रोशनी के लिए हमने ख़ुद अपनी ही ऑंखें जलाई हैं।"
इसी श्रेणी के एक और महत्वपूर्ण ब्लॉग है - "कुछ मेरी कलम से " इस ब्लॉग के ब्लोगर के द्वारा जिस पञ्च लाइन का उल्लेख किया गया है वह इस प्रकार है- "जब करनी होती ख़ुद से बाते तो में कुछ लफ्ज़ यूँ दिल के कह लेती हूँ ....!" रंजना यानी रंजू भाटिया कहती हैं , कि -"ज़रा थम थम के रफ़्ता रफ़्ता चल ज़िंदगी कि यह समा या फ़िज़ा बदल ना जाएअभी तो आई है मेरे दर पर ख़ुशी कही यह तेरी तेज़ रफ़्तार से डर ना जाए!
दूसरा ब्लॉग है -"पारुल…चाँद पुखराज का" इस ब्लॉग पर अभिव्यक्तियाँ अंगराई लेती है और छोड़ जाती है संवेदनाओं का नया प्रभामंडल पाठकों के लिए , ब्लोगर ने अपने परिचय में गुलजार की ये सुंदर पंक्तियाँ प्रस्तुत की है -"कुछ भी क़ायम नही है,कुछ भी नही…रात दिन गिर रहे हैं चौसर पर…औंधी-सीधी-सी कौड़ियों की तरह…हाथ लगते हैं माह-ओ साल मगर …उँगलियों से फिसलते रहते है…धूप-छाँव की दौड़ है सारी……कुछ भी क़ायम नही है,कुछ भी नही………………और जो क़ायम है,बस इक मैं हूँ………मै जो पल पल बदलता रहता हूँ !"
इसी श्रेणी का एक और ब्लॉग पर मेरी नज़रें गयी और ठहर गयी अनायास ही , फ़िर तो उसकी चरचा के लिए मन बेताब हो उठा । नाम है "डॉ. चन्द्रकुमार जैन " जी हाँ यही ब्लॉग है और यही ब्लोगर भी । मुक्तकों और ग़ज़लों का एक ऐसा ब्लॉग जिसे बड़े प्यार और मनुहार से प्रस्तुत किया गया है । इस श्रेणी की मेरी सबसे पसंदीदा ब्लॉग है यह । इनकी ग़ज़ल की कुछ पंक्तियाँ देखिये - "हर सुमन में सुरभि का वास नहीं होता,
हर दीपक का मनहर प्रकाश नहीं होता। हर किसी को प्राण अर्पित किए जा सकते नहीं,हर जीवन में मुस्काता मधुमास नहीं होता।।"
आईये एक और ब्लॉग से आपका परिचय करवाता हूँ , नाम है -"क्षणिकाएं " , ब्लोगर कहती हैं , कि -"मन की कलम, ख़्वाबों के पन्ने ,उम्मीदों की स्याही , समय मेरे पास रख जाता है, तब मैं लिखती हूँ ..... !"
कोलकाता के मीत की चरचा हो और और दिल्ली के दिलवाले मीत की चरचा न हो ऐसा कैसे हो सकता है , तो आईये दिल्ली के मीत से मिलते हैं । ब्लोगर कहते हैं- "बचपन मामा के यहाँ गुज़ारा... बड़ा होकर पायलेट बनना चाहता था... लेकिन नसीब में शायद आसमान की ऊँचाइयाँ नहीं लिखी थी... जब भी किसी प्लेन की आवाज कानो में गूंजती तुंरत दौड़ के बाहर जाता था... प्लेन को देखने के लिए... खैर! कब मुझे लिखने का शौक हुआ मालूम नहीं... बस जब भी कभी हाथ में पेंसिल आ जाती थी, तो कागज पे चित्रकारी करता था और जब पेन आ जाता था, तो लिख देता था कोई गीत...!"
