कल मैं लम्बी यात्रा पर था, रास्ते में देखा कि एक ट्रक खड्ड में गिरी है और उसके पीछे लिखा है - " हम सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं ।" मुझे बड़ी हंसी आई, मगर ट्रक पर लिखी उस उक्ति के कारण नहीं, बल्कि यात्रा के दौरान मोबाइल पर फेसबूक की एक टिप्पणी को पढ़कर ।
संतोष त्रिवेदी जी ने लिखा था कि "डायचे-वेले के ब्लॉगिंग सम्मान को लेकर कुछ लोग इत्ते उतावले हो रहे हैं कि चार लोगों के सहयोग से जर्मनी जाने से परहेज नहीं है। हमने तो अभी तक यही सुना था कि अंत समय में ही चार कांधों की ज़रूरत होती है .....!"
जैसे ही डायचे-वेले का प्रकरण आया है, मुझसे मेरे एक ब्लॉगर मित्र ने पूछा कि भैया जर्मनी तो कोई एक ही जाएगा न .... आप में इक्यावन लोगों की गुंजाइश है .....कब कर रहे हैं परिकल्पना सम्मान की घोषणा ?
मैंने कहा- भाई कहाँ डायचे-वेले का अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और कहाँ दो कौरी की परिकल्पना, सम्मान लेने के लिए भला अब कोई ब्लॉगर लखनऊ क्यों आयेगा ? जर्मनी क्यों नहीं जाएगा ?
मैंने तो सोचा था कि इस बार यदि कोई याद नहीं दिलाया तो सो जाऊंगा लंबी चादर तानकर, लेकिन क्या करूँ यह ब्लॉगजगत न तो ठीक से जगाने देता है और न ही सोने ही देता है । इतना कहना था कि उस ब्लॉग पंडित ने कृष्ण की तरह मेरे पुरुषार्थ को ललकारते हुये श्लोक ही बाँच डाला कि " उद्यमेन हि सिद्धयंति कार्याणि न मनोरथे: । नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृग : ॥"
फिर उन्होने मुझे समझाया कि ऐसे समय में जब हिन्दी ब्लॉगजगत का पूरा कुनबा "डायचे-वेले ब्लॉग फिक्सिंग" की खबरों को चटखारे लेकर सुनने मे व्यस्त है, धीरे से परिकल्पना सम्मान (तृतीय) के 51 नामितों की घोषणा कर ही दिया जाये। क्या पता पिछले वर्ष की तरह फिर कोई डिस्क्लेमर की नज़र लग जाये । अब भला किस-किस पर आप मुकदमा करते फिरोगे ? किस-किसको गला फाड़के स्पष्टीकरण देते फिरोगे भला ?
इतना सुनने के बाद मुर्दा भी उठकर खड़ा हो जाये, मैं तो भला जीवित जीव हूँ । मैंने कहा मित्र पिछली बार एक सज्जन ने यह कहकर उंगली उठाई थी कि दिल्ली और लखनऊ में होने वाले सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय कैसे हो गए ?
उनका आशय था कि भारत से बाहर होने वाला सम्मेलन ही अंतर्राष्ट्रीय होता है, इसलिए मैं इसबार कार्यक्रम दिल्ली, लखनऊ के बाद अब पटना या भोपाल में नहीं करूंगा ।
तो कहाँ करेंगे ? उन्होने भारी मन से पूछा । मैंने कहा विदेश में । इसपर उन्होने कहा "तब तो पासपोर्ट और वीजा का चक्कर लगेगा ?"
मैंने कहा उसकी जरूरत नहीं, क्योंकि काठमाण्डू के लिए पासपोर्ट और वीजा की जरूरत नहीं होती। काठमाण्डू का नाम सुनते ही उनके चेहरे खिल गए और मुस्कुराकर कहा "हाँ यह ठीक है ।''
तो चलिये काठमाण्डू चलने की तैयारी करते हैं, लेकिन इसबार एक दिवसीय नहीं, बल्कि तीन दिवसीय सम्मेलन में ।
इसके लिए एक सप्ताह के भीतर कमेटी मेम्बर की बैठक लखनऊ में होगी और 51 पुरस्कारों की घोषणा के साथ तय कार्यक्रमों को सार्वजनिक कर दिया जाएगा ।
क्या आप तैयार हैं काठमाण्डू चलने के लिए ?
