विश्लेषण के इस प्रारूप में हम चर्चा कर रहे हैं वर्ष-२००९ में हिन्दी ब्लोगिंग के त्रिमूर्ति यानि वर्ष के तीन सर्वाधिक प्रखर प्रवासी/अप्रवासी भारतीय चिट्ठाकारों की ।
में रहने वाले हिंदी चिट्ठाकार इस दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है कि उनकी सोच - विचारधाराओं में अलग-अलग देशों की विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक परिस्थितियाँ हिन्दी की व्यापक रचनाशीलता का अंग बनती हैं, विभिन्न देशों के इतिहास और भूगोल का हिन्दी के पाठकों तक विस्तार होता है। विभिन्न शैलियों का आदान -प्रदान होता है और इस प्रकार हिंदी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब होती दिखती है ।
विदेश
वैसे विश्व के विभिन्न देशों में बसे अप्रवासी /प्रवासी भारतीय साहित्यकारों / चिट्ठाकारों / कवियों में - अमेरिका से- अंजना संधीर, अखिलेश सिन्हा,अचला दीपक कुमार, डॉ अनिल प्रभा कुमार, डॉ. अमिता तिवारी, अनूप भार्गव, अरुण, कैलाश भटनागर, नीलम जैन, बिंदु भट्ट, मानोशी चैटर्जी , मैट रीक , राकेश खंडेलवाल , राजीव रत्न पराशर , राधेकांत दवे , रानी पात्रिक , डॉ राम गुप्ता , प्रो. रामनाथ शर्मा , रूपहंस हबीब , रेनू गुप्ता , लावण्या शाह , विजय ठाकुर , विनय बाजपेयी , श्रीकृष्ण माखीजा , स्वयम दत्ता , सरोज भटनागर , साहिल लखनवी , डॉ सुदर्शन प्रियदर्शिनी , सुभाष काक , सुरेंद्र नाथ तिवारी , सुरेंद्रनाथ मेहरोत्रा , डॉ सुषम बेदी , सौमित्र सक्सेना , हिम्मत मेहता , ऑस्ट्रेलिया से- ब्बास रज़ा अल्वी , अनिल वर्मा , ओमकृष्ण राहत , कैलाश भटनागर , राय कूकणा , रियाज़ शाह , शैलजा चंद्रा , सादिक आरिफ़ , सुभाष शर्मा , हरिहर झा , इंडोनेशिया से— अशोक गुप्ता , राजेश कुमार सिंह , ओमान से— रामकृष्ण द्विवेदी मधुकर, कुवैत से— दीपिका जोशी संध्या , कैनेडा से— अश्विन गांधी , चंद्र शेखर त्रिवेदी , पराशर गौड़ , भगवत शरण श्रीवास्तव शरण , भारतेंदु श्रीवास्तव , डॉ शैलजा सक्सेना , स्वप्न मंजूषा शैल , सुमन कुमार घई , जर्मनी से— अंशुमान अवस्थी , रजनीश कुमार गौड़ , विशाल मेहरा , जापान से— प्रो सुरेश ऋतुपर्ण , डेनमार्क से— चाँद हदियाबादी , दक्षिण अफ्रीका से— अमिताभ मित्रा , संतोष कुमार खरे , न्यूज़ीलैंड से— विजेंद्र सागर , नॉर्वे से— प्रभात कुमार , रंजना सोनी , सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक नीदरलैंड से— अंजल प्रकाश , बाहरीन से— डॉ परमजीत ओबेराय , ब्रिटेन से— डॉ. अजय त्रिपाठी , इंदुकांत शुक्ला , उषाराजे सक्सेना , उषा वर्मा , डॉ. कृष्ण कन्हैया , गौतम सचदेव , तेजेंद्र शर्मा , दिव्या माथुर , प्राण शर्मा , पुष्पा भार्गव , महावीर शर्मा , मोहन राणा , ललित मोहन जोशी , लालजी वर्मा , शैल अग्रवाल पोलैंड से— डॉ सुरेंद्र भूटानी , फ्रांस से— हंसराज सिंह वर्मा कल्पहंस , फ़ीजी— आलोक शर्मा , जय नन प्रसाद मॉरिशस— गुलशन सुखलाल , युगांडा से— डॉ भावना कुंअर , मनोज भावुक , रूस से— अनिल जनविजय, संयुक्त अरब इमारात से— अर्बुदा ओहरी, आरती पाल बघेल , कृष्ण बिहारी , चंद्रमोहन भंडारी , पूर्णिमा वर्मन मीनाक्षी धन्वंतरि , सिंगापुर से— अमरेंद्र नारायण , दीपक वाईकर , शार्दूला , शैलाभ शुभिशाम , सूरीनाम से— पुष्पिता , त्रिनिडाड से— आशा मोर आदि सर्वाधिक सक्रीय हैं ।
