इसी श्रेणी में दूसरे स्थान पर हैं एक ऐसी संवेदनशील महिला चिट्ठाकार , जिनकी संवेदनशीलता उनके बहुचर्चित ब्लॉग पारुल चाँद पुखराज का ...पर देखी जा सकती है । इस ब्लॉग पर पहले तो गंभीर और गहरी अभिव्यक्ति की साथ कविता प्रस्तुत की जाती थी , किन्तु अब गहरे अर्थ रखती गज़लें सुने जा सकती है । सुश्री पारुल ने शब्द और संगीत को एक साथ परोसकर हिंदी ब्लॉगजगत में नया प्रयोग कर रही हैं , जो प्रशंसनीय है ।
चलते- चलते मैं यह बता दूं कि वर्ष-२००९ में हास्य-व्यंग्य के दो चिट्ठों ने खूब धमाल मचाया पहला ब्लॉग है श्री राजीव तनेजा का हंसते रहो । आज के भाग दौर , आपा धापी और तनावपूर्ण जीवन में हास्य ही वह माध्यम बच जाता है जो जीवन में ताजगी बनाये रखता है । इस दृष्टिकोण से राजीव तनेजा का यह चिटठा वर्ष-२००९ में हास्य का बहुचर्चित चिटठा होने का गौरव हासिल किया है । दूसरा चिटठा है -
के. एम. मिश्र का सुदर्शन । इसपर हास्य और व्यंग्य के माध्यम से समाज की विसंगतियों पर प्रहार किया जाता है । के .एम. मिश्र का कहना है कि व्यंग्य, साहित्य की एक गम्भीर विधा है । व्यंग्य और हास्य में बड़ा अन्तर होता है । हास्य सिर्फ हॅसाता है पर व्यंग्य कचोटता है, सोचने पर मजबूर कर देता है । व्यंग्य आहत कर देता है । सकारात्मक व्यंग्य का उद्देश्य किसी भले को परेशान करना नहीं बल्कि बुराइयों पर प्रहार करना है चाहे वह सामाजिक, आर्थिक या राजनैतिक हो । सुदर्शन सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक विसंगतियों, भ्रष्टाचार, बुराइयों, कुरीतियों, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं, बाजार, फिल्म, मीडिया, इत्यादि पर एक कटाक्ष है ।
वहीं तहजीब के शहर लखनऊ के श्री सलीम ख़ान..........स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़ में अपने स्पष्टवादी दृष्टिकोण के साथ-साथ विभिन्न चिट्ठों पर अपनी तथ्यपरक टिप्पणियों के लिए लगातार चर्चा में बने रहे । डा० अमर कुमार जी ने स्वयं को चर्चा से ज्यादा चिंतन में संलग्न रखा । -रवीश कुमार जी ने महत्वपूर्ण चिट्ठों के बारे में लगातार प्रिंट मिडिया के माध्यम से अवगत कराया । श्री पुण्य प्रसून बाजपेयी अपनी राजनीतिक टिप्पणियों तथा तर्कपूर्ण वक्तव्यों के लिए लगातार चर्चा में बने रहे ।
हिंदी ब्लोगिंग के लिए सबसे सुखद बात यह है कि इस वर्ष हिन्दीचिट्ठों कि संख्या १५००० के आसपास पहुंची । वर्ष का सर्वाधिक सक्रीय क्षेत्र रहा मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ । वर्ष का सर्वाधिक सक्रीय शहर रहा भोपाल और रायपुर । वर्ष में सर्वाधिक पोस्ट लिखने वाले नए चिट्ठाकार रहे डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक । वर्ष में सर्वाधिक टिपण्णी करने वाले चिट्ठाकार रहे श्री श्री समीर लाल । वर्ष भर हिंदी चिट्ठों की चर्चा करने वाला चर्चित सामूहिक चिटठा रहा चिट्ठा चर्चा । सर्वाधिक समर्थकों वाला तकनीकी ब्लॉग रहा हिंदी ब्लॉग टिप्स ।अबतक मुम्बईया हिंदी के स्वर फिल्मों में ही सुनाई देते थे किन्तु इस बार हिंदी ब्लॉग जगत में इसे सर्किट ने प्रस्तुत करके ख्याति अर्जित की ।
इस वर्ष साहित्य-संस्कृति और कला को समर्पित अत्यधिक चिट्ठों का आगमन हुआ । चिट्ठों कि चर्चा करते हुए इस वर्ष श्री रवि रतलामी जी , श्री अनूप शुक्ल जी और मसिजीवी ज्यादा मुखर दिखे । चुनौतीपूर्ण पोस्ट लिखने में इस बार महिला चिट्ठाकार पुरुष चिट्ठाकार की तुलना में ज्यादा प्रखर रहीं । इस वर्ष मुद्दों पर आधारित कतिपय ब्लॉग से हिंदी पाठकों का परिचय हुआ । इस वर्ष फादर्स डे पर एक नया सामूहिक ब्लॉग पिताजी से भी मुखातिब हुआ हिंदी का पाठक । मुद्दों पर आधारित नए राजनीतिक चिट्ठों में सर्वाधिक अग्रणी रहा - बिगुल .......आदि ।
इस वर्ष का सर्वाधिक ज्वलंत मुद्दा रहा - स्लम डॉग , सलैंगिकता और मंहगाई आदि । सबसे सुखद बात तो यह रही कि विगत कई वर्षों से अग्रणी श्री श्री समर लाल जी, श्री ज्ञान दत्त पांडे जी , श्री रवि रतलामी जी , श्री अनूप शुक्ल जी , श्री शास्त्री जे सी फिलिप जी , श्री दीपक भारतदीप जी , श्री दिनेशराय द्विवेदी जी आदि अपने सम्मानित स्थान को सुरक्षित रखने में सफल रहे ।वर्ष का एक और सुखद पहलू यह रहा की चिट्ठा चर्चा ने १००० पोस्ट की सीमा रेखा पार की ।
चर्चा अभी जारी है , मिलते हैं एक छोटे से विराम की बाद ..../
सभी को बधाई-हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंसुंदर विश्लेषण !!
