लेखा जोखा
पिछले कितने ही वर्षों का,
इस जीवन के संघर्षों का ,
आओ करें हम लेखा जोखा
किसने साथ दिया बढ़ने में,
मंजिल तक ऊपर चढ़ने में,
और रास्ता किसने रोका
किसने प्यार दिखा कर झूंठा,
दिखला कर अपनापन ,लूटा,
और किन किन से खाया धोका
बातें करके प्यारी प्यारी,
काम निकाल,दिखाई यारी,
और पीठ में खंजर भोंका
देती गाय ,दूध थी जब तक,
उसका ख्याल रखा बस तब तक,
और बाद में खुल्ला छोड़ा
उनका किया भरोसा जिन पर,
अपना सब कुछ ,कर न्योछावर,
उनने ही है दिल को तोड़ा
खींची टांग,बढे जब आगे
साथ छोड़,मुश्किल में भागे,
बदल गए जब आया मौका
टूट गए जो उन सपनो का ,
बिछड़े जो उन सभी जनों का
सभी परायों और अपनों का
नहीं आज का,कल परसों का
विपदाओं का, ऊत्कर्षों का,
आओ करें हम लेखा जोखा
पिछले कितने ही वर्षों का,
इस जीवन के संघर्षों का,
आओ करें हम लेखा जोखा
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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