वर्तमान नगरीय समाज बड़ी तेजी से बदल रहा है। इस परिवेश में सामाजिक संबंध सिकुड़ते जा रहे हैं । सामाजिक सरोकार से तो जैसे नाता ही खत्म हो गया है। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी एक अलग दुनिया है ,और वह किसी से कोई सरोकार नहीं रखना चाहता है । यह स्थिति केवल नगरों की नहीं ,छोटे शहर भी इससे अछूते नहीं हैं। इस स्थिति के लिए टी. वी. मोबाईल और अब कम्प्यूटर को दोषी माना जा रहा है। कुछ हद तक यह सही भी है। आज हर व्यक्ति अपना अधिक से अधिक समय स्क्रीन पर गुजरता है , फिर चाहे वह स्क्रीन मोबाईल की हो या कम्प्यूटर की। मगर इसका एक दूसरा पहलू भी है। और वह हमें सामाजिकता से जोड़ता है अंतर्जाल पर बहुत कुछ ऐसा है जो हमें सकारात्मकता की और ले जाता है। जैसे फेसबुक , ट्विटर ,ब्लॉग आदि इनके माध्यम से आज सम्पूर्ण विश्व एक हो गया है। यह विचारों के आदान प्रदान का बेहतरीन माध्यम है।
ब्लॉग इस समय जनसंचार का एक महत्वपर्ण माध्यम है। आज के समय में विचारों के त्वरित सम्प्रेषण का इससे अच्छा माध्यम नहीं है। यह सृजनात्मक साहित्य और सूचनात्मक विचार को सम्प्रेषित करने में अग्रसर है। विशेष रूप से पत्रकारिता के क्षेत्र में। किसी भी विषय और किसी से भी सम्बंधित विचार यहाँ पोस्ट किये जा सकते हैं। और इनका व्यापक प्रभाव भी पड़ता है। इस भीच घटित अनेक घटनाएं ऐसी हैं जो ब्लॉगर्स के कारण देश विदेश में न सिर्फ चर्चित हुईं बल्कि इससे एक जनमत भी उभर कर सामने आया। फिर वह चाहे अन्ना हजारे का आन्दोलन हो या फिर रामदेव बाबा की चाल या निर्मल बाबा की करतूतें ब्लॉगर्स ने इन मुद्दों को न सिर्फ उठाया बल्कि इनके अच्छे और बुरे पहलुओं पर अपना दृष्टिकोण भी स्पष्ट किया ,एक जनमत तैयार किया। कहने तात्पर्य यह है कि आज ब्लॉग सूचना प्रसार का एक सशक्त माध्यम बन चूका है ।ब्लॉग को एक खुले अखबार की संज्ञा दी जा सकती है। जिस तरह अखबार में विषय की कोई सीमा नहीं होती, ब्लॉग में भी विषय की कोई सीमा नहीं है। साहित्य, समाज राजनीति और व्यक्ति सब इसकी जद में हैं, कोई इससे बाहर या अछूता नहीं हैं। आज एक माह के बच्चे से लेकर पचहत्तर ,अस्सी वर्ष तक के ब्लोगर्स यहाँ मौजूद हैं जैसे - दर्श का कोना (६ माह के बच्चे का ब्लॉग है ) |यह अलग बात है कि इतने छोटे बच्चे लिख नहीं सकते , मगर बाल सुलभ भावनाएं वहाँ मौजूद हैं। और यही इस तरह के ब्लॉगस का उद्देश्य भी है। वृद्ध ग्राम - वृद्धों का ब्लॉग है यहाँ वृद्धावस्था के सभी रूप और उससे जुड़ी समस्याएं मौजूद हैं। आज यह कहा जा सकता है कि ब्लॉग में सम्पूर्ण विश्व समाहित है।
