अनुभवों का फ़िर नही कोई बहाना चाहिए ,
सोच जिसमें है नई वह आजमाना चाहिए ।
थक गए हैं जो सफर में दीजिये आराम उनको-
एक इंजन जोश से लबरेज आना चाहिए ।
बेवजह ही ढूँढते हो खोट गमलों में मियाँ-
झुक गया है पौध उसको एक निवाला चाहिए ।
घर में आकर जो हमारे दे गए बेचैनियाँ-
उस पड़ोसी से हमें दूरी बनाना चाहिए ।
जल रहा है जो परिंदा चीख कर यह कह रहा –
रोशनी से इस कदर ना यूँ नहाना चाहिए।
देश को अब चाहिए खुशनुमा सा एक प्रभात-
जिसके पीछे चल सके पूरा ज़माना चाहिए ।
यह ग़ज़ल राष्ट्र को समर्पित है….
() रवीन्द्र प्रभात
सोच जिसमें है नई वह आजमाना चाहिए ।
थक गए हैं जो सफर में दीजिये आराम उनको-
एक इंजन जोश से लबरेज आना चाहिए ।
बेवजह ही ढूँढते हो खोट गमलों में मियाँ-
झुक गया है पौध उसको एक निवाला चाहिए ।
घर में आकर जो हमारे दे गए बेचैनियाँ-
उस पड़ोसी से हमें दूरी बनाना चाहिए ।
जल रहा है जो परिंदा चीख कर यह कह रहा –
रोशनी से इस कदर ना यूँ नहाना चाहिए।
देश को अब चाहिए खुशनुमा सा एक प्रभात-
जिसके पीछे चल सके पूरा ज़माना चाहिए ।
यह ग़ज़ल राष्ट्र को समर्पित है….
() रवीन्द्र प्रभात
बहुत खूब....सुंदर रचना...।
जवाब देंहटाएंबढियां अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंआपकी ग़ज़ल का हर शेर उर्जादायक है , हम जैसे नए ब्लोगर के लिए प्रेरणा का स्त्रोत भी . आपकी ग़ज़लों में मुझे वह आग दिखाई देती है जो किसी जमाने में दुष्यंत की ग़ज़लों में देखी जाती थी . सचमुच काफी अच्छा लगता है आपकी ग़ज़लों को पढ़कर .....यदि संभव हो तो आप किसी कवि सम्मलेन का विडियो भी डालिए अपने ब्लॉग पर .....अच्छी और प्रेरणादायक ग़ज़ल के लिए एक बार फ़िर बधाईयाँ !
जवाब देंहटाएंपूर्णिमा जी का कहना सही है , वैसे विगत ०२ दिसंबर को एच वी टी आयी कानपुर में मुझे सुनाने का सौभाग्य मिला था प्रभात जी को .....जितनी सुंदर ग़ज़ल उतनी ही सुंदर आवाज़ .....आज की प्रस्तुत ग़ज़ल वाकई जोश से लबरेज है , बधाईयाँ !
जवाब देंहटाएंसचमुच सुंदर .....और प्रासंगिक भी !
जवाब देंहटाएंदेश को चाहिये एक खुशनुमा सा एक प्रभात बहुत ही सुंदर परिकल्पना की है . सहमत हूँ . आभार
जवाब देंहटाएंबेवजह ही ढूँढते हो खोट गमलों में मियाँ-
जवाब देंहटाएंझुक गया है पौध उसको एक निवाला चाहिए ।
क्या बात है !! बहुत सुंदर ...पसंद आई आपकी गजल एवं प्रस्तुति...बधाई
kya kahoo is post ke liye , bahut sundar prstuti hai
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचना है।बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कहा है-
अनुभवों का फ़िर नही कोई बहाना चाहिए ,
सोच जिसमें है नई वह आजमाना चाहिए ।
बहुत सुन्दर लिखा आपने, बधाई.
जवाब देंहटाएंकभी मेरे ब्लॉग शब्द-शिखर पर भी आयें !!
आकर्षक आशावादिता है।
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत ग़ज़ल...हर शेर बहुत ही उम्दा.
जवाब देंहटाएंघर में आकर जो हमारे दे गए बेचैनियाँ-
जवाब देंहटाएंउस पड़ोसी से हमें दूरी बनाना चाहिए ।
बहुत शुक्रिया ............इतनी खूबसूरत ग़ज़ल का, सब के सब शेर अच्छे हैं, प्रेरणा दायक
desh hit me ubhari hui yah bhawana
जवाब देंहटाएंnishchit hi kargar sabit hogi.
सचमुच जरूरत तो है एक नए प्रभात की . . .और .शायद हमें ही रचना होगा एक नया सूरज !
जवाब देंहटाएंEK INJAN JOSH SE LABREZ AANA CHAHIYE....................?
जवाब देंहटाएंBAS BHAIYA SAMAJH LO KI MAIN KAREEB KAREEB AA HEE GAYA .
AAPKEE PUKAR SUN LEE GAYEE HAI .
' HO ' 'LEE' TAK BAS INTEZAR KAR LO !
HAM JARA 'SHUNTING YARD 'ME PADE THE . RELWAYEE KA KAM SAMAJHTE HOGE TO SAMAJH JAOGE .
VAISE LIKHTE RAHO .