कानजीलाल वर्सेस कजरीवाल ? O.M.G..!
प्यारे दोस्तों,
आपने फिल्म `ऑ..ह माय गॉड` देखी है? इस फिल्म में भगवान की सत्ता को ललकारने वाले `कानजी लालजी मेहता` नामक एक आम आदमी का किरदार (श्री परेश रावलजी) आपको याद है? हाँ, तब तो फिर, ये कानजीलाल के सारे संवाद भी याद होंगे..! पता नहीं क्यों, मुझे आम आदमी कजरीवाल के (MENGO PEOPLE ) मन की पीड़ा और ये कानजीलाल के मन की पीड़ा, एक जैसी लग रही है, आईए देख ही लेते हैं..!
(नोट- यह व्यंग आलेख सिर्फ मनोरंजन के उद्देश्य से लिखा गया है, किसी व्यक्ति-धर्म-पक्ष-परिवार-समाज से इसका कोई लेनादेना नहीं है - मार्कण्ड दवे ।)
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१. (वारासणी में चोर बाज़ार की अपनी दुकान के लिए होलसेल मूर्तियाँ ख़रीदते हुए ।)
कानजीलाल- " एक बड़े पेट वाले गणपति देना, एक ढाईसो वाले क्रिश्ना देना और आठ वो बोड़ी-बिल्डर हनुमान देना..! कितना हो गया? अब इतना लिया है तो फिर तीन सांईबाबा तो बोनस मिलेगा ना?"
/वर्सेस/
कजरीवाल- " एक राष्ट्रीय दामाद लपेट में लिया, एक कानून मंत्री भी निपटा लिया और विरोधी पार्टी का एक चिल्लर भी ढ़ेर हो गया..! टोटल तीन हो गया ? अब इतनी सारी मेहनत के बाद, हिलस्टेशन लवासा जाकर बोनस में और ग़हराई से तफ़तीश तो करनी पडेगी ना..!"
२. ( भगवान का अपमान करने पर अपनी पत्नी की आस्था का मज़ाक उड़ाते हुए ।)
कानजीलाल- "मुझे एक बात बता, पत्नी के उपवास रख़ने से पति के पाप कैसे धूल सकते हैं?"
/वर्सेस/
कजरीवाल- " मुझे एक बात बता, अन्ना-रामदेव के उपवास रखने से, इन बेईमानों का ह्यदय परिवर्तन कैसे हो सकता है?"
३. ( दहीं-हांडी कार्यक्रम में गोविंदा बने अपने बेटे से नाराज़ होकर ।)
कानजीलाल- "अ..रे..! मेरा बेटा ना गोविंदा बनेगा, ना चंकी पांडे बनेगा, बेवकूफ़..! मेरा बेटा बड़ा होकर क्रिकेटर बनेगा क्रिकेटर..समझी?"
/वर्सेस/
कजरीवाल- " मेरी पार्टी का कोई भी सदस्य ना लुच्चा बनेगा, ना लफ़ंगा बनेगा, ठग्गीजी.! मेरा हरेक साथी चुनाव जीत कर, देश के लिए एक मिसाल बनेगा मिसाल..समझे?"
४. (राजस्थानी ग्राहक को ठगने के आशय से ।)
कानजीलाल- " बद्रीनाथ में जब मंदिर बन रहा था ना तब ज़मीन फाड़कर ये मूर्ति प्रगट हुई थी..! द्वारिका के बहुत बड़े साधु जब पदयात्रा पर निकले थे तब मैंने उन्हें एक लोटा पानी पिलाया था बस, बदले में प्रसन्न हो कर उन्होंने मुझे ये मूर्ति दी और ये मूर्ति आते ही मेरा नसीब पलट गया ..!"
/वर्सेस/
कजरीवाल- " दिल्ली में जब भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन चल रहा था तब अन्नाजी के साथ मैं भी उसमें शामिल हुआ था बस, बदले में उनसे मतभेद के चलते मुझे ये प्रेरणा मिली (?) फिर, उन्होंने प्रसन्न हो कर मुझे आशिर्वाद दिया और उनसे अलग होते ही, इन भ्रष्ट मंत्रीओं का नसीब चौपट हुआ..!