एक चिट्ठाकार की हैसियत से वर्ष -२००९ में सर्वाधिक सक्रीय रहे प्रवासी/ अप्रवासी चिट्ठाकारों में अग्रणी रहे श्री समीर लाल , राकेश खंडेलवाल , महावीर शर्मा , अनुराग शर्मा , राजेश दीपक आर सी मिश्र दिगम्बर नासवा babali जीतू , मीनाक्षी , देवी नागरानी , लावण्या शाह , आशा जोगलेकर , कविता वाचक्नवी Kavita Vachaknavee आदि ।
दूर देश में बसे चिट्ठाकारों में से श्री समीर लाल और श्री राकेश खंडेलवाल की चर्चा वर्ष के शीर्ष चिट्ठाकारों में तथा श्रीमती लावण्या शाह , देवी नागरानी , आशा जोगलेकर और कविता बचकनावी की चर्चा वर्ष के शीर्ष महिला चिट्ठाकारों में की जा चुकी है । शेष बचे चिट्ठाकारों में से वर्ष के तीन प्रखर चिट्ठाकारों का चयन किया गया है जो क्रमश: इस प्रकार है -
विश्लेषण के अंतर्गत इस श्रेणी के प्रथम चिट्ठाकार है श्री महावीर शर्मा । ब्लॉग है- महावीर । इस ब्लॉग पर चिट्ठाकार के द्वारा प्रतिष्ठित रचनाकारों की रचनाओं के साथ साथ नए रचनाकारों की रचनाएं प्रस्तुत की जाती है । वरिष्ठ रचनाकार श्री शर्मा का जन्म २० अप्रैल १९३३ को दिल्ली में हुआ । एम. ए. हिन्दी से लंदन यूनिवर्सिटी तथा ब्राइटन यूनिवर्सिटी में मॉडर्न गणित, ऑडियो विज़ुअल एड्स तथा कराने के साथ-साथ इन्होने उर्दू का भी अध्ययन किया है ।
अपने कार्यक्षेत्र के अंतर्गत इन्होने 1962 से 1964 तक स्व: श्री ढेबर भाई जी के प्रधानत्व में "भारतीय घुमंतू जन सेवक संघ" के अंतर्गत "राजस्थान रीजनल ऑर्गनाइज़र" के रूप में कार्य और 1965 में इंग्लैंड प्रस्थान करने के बाद से 1982 तक भारत, इंग्लैंड तथा नाइजीरिया में अध्यापन कार्य किया । 1992 में स्वैच्छिक पद से निवृत्ति के बाद लंदन ही इनका स्थाई निवास स्थान है। 1960 से 1964 तक की अवधि में इन्होने "महावीर यात्रिक" के नाम से कुछ हिंदी और उर्दू की मासिक तथा साप्ताहिक पत्रिकाओं में कविताएँ, कहानियाँ और लेख महावीर यात्रिक नाम से प्रकाशित किया । श्री महावीर शर्मा जी के अनुसार -"इंग्लैंड में आने के कुछ समय के पश्चात साहित्य से जुड़ी हुई कड़ी टूट गई थी, अब वह कड़ी फिर से जुड़ गई है।" ब्रिटेन के प्रवासी हिंदी लेखको में इस चिट्ठाकार का नाम बड़े अदब और सम्मान के साथ लिया जाता है ।
इस श्रेणी के दुसरे चिट्ठाकार हैं श्री अनुराग शर्मा । पिट्सबर्ग अमेरिका में रहने वाले भारतीय कवि - चिट्ठाकार श्री अनुराग शर्मा का नाम साहित्य जगत और नेट जगत में किसी परिचय का मोहताज नहीं है । श्री अनुराग अमेरिका में स्मार्ट इंडियन के नाम से विख्यात हैं । अनुराग शर्मा का ब्लॉग है -वर्ग वार्ता । यह ब्लॉग नेट की दुनिया में भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता दिखाई देता है । इनका दूसरा ब्लॉग है-
Pitt Audio - पिट ऑडियो और तीसरा ब्लॉग है - that's it जो सूचना तकनीक ब्लॉग, इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी, माइक्रोसॉफ्ट, प्रोग्रामिंग के साथ-साथ सी शार्प, विजुअल स्टूडियो, शेयरपॉइंट आदि की जानकारी उपलब्ध करता है । श्री अनुराग बहुचर्चित ब्लॉग - आवाज़ के भी टीम मेंबर हैं । अपने बारे में अनुराग कहते हैं , कि- पिट्सबर्ग में बैठकर हिन्दी में रोज़मर्रा की बातें लिखता हूँ। शायद उनमें से कुछ आपके काम आयेंगी और कुछ आपका दिन सार्थक करेंगी ।
