वाटिका पर पिछले वर्ष जैसी ताजगी नहीं दिखी । आनंद का चिटठा इस वर्ष भी अनियमित रहा । इस वर्ष जनवरी में रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति द्वारा एक नया ब्लॉग कोलाज लेकर लाया गया और २३ पोस्ट डाले गए । भोपाल कि पल्लवी त्रिवेदी ने अपने १४ पोस्ट के माध्यम से कुछ एहसास कराने की कोशिश की पर ब्लॉग को नियमित नहीं रख पायीं । कृष्णलाल कृष्ण ने इस वर्ष दर्पण के टुकडे से ७२ पोस्ट लिखे मगर पिछले वर्ष की तरह पोस्ट का शतक बनाने से वंचित रह गए । दाल रोटी चावल ने पूरे वर्ष केवल ३३ पोस्ट ही परोसे जबकि पिछले वर्ष इस ब्लॉग पर १०० से ज्यादा पोस्ट डाले गए थे । इस वर्ष अंतर्जाल पर बाग्विलाश नहीं हो सका , केवल ४ पोस्ट ही देखने को मिले हैं । संवाद घर में पिछले वर्ष केवल १० बार ही संवाद कि स्थित बनी थी , मगर इस बार संजय ग्रोबर पोस्ट का अर्द्ध शतक लगाने में कामयाब रहे । कवि कुलवंत के गीत सुनहरे खूब गाये इस बार । सुनीता शानू का मन पखेरू फ़िर उड़ चला इस बार मगर सुन्दर और सारगर्भित अभिव्यक्ति के संग बना रहा वर्ष भर । २६ पोस्ट के साथ कबीर खड़ा रहा बाज़ार में । पंकज नारायण ने इस वर्ष केवल ०६ पोस्ट ही दिए । परमजीत बाली पिछले वर्ष पोस्ट का अर्द्ध शतक लगाने में किसी भी तरह कामयाब तो हो गए थे मगर इस वर्ष ०४ पोस्ट से चूक गए ।
हिंदी कुञ्ज ने बाबा नागार्जुन पर बहुत ही सुन्दर आलेख प्रकाशित किये । वर्ष-२००८ में १०३ पोस्ट के साथ धमाकेदार शुरुआत करने वाला ब्लॉग -ज्ञान दर्पण ने इस वर्ष १५७ पोस्ट के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में अपनी सार्थक उपस्थिति का बोध कराया । आधुनिक रचनाशीलता पर केन्दित विशिष्ट संचयन यानि लखनऊ से प्रकाशित तद्भव का १९ वाँ अंक जनवरी में आया किन्तु उसके बाद अभी तक अन्य कोई अंक नहीं आया इस वर्ष ।
Time Loss : समय नष्ट करने का एक भ्रष्ट साधन पर फरवरी में प्रकाशित एक पोस्ट बना कीर्तिमान समीर लाल जी शीर्ष पर, हम भी बने सात हजारी ब्लागर के माध्यम से श्री परमेन्द्र प्रताप सिंह ने यह रहस्योद्घाटन करते हुए अवगत कराया था कि मुझे आज ही पता चला कि हम सात हजारी ब्लागर हो गये, अभी तक बहुत कम ही सात हजारी बलागर देखने को मिले है। आज समीर जी के ब्लाग टिप्पणियों में से सात हजारी ब्लागर खोजे तो कुछ मिल ही गये, जिनके नाम छूट गये हो भाई माफ करना।सर्वश्री Sanjeet Tripathi, संजय बेंगाणी, Udan Tashtari, ज्ञानदत्त पाण्डेय आदि प्रमुख हिन्दी ब्लागर है जिनके प्रोफाईल विजिटरों की संख्या 7000 या उपर रही।
शाश्वत सत्य और शब्द-शब्द अनमोल लगातार पूरे वर्ष भर अनियमित रहा । बसंत आर्य ने फिर इस वर्ष खुलकर ठहाका नहीं लगाया । पिछले वर्ष एक उद्देश्यपूर्ण पहल करते हुए माला ने मेरा भारत महान का जय घोष किया था , किन्तु इस वर्ष इस बलोग कि अनियमितता के कारण उस उद्देश्य कि पूर्ती होती दिखाई नहीं दी । हम आशा करते हैं कि यह महत्वपूर्ण ब्लॉग अगले वर्ष अवश्य ताज़गी के साथ प्रकट हो । पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी बोल हल्ला के स्वर बुलंद रहे । राज यादव की विचारों की जमीं- Land of Thoughts पर कुछ अच्छे विचार पढ़ने को मिले हैं । जज्बात इस वर्ष अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करने में कामयाब रहा ।डा भावना कुंवर की अभिव्यक्ति दिल के दरमियाँ तक ही सिमित नहीं रही , वल्कि उनकी अभिव्यक्ति से हिंदी ब्लॉग जगत भी मुखातिब हुआ । रांची हल्ला ने भी इस वर्ष अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज करायी ।
