जैसा कि आप सभी जानते हैं कि विचारों की सेना और शब्दों के सैनिक मिलकर बड़ी से बड़ी क्रान्ति के सूत्रधार बन सकते हैं । जरूरत होती है तो बस जज्बे की,जोश की और कुछ कर गुजरने की चाहत की ।
इसी को ध्यान में रखकर हम अपने कुछ वेहद उत्साही और समसामयिक विचारों को महत्व देने वाले मित्रों को साथ लेकर एक सामूहिक ब्लॉग की संरचना करने जा रहे हैं ।
इस सामूहिक ब्लॉग पर हम सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनैतिक मुद्दों पर खुलकर अपनी बातें रखेंगे, तर्कों को प्रमाणिकता की कसौटी पर कसते हुए किसी निर्णय अथवा निष्कर्ष पर पहुंचेंगे बिना किसी विवाद के । इस सामूहिक ब्लॉग से धार्मिक विवाद पैदा करने वाले लेखकों को दूर रखा जाएगा । सर्व धर्म समभाव को महत्व दिया जाएगा,ताकि एक सुन्दर और खुशहाल सह अस्तित्व के निर्माण में हम सहभागी बन सकें ।
क्या इस समूह में शामिल होने के लिए आप तैयार हैं ?
यदि हाँ तो टिपण्णी बॉक्स में
अपना नाम और अपना ई-मेल आई डी अंकित कर दें ।
Arun Chandra Roy
जवाब देंहटाएंarunroy1974@gmail.com
यह पहली बार नहीं है ..और यह पहले भी करने का प्रयास किया गया है.
जवाब देंहटाएंआप किसी अन्य के प्रयास में कितने सहभागी बने..?
कृपया ब्लॉग का स्वरूप यथावत रहने दें. न तो ऐसी किसी पहल का अब समर्थन करता हूँ, और न ही ऐसे किसी प्रयास के सफलता की कामना करता हूँ .
जो दूसरे के प्रयासों को अपनाना नहीं जानते .. उन्हें ऐसी अपेक्षा भी नहीं करनी चाहिए !
आपके विचारों से अवगत हुआ, धन्यवाद आपका !
जवाब देंहटाएंसचमुच नेक पहल है यह, मैं इस पहल का समर्थन करता हूँ !
जवाब देंहटाएंमेरा ई मेल आई डी आपको ज्ञात है, कृपया मुझे भी इस समूह में शामिल करने की कृपा कहें !
नाम: ब्रजेश सिन्हा
जवाब देंहटाएंई मेल आई डी :bsinha197@gmail.com
Abhishek Prasad
जवाब देंहटाएंab8oct@gmail.com
डॉ हरीश अरोड़ा
जवाब देंहटाएंdrharisharora@gmail.com
अभी कुछ दिन पहले ही एक सामूहिक ब्लॉग से निजी खुन्नस के कारण मुझे निकाल दिया गया है वो भी बिना बताए ... जब की ब्लॉग संचालक के बार बार अनुरोध पर ही मैं उस ब्लॉग से जुड़ा था ... केवल इस लिए कि मैंने ब्लॉग संचालक की जीहुज़ूरी नहीं की ! उनकी हर गलत बात को आँख मूँद सही नहीं कहा ! उनको ब्लॉग जगत का (स्व्यंभू)महाराज नहीं माना !
जवाब देंहटाएंसामूहिक ब्लॉग से जुडने के मेरे निजी अनुभव बेहद कडवे रहे है इसलिए मुझे क्षमा करें !
आपके प्रयास के लिए आपको हार्दिक शुभकामनायें !
bahut hi sarahniya pahal hai..
जवाब देंहटाएंis blog judkar bahut achha hoga.
Hardik shubhkamnaon sahit.
नेक पहल हैआ, आपका धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंमार्कण्ड दवे।
अहमदाबाद-गुजरात।
mdave42Gmail.com
http://mktvfilms.blogspot.com
यह ब्लाग एक तरह से चर्चासमूह बन जाएगा। मेरे विचार में धार्मिक विवादों को पूरी तरह निषिद्ध ही कर दिया जाए तो बेहतर है। मेरा नाम आप को पता है गूगल आई डी drdwivedi1 है।
जवाब देंहटाएंआपके आ जाने से इस चर्चा समूह में जान आ जायेगी,आपका आभार दिनेश जी !
