आतंक पढाये मुल्ला , चले कत्ल की राह ।
जेहादी के नाम पे , पाक हुआ गुमराह । ।
बारूदों के ढेर पे , बैठा पाकिस्तान ।
खुदा करे ऐसा न हो, मिट जाए पहचान । ।
पूरी दुनिया कर रही, थू-थू आतंकवाद ।
पर कैसा यह पाक है, बना हुआ अपवाद । ।
पाक से चलकर आयी , कैसी है यह धुंध।
लाल शहर को कर गया ,चहरे कर गये कुंद । ।
तन उजला मन गंदा है , नेता नमकहराम ।
संसद में मधुमास करे , बिन गुठली बिन आम । ।
() रवीन्द्र प्रभात
wah wah prabhat ji kya khoob likha hai "atank .....................rah. bahut umda , badhai.
जवाब देंहटाएंyogesh swapn
"पूरी दुनिया कर रही, थू-थू आतंकवाद ।
जवाब देंहटाएंपर कैसा यह पाक है, बना हुआ अपवाद । ।
बारूदों के ढेर पे , बैठा पाकिस्तान । खुदा करे ऐसा न हो, मिट जाए पहचान । । "
बहुत सही लिखा है आपने , कही ऐसा न हो की आने वाले समय में पाकिस्तान अपनी पहचान ही न खो दे ....सार्थक दोहों के लिए आभार !
एक बात और कहूं - उस पत्रकार ने तो बूस साहब को अपने पाँव के जूते मारे , आपने तो पाक प्रायोजित आतंकवाद को मजबूर कर दिया सोचने पर ...अब वह ख़ुद अपना जूता उतारकर अपने सर पर दे मारेगा !
आपने तो पूरे हिन्दुस्तान की संवेदनाओं को पाँच दोहों में समेट दिया , सभी दोहे सुंदर हैं और पाकिस्तान के सच को उजागर कर रहे हैं !
जवाब देंहटाएंबहुत सही..
जवाब देंहटाएंबधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सामयिक रचना है..बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया व सामयिक रचना है।बधाई।
जवाब देंहटाएंवाह ! एकदम सटीक कमाल का लिखा है आपने.
जवाब देंहटाएंसुंदर दोहे के लिए आभार.
कविता के जरिए आतंकवाद और पाकिस्तान के उपर आपने जो लिखा है वह स्वागत योग्य है । आपने दिल की बात कह दी है । मै इसे एक लेख के आधार पर लिखा हूं । जरूर पढिए । मै भी मुम्बई के ददॆ को सहलाने का प्रयास किया है
जवाब देंहटाएंabhivyakti vahee jo dil ko chhoo jaaye, achchhaa lagaa...!
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