दर्द में सिसकियाँ , ठीक है - ठीक है
याद में हिचकियाँ , ठीक है- ठीक है
पर विवशता नही हो कभी प्यार में -
प्यार में दूरियां , ठीक है-ठीक है !
() रवीन्द्र प्रभात

12 comments:

  1. सही कह रहे हो भाई पर कभी दूर रहे होंगे

    तो जरुर अह्सास होगा की दुरिया कैसी लगती है

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  2. दूरिओं से प्यार बढ़ता है , सटीक और सार्थक चिंतन !

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  3. चार पंक्तियों में प्रेम की सटीक व्याख्या ....!

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  4. सुन्दर! बहुत सुन्दर !!

    सस्नेह -- शास्त्री

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  5. प्यार के इस निराले अंदाज के क्या कहने
    बहुत खूब

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  6. SO TO THEEK HAI. PAR JAB PYAR ME DOORIYAN RAHENGEE TO DUNIYAN ME ACHCHEE SANTANE KAHAN SE AAYENGEE.

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