आज मैं एक सप्ताह बाद थाईलैंड की यात्रा से लौटा हूँ । यह यात्रा निश्चित रूप से सुखद और रोमांचक रही । पहली बार देश से बाहर थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित किसी अन्तराष्ट्रीय सम्मलेन में हिन्दी के चार ब्लॉगर एकसाथ सम्मानित हुए, जिसमें इस नाचीज , नुक्कड़ ब्लॉग की मॉडरेटर गीता श्री, कथा लेखिका अलका सैनी और उडिया भाषा के अनुवादक ब्लॉगर दिनेश कुमार माली प्रमुख थे ।
(वटवृक्ष के तृतीय अंक का लोकार्पण :वाएं से गीता श्री,रविन्द्र प्रभात,भास्कर भारत के संपादक
संदीप तिवारी,सुधीर सक्सेना,प्रमोद शर्मा,संतोष श्रीवास्तव और डा. प्रेम दुबे )
इस अवसर पर हिन्दी साहित्य को ब्लॉगिंग से जोड़ने वाली पत्रिका वटवृक्ष के तृतीय अंक का लोकार्पण भी हुआ,जिसमें मंचासीन रहे पत्रकार वो कवि सुधीर सक्सेना,आउट लुक पत्रिका की सह संपादक गीता श्री,नागपुर विवि के विभागाध्यक्ष, हिन्दी प्रमोद शर्मा, जनवादी आलोचक डॉ. प्रेम दुबे, पत्रकार संदीप शर्मा, कथाकार संतोष श्रीवास्तव,रवीन्द्र प्रभात आदि ।इसके बाद दिनेश कुमार माली की पुस्तक बंद दरवाजा (साहित्य अकादमी से सम्मानित ओडिया लेखिका सरोजिनी साहू के कथा संग्रह का हिन्दी अनुवाद) का भी विमोचन हुआ जिसमें मंचासीन रहे लेखिका गीताश्री, पत्रकार और कवि सुधीर सक्सेना, नागपुर विवि के विभागाध्यक्ष, हिन्दी प्रमोद शर्मा, जनवादी आलोचक डॉ. प्रेम दुबे, पत्रकार संदीप शर्मा, कथाकार संतोष श्रीवास्तव आदि ।(रवीन्द्र प्रभात का सम्मान: वाएं से पत्रकार संदीप तिवारी,पत्रकार और कवि सुधीर सक्सेना,
नागपुर विवि के विभागाध्यक्ष, हिन्दी प्रमोद शर्मा,
जनवादी आलोचक डॉ. प्रेम दुबे, पत्रकार संदीप शर्मा, कथाकार संतोष श्रीवास्तव )
दिनेश माली की पुस्तक बंद दरवाजा (साहित्य अकादमी से सम्मानित ओडिया लेखिका सरोजिनी साहू के कथा संग्रह का हिन्दी अनुवाद) का विमोचन करते हुए लेखिका गीताश्री, पत्रकार और कवि सुधीर सक्सेना, नागपुर विवि के विभागाध्यक्ष, हिन्दी प्रमोद शर्मा, जनवादी आलोचक डॉ. प्रेम दुबे, पत्रकार संदीप शर्मा, कथाकार संतोष श्रीवास्तव ।
उल्लेखनीय है कि साहित्य, संस्कृति और भाषा के लिए प्रतिबद्ध साहित्यिक संस्था (वेब पोर्टल )सृजन गाथा डॉट कॉम पिछले पाँच वर्षों से ऐसी युवा विभूतियों को सम्मानित कर रही है जो कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं । इसके अलावा वह तीन अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलनों का संयोजन भी कर चुकी है जिसका पिछला आयोजन मॉरीशस में किया गया था । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी और हिंदी-संस्कृति को प्रतिष्ठित करने के लिए संस्था द्वारा, किये जा रहे प्रयासों और पहलों के अनुक्रम में इस बार 15 से 21 दिसंबर तक थाईलैंड में चतुर्थ अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में हिंदी के आधिकारिक विद्वान, अध्यापक, लेखक, भाषाविद्, पत्रकार, टेक्नोक्रेट एवं अनेक हिंदी प्रचारकों ने भाग लिया । इस बार यह सम्मलेन सृजन सम्मान और वैभव प्रकाशन के बैनर तले संपन्न हुआ ।
(चर्चा सत्र के दौरान संस्कृतिकर्मी सुमीता केशवा ,दिनेश कुमार माली,
रवीन्द्र प्रभात,गीता श्री,अलका सैनीऔर संतोष श्रीवास्तव)