मेरे पसंदीदा शायर ब्लोगर में से एक हैं " परम जीत बाली " जिनका ब्लॉग है "दिशाएँ " । जब भी मौका मिलता है इस ब्लॉग पर आ जाता हूँ , क्योकि इस ब्लॉग पर मिलता अभिव्यक्ति के सृजन का सुख ।
दूसरा मेरा पसंदीदा ब्लॉग है इस श्रेणी का वह है -"प्रहार " । इस ब्लॉग पर भी आपको ग़ज़ल की सुंदर भावाभिव्यक्तियाँ मिलेंगी , पूरी शान्ति, सुख, संतुष्टि की गारंटी के साथ।
ग़ज़लों की इस दुनिया में एक और नाम है डा अनुराग , जिनका ब्लॉग है "दिल की बात '' बड़े सहज ढंग से ये अपनी अभिव्यक्तियों में धार देते हुए मासूम अदाओं के साथ परोस देते हैं पाठकों के। यही इस ब्लोगर की विशेषता है । अपने ब्लॉग पर ब्लोगर स्वीकार करता है, कि -"रोज़ कई ख़्याल दिल की दहलीज़ से गुज़रते है,कुछ आस पास बिखरे रहते है,कुछ दिल की तहो मे भीतर तक ज़िंदा रहते है,साँस लेते रहते है,कोई ख़ूबसूरत लम्हा फिर उन्हे कई दिनों की ऑक्सीजन दे जाता है। कभी-कभी उन लम्हो को जिलाये रखने के लिए धूप दिखा देता हूँ,कुछ को लफ़्ज़ो की शक़ल मे कागज़ॉ पर उतार देता हूँ। "
आजकल श्री पंकज सुबीर जी सुबीर संवाद सेवा में पाठकों को ग़ज़ल सिखा रहे हैं , ग़ज़ल के विभिन्न पहलूओं पर उनका पक्ष नि:संदेह प्रशंसनीय है । इसी कड़ी में हिंद युग्म भी पीछे नही है । ग़ज़ल के लिए इससे वेहतर पहल और क्या हो सकती है ।
मैंने अपने एक आलेख में जनवरी -२००८ में परिकल्पना पर ग़ज़ल की विकास-यात्रा शीर्षक से ग़ज़ल के इतिहास और वर्त्तमान पर प्राकाश डाला है, जिसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं ।
..........अभी जारी है ......../
2008 ki yaatra bahut aachi ban rahi he..
जवाब देंहटाएंआदरणीय प्रभात जी,
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपकी टिपण्णी कम होती , मगर मुझे लगता है आप सबकी ख़बर रखते हैं , आपको पिछले दिनों एच वी टी आयी कानपुर के एक कवि सम्मलेन में कविता पाठ करते सूना . आप जितना अच्छा लिखते हैं उससे कहीं ज्यादा अच्छी आपकी आवाज़ है . मैं उस रोज आपसे मिलना चाह रहा था मगर सुयोग नही बन सका . आपको , डा.
सुमन दुबे को और डा सुरेश अवस्थी को सुनने के बाद लगभग ११ बजे के आस-पास मैं कुछ कारण वश चला गया था , खैर कभी सुयोग बना तो मुलाक़ात होगी ......!
आपकी पोस्ट पढ़ने का फायदा ये हुआ कि बहुत सरे ब्लोगों की जानकारी मिल गयी.
जवाब देंहटाएंसभी ब्लॉगर जाने पहचाने हैं -उल्लेख अच्छा लगा !
जवाब देंहटाएंआज के पहले नहीं पढ़ी थी, पर आज ’हिन्दी चिट्ठा हलचल’ के पांचो भाग पढ़ गया. अच्छी प्रस्तुति है.
जवाब देंहटाएंइतने चिट्ठाकारों को एक साथ उल्लिखित देखना सुखद है. जारी रखिये.
इतने चिट्ठाकारों को एक साथ उल्लिखित देखना सुखद है
जवाब देंहटाएंमै तहेदिल से आपका आभारी हूँ जो आपने मेरे ब्लॉग "प्रहार" को अपनी पोस्ट में स्थान दिया है और ब्लॉग में अभिव्यक्ति प्रदान करने के लिए भी दिल से आपका आभारी हूँ . कृपया निरंतर स्नेह बनाये रखे. धन्यवाद. शुक्रिया
जवाब देंहटाएंमहेंद्र मिश्रा जबलपुर
आप इस श्रृंखला में बहुत बढ़िया काम कर रहे हैं। बहुत से अच्छे चिट्ठों की जानकारी दे रहे हैं। मैंने सारे लेख पढ़े। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
बहुत सुन्दर! सुझाव है कि आप पैराग्राफ़ के बीच में कुछ और जगह छोड़ें ताकि ब्लाग पोस्ट की पठनीयता और अच्छी हो जाये।
जवाब देंहटाएंअच्छा सिलसिला चलाया हुआ है आपने . बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंबहुत मेहनत का काम है यह .बहुत बढ़िया लगी हैं यह कड़ियाँ ...शुक्रिया
जवाब देंहटाएंvishleshan adbhut hai, jaaree rakhen.....!
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत की बहुत महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं आप..आप की मेहनत की हम दिल से प्रशंशा करते हैं...
जवाब देंहटाएंनीरज
अरे वाह अपने ब्लॉग का जिक्र आज ही यहाँ देखा, हैरान हूँ केसे रह गया आपका ये आलेख. दिल से आभारी हूँ की आपने मेरे ब्लॉग को यहाँ स्थान दिया
जवाब देंहटाएंregards