पहले स्थान पर है-रवीश कुमार का कस्बा qasba
यह एऩडीटीवी के रवीश कुमार का निजी चिट्ठा है । ये अपनी ज़िन्दगी के वाकयों, सामयिक विषयों व साहित्य पर खुलकर चर्चा करते हैं । अपने ब्लॉग के बारे में रबीश कुमार का कहना है कि –“हर वक्त कई चीज़ें करने का मन करता है। हर वक्त कुछ नहीं करने का मन करता है। ज़िंदगी के प्रति एक गंभीर इंसान हूं। पर खुद के प्रति गंभीर नहीं हूं। मैं बोलने को लिखने से ज़्यादा महत्वपूर्ण मानता हूं क्योंकि यही मेरा पेशा भी है। इस ब्लाग में जो कुछ भी लिखता हूं वो मेरे व्यक्तिगत विचार है। यहां लिखी गई बातों को मेरे काम से जोड़ कर न देखा जाए। “
इनके विषय में रवि रतलामी का कहना है कि “चिट्ठाकारी ने लेखकों को जन्म दिया है तो विषयों को भी। आप अपने फ्रिज पर भी लिख सकते हैं और दिल्ली के सड़कों के जाम पर भी। नई सड़क पर रवीश ने बहुत से नए विषयों पर नए अंदाज में लिखा है और ऐसा लिखा है कि प्रिंट मीडिया के अच्छे से अच्छे लेख सामने टिक ही नहीं पाएँ। हिन्दी चिट्ठाकारी को नई दिशा की और मोड़ने का काम नई सड़क के जिम्मे भले ही न हो, मगर उसने नई दिशा की ओर इंगित तो किया ही है।”
इस क्रम में दूसरे स्थान पर हैं -पुण्य प्रसून बाजपेयी
ये न्यूज़ (भारत का पहला समाचार और समसामयिक चैनल) में प्राइम टाइम एंकर और सम्पादक हैं। इनके पास प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 20 साल से ज़्यादा का अनुभव है। ये देश के इकलौते ऐसे पत्रकार हैं, जिन्हें टीवी पत्रकारिता में बेहतरीन कार्य के लिए वर्ष 2005 का ‘इंडियन एक्सप्रेस गोयनका अवार्ड फ़ॉर एक्सिलेंस’ और प्रिंट मीडिया में बेहतरीन रिपोर्ट के लिए 2007 का रामनाथ गोयनका अवॉर्ड मिला।
इस क्रम का तीसरा चिटठा हैं -आलोक पुराणिक की अगड़म बगड़म
अगड़म बगड़म वाले आलोक पुराणिक वरिष्ठ लेखक तथा व्यंग्यकार हैं। इनके व्यंग्य कई पत्र-पत्रिकाओं में छपते हैं। इनके व्यंग्यों में वक्रता है, मारकता है। ये कभी हँसाते हैं, कभी गुदगुदाते हैं और कभी तीखा कटाक्ष करते हुए सोचने पर भी विवश करते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि बात को कहने का इनका अंदाज अनूठा है, इसीलिए ये पठनीय हैं। ये गंभीर से गंभीर मुद्दों को बड़े सहज ढंग से करते हुए गंभीर वहस को जन्म देने में माहिर हैं । चाहे वाह शेयर मार्केट से जुड़ा हो चाहे देश-विदेश से संवंधित हो हर विषय पर अपनी वेवाक टिपण्णी के लिए ये कफी मशहूर हैं ।
इस क्रम का चौथा चिटठा है- समाजवादी जनपरिषद
भारतीय चुनाव आयोग में पंजीकृत राजनैतिक दल का अधिकारिक चिट्ठा है यह । वैश्वीकरण विरोध तथा नई राजनैतिक व्यवस्था स्थापित करना इसका लक्ष्य है।लिंगराज,समता भवन,बरगढ़,उड़ीसा दल के राष्ट्रीय महासचिव हैं तथा सुनील,केसला,जि। होशंगाबाद , (म.प्र.) राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अफ़लातून तथा महामंत्री जयप्रकाश सिंह हैं ।