आईये अब वर्ष के कुछ विवादित पोस्ट पर निगाह डालते हैं -
मसिजीवी के एक पोस्ट अपने बच्चे का मैला तो हमने भी कमाया है... शर्माजी जी इतनी नाराज क्यों हैं? पर तीखी प्रतिक्रिया आई अपना घर पर आभा की , कि तब तो हर स्त्री, हर पत्नी हर माँ वेश्या है मसिजीवी जी ।
मैं मूरख, तुम ज्ञानी पर प्रकाशित पोस्ट ब्लॉगवाणी करता है पक्षपात ख़ास ब्लोगरों के साथ: सबूत भी हैं । इस पोस्ट पर लगभग ९० प्रतिक्रया आई मगर अधिसंख्य पाठकों ने इसे ब्लॉग वाणी की स्वतंत्रता से जोड़कर देखा । सबने ब्लॉग वाणी पर उंगली उठाने को सही नहीं ठहराया और एक स्वर से इस विवादित टिपण्णी को ख़ारिज किया । ब्लॉग वाणी ने कुछ दिनों के उहापोह के बाद फिर से वापसी की घोषणा कर दी और चिट्ठाकारों के चहरे पर फिर से मुस्कराहट तैर गयी यह पोस्ट देखकर कि हिप-हिप हुर्रे.. ब्लॉगवाणी इज बैक ।
हिंदी ब्लॉग टिप्स ने इस वर्ष पाठकों का ध्यान आकर्षित किया इस पोस्ट के माध्यम से कि गूगल, यूं हिंदुस्तानियों के साथ खिलवाड़ न करो , जिसमें उन्होंने गूगल मैप के चीनी संस्करण की ओर ध्यान आकृष्ट कराया कि "अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कितने बड़े हिस्से को तुम चीन में दिखा रहे हो। और तो और ताइवान को भी तुमने चीन का हिस्सा दिखाया है। हिंदुस्तान का राष्ट्रीय राजमार्ग- 52 (असम से अरुणाचल प्रदेश जाने वाला) भी तुमने अटपटे तरीके से सीमा पर ले जाकर अधूरा छोड़ दिया है। " इस पर गूगल ने दिया जवाब, किया कूटनीति का खुलासा ।
मेरी दुनिया मेरे सपने पर सलीम खान से संवंधित विवादों के परिप्रेक्ष्य में यह खुलासा किया कि आप मानें या न मानें, सलीम खान का हृदय परिवर्तन हो चुका है। उन्होंने यह स्पष्ट करते हुए कहा कि स्वच्छ संदेश-हिन्दुस्तान की आवाज़’ वाले सलीम खान को लेकर बहुत कुछ लिखा गया है, उस लिखे में कितनी हकीकत थी और कितना फ़साना, यह आप सबको पता चल चुका है। पर इस सम्पूर्ण प्रकरण ने सलीम खान को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है और उन्होंने अपने आप को बदलने का फैसला ले लिया है।इस पर प्रतिक्रिया स्वरुप धनात्मक चिन्तन पर यह पोस्ट आया -जाकिर भाई सलीम के वकील है या जज ???
कुल मिलाकर यदि इन छुटपुट विवादों को छोड़ दिया जाये तो यह वर्ष हिंदी ब्लोगिंग के लिए काफी अच्छा रहा है । आशा की जा रही है कि नया वर्ष इससे और वेहतर होगा और नए वर्ष में हिंदी चिट्ठाकारी को नया आयाम प्राप्त होगा ।
यह विश्लेषण पूरी तरह से मानवीय विश्लेषण था , जिसमें त्रुटि संभव है ।मैंने पूरी तरह से ये कोशिश की है कि किसी की भावनाएं आहत न हो , किन्तु यदि मेरे इस विश्लेषण से किसी का दिल दुखा हो तो मैं ह्रदय से क्षमा प्रार्थी हूँ । इस विश्लेषण को यहीं विराम देते हैं , आप बताएं क्या कहता है आपका विश्लेषण ?
मेरे विचार में धार्मिक ब्लोग्स पर सबसे ज्यादा विवाद होता है. किन्तु यहाँ ऐसे किसी ब्लॉग की चर्चा नहीं है.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया विश्लेषण... आभार
जवाब देंहटाएंवाह जी बहुत मेहनत कर रहे हैं आप समुचित संकलनार्थ...