...इस शुभ आयोजन की बधाई और शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएं.
.अब डायचे-वेले वाले थोड़ी-सी राहत महसूसेंगे !
परिकल्पना सम्मान (तृतीय)का आयोजन सफल हो इन्हीं शुभकामनाओं के साथ बहुत-बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंसादर
बधाई फिर एक नए पड़ाव के लिए ....
जवाब देंहटाएंबधाई हो!
जवाब देंहटाएंकार्यक्रम की सफलता के लिये ढेरों शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंकाठमान्ड़ू अरे तब तो बाइक से ही नेपाल यात्रा भी लगे हाथ हो जायेगी।
जवाब देंहटाएंलेकिन परिकल्पना के लिये तीन दिवस क्यों?
तीन दिवस का कार्यक्रम भी लगे हाथ बता देते।
जवाब देंहटाएंकार्यक्रम के सफल आयोजन के लिये अग्रिम शुभकामनायें एवँ बधाइयाँ !
जवाब देंहटाएंकाठमांडू ? ;) मौका तो नहीं गँवाना चाहूंगी
जवाब देंहटाएंसंदीप पँवार जी,
जवाब देंहटाएंअब भला काठमाण्डू जाएँ आप और कार्यक्रम में शामिल होकर लौट आयें । ये भी तो अच्छी बात नहीं एक-दो दिन पर्यटन का भी तो लाभ लिया जाये ?
shubhkamnayen......
जवाब देंहटाएंäap bulayen ham na aayen...
ye ho sakta hai kya :)
Ravindra Ji,
जवाब देंहटाएंLucknow aayojan ka maiN saakhsi rahaa hooN, kathmaandu Bhi jaroor aaunga, krupaya kaarykram ka vivaraN aur schedule jaroor jaldi se de Denve taaki plan kar sakooN.
Aayojan ke liye agrim badhaaiyaN aur shubhkaamnayeN...
शुभकामनायें आपके प्रयास सफल हों ...
जवाब देंहटाएं"डायचे-वेले के ब्लॉगिंग सम्मान को लेकर कुछ लोग इत्ते उतावले हो रहे हैं कि चार लोगों के सहयोग से जर्मनी जाने से परहेज नहीं है। हमने तो अभी तक यही सुना था कि अंत समय में ही चार कांधों की ज़रूरत होती है .....!"
जवाब देंहटाएंहमने भी कुछ यही सुना है, जय हो महामाई की!
हमारे लिए तो नेपाल ही जर्मनी है, ऐसा दिन न आए कि जीते जी चार काँधों की जरूरत पड़े....?
Hardik Shubhkamnayen.
जवाब देंहटाएंHardik Shubhkamnayen.
जवाब देंहटाएंRavindra Ji,
जवाब देंहटाएंLucknow ke safal aayojan ka saakshi rahaa hooN, Kaathmaandu bilkul aayenge Ji.
Sirf Schedule aur VivaraN jald se jald de deejiyega taaki plan kar sakooN.
Regards,
Mukesh K. Tiwari
रविन्द्र भाई हम भी जाने को तैयार हैं, जब "ब्लॉग जगत का आस्कर सम्मान" मिले और न जाएं ये नहीं हो सकता है। इसलिए अभी से दो स्पोंसर ढूंढ लेते हैं। आप जरा सम्मान की घोषणा वाली मेल भेजिए। :)
जवाब देंहटाएंपरिकल्पना सम्मान के नाम से तो सरकारी यात्रा अनुदान भी मिल सकता है। सायकिल वाले बाबा से बात करिए, सबके लिए फ़्री हो जाएगा। :)
जवाब देंहटाएंAaj tak ham kathmandu nahin jaa paaye,is mauke par ho legen! Ham sath rahengen!
