वर्ष-2008 : हिन्दी चिट्ठा हलचल ( भाग - 1 )
वर्ष -2००८ में हिन्दी चिट्ठा जगत के लिए सबसे बड़ी बात यह रही कि इस दौरान अनेक सार्थक और विषयपरक ब्लॉग की शाब्दिक ताकत का अंदाजा हुआ । अनेक ब्लोगर ऐसे थे जिन्होनें अपने चंदीली मीनार से बाहर निकलकर जीवन के कर्कश उद्घोष को महत्व दिया लेखन के दौरान , तो कुछ ने भावनाओं के प्रवाह को । कुछ ब्लोगर की स्थिति तो भावना के उस झूलते बट बृक्ष के समान रही जिसकी जड़ें ठोस जमीन में होने के बजाय अतिशय भावुकता के धरातल पर टिकी हुयी नजर आयी । खैर इस विश्लेषण में मैं ब्लॉग या ब्लोगर की चर्चा नही कर रहा , अपितु वर्ष-२००८ की अपनी कुछ पसंदीदा पोस्ट की चर्चा करने जा रहा हूँ ।
इस वर्ष हमारे देश के लिए जो सबसे त्रासद घटना के रूप में दृष्टिगोचर हुआ , वह था मुंबई पर हुयी आतंकी हमला । इस हमला ने पूरे विश्व बिरादरी को झकझोर कर रख दिया एकवारगी । भला हमारे ब्लोगर भाई इससे अछूते कैसे रह सकते थे । कई चिट्ठाकारों के द्वारा जहाँ इस बीभत्स घटना की घोर निंदा की गयी , वहीं पाकिस्तान को इसके लिए खरी-खोटी भी सुनाई गयी ।
कनाडा के भारतीय ब्लोगर समीर लाल जी ने उड़न तस्तरी में अपने कविताई अंदाज़ में जहाँ कुछ इस तरह वयां किया " समझ नहीं पा रहा हूँ कि इस वक्त मैं शोक व्यक्त करुँ या शहीदों को सलाम करुँ या खुद पर ही इल्जाम धरुँ....!" वहीं अनंत शब्दयोग के एक पोस्ट में दीपक भारत दीप पाकिस्तान की पोल खोलते हुए कहते हैं , कि-"पाकिस्तान का पूरा प्रशासन तंत्र अपराधियों के सहारे पर टिका है। वहां की सेना और खुफिया अधिकारियों के साथ वहां के अमीरों को दुनियां भर के आतंकियों से आर्थिक फायदे होते हैं। एक तरह से वह उनके माईबाप हैं। यही कारण है कि भारत ने तो 20 आतंकी सौंपने के लिये सात दिन का समय दिया था पर उन्होंने एक दिन में ही कह दिया कि वह उनको नहीं सौंपेंगे। "सारथी पर अपने पोस्ट के माध्यम से जे सी फ्लिप शास्त्री जी कहते हैं , कि- "आज राष्ट्रीय स्तर पर शोक मनाने की जरूरत है.
बम्बई में जो कुछ हुआ वह भारतमां के हर बच्चे के लिये व्यथा की बात है!राष्ट्रद्रोहियों को चुन चुन कर खतम करने का समय आ गया है!!शायद एक बार और कुछ क्रांतिकारियों को जन्म लेना पडेगा !!!"
