मीना कुमारी (1 अगस्त, 1932 - 31 मार्च, 1972) भारत की एक मशहूर अभिनेत्री थीं। इन्हें खासकर दुखांत फ़िल्म में उनकी यादगार भूमिकाओं के लिये याद किया जाता है। 1952 में प्रदर्शित हुई फिल्म बैजू बावरा से वे काफी वे काफी मशहूर हुईं।
मीना कुमारी का असली नाम माहजबीं बानो था और ये बंबई में पैदा हुई थीं । उनके पिता अली बक्श भी फिल्मों में और पारसी रंगमंच के एक मँजे हुये कलाकार थे और उन्होंने कुछ फिल्मों में संगीतकार का भी काम किया था। उनकी माँ प्रभावती देवी (बाद में इकबाल बानो),भी एक मशहूर नृत्यांगना और अदाकारा थी जिनका ताल्लुक टैगोर परिवार से था । माहजबीं ने पहली बार किसी फिल्म के लिये छह साल की उम्र में काम किया था। उनका नाम मीना कुमारी विजय भट्ट की खासी लोकप्रिय फिल्म बैजू बावरा पड़ा। मीना कुमारी की प्रारंभिक फिल्में ज्यादातर पौराणिक कथाओं पर आधारित थे। मीना कुमारी के आने के साथ भारतीय सिनेमा में नयी अभिनेत्रियों का एक खास दौर शुरु हुआ था जिसमें नरगिस, निम्मी, सुचित्रा सेन और नूतन शामिल थीं।
1953 तक मीना कुमारी की तीन सफल फिल्में आ चुकी थीं जिनमें : दायरा, दो बीघा ज़मीन और परिणीता शामिल थीं. परिणीता से मीना कुमारी के लिये एक नया युग शुरु हुआ। परिणीता में उनकी भूमिका ने भारतीय महिलाओं को खास प्रभावित किया था चूकि इस फिल्म में भारतीय नारियों के आम जिदगी की तकलीफ़ों का चित्रण करने की कोशिश की गयी थी। लेकिन इसी फिल्म की वजह से उनकी छवि सिर्फ़ दुखांत भूमिकाएँ करने वाले की होकर सीमित हो गयी। लेकिन ऐसा होने के बावज़ूद उनके अभिनय की खास शैली और मोहक आवाज़ का जादू भारतीय दर्शकों पर हमेशा छाया रहा।
मीना कुमारी की शादी मशहूर फिल्मकार कमाल अमरोही के साथ हुई जिन्होंने मीना कुमारी की कुछ मशहूर फिल्मों का निर्देशन किया था। लेकिन स्वछंद प्रवृति की मीना अमरोही से 1964 में अलग हो गयीं। उनकी फ़िल्म पाक़ीज़ा को और उसमें उनके रोल को आज भी सराहा जाता है । शर्मीली मीना के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वे कवियित्री भी थीं लेकिन कभी भी उन्होंने अपनी कवितायें छपवाने की कोशिश नहीं की। उनकी लिखी कुछ उर्दू की कवितायें नाज़ के नाम से बाद में छपी।
चलो दिलदार चलो, चाँद के पार चलो- फिल्म पाकीजा का यह गाना मीनाकुमारी की जिंदगी का ऐसा फलसफा है, जिसके रहस्य से चादर हटाई जाना अभी बाकी है। महज चालीस साल की उम्र में महजबीं उर्फ मीना कुमारी खुद-ब-खुद मौत के मुँह में चली गईं। इसके लिए मीना के इर्दगिर्द कुछ रिश्तेदार, कुछ चाहने वाले और कुछ उनकी दौलत पर नजर गढ़ाए वे लोग हैं, जिन्हें ट्रेजेडी क्वीन की अकाल मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
आइये एक लम्हा नज़्म का मीना कुमारी के साथ चलें -
मैं जो रास्ते पे चल पड़ी / मीना कुमारी
मैं जो रास्ते पे चल पड़ी
मुझे मंदिरों ने दी निदा
मुझे मस्जिदों ने दी सज़ा
मैं जो रास्ते पे चल पड़ी
मेरी साँस भी रुकती नहीं
मेरे पाँव भी थमते नहीं
मेरी आह भी गिरती नहीं
मेरे हात जो बड़ते नहीं
कि मैं रास्ते पे चल पड़ी
यह जो ज़ख़्म कि भरते नहीं
यही ग़म हैं जो मरते नहीं
इनसे मिली मुझको क़ज़ा
मुझे साहिलों ने दी सज़ा
कि मैं रास्ते पे चल पड़ी
सभी की आँखें सुर्ख़ हैं
