जन्म,मृत्यु,शादी,..... उत्सव कोई भी हो,कहीं भी हो - कोई न कोई कमी रह ही जाती है
कमी ना हो तो सीखने के अवसर नहीं मिलते
नहीं मिलती सही गलत व्यक्ति के आचरण की पहचान
....
लिखना,पढ़ना - कठिन काम है
पर झटके से उसे मिटाना आसान है
........ किये पर पानी फेरने में समझदारी काम नहीं आती
नहीं होती समझदारी खुद को तीसमारखां दिखाने में
समझदारी है
गलती से सीखना
तिनके की पहचान
झंझावातों के मध्य भी शांत रहना !
.....
आलोचनाओं के कटघरे में तो भगवान् खड़े हैं
फिर बंधू हम क्या चीज हैं
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
हम शपथ लें
कि धैर्य की सीमा पर
हम अडिग रहेंगे
ताकि यह तीसरा सार्थक कदम
कांस्य-पदक से लेकर स्वर्ण-पदक तक जाये
ज्ञानपीठ की तरह अपनी पहचान बनाये ....
शुभकामनायें आप् सबको, हम सबको
धैर्य की सीमा पर
जवाब देंहटाएंहम अडिग रहेंगे :)
हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंज्ञानपीठ की तरह अपनी पहचान बनाये ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आप् सबको जो इस प्रयास में सम्मिलित हैं धैर्य, विश्वास और सहजता से
...
हार्दिक शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंयह तीसरा सार्थक कदम कांस्य-पदक से लेकर स्वर्ण-पदक तक जाये .... !!
जवाब देंहटाएंज्ञानपीठ की तरह अपनी पहचान बनाये .... !!
शुभकामनायें आप सबको .... !!
लिखना,पढ़ना - कठिन काम है
पर झटके से उसे मिटाना आसान है ?
हृदय की गहराइयों से शुभकामनाएँ... :)
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (1-12-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
लगे रहो भाई
जवाब देंहटाएंआपका प्रयास सफल हो ,शुभकामनाए इ,,,,,
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएँ !:)
जवाब देंहटाएंसादर !
हार्दिक शुभकामनाएँ !!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे रविन्द्र जी
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ..
आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा ..अगर आपको भी अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़े।
आभार!!