जहाँ पे खुशनुमा गुल से सजा हो गुलिस्तां यारों
समझ लेना वही है गांधी का हिन्दुस्तां यारों ।
हमेशा अम्न के ही वास्ते जीने की चाहत में -
बड़े बेचैन दिखते हैं हमारे नौजवां यारों ।
कहीं हिन्दू कहीं मुस्लिम कहीं सिक्खों-इसाई हैं -
गले मिलते हुए गुजरे हमेशा कारवां यारों ।
अदब से सर झुकाकर मिलने की तहजीब हमारी -
जिसे झुककर करे सलाम धरती-आसमां यारों ।
शराफत से रहे दुश्मन बहुत सम्मान देते हम-
संभल जाते अगर हो जाए दुश्मन मेहरबां यारों ।
हम शायरी से दर्दमंदों की दवा करते हैं यार -
हमारे गीत-ग़ज़लों के बहुत हैं कद्र दां यारों ।
चमन को सींचने में जिसने जीवन होम कर डाला -
उसी बापू को मेरा फ़िर नमन आज श्रद्धा का यारों ।
() रवीन्द्र प्रभात
साबरमती के संत को
जवाब देंहटाएंमहात्मा गांधी बापू को
शत शत श्रदधेय नमन
हमारे बापू समूचे ब्रह्माण्ड के लिए अनुकरणीय हैं , हमें गर्व है की हम गांधी के इस देश में निवास करते हैं . शहीद दिवस पर मेरी भी विनम्र श्रद्धांजली बापू को फ़िर एक बार ........!
जवाब देंहटाएंआपकी ग़ज़ल का हर शेर बार-बार पढ़ने को मजबूर करती है , आपका आभार !
बहुत प्रभावशाली है
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया लिखा है।
जवाब देंहटाएंकहीं हिन्दू कहीं मुस्लिम कहीं सिक्खों-इसाई हैं -
जवाब देंहटाएंगले मिलते हुए गुजरे हमेशा कारवां यारों । "
आमीन! बहुत ही सुन्दर रचना .
ग़ज़ल का हर शेर दिल में उतर गया .....बधाईयाँ !
जवाब देंहटाएंवाह.. अच्छी ग़ज़ल है.. प्रभात जी, बधाई...
जवाब देंहटाएंअदब से सर झुकाकर मिलने की तहजीव मेरी है-
जवाब देंहटाएंजिसे झुककर करे सलाम धरती-आसमां यारों ।
बहुत खूब लिखा है आपने ..
एक सार्थक रचना बापू के बहाने , आभार !
जवाब देंहटाएंबापू पर लौटना चाहिये भारत को।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा.....
जवाब देंहटाएंबापू को हमारी भी श्रधांजलि...........
जवाब देंहटाएंआपकी ग़ज़ल का हर शेर बोलता हुवा है........तराशा हुवा हीरा है