जवाब देंहटाएंsunita shanoo
जवाब देंहटाएं14:00 (1 hour ago)
to me
नमस्कार रविन्द्र भाई, कृपया मेरा इ मेल shanoo03@gmail.com एड करें आपकी लगन रचना धर्मिता से मै वाकिफ़ हूँ आपके साथ जुड़ कर अच्छा ही लगेगा।
सादर
@ इस सामूहिक ब्लॉग से धार्मिक विवाद पैदा करने वाले लेखकों को दूर रखा जाएगा । सर्व धर्म समभाव को महत्व दिया जाएगा, आदि……
जवाब देंहटाएंरविन्द्र प्रभात जी,
इस मंच के लिए आवेदन करने से पूर्व मैं अपनी विचारधारा से अवगत करवाना अपना कर्तव्य मानता हूँ।
सामाजिक-सांस्कृतिक उत्थान के मार्ग में विभिन्न कुसंस्कृतियों, विशिष्ठ धार्मिक दुराग्रहों और हिंसा आदि जंगली रूढ़ियों को अवरोध मानता हूँ। इसीलिए ऐसे विचार चाहे धार्मिक लबादे में आए मैं प्रतिकार किए बिना नहीं रहता भले वे धार्मिक विवाद ही क्यों न कहलाए, या बन जाए। उसी तरह जीवन मूल्यों के उत्थान में सहायक धर्मोपदेशों को प्रसारित करना भी शुभकर्म मानता हूँ चाहे वे पारम्परिक धर्म बडाई माने जाय। उसी तरह धर्म व उसके ग्रथो की एकमुस्त आलोचना, बिना जाने अफीम आदि कहना, मनोबल को सामर्थ्य प्रदान करने वाली आस्थाओं को तोडना, ईश्वर को भांडना आदि काम धर्म से बाहर के लोगों द्वारा धार्मिक मामलों में अनावश्यक हस्तक्षेप मानता हूँ। कईं निरपेक्ष व समभावी सभी धर्मो को समभाव से झगडे की जड समझ कर निरस्त कर देते है वे ही प्रायः विवाद हो हवा देने में अग्रणी होते है ऐसी मेरी दृढ मान्यता है। मैं शुद्ध धर्म को ही अन्ततः मानव के लिए कल्याणकारी अन्तिम आश्रय मानता हूं। धर्म के कल्याणकारी रूप के संरक्षण को उद्धत रहना अपना कर्तव्य मानता हूँ फिर चाहे इसे धार्मिक विवाद में लिया जाय।
यह मेरी स्पष्ट विचारधारा है। हो सकता है आपके इस मंच के प्रतिकूल हो। सविनय!!
indianwomanhasarrived@gmail.com
जवाब देंहटाएंचूँकि स्वस्थ विमर्श और निरन्तर सम्वाद में भरोसाकरता हूँ, इसलिए इस आशा से जुडने का साहस कर रहा हूँ कि यहॉं सब कुछ 'वस्तुपरक और निरपेक्ष' होगा और जो भी कहा जाएगा, 'विचार-केन्द्रित' होगा, 'व्यक्ति-केन्द्रित' नहीं और 'व्यक्ति' को भेदने के लिए 'विचार' को हथियार नहीं बनाया जाएगा।
जवाब देंहटाएंजिस प्रकार जुडने की प्रक्रिया बताई गई है, उसी प्रकार इससे मुक्त होने की प्रक्रिया भी सार्वजनिक कर दें ताकि, 'वैसी' स्थिति में, विमुख होना भी उतना ही सर्वज्ञात हो सके जितना कि जुडना।
- विष्णु बैरागी
bairagivishnu@gmail.com
हर अच्छे प्रयास के साथ हूँ
जवाब देंहटाएंआशा है ब्लॉग अपने मूल उद्देश्य का निर्वहन करने में सफल होगा
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर"
rajtela1@gmail.com
nastiko ki bhi bat ho.
जवाब देंहटाएंकिसी भी नये प्रयास पर बिना अनुभव के कोई टीका टिप्पणी से कहीं उचित है कि उसके गुणावगुण पर चर्चा जन्म से पूर्व न ही की जाये ..
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें
श्रीकान्त मिश्र ’कान्त’
skant124@gmail.com
नेकी और पूछ-पूछ?
जवाब देंहटाएं'वंदना के इन स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो'. मुझे शामिल कर लें समूह में.
मेरा ई मेल है-
girishpankaj1@gmail.com
sundar prayas-mera e.mail hai
जवाब देंहटाएंbaheti.mm@gmail.com -mai is me sahbhagi banana chahta hoo
m.m.baheti'ghotoo'
सही मायने में धर्मनिरपेक्ष लोगों का क्या हश्र किया जाएगा ? मेरा नाम प्रमोद ताम्बट और ईमेल पता tambatin@yahoo.co.in है।
जवाब देंहटाएंनई मुहीम के लिए शुभकामनाऍं।
चर्चा , इस देश में इसके इतर दूसरा कोइ कार्य नहीं किया जाता. चर्चा जरूरी है किन्तु चर्चा समाधान और उस पर अमल नहीं करवा पाने का मुझे हमेशा अफ़सोस रहा है. आपकी पहल ब्लॉग के प्रचार और इसकी सफलता के लिए सुखद कही जा सकती है किन्तु विषय वही के वही रह जाए और चर्चाये होकर खत्म हो जाए , यही होता आया है. उच्च कोटि के शब्द इस्तमाल कर, चर्चा में अपना प्रभाव डालना ही सिर्फ मकसद हो चुका है..वरना बताइये कौन अपनी चर्चा के आधार पर सड़क पर निकला? ख़ैर..मेरी शुभकामनाये है...मे जरूर इसमे शामिल होना चाहूंगा किन्तु पहले देखूंगा की कौनसे विषय आते है और बुद्धिजीवी उस पर कौनसे तर्क रखते है. आपको उचित लगता हो तो मुझे शामिल करिएगा ..और एक बात अवश्य की मै किसी प्रकार की लाग लपेट वाला व्यक्ति नहीं , डंके की चोट पर सच रखने का हिमायती हूँ ...अब आप जाने -
जवाब देंहटाएंमेरी आई डी है-
am.amitabh@gmail.com
रविन्द्र जी ब्लोगरों को एकजुट होकर जमीनी स्तर पे कुछ ठोस करने की जरूरत है ना की सिर्फ ब्लॉग पर बहस करने की ...इस दिशा में कुछ सोचिये...