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लॉग जगत पर कमाल का निगाह रखा है आपने .. आपकी तरह निगाह रखूं .. तभी दोष निकाल सकती हूं .. पूरी श्रृंखला के हरेक लेख में हर ब्लॉग का आकलन मुझे सही लगा !!
जवाब देंहटाएंआज समीर जी के ब्लाग टिप्पणियों में से सात हजारी ब्लागर खोजे तो कुछ मिल ही गये, जिनके नाम छूट गये हो भाई माफ करना।
मेरा भी नाम छूट गया है .. बिल्कुल माफ कर दिया !!
बहुत ही सुन्दर, सटीक, प्रसंशनीय और विस्तृत विश्लेषण!
जवाब देंहटाएंचौबीस भागों के विस्तार में विश्लेषण करने के बहुत जोरदार परिश्रम किया है आपने! सभी सक्रिय ब्लॉग समा गये हैं इस विश्लेषन में। अत्यन्त सराहनीय कार्य!
आपने पहले ही कह दिया है की मानवीय विश्लेषण में त्रुटियाँ संभव है ...वैसे जो विश्लेषण अपने किया है वह आज तक किसी ने नहीं किया ...ऐसे में आपकी विनम्रता को केवल प्रणाम ही किया जा सकता है ...मेरे ब्लॉग पर आपकी टिपण्णी तथ्यात्मक है ...अगले वर्ष आपकी शिकायत का मौका नहीं डूंगे ...आपका आभार !
जवाब देंहटाएंaapane to mere aniyamit blog kee
जवाब देंहटाएंbhi charcha kar dee , sachmuch apakee vinamrata prashansniy hai !
अद्भुत और सुन्दर विस्श्लेशन कर रहे हैं आप । आपकी कर्मनिष्ठा को सलाम करना पडेगा कितनी पार्खी नज़र से सब न्लाग्ज़ को देखना बहुत कठिन काम है। बधाई और धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा .......... अच्छा इतिहास ..........
जवाब देंहटाएंमजेदार रही आपकी पूरी श्रंखला ,इस श्रंखला को एक इमानदार कोशिश की संज्ञा दी जा सकती है ...आपका आभार !
जवाब देंहटाएंits ok!
जवाब देंहटाएंवर्डप्रेस के चिट्ठाकारों के प्रोफ़ाइल विजिट कैसे ज्ञात हो ? पुरालेख का विजेट भी वर्डप्रेस में हमेशा पोस्ट संख्या नहीं देता ।
जवाब देंहटाएंहमने आप जैसा परिश्रम भरा अन्वेषण किया ही नहीं तब हमारे विश्लेषण की उम्मीद क्यों रख रहे हैं । ’परिकल्पना’ २००७ से काफ़ी समनुरूप चल रही है,पोस्ट संख्या की दृष्टि से ।
इस ऐतिहासिक ,’सनद रहे’ किस्म की पोस्ट-माला के लिए हार्दिक शुभ कामना ।
बढ़िया विश्लेषण... आभार!!!
जवाब देंहटाएंइस वर्ष में ब्लॉगजगत के बारे में बढ़िया जानकारी ..धन्यवाद जी
जवाब देंहटाएंबढ़िया विश्लेषण... अद्भुत...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत मेहन्त का काम कर रहे हैं आप्।
जवाब देंहटाएंkafi acha vishleshan. badhai..
जवाब देंहटाएंसुन्दर ढग से विवेचना करी आपने
जवाब देंहटाएंनि:संदेह, किस्तों में श्रमपूर्वक किया गया विश्लेषण तारीफ-ए-काबिल है।
जवाब देंहटाएंउपसंहार वाले पैराग्राफ के बाद तो कुछ कहा जाना ठीक नहीं :-)
बी एस पाबला
पुन: कहूंगा - बहुत श्रमसाध्य और बहुत स्तरीय कार्य।
जवाब देंहटाएंआपकी परिकल्पना मे गाहे बगाहे हमें भी योग् समझा गया उसके लिये अभार
जवाब देंहटाएंवकाई मेहनती और रिस्की काम है।
श्रम, नैरंतर्य की अपेक्षा रखने वाला अवलोकन, तटस्थ दृष्टि, सम्यक विश्लेषण आदि वैशिष्ट्य हैं इन प्रविष्टियों के । पूरा खाका खिंच गया ब्लॉग-जगत की हलचल का । आभार ।
जवाब देंहटाएंकितनी अथक मेहनत का फल है ये...उफ़्फ़्फ़!
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को नव वर्ष मंगलमय हो!
जवाब देंहटाएंकितनी मेहनत की है आपने , दंग रह गया मैं ये पढ़ कर ...
जवाब देंहटाएंअर्श