Pitt Audio - पिट ऑडियो और तीसरा ब्लॉग है - that's it जो सूचना तकनीक ब्लॉग, इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी, माइक्रोसॉफ्ट, प्रोग्रामिंग के साथ-साथ सी शार्प, विजुअल स्टूडियो, शेयरपॉइंट आदि की जानकारी उपलब्ध करता है । श्री अनुराग बहुचर्चित ब्लॉग - आवाज़ के भी टीम मेंबर हैं । अपने बारे में अनुराग कहते हैं , कि- पिट्सबर्ग में बैठकर हिन्दी में रोज़मर्रा की बातें लिखता हूँ। शायद उनमें से कुछ आपके काम आयेंगी और कुछ आपका दिन सार्थक करेंगी ।
श्री अनुराग विज्ञान में स्नातक तथा आईटी प्रबंधन में स्नातकोत्तर हैं । एक बैंकर रह चुके हैं और वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका में एक चिकित्सा संस्था में इन्टरनेट ऍप्लिकेशन आकिर्टेक्ट हैं । उत्तरप्रदेश में जन्मे अनुराग भारत के विभिन्न राज्यों में रह चुके हैं । फिलहाल सपरिवार पिट्सबर्ग में रहते हैं। लिखना, पढ़ना, बात करना यानी सामाजिक संवाद उनकी हॉबी है । शायद इसीलिए वे कविता, कहानी, लेख आदि विधाओं में सतत् लिखते रहे हैं । इस प्रखर चिट्ठाकार को मेरी अनंत आत्मिक शुभकामनाएं ।
इस श्रेणी के तीसरे किंतु अति महत्वपूर्ण चिट्ठाकार हैं - श्री जीतू । वतन से दूर, वतन की बातें, एक हिन्दुस्तानी की जुबां से…अपनी बोली में लिखने वाले जीतू का ब्लॉग है - मेरा पन्ना । यह ब्लॉग हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित ब्लॉग की श्रेणी में अग्रणी है । कानपुर का यह चिट्ठाकार कुबैत जाकर भी कानपुर को ही जीता है , कानपुर को ही महसूस करता है और कानपुर की स्मृतियों में खोकर अपने लेखन को धार देता है । वकौल जीतू-बचपन बीता कानपुर मे……।कई कई बार शहर से थोड़े थोड़े समय के लिये दूर हुए।लेकिन हर दूरी मे शहर से प्यार बढता गया, दीवानगी की हद तक । मै हिन्दी, उर्दू,अंग्रेजी, सिन्धी, पंजाबी,अरबी और फ्रेंच भाषायें बोल लेता हूँ, लेकिन मेरे को हिन्दी भाषा सबसे अच्छी लगती है । जिन्दगी मे काफी उतार चढाव देखे……अपनों को बदलते देखा, गैरों को हाथ बढाते देखा…शायद यही दुनिया है । ब्लाग लिखने का मकसद, लोगों तक अपने विचार पहुँचाना और लोगो के विचारों तक पहुँचना , ब्लाग लिखने के लिये कभी भी ड्राफ्ट का प्रयोग नही किया, जो जी मे आया लिख दिया, हालांकि बाद मे कई बार लगा, कि इससे भी बेहतर लिखा जा सकता था......आस पास की सबसे बड़ी उपलब्धि-हिन्दी ब्लागजगत के साथियों का सानिध्य पाना ,सपने देखना बहुत पसन्द है, खासकर पिछली जिन्दगी से मुत्तालिक……
एक प्रवासी की इस डायरी में आपको वह सबकुछ मिलेगा जो आप रोजमर्रा की जिंदगी में महसूस करते हैं यानी माटी की गंध महसूस करता है जीतू का यह ब्लॉग ।
जीतू के इस ब्लॉग की रैंकिंग संवंधी चर्चा पूर्व में की जा चुकी है इसी विश्लेषण के अंतर्गत , इसलिए यहाँ पुन: प्रस्तुत करने का कोई अभिप्राय नही रह जाता । ब्लॉग और ब्लोगर को मेरी अनंत आत्मिक शुभकामनाएं !