वहीं ज्ञान दत्त पाण्डेय का मानसिक हलचल में श्रीमती रीता पाण्डेय जी कहती हैं की "टेलीवीजन के सामने बैठी थी। चैनल वाले बता रहे थे कि लोगों की भीड़ सड़कों पर उमड़ आई है। लोग गुस्से में हैं। लोग मोमबत्तियां जला रहे हैं। चैनल वाले उनसे कुछ न कुछ पूछ रहे थे। उनसे एक सवाल मुझे भी पूछने का मन हुआ – भैया तुम लोगों में से कितने लोग घर से निकल कर घायलों का हालचाल पूछने को गये थे? "
कविताई अंदाज़ में अपनी भावनाओं को कुछ कठोर शब्दों में वयां किया है कवि योगेन्द्र मौदगिल ने कुछ इस प्रकार "बच्चा -बच्चा आज जगह ले अपने स्वाभिमान को , उठो हिंद के बियर सपूतों , पहचानो पहचान को,हिंसा
से ही ध्वस्त करो , हिंसा की इस दूकान को , रणचंडी की भेंट चढ़ा दो पापी पाकिस्तान को ...!" वहीं निनाद गाथा में अभिनव कहते हैं , कि "किसको बुरा कहें हम आख़िर किसको भला कहेंगे,जितनी भी पीड़ा दोगे तुम सब चुपचाप सहेंगे,डर जायेंगे दो दिन को बस दो दिन घबरायेंगे,अपना केवल यही ठिकाना हम तो यहीं रहेंगे,तुम कश्मीर चाहते हो तो ले लो मेरे भाई,नाम राम का तुम्हें अवध में देगा नहीं दिखाई....!"हिन्दी ब्लोगिंग की देन में एक पोस्ट के दौरान रचना कहती है, कि-"हर मरने वालाकिसी न किसी करकुछ न कुछ जरुर थाइस देश कर था या उस देश का थापर आम इंसान थाशीश उसके लिये भी झुकाओयाद उसको भी करोहादसा और घटनामत उसकी मौत को बनाओ...!"विचार-मंथन—एक नये युग का शंखनाद में सौरभ कहते हैं , कि-"कुरुक्षेत्र की रणभूमि के बीच खड़े होकर तो सिर्फ अर्जुन ने शोक किया था, पर आज देश के करोड़ों लोगों की तरह मैं भी मैदान के बीचो-बीच अकेला खड़ा हुआ हूँ—नितांत अकेला, शोकाकुल और ग़ुस्से से भरपूर। मेरे परिवार के 130 से ज्यादा सदस्य आज नहीं रहे. जी हाँ, ठीक सुना आपने, मेरे परिवार के सदस्य नहीं रहे. मौत हुई है मेरे घर में और मेरे परिवार को मारने वाले मेरे घर के सामने है, हँसते हुए, ठहाके लगाते हुए और अपनी कामयाबी का जश्न बनाते हुए. और मैं.... !" एक आम आदमी यानी ऐ कॉमन मन ने बहुत ही सुंदर प्रश्न को उठाया है, कि "कोई न कोई तो सांठ-गाँठ है इन मुस्लिम नेताओं, धार्मिक गुरुओं तथा धर्मनिरपेक्षियों (सूडो) के बीच....!"मेरी ख़बर में ॐ प्रकाश अगरवाल लोकते हैं , कि "हमारे पढ़े-लिखे वोटर पप्पुओं के कारण फटीचर किस्म के नेता चुने जा रहे हैं .....!"
कुछ अनकही में श्रुति कहती हैं , कि - "कहाँ है राज ठाकरे । मुंबई जल रही है , जाहिर है नेताओं की कमीज पर अब दाग काफी गहरे हो चुके हैं । " वहीं इयता पर कुछ अलग स्वर देखने को मिलता है , मगर सन्दर्भ है मुंबई का हमला हीं, कहते हैं कि "इस दौरान शराब की बिक्री में ७० फीसदी की कमी आयी । मयखाने खाली पड़े थे और शराबी डर के भाग लिए थे । नरीमन पॉइंट पर दफ्तर बंद है । किनारे पर टकराती सागर की लहरों के पास प्रेमी जोड़े नही हैं । सागर का किनारा वीरान हो गया है । बेस्ट की बसों में कोई भीड़ नही है ...!"
इस सब से कुछ अलग हटकर दिल एक पुराना सा म्यूज़ियम है पर मुंबई धमाकों में शहीद हुए जवानों की तसवीरें पेश की गयी , जो अपने आप में अनूठा था । वहीं हिन्दी ब्लॉग टिप्स पर ताज होटल का विडियो लगाया गया है, जहाँ ताज की पुरानी तसवीरें देखी जा सकती है ।
यहाँ तक कि मुंबई हमलों से संवंधित पोस्ट के माध्यम से वर्ष के आखरी चरणों में एक महिला ब्लोगर माला के द्वारा विषय परक ब्लॉग लाया गया , जिसका नाम है मेरा भारत महान जसके पहले पोस्ट में माला कहती है कि -"हमारी व्यापक प्रगति का आधार स्तम्भ है हमारी मुंबई । हमेशा से ही हमारी प्रगतिहमारे पड़ोसियों के लिए ईर्ष्या का विषय रहा है । उन्होंने सोचा क्यों न इनकी आर्थिक स्थिति को कमजोड कर दिया जाए , मगर पूरे विश्व में हमारी ताकत की एक अलग पहचान है , क्योंकि हमारा भारत महान है । "
...............अभी जारी है ...........
