चौबे जी की चौपाल
( दैनिक जनसंदेश टाईम्स / ०३ अप्रैल २०११ / रविवार )
पीटने-पटकने में माहिर हैं हम
आज चौबे जी की चौपाल लगी है राम भरोसे की मरई में, चुहुल भी खुबई है आज .
बात ई है महाराज,कि पटकने-पटकने में फर्क होता है , सार्वजनिक रूप से किसी को पटको तो इन्डियन पैनल कोड के तहत धारा ३२३ लगा देती है हमरी लोकल पुलिस , गाली दो तो ५०४ लगा देती है , मगर मोहाली के मैदान में धारा-उपधारा की परवाह किये बगैर पुलिस भी खुबई गरिया रही थी पाकिस्तानी प्लेयर को और जहां तक पीटने का प्रश्न है तो मैदानमा में भारत के ११ खिलाड़ी एक साथ मिलकर पीट रहे थे ससुर एक-एक करके पाकिस्तानियों को और किसकी मजाल जो हमरे प्लेयर पे धारा लगाए ...फिल्डवा के बाहर सटोरिये वसूल रहे थे फीस और फिल्डवा के भीतर शाहिद अफारिदिया के छुपाये छुप नहीं रही थी खीस.....का गलत कहत हईं बटेसर ?
एक दम्मै सही बात बतिया रहे हो गुलटेन, हम तो बस इतना जानते है कि पीटने-पटकने में हम हिन्दुस्तानियों का जवाब नहीं , दिया घुमाके बाहे-बाहे....जियो खिलाड़ी बाहे-बाहे !
ये हुई न बात.......! पीटने-पटकने में जो हारता है वह बन्दर होता है और जो जीतता है वही सिकंदर होता है , अपनी चुप्पी तोड़ते हुए बोला राम भरोसे कि काल्ह इन्डियन टीम ने जैसे ही पटका पाकिस्तान को दर्शक दीर्घा में उकडू बैठे मनमोहन मुस्कुराए और बेचारा गिलानी मुरझा गए छुईमुई की तरह, सोचै कि का जबाब देंगे अब पाकिस्तानी सेना के चीफ को , कैसे कहेंगे कि हिन्दुस्तानियों ने हमें रगेद-रगेद के पीटा है ...! ई रहमान मल्लिक ने सट्टे की बात उछाल कर अच्छा नहीं किया अब तो हम अपने देश में जाकर मुंह दिखाने के काबिल ही नाहे रहे , अफारिदिया ने कटबा दिया हमरी नाक .... गजोधर ने कहा !
अब खिशियानी बिल्ली खंबा तो नोचेगी ही , जरूर कहेंगे पाकिस्तानी कि बिक गए होंगे ससुर सटोरिये के हाँथ...सट्टा खेलना तो उनका पुराना धंधा है ... दाऊदवा से बरहन कोई सट्टेबाज होगा दुनिया में ? बटेसर ने उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा !
तभी गुलटेनवा को रहा नहीं गया बोला- ई सट्टा का होता है, हमरे कछु समझ में नाही आई रहा ?
अरे, इतना भी नहीं जानते हो कि हाई टेक जुआ को सट्टा कहा जाता है हमरे देश मा, जैसे-जसे दुनिया की चौदह क्रिकेट टीमें अपना बोरिया बिस्तर बाँध के रफूचक्कर हो रही है , वैसे-वैसे सटोरियों का मुनाफ़ा उफान पर है । क्रिकेट खिलाड़ी उधर मैदान में अपने बैट-बल्ले सम्हालने में लगें हैं और इधर सटोरिये दे रहे हैं गच्चा हमरी तोहरी अंखिया में । बटेसर ने कहा !
राम भरोसे से रहा नहीं गया बोला - तब तो क्रिकेट और सट्टे दोनों हैं एक ही थैले के चट्टे-बट्टे ! दोनों हो गए हैं चोर-चोर मौसेरे भाई, एक को छींक आती होगी तो दूसरा बीमार पड़ जाता होगा ...?