जवाब देंहटाएंYah anouncement sunkar to kuchh logon kee chhati par saanp lot gaya hoga :-)
आशा बनी रहे अविनाश्
जवाब देंहटाएंउग आया फिर से प्रभात्
अधीर न हो अब रणधीर
मिटे जाए तुष्टि की पीर
अलिप्त कहाँ रह्ते अरविन्द
सन्तोष सुख की पाए निन्द
दोनो हाथ लुटाएँ लड्डु
चलो चलें अब काठ्माण्डू॥
ये कंधा लेने वाले का तो नाम पता चल गया, पर कंधा देने वाले कौन है? कहीं से उनका भी नाम खोज बीन के निकाले, तो पंचों को थोडी मौज आए!
जवाब देंहटाएंकार्यक्रम हेतु बधाई!
हार्दिक बधाई, हम भी आने की कोशिश करेंगे..
जवाब देंहटाएंसंतोष मिला-
जवाब देंहटाएंजियो जिला -
सुज्ञ जी,
जवाब देंहटाएंआपकी आशा और आपका विश्वास कायम रहेगा, क्योंकि डाईचे वेले की तरह यहाँ पर्मिशन लेकर पढ़ने वाले किसी ब्लॉग को या फिर गांधी के इस देश में हिंसा को बढ़ावा देने वाले किसी हलाल मीट को नामित
नहीं किया जाएगा। भारत गांधी का तो नेपाल बुद्ध का देश है, इस बात का ध्यान रखा जाएगा ।
बहुत बहुत आभार रविन्द्र जी,
जवाब देंहटाएंबस अहिंसक जीवन मूल्यों का संरक्षण होता रहे यही अपेक्षा रहेगी।
बधाई हो!
जवाब देंहटाएंकार्यक्रम की सफलता के लिए बहुत बहुत शुभ-कमाएँ ... मिलने मिलाने का सिलसिला यूं ही चलते रहना चाहिए ...
जवाब देंहटाएंसुन कर खुशी हुई। समारोह की सफलता के लिये शुभ कामनायें।
जवाब देंहटाएंsunkar prasannata hui , parikalpana ki safalta ke liye hardik shubhkamnaye
जवाब देंहटाएंकार्यक्रम की सफलता के लिए अनेकों शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंआपके प्रयास सफल हों -अग्रिम शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआयोजन की सफलता के लिए शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंइस कार्यक्रम के लिए अग्रिम शुभकामनाएं और बहुत बहुत बधाई हो आपको । सच कहा आपने हम एक सुनहरे भविष्य की ओर बढ रहे हैं और यूं ही उसी ओर अग्रसर रहना चाहिए । पुन: शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंहम सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं...... ?
जवाब देंहटाएंBILKUL.
समारोह की सफलता के लिये शुभ कामनायें।
जवाब देंहटाएंपरिकल्पना सम्मान (तृतीय)का आयोजन सफल हो इन्हीं शुभकामनाओं के साथ बहुत-बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंसादर
पुरस्कार और सम्मान में तो मेरा विश्वास नहीं है लेकिन आपको कार्यक्रम करने के लिए शुभकामनाए।
जवाब देंहटाएंवाह जी बहुत बढ़िया. इस बार भी सदा की ही तरह सफल हों, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंआप सभी की शुभकामनायें ही तो हमारी सफलता का संबल है काजल जी।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंकार्यक्रम की सफलता के लिये अग्रिम शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंसम्मान आयोजनों को लेकर कुछ शिकवे शिकायत रहते ही हैं लेकिन इसका ये अर्थ नहीं कि आलोचनात्मक सुझाव देने वाले विरोधी हैं। हर आयोजन में ढेरों परिश्रम होता है, कुछ कमियाँ भी होती हैं। परिकल्पना को दो कौड़ी का कम से कम मैं बिल्कुल नहीं मानता। किसी भी सम्मान समारोह में जाना फ़िलहाल संभव नहीं लगता लेकिन शुभकामनायें हमेशा उद्यमीजन के साथ रहती हैं। पहले भी थीं, अब भी हैं और आगे भी रहेंगी।
जवाब देंहटाएंआज की ब्लॉग बुलेटिन गुड ईवनिंग लीजिये पेश है आज शाम की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंगया ट्रक गड्ढे में या गई भैंस पानी में :-)
जवाब देंहटाएंवैसे हम तो तैयार है, अगर महीना सितंबर का ना हो तो
भैंस ????
हटाएंबहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंnice.........................................
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई और शुभकामनायें |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
मेरी ओर से भी आपको और आपकी पूरी टीम को कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिये अग्रिम शुभकामनायें एवँ बधाइयाँ !
जवाब देंहटाएंआपको अग्रिम शुभकामनाओं के साथ
जवाब देंहटाएंअपना स्थान सुरक्षित कराना चाहता हूं
दिल्ली की यादें अभी तक दिलो-दिमाग पर हैं. उसके बाद लखनऊ तो न आ सका था,मेरे पूज्य
स्व. जीजाश्री उस समय गम्भीर थे.
अब पूरी तैयारी रहेगी.. लाईव होगा सारा कार्यक्रम
बस नेट, पद्म सिंह, और एक पी.सी. वांछित होगा..
कब चलना है?
जवाब देंहटाएंजुलाई के सप्ताहांत में या फिर अगस्त के प्रथम सप्ताह की किसी तिथि में चलने की योजना है। आपस में राय-विमर्श हो जाये फिर सार्वजनिक करते हैं दिनेश जी ।
जवाब देंहटाएंकार्यक्रम की सफलता के लिये ढेरों शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंहिन्दी दिवस यानि 14 और 15 सितंबर की तिथि उपयुक्त है, बाकी और लोगों की भी राय ले ली जाये ।
जवाब देंहटाएंआयोजन की सफलता के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ....
जवाब देंहटाएंउउउउउउउउउउउउउउ शाब ज़ी :)
जवाब देंहटाएंस्विट्ज़रलैण्ड जाने की इच्छा है रविंद्र जी... किसी रोज़ परिकल्पना अवार्ड वहाँ करवाये तो और मज़ा आ जाये... वैसे काठमांडू भी विदेश ही है... घणी-घणी बधाई जी।
मिलेंगे-मिलेंगे:)
हटाएंइतनी शुभकामनाएं ......अब क्या कहें....
जवाब देंहटाएंपरिकल्पना सम्मान (तृतीय)का आयोजन सफल हो इन्हीं शुभकामनाओं के साथ बहुत-बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंअग्रिम शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंहमारी शुभकामनायें हमेशा आपके साथ हैं ...
जवाब देंहटाएंShubhkamnaye Ravindra ji aap Urjavan he badhai
जवाब देंहटाएंहिन्दी दिवस यानि 14 और 15 सितंबर की तिथि अतिउत्तम है। पढ़ने-पढ़ाने का सेशन हो तो मज़ा आ जाएगा। हम भी एक ठो व्यंग्य पढ़ने का मौका हथियाना चाहेंगे।
जवाब देंहटाएंअवश्य प्रमोद जी,
जवाब देंहटाएंइसबार समय ज्यादा मिलेगा,इसलिए पढ़ने-पढ़ाने का कार्यक्रम भी बन रहा है।इस बार हिन्दी के साथ-साथ अङ्ग्रेज़ी,नेपाली,मैथिली,अवधि,भोजपुरी,छतीसगढ़ी और नेवारी भाषा के ब्लॉगर को भी शामिल किए जाने की योजना है । साथ ही एक दिन पर्यटन का भी लाभ मिले ऐसी व्यवस्था की जा रही है ।
28 को कमेटी मेम्बर की लखनऊ में एक बैठक हो रही है जिसमें सभी बिन्दुओं पर विचार विमर्श होने की संभावना है। इस दिन प्रेस से मिलिये कार्यक्रम भी रखा जा रहा है । शीघ्र ही कार्यक्रम का विस्तृत व्योरा प्रस्तुत कर दिया जाएगा ।