देखिये मैं आ गया फ़िर आपके ब्लॉग पर अपनी टिपण्णी के साथ ! आपके द्वारा हमेशा कुछ नया कराने की सोच आपके ब्लॉग को महत्वपूर्ण बनाता है , यह क्रम जारी रहना चाहिए .....अच्छा लगा कई ब्लॉग के बारे में जानकर , कुछ और जानकारियां दे ! इसे कई भागों में प्रकाशित करें .....शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंब्लागर मित्रों कि फ़ेहरिस्त में स्वंय को पाना सुखद लगेगा और आप बिहार से जुड़े हों तो और भी सुखद्………
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की आप और आपके समस्त परिवार को शुभकामनाएं....
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुत अच्छा िलखा है आपने । नए साल में यह सफर और तेज होगा, एेसी उम्मीद है ।
जवाब देंहटाएंनए साल का हर पल लेकर आए नई खुशियां । आंखों में बसे सारे सपने पूरे हों । सूरज की िकरणों की तरह फैले आपकी यश कीितॆ । नए साल की हािदॆक शुभकामनाएं
मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है- आत्मविश्वास के सहारे जीतें जिंदगी की जंग- समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
क्या खूब सिंहावलोकन !
जवाब देंहटाएंउड़न तश्तरी की असक्रियता परिवारिक सुखद कारणों से रही अतः दुखद जैसी कोई बात नहीं. :)
जवाब देंहटाएंअब पुनः सक्रिय हो रहा हूँ, आगे शिकायत न होगी.
बढ़िया आंकलन किया है. अभी भारत में ही हूँ और अगले डेढ़ माह यहीं हूँ. जल्द बात होगी.
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाऐं.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी समीक्षा है, इसे जारी रखिए, यह महत्वपूर्ण दस्तावेज बन सकती है।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष मंगल मय हो।
...नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है. आप सभी को सपरिवार नव-वर्ष पर हार्दिक शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंwww.kkyadav.blogspot.com पर नव-वर्ष के स्वागत में कुछ भावाभिव्यक्तियाँ हैं, आप भी शरीक हों तो ख़ुशी होगी. नमस्कार !!
पूरे वर्ष की गतिविधियों का जिवंत दस्तावेज है यह , इसमें स्वयं को पाकर अच्छा लगा .....इसे जारी रखें !
जवाब देंहटाएंवर्ष की ब्लॉग हलचल को एक सूत्र में पिरोने का शुक्रिया। हिन्दी ब्लॉग टिप्स को इस योग्य मानने का आभार..
जवाब देंहटाएंआपको नया साल मुबारक हो जी! और अगली पोस्ट का इन्तजार है।
जवाब देंहटाएंजिस साल में रहे हैं साल भर
जवाब देंहटाएंउसे सब धकिया क्यों रहे हैं
शुभकामनायें नये साल की
पुराने साल में ही दिये जा रहे हैं।
बहुत अच्छा एवं सटीक अवलोकन है. भाग 2 का इंतजार है क्योंकि अब हिन्दी चिट्ठाजगत इतना बडा हो गया है कि बिना इस तरह के अवलोकनों को पढे कई अच्छी रचनायें एवं आलेख नजर से छूट जाते हैं.
जवाब देंहटाएंदर असल यह अच्छा होगा यदि हर चिट्ठाकार यदा कदा इस तरह के अवलोकन लिख कर पठनीय सामग्री एवं महत्वपूर्ण आलेख सबके समक्षा लाये.
सस्नेह -- शास्त्री
भाई, मै वही अरविन्द श्रीवास्तव हुँ, विगत/अतीत में झांकें / मधेपुरा से………। नव वर्ष की शुभकामनायें……
जवाब देंहटाएंek nirdeshika hai yah shrinkhala
जवाब देंहटाएंjaaree rahe kanhee ham mil jaaen shaayad
ek nirdeshika hai yah shrinkhala
जवाब देंहटाएंjaaree rahe kanhee ham mil jaaen shaayad