यह मेरा पाँचवाँ उपन्यास है, जो कश्मीर के सामाजिक तानेबाने को समय के साथ ध्वस्त होने की कहानी बयान करता है। साथ ही कश्मीर के शर्मनाक और दहशतनाक ऐतिहासिक पहलूओं की गहन पड़ताल भी करता है। किस्सागोई शैली में लिखा गया यह उपन्यास आम पाठक के लिए काफी रोचक और पठनीय है। कश्मीर जैसे ज्वलंत विषय पर बिना किसी पूर्वाग्रह और बोझिल विश्लेषण से बचते हुए मैंने पुस्तक की जानकारियों को स्वाभाविक अंदाज में संप्रेषित किया है।
कश्मीर पर आधारित यह उपन्यास ऐसे समय में आया है जब भारत सरकार ने ऐतिहासिक फैसला करते हुए कश्मीर से धारा 370 को समाप्त कर जम्मू कश्मीर को दो भागों में बाँट दिया है और इसको लेकर भारत पाकिस्तान के बीच एक बार फिर संवादहीनता की स्थिति बनी है। सत्य घटनाओं पर आधारित यह उपन्यास इंसानी जूझारूपन की एक ऐसी कहानी है जो हर भारतीय के दिल में शांति इंसानियत और न्याय के सहअस्तित्व के प्रति विश्वास को बल प्रदान करता है, वहीं कश्मीरी हिन्दुओं की व्यथा को औपन्यासिक कलेवर में बांधकर प्रस्तुत भी करता है। कश्मीर के मसले को देखने–समझने वाली एक पीढी जब लगभग समाप्त हो चुकी है तब नई पीढी के लिए इस वक्त में इस उपन्यास का आना काफी प्रासंगिक है ।
इन वेबसाइटों पर जाकर इस उपन्यास को खरीदा जा सकता है-
फ्लिपकार्ट पर-
https://www.flipkart.com/kashmir-370-kilometer/p/itm66fd24029a1e3?pid=9781647609320&affid=editornoti
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