इस सम्मलेन के प्रमुख आकर्षण रहे छत्तीसगढ़ के सुपरिचित चित्रकार और कवि डॉ. जे.एस.बी.नायडू, जिनके चित्रों की प्रदर्शनी बैंकाक के कला प्रेमियों के लिए 16 दिसंबर से 20 दिसंबर तक लगी । यह प्रदर्शनी सृजनगाथा डॉट कॉम द्वारा आयोजित चतुर्थ अंतराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन के तत्वाधान में लगायी गयी। बैंकाक के प्रसिद्ध होटल फुरामा सिलोम में यह प्रदर्शनी आम लोगों के लिए उपलब्ध रही। प्रदर्शनी का उद्घाटन 16 दिसंबर को हुआ । उक्त अवसर पर उन्हें उनकी रचनात्मकता के लिए संस्था द्वारा सम्मानित भी किया गया । इससे पहले श्री नायडू की कई प्रदर्शनियाँ लग चुकी है।
(काव्य पाठ करते रवीन्द्र प्रभात,साथ में जय प्रकाश मानस,
सुधीर सक्सेना,दीवाकर भट्ट और संतोष श्रीवास्तव )
साथ ही सम्मलेन में आलेख वाचन, काव्य पाठ और हिन्दी के व्यापक प्रसार पर जहां खुलकर चर्चा हुई वहीँ बैंकाक, पटाया, कोहलर्न आईलैंड थाई कल्चरल शो, गोल्डन बुद्ध मंदिर, विश्व की सबसे बड़ी जैम गैलरी, सफारी वर्ल्ड आदि स्थलों का सांस्कृतिक पर्यटन का अवसर भी उपलब्ध हुआ । इस पूरी यात्रा के सूत्रधार रहे जय प्रकाश मानस जी और वैभव प्रकाशन वाले सुधीर शर्मा जी !इस यात्रा की सबसे बड़ी विशेषता रही भारतीय व्यंजनों को प्राथमिकता देना । आयोजक गण इसके लिए बधाई के पात्र हैं ।
पूरी यात्रा से संवंधित विवरण शीघ्र ही आपको परिकल्पना ब्लॉगोत्सव पर पढ़ने को मिलेगा ....आज बस इतना हीं ।
(थाईलैंड से लौटकर रवीन्द्र प्रभात )
हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई सर!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा यह सब जानकर
सादर
हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंसर,बहुत बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंआपको सम्मानित कर सम्मान स्वयं सम्मानित हुआ है सर !
जवाब देंहटाएंआपका यूँ हिन् मान बढ़ता रहे, शुभकामनाएं !
अच्छा लगा सुनकर, दूर देश में जाना और सम्मानित होकर आना ...अनेकानेक शुभकामनाएं आपके साथ साथ सभी को !
जवाब देंहटाएंबढ़ता रहे मान,होता रहे सम्मान ....आगे जहां और भी है ...फहराता रहे परचम ब्लॉगिंग का !
जवाब देंहटाएंरवीन्द्र जी बहुत-बहुत मुबारक हो। आपको विदेश मिला सम्मान तो पूरे देश का सम्मान है -गौरव है।
जवाब देंहटाएंसभी सम्मानीय जनो को ढेरों बधाई.
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंहार्दिक रवींद्र भाई. जीवंत रिपोर्टिंग हो गई, एक बार में ही बहुतसी जानकरियां मिल गयी. आनंद आ गया.बधाई इस यात्रा के लिए.
जवाब देंहटाएंचिट्ठाकारों और चिट्ठाकारी की जय विजय का एक सैकड़ों मील का पत्थर।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाइयाँ!
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया .. सबों को बधाई और शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंबधाई और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबधाई और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
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बहुत-बहुत बधाई के साथ शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंवाह जी बल्ले बल्ले
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बहुत बधाई ....
जवाब देंहटाएंथाईलैंड में चल-२ कर आपकी थाई वैसे भी काफी थक गयीं होगी तो आराम कीजिये फिर मिलते हैं एक अल्प विराम के बाद. वैसे आपकी यह पोस्ट मन को काफी भायी... शुभकामनाएं
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