बने रहिये परिकल्पना के साथ , चर्चा अभी जारी है ...!
yah ek badaa kaam kar diya aapane. duniya me faile huye bharteeyon ke blogo ka pata mil gaya. link bhi mil gaya. click karo aur un tak pahunc h jao. dhanyvad, badhai.ab in sabase judane ka ek sundar avasar mila hai.
जवाब देंहटाएंवर्ष-२००९ के त्रिमूर्ति यानि वर्ष के प्रखर प्रवासी/ अप्रवासी भारतीय चिट्ठाकारों को ढेर सारी बधाईयाँ .....
जवाब देंहटाएंगागर में सागर भर दिया आपने। बधाई।
जवाब देंहटाएं------------------
ये तो बहुत ही आसान पहेली है?
धरती का हर बाशिंदा महफ़ूज़ रहे, खुशहाल रहे।
सचमुच आप प्रणम्य हैं , आपने इस बार के विश्लेषण में वह बड़ा करा कर दिखाया है जो शायद आज तक हिंदी ब्लॉग जगत में किसी ने नहीं किया होगा ...आपका यह अवदान नि:संदेह प्रशंसनीय है ...आपका आभार!
जवाब देंहटाएंइटली के चिट्ठेकार सुनील दीपक से तथा उनके चिट्ठे ’ जो न कह सके ’ से आपका तार्रुफ़ अब तक नहीं हुआ,यह ताज्जुब है । वे एक चित्र का चिट्ठा भी पेश करते हैं ।
जवाब देंहटाएंगजब का निरीक्षण !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक जानकारी पूर्ण आलेख प्रस्तुति ... आभार
जवाब देंहटाएंye to acchi baat hai,
जवाब देंहटाएंकितनी मेहनत, कितना समर्पण !
जवाब देंहटाएंबेहद उपयोगी व महत्वपूर्ण है यह अंक । आभार ।
बहुत परिश्रम किया है आपने ये आँकडे इकठे करने मे । धन्यवाद इस जानकारी के लिये।
जवाब देंहटाएंश्रम साध्य विश्लेषण और उस विश्लेषण पर गज़ब का नियंत्रण ....बधाईयाँ !
जवाब देंहटाएंसच में बहुत परिश्रम किया है आपने, इस मह्त्वपूर्ण पोस्ट पर। पिछली पोस्ट्स जैसा
जवाब देंहटाएंबी एस पाबला
great analysis! naman aapko.
जवाब देंहटाएंमेहनत तो हुई है, पर हाल मे ही इटली से अमेरिका गये रामचंद्र मिश्र जी का भी नाम नदारत है।
जवाब देंहटाएंआप के श्रम ने हिन्दी ब्लाग जगत की महत्वपूर्ण समीक्षा की है जो आगे मील का पत्थर साबित होने वाली है।
जवाब देंहटाएंअपने पाठक को बहुमूल्य सूचना संसार दिया है।
जवाब देंहटाएंशानदार विश्लेषण प्रवासी/ अप्रवासी भारतीय चिट्ठाकारों का.बहुत आनन्द आया.
जवाब देंहटाएंइति ब्राह्मण: कथा अस्ति !!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा.........सबको मेरी शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंइतने विस्तृत और सुचारू ब्लॉग-विश्लेषण के लिए बधाई. आदरणीय महावीर जी जैसे साहित्यकार और जीतू जी जैसे महारथी ब्लोगर के साथ अपना ज़िक्र भी पाकर धन्य महसूस कर रहा हूँ.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं!
बहुत आभारी हूँ जी ....आपने मेरा नाम प्रमुख महिला अप्रवासी चिठ्ठाकारों में शामिल किया है
जवाब देंहटाएंआज ही इस अथक परिश्रम से एकत्रित किये ब्लॉग प्रविष्टी पर ध्यान गया है
विनीत,
- लावण्या
आपके द्वारा जुटाई और लुटाई गयी इस बहुमूल्य जानकारी के लिये आभार शब्द बहुत हल्का प्रतीत होता है. आपकी अनुमति हो तो चिट्ठा जगत के सितारों को क्रमशः दिव्य नर्मदा पर आपके सौजन्य उल्लेख सहित प्रस्तुत करूँ.
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