जवाब देंहटाएंदीपक भारतदीप जी सचमुच सराहनीय कार्य कर रहे हैं . हिंदी चिट्ठाकारी के लिए वे विशिष्ट हैं और उन्हें यह सम्मान देकर आपने भी प्रशंसनीय कार्य किया है ,उनके साथ -साथ आपको भी बधाई .
जवाब देंहटाएंसुदर्शन की जानकारी आपके विश्लेषण से ही हुयी थी पर राजिव जी के हंसते रहो पर अक्सर जाती रहती हूँ , अच्छा ब्लॉग है ...सभी को बधाईयाँ !
जवाब देंहटाएंजय हो हिंदी चिट्ठाकारी की और आप जैसे विश्लेषक की ....आप को नहीं मालूम की आप ने कितना बड़ा काम कर दिया है वह भी मानवीय विश्लेषण द्वारा ....जय हो ...आपकी जय हो ...!
जवाब देंहटाएंजितनी कड़ियाँ देखता जा रहा हूँ, आपकी मेहनत और विश्लेषण से हतप्रभ हूँ. गजब की कवरेज, निगाह और समीक्षा है. आपको साधुवाद!!
जवाब देंहटाएंभैया, इतना सूक्ष्म दृष्टि से पढ़ा है आपने ब्लॉगों को कि आप तो अथॉरिटी हैं हिन्दी ब्लॉगिंग पर।
जवाब देंहटाएंसाधुवाद।
Badhiya Charchaa.
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अंग्रेज़ी का तिलिस्म तोड़ने की माया।
पुरुषों के श्रेष्ठता के 'जींस' से कैसे निपटे नारी?
यह ऐसे तथ्य हैं जिन पर हिन्दी चिट्ठाजगत संतुष्ट हो सकता है । आपकी पारखी दृष्टि को सलाम ! आभार ।
जवाब देंहटाएंदीपक भारतदीप जी से मुझे व्यक्तिगत मुलाकात का सौभाग्य प्राप्त हुआ है… वे इंटरनेट पर हिन्दी को समृद्ध करने में जी-जान से जुटे हैं… उन्होंने इतना लिख दिया है कि सर्च में कई बार उनका नाम सामने आता है… निष्ठा से लिखने वाले चन्द ब्लागरों में से एक हैं दीपक भारतदीप… उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं…
जवाब देंहटाएंदीपक भारतदीप जी का उल्लेख देख कर प्रसन्नता हुई। उन्हें अब तक का सब से कर्मठ हिन्दी चिट्ठाकार कहा जा सकता है।
जवाब देंहटाएंसुंदर विश्लेषण !!
जवाब देंहटाएंbahut shukriyaa..ravindra jee
जवाब देंहटाएंआमतौर से मैं अपने लिखे हुए पाठों का विश्लेषण नहीं करता। सच तो यह है कि मुझे बेहतर सामग्री पढ़ने की इच्छा है और मुझे अंतर्जाल पर ऐसी सामग्री पढ़ने को मिलती है जो पंरपरागत स्त्रोतों में नहीं मिलती। इसलिये यहां सक्रियता अधिक है। दूसरा आप जैसे मित्रों से संपर्क मेरी सबसे बड़ी पूंजी है जो निस्वार्थ भाव से प्रेम करते हैं। मुझे लिखने से यह सौभाग्य मिलता है इसलिये लिखता हूं। आपके द्वारा दूसरे अंतर्जाल लेखक प्रेरित होते हैं तो मुझे अच्छा यह लगता है कि मेरा मित्र यह काम कर रहा है। आपको मेरी शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंदीपक भारतदीप
badhai ke paatr hai prabhat ji, ki aapne samay nikal kar itana achchha vishleshan kiya. chhattisgarh ki sakriya to bhi ek pahachan dee, yah bhi badee baat hai,kyoki bhram yah bhi hai ki yah raajy pichhada hua hai, lekin blogaro ne ise vishv ke nakshe me shamil karane koi kasar nahi chhodi.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पोस्ट सभी को बहुत बहुत बधाई।
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