वसंतोत्सव में हम आज लेकर आयें हैं डा राम विलास शर्मा की कविता । वैसे कवि के रूप में कम शर्मा जी की ख्याति हिन्दी समालोचक के रूप में अधिक रही है । इन्होने "निराला की साहित्य साधना"तीन खंडो में लिखकर न केवल अपनी प्रखर आलोचनात्मक प्रतिभा का परिचय दिया,बल्कि यह सिद्ध कर दिया कि कविता को समझने के लिए इनके पास एक कवि का ह्रदय भी है। प्रगतिवादी समीक्षा पद्धति को हिन्दी में सम्मान दिलाने वाले लेखको में डॉ.रामविलास शर्मा का नाम लिया जाता है। आईये आधुनिक हिन्दी साहित्य में सुप्रसिद्ध आलोचक ,निबंधकार ,विचारक एवं कवि डॉ.रामविलास शर्मा की कविता वसंत सम्मोहन पर नज़र डालते हैं -
!! वसंत सम्मोहन !!
बड़ा बाजीगर है वसंत !
देखते ही जिसे
बौरा उठती है
बेचारी भोली-भाली अमराई
गदरा जाती है
टेशू की ईकहरी नाजुक टहनियां
झूम उठती है
गेहूं की दूध भरी बालियाँ
खिलखिला उठती हैं
आँचल लहराती अल्हड सरसों
और उलट देती है
आँखों तक झूलता घूंघट
अचानक कचनार की कलियाँ
घुलने लगती है
कोयल के कंठ में -
जानलेवा मिठास
शुरू हो जाती है हरकत
तितलियों के परों में
और भंवरों के स्वर में
बीन की मादक झंकार
यहाँ तक कि
बूढ़े सेमल की
झुर्रियों से ढकी रंगों में भी
तेज हो जाती है रक्त की रफ़्तार
और/ खिल उठते हैं
अनुराग रंजित सुर्ख फूल
देखते-देखते
वसंत
महज चितवन से
एक ही झटके में उखाड़ देता है
बाघिन सी खूंखार सर्दी के
नुकीले, तीखे नख दन्त
बड़ा बाजीगर है वसंत !
() राम विलास शर्मा
और भंवरों के स्वर में
बीन की मादक झंकार
यहाँ तक कि
बूढ़े सेमल की
झुर्रियों से ढकी रंगों में भी
तेज हो जाती है रक्त की रफ़्तार
और/ खिल उठते हैं
अनुराग रंजित सुर्ख फूल
देखते-देखते
वसंत
महज चितवन से
एक ही झटके में उखाड़ देता है
बाघिन सी खूंखार सर्दी के
नुकीले, तीखे नख दन्त
बड़ा बाजीगर है वसंत !
() राम विलास शर्मा
जारी है वसंतोत्सव , मिलते हैं एक छोटे से विराम के बाद ...!
nice
जवाब देंहटाएंसुमन के बिस्मिल्लाह के बाद भी क्या कुछ बचा रह जाता है ?
जवाब देंहटाएंकवि का प्रकृति से साक्षात्कार दिलचस्प है।
जवाब देंहटाएंशर्मा जी की कविता बहुत पसंद आई.
जवाब देंहटाएंकालजयी रचनाओं की श्रृंखला में एक और कड़ी !
जवाब देंहटाएंआभार प्रस्तुति के लिये ।
प्रकृति पर मानव की चेष्टाएँ !
जवाब देंहटाएंप्रकृति में बसंत !
तज्जन्य मानव में बसंत !
दिख रहा है कि बसंत वन्धन नहीं मानता मानव और
प्रकृति का !
सही तो है !
.................... आभार ,,,
बसंत की छठा का सजीव वर्णन । रामविलास शर्मा जी को साधुवाद ।
जवाब देंहटाएंरामविलास जी का यह कवि रूप मुझे बहुत भाता है ।
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