अफ़लातून जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता हैं, अध्येता हैं। वे महात्मा गांधी के निजी सचिव रहे महादेवभाई देसाई के पौत्र है। यह तथ्य सिर्फ उनके परिवेश और संस्कारों की जानकारी के लिए है। बनारस में रचे बसे हैं मगर विरासत में अपने पूरे कुनबे में समूचा हिन्दुस्तान समेट रखा है। ब्लाग दुनिया की वे नामचीन हस्ती हैं और एक साथ चार ब्लाग Anti MNC Forum शैशव समाजवादी जनपरिषद और यही है वो जगह भी चलाते हैं।
इस क्रम का पांचवा चिटठा है- मसिजीवी
यही चिटठा और चिट्ठाकार दोनों का नाम है, यानि दोनों है -मसिजीवी….किन्तु इनके अन्य व्यक्तिगत ब्लॉग है -रचनात्मक लेखन…..हिंदी ब्लॉग रिपोर्टर….लिंकित मन…आदि । इसके अलावा ये सबसे ज्यादा चर्चित हैं चिट्ठा चर्चा पर अपनी टिप्पणियों के कारण । ये अपने चिट्ठे पर केवल मुद्दों की ही बाते करते हैं । अपने स्वयं की बारे में ये कहते हैं कि- " ठेठ हिंदीवाला पढ़ने पढ़ाने लिखने और सोचने की अलावा कुछ सोचता तक नाही । "
इस क्रम के छठे चिट्ठाकार है- राजकुमार ग्वालानी
इनका मुद्दों पर आधारित ब्लॉग -राजतन्त्र इसी वर्ष अस्तित्व में आया और महज ११ महीनों में श्री राज कुमार ग्वालानी ने मुद्दों पर आधारित लगभग ३१९ पोस्ट लिख डाले । इनके लेख विषय परक होते हैं और बड़े सहज ढंग से मुद्दों को उठाते हुए सवाल छोड़ जाते हैं ।
ये पत्रकारिता सॆ करीब दो दशक से जुड़े हैं । वैसे इन्होने लंबे समय तक देश की कई पत्र-पत्रिकाऒ में हर विषय में लेख लिखे हैं। इन्होने दो बार उत्तर भारत की सायकल यात्रा भी की है। रायपुर कॆ प्रतिष्ठित समाचार पत्र देशबन्धु में 15 साल तक काम किया है। वर्तमान में ये रायपुर कॆ सबसे प्रतिष्ठित समाचार पत्र में एक पत्रकार कॆ रूप में काम कर रहे हैं ।
इस क्रम कॆ सातवें चिट्ठाकार हैं- प्रभात गोपाल झा
ये खुद अपनी ही तलाश में जुटे हैं । उन हजारों ब्लागरों की जमात में रहकर विचारों के प्रवाह को सही दिशा देना चाहते हैं , जो जाने-अनजाने ब्लाग की दुनिया में आने की गलती कर चुके हैं। बस अब खुद को बदलने का प्रयास है। अब ये खुद को उन आम ब्लागरों का हिस्सा मानते हैं , जिन्होंने हिन्दी में बात करने, लिखने और इसे आत्मसात करने की चेष्टा की है। आप दक्षिण भारतीय हैं या उत्तर भारत, इससे इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। आप इनके साथ दोस्त और सहभागी बनकर हिन्दी को आम आदमी की भाषा बनाने में सहयोग कर सकते हैं यानि इनके द्वारा खुद को तलाशने का अभियान जारी है।
मुद्दों पर आधारित इनका महत्वपूर्ण ब्लॉग है -आइये करें गपशप…..इसके अलावा ये सामुदायिक ब्लॉग-नुक्कड़ पर भी कभी-कभार दिखाई दे जाते हैं ।
इस क्रम का आठवा चिट्ठा है -डा महेश परिमल का संवेदनाओं के पंख
जीवन यात्रा जून 1957 से। भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती। हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएचडी। 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव। अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 700 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन। आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी। शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन। धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन। हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान। संप्रति भास्कर ग्रुप में अंशकालीन समीक्षक के रूप में कार्यरत्।