हाँ राम भरोसे , अब तो फर्क करना भी मुश्किल हो गया है कि आजकल क्रिकेट में सट्टा है या सट्टा में क्रिकेट.......... अब कौन समझाये रहमान मल्लिक को कि पाकिस्तान में जब हर तरफ घुसी पडी है बेईमानी,नेता,आतंकी एक साथ मिलकर कर रहे हैं मनमानी तो क्रिकेटरों पर बंदिश क्यों भईया ? बेचारा नहीं कमाएगा तो खायेगा का ? आखिर वर्ल्डकप चार साल के बाद जो आता है। बोला बटेसर - अपने हफीज भाई कह रहे थे कि पूरे विश्व की क्रिकेट के खेल पर सट्टा एशियाई देशों में अधिक लगता है और अपने देश में इसके स्त्रोत अधिक हैं। मतलब समझे कि फिर से समझाएं और महाराज आपको कुछ और बातें बताएं ?
हाँ-हाँ बताओ बचवा, बहुत पते की बात बता रहे हो ! चौबे जी ने कहा
बात ऐसी है महाराज कि अब सट्टे के धंधे में पहले बाला रिश्क भी नहीं है कि पुलिस दौडाए तो खिड़कियों से कूद कर टांग टूडवा लो ...अब तो भैया पुलिस भी अन्य सम्मानित खेलों की तरह देने लगा है सट्टे को संरक्षण ! पूर्ण संरक्षण में किसी भी गुप्त स्थान पर बैठकर आधुनिक गजेट्स के सहारे सटोरिये दुनिया का अपना कोई भी टुर्नामेंट सम्पन्न कर ले सकते हैं।
ई बात है ? बोला गुलटेनवा,यानी जय बोलो सटोरियों की !
एक दम सही ....... आजकल ई देश में दोनों वर्ल्डकप एक साथ चल रहे है, जैसे-जैसे वर्ल्डकप के शेष मैच परवान चढ़ेंगे, सटोरियों की बल्ले-बल्ले होती चली जायेगी ! बहुत देर से चुप गजोधर ने अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा कि इसका मतलब है क्रिकेट से ज्यादा ताकतबर है सट्टा ?
हाँ गज़ोधर भईया, क्रिकेट में कोई मैच बिना फिक्सिंग के भी हो सकता है यह मानना अब कठिन लगता है। सच तो यह है कि यह खेल अब खेल नहीं रहा बल्कि व्यापार हो गया है। व्यापार में जिस तरह वस्तु बेचने के लिये तमाम तरह का प्रचार किया जाता है वैसा ही क्रिकेट के खिलाड़ियों का हो रहा है आजकल । हीरा-पन्ना-सोना के दाम फेल है खिलाड़ियों के आगे !
इतना सुनते ही गुलटेनवा के चहरे पर लालिमा दौर गयी, बोला चौबे बाबा ....हम भी सोच रहे हैं कि पैरबी-सिफारिश करके अपने अकलुआ को इंडियन टीम में घुसा ही दें, बाद में फिर खेले या न खेले सट्टे में तो करोड़ों कमा ही लेगा ससुरा !
इतना सुनते ही चौपाल ठहाकों में तब्दील हो गया, ई क्रिकेट है भईया..... हारोगे तो गाली खाओगे और जीतोगे तो ताली पाओगे, अब देखो न साऊथ अफ्रिका से जब इन्डियन टीम हारी थी तो ई देश में किसी के पास टाईम पास करने के लिए नेहरा को गाली देने के सिवा कोई काम था, नहीं न ? आज देखो नेहरा के नाम पर खुबई ताली पड़ रही है , इसी को कहते हैं इमोशनल अत्याचार,तो बोलो ॐ शान्ति ॐ .........इतना कहकर चौबे जी ने अगली तिथि तक के लिए चौपाल स्थगित कर दिया .....!
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नोट: चौपाल-कथा लिखे जाने तक भारतीय टीम विश्व कप से एक कदम दूर थी ........२८ साल बाद धोनी के रणबांकुरों ने जीत लिया मैदान ......बधाईयाँ हिन्दुस्तान !
() रवीन्द्र प्रभात