५. (दहीं-हाँडी कार्यक्रम को रूकवाने के आशय से ।)
कानजीलाल- " सुनिए, सुनिए, सुनिए, शांत हो जाईए..शांत हो जाईए..! अभी-अभी धर्मधुरंधर सिद्धेश्वर महाराज ने ये बताया है कि, जगह-जगह दहीं-हांडी के कार्यक्रम में उमड़ी भीड़ को देख कर किशन-कन्हैया बहुत प्रसन्न हुए हैं और आज वो अपने भक्तों के हाथों से दूध और मक्खन खायेंगें..!"
/वर्सेस/
कजरीवाल- " सुनिए, सुनिए, सुनिए, शांत हो जाईए..शांत हो जाईए..! अभी-अभी अधर्म धुरंधर बे-असरकारी सूत्रों ने बताया है कि, जगह-जगह नाना प्रकार की समस्याओं के विरुद्ध चल रहे आंदोलनों में उमड़ी दुःखी भारी भीड़ को देख कर मनमोहन भगवान बहुत आहत हुए हैं और आज वो सभी भ्रष्ट मंत्रीओं को अपने हाथों से हथकड़ीयाँ पहना कर उन्हें जेल भेजेगें..!"
६. ( दहीं-हाँडी कार्यक्रम का कबाड़ा करने के बाद ।)
कानजीलाल- " भगवान का ड़र किसी ओर को दिखाना महाराज..! देखता हूँ, क्या करेगा भगवान..!"
/वर्सेस/
कजरीवाल- " मरने-मरवाने का ड़र किसी ओर को दिखाना न्यायमंत्रीजी..! देखता हूँ, आपके निर्वाचन क्षेत्र में जाने-आने पर क्या करेगें बलवान..!
७. (इन्श्योरेन्सवालों का क्लॅम पास करने से मना करने के बाद ।)
कानजीलाल- " हाँ, मेरे जैसे पचास कानजी के केस तो चल रहे होंगें, मगर तुम्हारे इस किशन पर तो किसीने केस नहीं किया होगा ना..! मैं तुम्हारे भगवान पर ही केस करूँगा..!
/वर्सेस/
कजरीवाल- " हाँ, मेरे जैसे पचासों NGO`S के केस भ्रष्ट मंत्रीओं पर चल रहे होंगे, मगर आजतक उनके दामादों पर तो किसीने ऊँगली नहीं उठाई होगी ना.! मैं इस देश के सब से बड़े दामाद पर ही ऊँगली उठाऊँगा..!"
८. (कॉर्ट रूम में अपना केस ख़ुद लड़ते हुए ।)
कानजीलाल-" दूसरा कोई रास्ता ही नहीं है..! मि. लॉर्ड, सारे के सारे वकील भगवान से ड़रे हुए हैं तो, मज़बूरी में ये केस अब मुझे ही लड़ना पड़ेगा..!"
/वर्सेस/
कजरीवाल- " दूसरा कोई रास्ता ही नहीं है, मि. जनता, सारे के सारे पक्ष-सांसद एक दूसरे से मिले हुए हैं तो फिर, मज़बूरी में सरकार की अक्ल अब मुझे ही ठिकाने लानी पड़ेगी ना..!
९. (कॉर्ट रूम ।)
कानजीलाल-" ये तो इन्स्योरन्सवालों ने कहा कि, भगवानने तुम्हारी दुकान गिराई है, भगवान से पैसा ले लो, इसीलिए मैंने ये केस किया है वर्ना हम तो धंधेवाले गुजराती लोग है, हमें इस झंझट में पड़ना ही नहीं है..!"