इस क्रम के नौवें चिट्ठाकार है - सुमन
यानि लोकसंघर्ष सुमन
बाराबंकी के रहने वाले सुमन स्वभाव से एक संघर्ष शील व्यक्तित्व के मालिक हैं । पेशे से वकील श्री सुमन का बहुचर्चित चिटठा है -लो क सं घ र्ष ! जिसपर केवल मुद्दों की ही बात होती है । चाहे वह मुद्दा सामाजिक हो , आर्थिक हो अथवा राजनैतिक । इनके शब्द वैश्विक मुद्दों को सरेआम करने में भी नही कांपते । ये स्वयं को लोकसंघर्ष कें आम से नवाजते हैं जो जन आकांक्षाओं के प्रति इनकी कटिबद्धता को प्रदर्शित करता है ।
लो क सं घ र्ष ! के अलावा इन्हें आप गंगा के करीब ….उल्टा तीर…..भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बाराबंकी…..ठेनेत्प्रेस.कॉम…..लोकसंघर्ष छाया….लोक वेब मीडिया…..हिन्दुस्तान का दर्द…..रंगकर्मी रंगकर्मी……भड़ास ब्लॉग….ब्लॉग मदद…..लखनऊ ब्लॉगर एसोसिएशन……कबीरा खडा़ बाज़ार में…आदि पर भी देख सकते हैं ।
इस क्रम की दसवीं महिला चिट्ठाकार हैं -अन्नू आनंद
ये देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र में वरिष्ठ पत्रकार हैं । प्रेस इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की पत्रिका विदुरा के पूर्व संपादक हैं । ये लगातार भारत की अग्रणी पत्र-पत्रिकाओं में अपने आलेख के माध्यम से अपनी सार्थक उपस्थिति रखती हैं । हिंदी पत्रकारिता में इनका २० वर्षों से ज्यादा का अनुभव है । सामयिक विषयों पर लिखने के लिए मशहूर सुश्री आनंद का हिंदी चिट्ठा है- अनसुनी आवाज
अनसुनी आवाज़ उन लोगों की आवाज़ है जो देश के दूर दराज़ के इलाकों में अपने छोटे छोटे प्रयासों के द्वारा अपने घर, परिवार समुदाय या समाज के विकास के लिए संघर्षरत हैं। देश के अलग अलग हिस्सों का दौरा करने के बाद लिखी साहस की इन कहानियों को इन्होने अख़बारों और इस ब्लॉग के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहती हैं ,क्योंकि ये खामोश योधाओं के अथक संघर्ष की वे कहानियाँ हैं जिनसे सबक लेकर थोड़े से साहस और परिश्रम से कहीं भी उम्मीद की एक नयी किरण जगाई जा सकती है।
चर्चा अभी जारी है मिलते हैं एक छोटे से विराम के बाद ...!
दशावतार के बारे मे जान कर बहुत अच्छा लगा सभी को बहुत्र बहुत बधाई। हैरान हूँ कि आपने इतनी जानकारी कितनी मेहनत से जुटाई है। धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंयह भी आवश्यक पहलू था जिसे शामिल कर उन लेखकों को आपने सम्मान दिया है जो हिंदी की सेवा कर रहे हैं और मुद्दों से अवगत करा रहे हैं ...यह बहुत बड़ी बात है ...ऐसे लोगों के अवदान को यह समाज कैसे भूल सकता है ....सभी को ढेर सारी बधाईयाँ .../
जवाब देंहटाएंaapne itana badaa kaam kar diya, jisko karana itana aasaan nahi hota. yah sab kaise kar liya aapne...? shramsaadhy tha yah sab, fir bhi kiya. aapka yah kaam sabit karta hai ki aap mehanati hai, nirmal man vale hai. paarakhi hai. badhai. shubhkamanye navvarsh ki.
