यक्तित्व के मालिक और सुप्रसिद्ध चिट्ठाकार श्री समीर भाई के ब्लॉग “ उड़न तश्तरी “ की, " महावीर" " नीरज " "विचारों की जमीं" "सफर " " इक शायर अंजाना सा…" "भावनायें... " आदि की।
इसी क्रम में हास्य के एक अति महत्वपूर्ण ब्लॉग "ठहाका " हिंदी जोक्स तीखी नज़र current CARTOONS बामुलाहिजा चिट्ठे सम्बंधित चक्रधर का चकल्लस और बोर्ड के खटरागी यानी अविनाश वाचस्पति तथा दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका आदि की । वर्ष २००८ के चर्चित ब्लॉग की सूची में और भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग जैसे जबलपुर के महेंद्र मिश्रा के निरंतर अशोक पांडे का -“ कबाड़खाना “ , डा राम द्विवेदी की अनुभूति कलश , योगेन्द्र मौदगिल और अविनाश वाचस्पति के सयुक्त संयोजन में प्रकाशित चिट्ठा हास्य कवि दरबार , उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के प्रवीण त्रिवेदी का “ प्राइमरी का मास्टर “ , लोकेश जी का “अदालत “ , बोकारो झारखंड की संगीता पुरी का गत्यात्मक ज्योतिष , उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर सकल डीहा के हिमांशु का सच्चा शरणम , विवेक सिंह का स्वप्न लोक , शास्त्री जे सी फ़िलिप का हिन्दी भाषा का सङ्गणकों पर उचित व सुगम प्रयोग से सम्बन्धित सारथी , ज्ञानदत्त पाण्डेय की मानसिक हलचल और दिनेशराय द्विवेदी का तीसरा खंबा आदि की चर्चा वर्ष -२००८ में परिकल्पना पर प्रमुखता के साथ हुयी थी और हिंदी ब्लॉगजगत के लिए यह अत्यंत ही सुखद पहलू है , की ये सारे ब्लॉग वर्ष-२००९ में भी अपनी चमक बनाये रखने में सफल रहे हैं . ...!
इन में से कुछ ब्लॉग की चर्चा हम इसबार के ब्लॉग विश्लेषण में भी करेंगे और आपको बताएँगे की ये ब्लॉग कैसे आनेवाले समय में हिंदी ब्लॉग के लिए मील का पत्थर साबित होगा ?
आज बस इतना ही मिलते हैं एक छोटे से विराम के बाद ....
nice
जवाब देंहटाएंइस खाकसार को तरजीह और तवज्जो से नवाजने के लिए दिल से आपका शुक्रगुजार हूँ... धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबस आपका
अर्श
आप वास्तव में बहुत मनोयोग से ब्लॉग्स पढ़ते हैं।
जवाब देंहटाएंआप ने समीक्षा के काम को पूरे श्रम के साथ किया है। बधाई! तीसरा खंबा के उल्लेख के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंचर्चा बहुत अच्छी लगी !!
जवाब देंहटाएंपूर्ण मनोयोग से बहुत मेहनत कर आप समीक्षा के कार्य को अंजाम दे रहे है ...निसंदेह सराहनीय है . मेरे ब्लॉग " निरन्तर " का उल्लेख करने के लिए आपका आभारी हूँ .
जवाब देंहटाएंप्रभात जी,
जवाब देंहटाएंआप इतने दिन कहाँ चले जाते हो. आप ही उन लोगों में है जो हमारा थोडा बहुत ध्यान रखते हैं. आपका प्रयास अच्छा है. इसमें मेरा एक आग्रह है की आप नए ब्लॉगर का कहीं कहीं विशेष रूप से उल्लेख अवश्य करतें रहें क्योंकि पुराने ब्लॉगर से अधिक कहीं उनको प्रेरणा मिलेगी.
दीपक भारतदीप
इतना कुछ कहने के लिये बहुत गहराई चाहिये, बहुत मेहनत की जरुरत है, इतना लिखने के लिये भी।
जवाब देंहटाएंवाकई अद्भुत !
जवाब देंहटाएंइस दिशा में आपका प्रयास अच्छा है,निसंदेह सराहनीय...!
जवाब देंहटाएंसमीक्षा अच्छी लगी,बधाई!
जवाब देंहटाएंआप सभी को बहुत बहुत बधाई और रवीन्द्र जी आपकी मेहनत को सलाम ।
जवाब देंहटाएंमुझे नहीं लगता इस पूरे ब्लौग-जगत में कोई और इतने जतन और धैर्य से ब्लौगों को पढ़ता है। न सिर्फ आप पढ़ते हैं, इतनी मेहनत से विश्लेषण भी करते हैं।
जवाब देंहटाएंअचंभित करती है आपकी मेहनत!
प्रिय रवीन्द्र, आज ही इस अवलोकन को देख पाया. (कुछ हफ्तों से चिट्ठा-नुक्कड से छुट्टी पर था).
जवाब देंहटाएंअवलोकन एकदम सही एवं जनोपयोगी है.
सस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
बहुत श्रम साध्य कार्य !!! आभार आपका !!
जवाब देंहटाएंदेर से आया ???