हिंदी बोल्गिंग को एक दशक हो गये। इस बीच इसका बहुत विकास हुआ है। आज इस दुनिया में एकल या व्यक्तिगत ब्लॉग के साथ - साथ सामूहिक ब्लॉग भी मौजूद हैं ,जो एक निश्चित उद्देश्य को लेकर गठित किते गये हैं। जैसे नुक्कड़ डाट कॉम,ब्लॉग संसार ,यहाँ हर विषय ,उम्र और रूचि के लोग अपने विचारों के साथ मौजूद हैं। यानि वर्तमान समाज और उसका हर पहलू इससे जुड़ा है। इतना ही नहीं इससे जुड़े लोग विचारों के साथ - साथ व्यक्तिगत और सामूहिक सम्पर्क भी रखते हैं। ब्लोगर्स मीट इसका उदाहरण हैं। यहाँ ब्लॉग जगत से सम्बंधित प्रश्नों पर विचार विमर्श भी किया जाता है। इन पश्नों को लेकर भी अनेक गोष्ठियां आयोजित की गई हैं। जिनमें ब्लॉग की तकनीकी, भाषायी,विषयगत और सामाजिक मुद्दों को उठाया को उठाया गया है।
यूँ तो ब्लॉग एक अख़बार की तरह होते ही होते हैं। अख़बार की ही तरह इसमें किसी भी विषय की जानकारी या सूचना पोस्ट की जा सकती है। मगर एक स्तर पर ये अखबार से बिल्कुल अलग हैं। और वह है प्रकाशन। यहाँ हर ब्लॉगर या चिट्ठाकार स्वयं लेखक, प्रकाशक और सम्पादक होता है। वह अपनी पोस्ट के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र होता है। हर ब्लॉगर की अपनी रूचि - अरुचि भी होती है। उसी के अनुसार वह अपने विषय भी चुनता है ,किन्तु ब्लॉग लेखक को सामाजिक सरोकार से भी जुड़ना चाहिए। जिस तरह समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी है , उसी तरह अपने ब्लॉग लेखन के प्रति भी हमारी जिम्मेदारी है। केवल लाइक या कमेन्ट पाना ही ब्लॉग का उद्देश्य नहीं होता। उससे भी बढकर होता है। मगर हर कोई यह बात नहीं समझता या समझना नहीं चाहता। उसी तरह जिस तरह समाज में हर व्यक्ति सामाजिक सरोकारों से नहीं जुड़ता। इसलिए जो सामाजिक सरोकारों से जुड़े हैं, उनकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। सुखद यह है कि सामाजिक सरोकार से जुड़े ब्लॉग हैं। चिकित्सा , शिक्षा ,राजनीति ,तकनीकी ,भाषायी, साहित्य ,और सामाजिक मुद्दे आदि इस ब्लॉग जगत में शामिल हैं। यह एक अच्छी स्थिति है। ब्लॉग के फायदे , उससे होने वाले नुकसान ,ब्लॉग कैसे बनाया जाय , एक अच्छा ब्लॉग क्या होता है ,जी मेल या अन्य एकाउंट कैसे बनाये जायें ,पासवर्ड की सुरक्षा कैसे की जाय ,यहाँ तक की ब्लॉग को सजाया सँवारा कैसे जाय, इसकी जानकारी भी अनेक ब्लॉगर्स समय- समय पर देते रहते हैं, जो नये ब्लॉगर्स के काम की जानकारियाँ हैं। इसके अतिरिक्त हिदी अनुवाद के तरीके , उसके लिए कौन सी की या तरीका इस्तेमाल किया जाय, आदि जानकारी भी ब्लॉग पर मिलती है।