जवाब देंहटाएंमुद्दों की बात में दृढता .. एक महत्वपूर्ण श्रेणी के अंदर इन दशावतारों की चर्चा उपयुक्त है .. सबों को बहुत बहुत शुभकामनाएं .. अगली कडी की प्रतीक्षा रहेगी !!
जवाब देंहटाएंदसों लब्ध प्रतिष्ठित चिट्ठाकारों को बधाईयाँ और
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं ..../
सभी बहुत बेहतरीन लिखते हैं शुभकामनाएं ....शुक्रिया
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लोगिंग के सबसे बड़े स्तंभ तो आप हैं प्रभात जी , कोई माने या न माने मगर यही सच है और इस सच को नकारा नहीं जा सकता ...वैसे सभी दासों चिट्ठाकारों का योगदान बहुत बहुत प्रशंसनीय है सभी को बधाई .
जवाब देंहटाएंइस सारे विमर्श के पीछे आपका अनथक प्रयास झलकता है .साधुवाद
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति।आभार।
जवाब देंहटाएंइनके साथ साथ आपको भी बधाईयाँ और शुभकामनाएं ....
जवाब देंहटाएंसभी दशावतारों को हमारी शुभकामनांए. आपके गंभीर विश्लेषण के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंआपकी इस सूची में अपने ब्लॉग को पाकर बहुत ही खुशी हुई । सविनय आभार,
जवाब देंहटाएंअफ़लातून
आपकी 'दशावतार-स्तुति' बहुत अच्छी लगी ! लेकिन एक बात और,
जवाब देंहटाएं"दीन सबन को लखत हैं, दीनहि लखय न कोय !
जे रहीम दीनहि लखय, दीनबंधु सम होय !!"
आज एक साथ ही आपकी कई पोस्टें पढ़ीं....
जवाब देंहटाएंकितना श्रम साध्य कृत्य निष्पादित कर रहे हैं आप...वाह !!!
आपका प्रयास अत्यंत सराहनीय है...
blogjagat ke mashoor das hastiyan ke baare me jaankari bahut badhiya lagi..bahut bahut aabhar
जवाब देंहटाएंआपने काफी मेहनत की है इस संकलन को तैयार करने में। इस सिलसिलेवार प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत श्रम से तैयार कर रहे हैं यह विश्लेषण श्रंखला। यह ऐतिहासिक है।
जवाब देंहटाएंरवीन्द्र जी
जवाब देंहटाएंहमारे ब्लाग को सम्मान देने के लिए हम आपके तहे दिल से आभारी हंै। हम आपकी मेहनत को सलाम करते हैं। हम ब्लागरों ने जो साल भर मेहनत की है, उससे कहीं ज्यादा मेहनत तो आपने ब्लागों का विश्लेषण करने में की है। साल भर ब्लागों में कौन कितना सक्रिय रहा इसका विश्लेषण तो साल भर अखबारों में क्या छपा से करना ज्यादा कठिन काम है, लेकिन इस काम को आपने इतने अच्छे अंदाज में किया है उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है। हम ब्लाग बिरादरी की तरफ से आपके इस कार्य को नमन करते हैं और आशा करते हैं ब्लाग बिरादरी पर आप इसी तरह से अपना प्यार और स्नेह सदा बरसाते रहेंगे।
अंत में आप और आपके परिवार को नववर्ष की सादर बधाई
रवीन्द्र जी,
जवाब देंहटाएंहम क्षमा चाहते हैं कि हमने आपकी यह पोस्ट आज नए साल में तब देखी है, जब यह हमारे ब्लाग के हवाले में जुड़ी है, इसीलिए अपनी टिप्पणी देने में विलंब हुआ है।