अनुभवों का फ़िर नही कोई बहाना चाहिए ,
सोच जिसमें है नई वह आजमाना चाहिए ।

थक गए हैं जो सफर में दीजिये आराम उनको-
एक इंजन जोश से लबरेज आना चाहिए ।

बेवजह ही ढूँढते हो खोट गमलों में मियाँ-
झुक गया है पौध उसको एक निवाला चाहिए ।

घर में आकर जो हमारे दे गए बेचैनियाँ-
उस पड़ोसी से हमें दूरी बनाना चाहिए ।

जल रहा है जो परिंदा चीख कर यह कह रहा –
रोशनी से इस कदर ना यूँ नहाना चाहिए।

देश को अब चाहिए खुशनुमा सा एक प्रभात-
जिसके पीछे चल सके पूरा ज़माना चाहिए ।

यह ग़ज़ल राष्ट्र को समर्पित है….
() रवीन्द्र प्रभात

16 comments:

  1. आपकी ग़ज़ल का हर शेर उर्जादायक है , हम जैसे नए ब्लोगर के लिए प्रेरणा का स्त्रोत भी . आपकी ग़ज़लों में मुझे वह आग दिखाई देती है जो किसी जमाने में दुष्यंत की ग़ज़लों में देखी जाती थी . सचमुच काफी अच्छा लगता है आपकी ग़ज़लों को पढ़कर .....यदि संभव हो तो आप किसी कवि सम्मलेन का विडियो भी डालिए अपने ब्लॉग पर .....अच्छी और प्रेरणादायक ग़ज़ल के लिए एक बार फ़िर बधाईयाँ !

    जवाब देंहटाएं
  2. पूर्णिमा जी का कहना सही है , वैसे विगत ०२ दिसंबर को एच वी टी आयी कानपुर में मुझे सुनाने का सौभाग्य मिला था प्रभात जी को .....जितनी सुंदर ग़ज़ल उतनी ही सुंदर आवाज़ .....आज की प्रस्तुत ग़ज़ल वाकई जोश से लबरेज है , बधाईयाँ !

    जवाब देंहटाएं
  3. सचमुच सुंदर .....और प्रासंगिक भी !

    जवाब देंहटाएं
  4. देश को चाहिये एक खुशनुमा सा एक प्रभात बहुत ही सुंदर परिकल्पना की है . सहमत हूँ . आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. बेवजह ही ढूँढते हो खोट गमलों में मियाँ-
    झुक गया है पौध उसको एक निवाला चाहिए ।

    क्या बात है !! बहुत सुंदर ...पसंद आई आपकी गजल एवं प्रस्तुति...बधाई

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत उम्दा रचना है।बधाई।
    बहुत सुन्दर कहा है-

    अनुभवों का फ़िर नही कोई बहाना चाहिए ,
    सोच जिसमें है नई वह आजमाना चाहिए ।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर लिखा आपने, बधाई.
    कभी मेरे ब्लॉग शब्द-शिखर पर भी आयें !!

    जवाब देंहटाएं
  8. घर में आकर जो हमारे दे गए बेचैनियाँ-
    उस पड़ोसी से हमें दूरी बनाना चाहिए ।

    बहुत शुक्रिया ............इतनी खूबसूरत ग़ज़ल का, सब के सब शेर अच्छे हैं, प्रेरणा दायक

    जवाब देंहटाएं
  9. desh hit me ubhari hui yah bhawana
    nishchit hi kargar sabit hogi.

    जवाब देंहटाएं
  10. सचमुच जरूरत तो है एक नए प्रभात की . . .और .शायद हमें ही रचना होगा एक नया सूरज !

    जवाब देंहटाएं
  11. EK INJAN JOSH SE LABREZ AANA CHAHIYE....................?

    BAS BHAIYA SAMAJH LO KI MAIN KAREEB KAREEB AA HEE GAYA .

    AAPKEE PUKAR SUN LEE GAYEE HAI .
    ' HO ' 'LEE' TAK BAS INTEZAR KAR LO !

    HAM JARA 'SHUNTING YARD 'ME PADE THE . RELWAYEE KA KAM SAMAJHTE HOGE TO SAMAJH JAOGE .

    VAISE LIKHTE RAHO .

    जवाब देंहटाएं

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

 
Top