/वर्सेस/
कजरीवाल- " ये तो सरकार के सारे मंत्रीओ ने हमें बारबार उकसाया कि, सरकार की ख़ामीयाँ निकालना आसान है, एक बार राजनीति में आकर देखो, इसीलिए हम ने राजनीतिक दल बनाया है वर्ना, हम तो आम आदमी है, हमें इस झंझट में पड़ना ही नहीं है..!"
१०. (कॉर्ट रूम-"आई ऑब्जेक्ट मि.लॉर्ड, भगवान के सेवा कार्य को धंधा कह रहे हैं, मि.कानजी?)
कानजीलाल-" ये धंधा ही है मि.लॉर्ड..! जैसे म्यूज़ियम में मोम का पुतला दिखा कर पैसे लिए जाते हैं बस, वैसे ही ये लोग मंदिर में पत्थर का पुतला दिखा कर पैसे ले लेते हैं..! और, पुजारीओं की तो सैलरी भी होती है..! इनके धंधे में तो कभी रिशेसन (Recession = मूल्यपतन) भी नहीं आता..!"
/वर्सेस/
कजरीवाल- " ये सारे नेता लोग इसे धंधा ही मानते है..! पांच साल के बाद जैसे ही नया चुनाव आता है तुरंत, ये लोग जनता के सामने बड़े-बड़े झूठे वायदे दोहरा कर चुनाव जीत जाते हैं ..! और, सरकार से सैलेरी, जनता से रिश्वत, उद्योगपतिओं के साथ धंधा जमा कर, सब कुछ एक साथ लूटते हैं..! फिर, राजनीति के धंधे में तो कभी रिशेसन भी (मंदी) नहीं आता..!""
११.(कॉर्ट रूम- "लेकिन, मंदिर वाले आपको पैसा क्यूँ दे?")
कानजीलाल-" क्यों कि, मैंने मंदिरो में भी लाखों के प्रिमीयम भरे हैं..! ये देखिए, ये सारी रिसीप्ट, उस प्रिमीयम की है, जो मैं पिछले अठ्ठारह सालों से भरता आया हूँ..! मि.लॉर्ड, ये मस्जिद का चंदा, ये दरगाह की चद्दर, चर्च की कैंडल, फ़क़ीर की झोली, बाबा की अगरबत्ती, माँ की चूंदड़ी (चूनरी), टोटल दस-साढ़े दस लाख रूपया मैं सारी दुकानो में भर चुका हूँ..! मेरी सासुमाँ बीमार रहती थी तो मंदिर वालों ने कहा, ग्यारह हज़ार दो, पूजा कराओ..फिर देखो, पूजा कराई और सासुमाँ टपक गई..! चलो, वो तो अच्छा हुआ पर, ग्यारह हज़ार भी गए? ये लोग तो रिफंड भी नहीं देते..!"
/वर्सेस/
कजरीवाल- " उनको जवाब तो देना पड़ेगा क्यों कि, सरकार ने जनता से टैक्स वसूल किया है..! देखिये, आयकर, वेल्थ टैक्स, कैपिटल गेईन टैक्स, सेल्स टैक्स, सर्विस टैक्स, रोड टैक्स, वगैरह, वगैरह..! टोटल, आज़ादी से आजतक, इतने सालों में जनता ने करोड़ो-अरबों रूपया सरकारी दुकानों में (दफ़्तरों में) भरे हैं..! सरकार ने कहा था कि, इस टैक्स के बदले में आपके लिए आरामदायक सुख-सुविधा मुहैया कराई जाएगी पर, ये तो भ्रष्टाचार कर के सारे पैसे हज़म कर गये और पूछने पर जवाब देने के बजाय, हम पर लाठीयाँ बरसाते है?"
१२. ( कॉर्ट रूम- छोटी-छोटी बातों के लिए भगवान पर केस नहीं किया जाता । )
कानजीलाल-"मि.लॉर्ड, ये छोटी बात नहीं है । मुझे अगर न्याय नहीं मिला तो, मैं और मेरा परिवार रास्ते पर आ जायेंगें..! ये मंदिर वाले कहते हैं, श्रद्धा से दान दो, आप का कभी बुरा नहीं होगा और इन्स्योरन्स वाले कहते हैं, टाईम पर प्रिमीयम भरो, बुरा हुआ तो हम है ना..! तो मैंने तो दान भी दिया है और प्रिमीयम भी भरे हैं..! और आज दोनों के दोनों ने हाथ उपर कर लिए हैं ?"
