महिलायें,सचमुच में,होती है महान बड़ी,
पति का भी ख्याल रखे,बच्चे भी पाले है
कभी सूर्य चंदा बन,रास्ता दिखलाती,
अंधियारे जीवन में,करती उजियाले है
जीवन की उलझन के डोरे भी सुलझाती,
और कभी मनभावन ,डोरे भी डाले है
मुख पर मुस्कान लिए,ख्याल रखे है सब का,
दफ्तर भी जाती है,घर भी संभाले है
कभी सरस्वती है तो ,कभी रूप दुर्गा का,
कभी ज्ञान बाँटें है,कभी दुष्ट मारे है
नारी तो देवी है,नारी सा कोई नहीं,
वो घर की लक्ष्मी है,घर को सँवारे है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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