सभी के चेहरे ज़र्द हैं
क्यों नक्शे पा आएं नज़र
यह तो रास्ते की ग़र्द हैं
मेरा दर्द कुछ ऐसे बहा
मेरा दम ही कुछ ऐसे रुका
मैं कि रास्ते पे चल पड़ी
मेरा माज़ी / मीना कुमारी
मेरा माज़ी
मेरी तन्हाई का ये अंधा शिगाफ़
ये के सांसों की तरह मेरे साथ चलता रहा
जो मेरी नब्ज़ की मानिन्द मेरे साथ जिया
जिसको आते हुए जाते हुए बेशुमार लम्हे
अपनी संगलाख़ उंगलियों से गहरा करते रहे, करते गये
किसी की ओक पा लेने को लहू बहता रहा
किसी को हम-नफ़स कहने की जुस्तुजू में रहा
कोई तो हो जो बेसाख़्ता इसको पहचाने
तड़प के पलटे, अचानक इसे पुकार उठे
मेरे हम-शाख़
मेरे हम-शाख़ मेरी उदासियों के हिस्सेदार
मेरे अधूरेपन के दोस्त
तमाम ज़ख्म जो तेरे हैं
मेरे दर्द तमाम
तेरी कराह का रिश्ता है मेरी आहों से
तू एक मस्जिद-ए-वीरां है, मैं तेरी अज़ान
अज़ान जो अपनी ही वीरानगी से टकरा कर
थकी छुपी हुई बेवा ज़मीं के दामन पर
पढ़े नमाज़ ख़ुदा जाने किसको सिजदा करे
चांद तन्हा है आसमां तन्हा / मीना कुमारी
चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा,
दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा
बुझ गई आस, छुप गया तारा,
थरथराता रहा धुआँ तन्हा
ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा
हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी,
दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा
जलती-बुझती-सी रोशनी के परे,
सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा।
उनके अभिनय की खास शैली और मोहक आवाज़ का जादू भारतीय दर्शकों पर हमेशा छाया रहा।
जवाब देंहटाएं... बिल्कुल सच
चयन एवं प्रस्तुति के लिये आभार
सादर
मीना कुमारी हिंदी फिल्मों की बेहतरीन अदाकारा थी। उनके जीवन के बारे में विस्तारपूर्वक और उनकी रचनाओं को यहाँ प्रस्तुत करने के लिए आपका बहुत - बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंनये लेख :- एक नया ब्लॉग एग्रीगेटर (संकलक) ; ब्लॉगवार्ता।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर विशेष : रमन प्रभाव।
मीना कुमारी जी रचनाओं को यहाँ प्रस्तुत करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार,,,
जवाब देंहटाएंRecent postकाव्यान्जलि: रंग,
अपने समय की बेहतरीन अदाकारा
जवाब देंहटाएंवक्त से पहले जिसे ग़म ने मारा ....
आभार!
ऐसी अदाकारा हजारों में एक ही होती हैं | श्रधांजलि |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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मीना कुमारी मेरी बचपन से पसंद थी और आज फिर से उनके बारे में पढ़कर बहुत अच्छा लग. वो शख्सियत जो जीवन भर सिर्फ प्यार के दो बोल के लिए तरसती रही , लोगों को बहुत कुछ बांटा उसने लेकिन खुद अधूरी सी असमय चली गयी .
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार !
मीना कुमारी ...यह नाम मेरी ज़िन्दगी से बहुत करीब से जुड़ा है ...वजह बहुत सी हैं..आज उनके बारे में पढ़कर अच्छा लगा ....
जवाब देंहटाएंमीना कुमारी जैसी अदाकारा का मिलना बहुत ही मुश्किल ही सिनेमा जगत को ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ...आभार ..
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