/वर्सेस/
कजरीवाल- " ये छोटी-मोटी लूट नहीं है..! जनता को अगर न्याय नहीं मिलेगा तो सब के सब रास्ते पर उतर आयेगें..! चुनाव के वक़्त इन्हों ने ही कहा था कि, आप हमें वोट दो हम आप का कल्याण कर देगें..! अब भ्रष्टाचार करने के बाद कहते हैं कि, हमने कुछ ग़लत या बुरा काम किया है तो कॉर्ट में जाओ..! महँगाई और सरकारी टैक्स भरते-भरते हमारी जेबें ख़ाली हो गई है और इन्होंने हाथ उपर कर दिए है , हम कॉर्ट कैसे जाएं?"
१३.(कॉर्ट रूम के बाहर- एक्ट ऑफ गॉड के ४०० करोड़ के मुकद्दमे दायर होने के बाद ।)
कानजीभाई-" महाराज, ये तो सरकारी जगह है, यहाँ से तो सुरक्षित निकल जाओगे लेकिन, इन लोगों से मंदिरो में, मस्जिदों मे, गिरिजाघरों में, किस-किस से बचोगे?"
/वर्सेस/
कजरीवाल-" नेताजी, जब तक सरकारी गाड़ी और सुरक्षा साथ है, सुरक्षित रहोगे लेकिन, अगला चुनाव हार कर जब सारे देश में घूमोगे तब किस-किस से बचोगे?"
१४.( टीवी इंटरव्यू में ।)
कानजीलाल- " जिस तरह वो माफ़िया वाले गन दिखा कर ड़राते हैं, ये लोग भगवान दिखा कर ड़राते हैं..! आप के बच्चे की कुंडली मांगलिक है, उसे कालसर्प योग है, वगैरह..वगैरह..! क्या है ये, उसे साँस तो लेने दो ?
/वर्सेस/
कजरीवाल-" जिस तरह वो माफ़िया वाले गन दिखा कर ड़राते है, ये नेता लोग देशी-विदेशी विरोधीओं को दिखा कर हमें ड़राते हैं..! आप को आतंक से ख़तरा है, आप को विरोधी पार्टीओं की नीतिओं से ख़तरा है, वगैरह..वगैरह..! क्या है ये, हमें किसे वोट देना है, ख़ुद ही तय करने दो?"
१५.(टीवी इंटरव्यू में- आप के हिसाब से धर्म की परिभाषा क्या है, धर्म या मज़हब एक इन्सान की ज़िंदगी में क्या काम करता है ?)
कानजीलाल- " मैं समझता हूँ जहाँ धर्म है, वहाँ सत्य के लिए जगह नहीं है और जहाँ सत्य है, वहाँ धर्म की ज़रूरत ही नहीं है? मेरे हिसाब से तो धर्म एक ही काम करता है, या तो वो इन्सान को बेबस बनाता है या आतंकवादी..!"
/वर्सेस/
कजरीवाल-" मैं समझता हूँ, जहाँ किसी पद प्राप्ति की लालसा है, वहाँ देश की सेवा के लिए जगह नहीं है और जहाँ देश सेवा की भावना हैं, वहाँ सत्ता-लालसा की ज़रूरत ही नहीं है..! मेरे हिसाब से तो सत्ता-लालसा एक ही काम करती है, या तो वो लीडर को भ्रष्ट बनाती है या फिर, किसी पक्ष, परिवार या मंत्रीजी का चापलूस..!"
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ANY COMMENT, SIR?
मार्कण्ड दवे । दिनांकः२५--१०-२०१२.
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MARKAND DAVE
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