बाराबंकी ! अधिवक्ता दिवस के अवसर पर आज दिनांक ०३.१२.२०११ को बाराबंकी स्थित जिला बार असोसिएशन के सभागार में पूर्व एम. एल.सी. एवं उत्तरप्रदेश अल्प संख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष गयासुद्दीन किदवई की अध्यक्षता में लखनऊ से प्रकाशित हिंदी की त्रैमासिक पत्रिका वटवृक्ष के तीसरे अंक का लोकार्पण समारोह संपन्न हुआ . इस अवसर पर बाराबंकी जिला बार असोसिएशन के अध्यक्ष ब्रिजेश कुमार दीक्षित,वटवृक्ष पत्रिका के प्रधान संपादक रवीन्द्र प्रभात, लोकसंघर्ष पत्रिका और वटवृक्ष के प्रबंध संपादक एडवोकेट रंधीर सिंह सुमन, पुष्पेन्द्र कुमार सिंह और अनेकानेक गणमान्य व्यक्ति की उपस्थिति रही.

वटवृक्ष के तीसरे अंक का लोकार्पण करते हुए पूर्व एम.एल.सी. गयासुद्दीन किदबई ने कहा कि वटवृक्ष एक ऐसी पत्रिका है जो हिंदी ब्लॉगिंग को साहित्य से जोड़ती है. हिंदी में ऐसा प्रयोग पहली बार हुआ है और मुझे ख़ुशी है कि यह प्रयोग तहजीब की नगरी लखनऊ से हुई है. रवीन्द्र प्रभात जी के बारे में बहुत सुन रखा था , आज मुलाक़ात भी हो गई. आज ऐसे उत्साही साहित्यकार की जरूरत है हिंदी को . मेरी शुभकामना है कि यह पत्रिका अन्तराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रभाषा हिंदी को आयामित ही न करे, अपितु उसे एक नयी ऊँचाई प्रदान करे .

 बाराबंकी जिला बार असोसिएशन के अध्यक्ष ब्रिजेश कुमार दीक्षित ने कहा कि वटवृक्ष वाकई बहुत सुन्दर और स्तरीय पत्रिका है. ब्लॉग लेखकों को प्रिंट में प्रतिष्ठापित करने की यह पहल सराहनीय ही नही प्रशंसनीय भी है.

 वटवृक्ष पत्रिका के प्रधान संपादक रवीन्द्र प्रभात ने इस अवसर पर कहा कि वटवृक्ष पत्रिका के प्रकाशन का उद्देश्य है अंतरजाल पर सक्रीय लेखकों को प्रिंट की मुख्यधारा में लाने का . हमारी पूरी टीम पत्रिका की गुणवत्ता को बनाए रखने में तत्पर है. यही कारण है कि यह पत्रिका अपने कलेवर और रचनाओं के उत्कृष्ट चयन के कारण पाठकों का ध्यान बरबस खीँच लेती है. सच कहूं तो यह पत्रिका नही आन्दोलन है विचारों का, अभियान है प्रतिबद्धताओं का और पहल है एक सुखद और सांस्कारिक सह अस्तित्व के निर्माण की . पत्रिका के प्रबंध संपादक एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा की वटवृक्ष हमारी प्रतिबद्धता से जुड़ा हुआ है और हम उन सभी का धन्यवाद ज्ञापन करते हैं जो हमारी प्रतिबद्धता से गहरे जुड़े हैं .इस अवसर पर वटवृक्ष की संपादक रश्मि प्रभा के सन्देश को भी सभा पटल पर रखा गया जिसमें उन्होंने कहा है की वटवृक्ष पत्रिका नहीं साहित्यकारों की आत्मा है .

9 comments:

  1. त्रैमासिक पत्रिका वटवृक्ष को शुभकामनाएँ

    Gyan Darpan
    .

    जवाब देंहटाएं
  2. त्रैमासिक पत्रिका वटवृक्ष के तीसरे लोकार्पण की हार्दिक शुभकामनाएँ ्।

    जवाब देंहटाएं
  3. वटवृक्ष के लोकार्पण पर बधाई। भविष्य में यह साहित्य का वटवृक्ष बने, यही कामना है॥

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत-बहुत बधाई के साथ शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

 
Top