आतंक पढाये मुल्ला , चले कत्ल की राह ।

जेहादी के नाम पे , पाक हुआ गुमराह । ।

बारूदों के ढेर पे , बैठा पाकिस्तान ।

खुदा करे ऐसा न हो, मिट जाए पहचान । ।

पूरी दुनिया कर रही, थू-थू आतंकवाद ।

पर कैसा यह पाक है, बना हुआ अपवाद । ।

पाक से चलकर आयी , कैसी है यह धुंध।

लाल शहर को कर गया ,चहरे कर गये कुंद । ।

तन उजला मन गंदा है , नेता नमकहराम ।

संसद में मधुमास करे , बिन गुठली बिन आम । ।

() रवीन्द्र प्रभात

10 comments:

  1. wah wah prabhat ji kya khoob likha hai "atank .....................rah. bahut umda , badhai.

    yogesh swapn

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  2. "पूरी दुनिया कर रही, थू-थू आतंकवाद ।
    पर कैसा यह पाक है, बना हुआ अपवाद । ।
    बारूदों के ढेर पे , बैठा पाकिस्तान । खुदा करे ऐसा न हो, मिट जाए पहचान । । "


    बहुत सही लिखा है आपने , कही ऐसा न हो की आने वाले समय में पाकिस्तान अपनी पहचान ही न खो दे ....सार्थक दोहों के लिए आभार !
    एक बात और कहूं - उस पत्रकार ने तो बूस साहब को अपने पाँव के जूते मारे , आपने तो पाक प्रायोजित आतंकवाद को मजबूर कर दिया सोचने पर ...अब वह ख़ुद अपना जूता उतारकर अपने सर पर दे मारेगा !

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  3. आपने तो पूरे हिन्दुस्तान की संवेदनाओं को पाँच दोहों में समेट दिया , सभी दोहे सुंदर हैं और पाकिस्तान के सच को उजागर कर रहे हैं !

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  4. बहुत सुंदर और सामयिक रचना है..बधाई।

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  5. बहुत बढिया व सामयिक रचना है।बधाई।

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  6. वाह ! एकदम सटीक कमाल का लिखा है आपने.
    सुंदर दोहे के लिए आभार.

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  7. कविता के जरिए आतंकवाद और पाकिस्तान के उपर आपने जो लिखा है वह स्वागत योग्य है । आपने दिल की बात कह दी है । मै इसे एक लेख के आधार पर लिखा हूं । जरूर पढिए । मै भी मुम्बई के ददॆ को सहलाने का प्रयास किया है

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  8. abhivyakti vahee jo dil ko chhoo jaaye, achchhaa lagaa...!

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