जवाब देंहटाएंअच्छी कोशिश है बशर्ते कि सदस्यगण सक्रिय रहें।
जवाब देंहटाएंदेखें अपना चर्चा
http://blogkikhabren.blogspot.in/2012/04/kanishka-kashyap.html
आपके इस प्रयास के लिये शुभकामनाएँ,पर शिवम भाई की बात पर गौर करियेगा और अपने ब्लॉग से गैर-विवादित लोगों और एकतरफा सोच वालों को भी दूर रखियेगा.
जवाब देंहटाएंसमयाभाव के कारण मैं फ़िलहाल शामिल तो नहीं हो पाऊँगा,पर आप सफल हों,ऐसी कामना है !
आपका आभार इस प्रयास के लिए .
जवाब देंहटाएंमैं जुडना चाहूँगा .
मेरा नाम : विजय कुमार
ईमेल : vksappatti@gmail.com
समाज को नई दिशा देते साहित्यिक प्रयास स्वागत योग्य हैं
जवाब देंहटाएंउम्मीद है कि यह सामूहिक ब्लॉग अपने बेबाक विचारों से सबकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा |
जवाब देंहटाएंHarihar Jha
जवाब देंहटाएं09:23 (1 hour ago)
to parikalpnaa
आपका प्रयास स्वागत योग्य है।
नाम :हरिहर झा
इमेल:
hariharjha2007@gmail.com
Sunder Prayas. Meri Badhaee.
जवाब देंहटाएंRam Krishna Khurana
khuranarkk@yahoo.in
धार्मिक विषयों के प्रति इतनी अरुचि क्यों है? हमने धर्म को जीवन के हर क्षेत्र से विदा कर देने की ठान ली है इसीलिये हमारे आचरण निरंकुश हैं, राजनीति निरंकुश है, समाज निरंकुश है ...सब कुछ निरंकुश हो गया है.....
जवाब देंहटाएंजो जीवन के लिये अत्यावश्यक विषय है उसे चर्चा से दूर रख कर हम किस उपलब्धि की तलाश में हैं? धर्म के नाम पर भौगोलिक सीमायें बनी और बिगड़ी हैं...धर्म के नाम पर आतंक का नग्न नृत्य हो रहा है ....धर्म के नाम पर हिंसा की शिक्षा दी जा रही है ....क्या नहीं हो रहा है धर्म के नाम पर? और इसके बाद भी विकृत धर्म के इन स्वरूपों पर चर्चा से परहेज़? धर्मविहीन राजनीति और विकृत धर्म ने इस देश का बेड़ा गर्क कर रखा है और हम हैं कि इन विषयों पर चर्चा तक नहीं करना चाहते हैं ? यदि आप धर्म और राजनीति को अछूत विषय मानते हैं तो इसका कोई कारण अवश्य होगा। इन विषयों को स्पर्श योग्य बनाने के लिये उन कारणों को दूर क्यों नहीं करना चाहते हैं हम? यदि ये राष्ट्रीय और सामाजिक समस्यायें हैं तो इनके निराकरण का उपाय क्या उपेक्षा मात्र कर देने से सम्भव है? बुद्धिजीवियों के इस मंच से ऐसी उद्घोषणा से मन दुखित हुआ है। हम केवल बुद्धिविलास से देश को आगे नहीं ले जा सकेंगे? राष्ट्र के निर्माण में हमें अपनी वैचारिक भूमिका भी तय करनी होगी?
dr.beenasharma@gmail.com
जवाब देंहटाएंmeri sahbhagita svikar kare
सराहनीय प्रयास!...मेरी तरफ से अनेको शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएं-डा.अरुणा कपूर.
e-mail 27aruna@gmail.com
पढ़ने के लिए तो मैं हर जगह मौजूद हूँ .... जो विषय समझ में नहीं आता उसमें मौन रहती हूँ और अगर सुनामी आ जाए तो भी भागती नहीं हूँ , सही के साथ खड़ी रहती हूँ
जवाब देंहटाएंrasprabha@gmail.com