पिछले दस वर्षों में हिंदी ब्लॉगिंग ने अनेक सोपान गढ़ें हैं। इसका क्षेत्र दिनोंदिन विस्तृत हुआ है। खासकर इससे महिलाओं का जुड़ना एक क्रांतिकारी घटना है। महिलाओं का अपना एक अलग संसार भी होता है। उनके अनुभव ,उनका दृष्टि कई मामलों में अलग होती है। सो महिलाओं के आने से चिठ्ठा जगत की विषय वस्तु तो समृद्ध हुई ही है ,साथ ही महिलाओं को भी अपनी अभिव्यक्ति का एक अच्छा माध्यम मिला है। एक ऐसा माध्यम जहाँ किसी की कोई दखल ,किसी का कोई दबाव नहीं है। जहाँ वे अपने आप को अभिव्यक्त कर सकती हैं। आज हर विषय पर महिलाएं अपने ब्लॉग के जरिये अपनी साझेदारी दे रही हैं। अधिकांश लोग यह सोचते हैं कि महिलाओं की ब्लॉगिंग सिर्फ साहित्य तक सीमित है ,मगर महिलाओं के साहित्येतर ब्लॉग इसका खंडन स्वयं कर देते हैं - सगीत , ज्योतिष ,यात्रा विवरण , सामाजिक और राजनैतिक विषयों से जुड़े ब्लॉग लेखन इसके प्रमाण है। कुछ ब्लॉगर के विषय देखिये - ज्योतिष - संगीता पुरी , यात्रा विवरण - ममता , संगीत - डा. राधिका उमोडक, सामाजिक और राजनैतिक मुद्दे - नीलम शुक्ला।
अतएव यह कहना कि महिलाओं का ब्लॉग लेखन का दायरा सीमित है पूर्वाग्रह से प्रेरित है। हाँ यह जरुर है कि पुरुषों की तुलना में महिला ब्लॉगर की संख्या कम है , इसके पीछे और दूसरे कारण हैं। भारत में महिलाएं घर ग्रहस्थी से समय नहीं निकाल पातीं और बहुतों के लिए कम्प्यूटर अभी दूर की दुनिया भी है। फिर भी स्थिति निराशा जनक कतई नहीं है।
ब्लॉग और साहित्य की बात की जाय तो , वर्तमान समय में अंतर्जाल के माध्यम से साहित्य का प्रसार बहुत सुगम हो गया है । न सिर्फ साहित्यकार फेसबुक और ब्लॉग के माध्यम से एक दूसरे से जुड़े हैं बल्कि प्रकाशक भी उनसे जुड़े हैं। आज दुनिया भर के साहित्कार एक मंच पर हैं। नये प्रकाशन की सूचना भी अब जल्दी मिलजाती है। बहुत से रचनाकारों की नई , पुरानी तमाम रचनाएँ उनके ब्लॉग या फेसबुक पर उपलब्ध हैं। कई वेब पत्रिकाएँ भी इस दिशा में सक्रिय हैं। ब्लॉग के माध्यम से साहित्य और अधिक समृद्ध हुआ है। और सबसे बड़ी बात यह कि प्रकाशन, सम्पादन कि कोई बंदिश भी नहीं है। अपनी प्रकाशित रचनाओं को भी यहाँ प्रकाशित किया जा सकता है। भारत का सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश बहुत व्यापक है। इसका लोक पक्ष भी बहुत समर्थ है। लोक साहित्य के विविध पक्षों को प्रस्तुत करने वाले अनेक ब्लॉग भी हैं जैसे- मनस्वी २ उर्मिला शुक्ल ,लोक साहित्य ,बैसवारी - संतोष त्रिवेदी ,लोक साहित्य डा. धर्मेन्द्र पारे। बहुत से लोक गायक और लोक कलाकार के अपने ब्लॉग भी हैं।
हिंदी साहित्य के अतिरिक्त ब्लॉग की दुनिया में उर्दू साहित्य का भी अपना अलग स्थान है। उर्दू साहित्य से जुड़े अनेक ब्लॉग हैं जहाँ फारसी लिपि में गजल , नज़्म ,और शेर तो देखे ही जा सकते हैं , इसके साथ - साथ अफसाने और तबसरा भी वहाँ मौजूद है। इसके अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओँ के ब्लॉग भी हैं जैसे - बंगला ,पंजाबी , ओड़िया गुजरती ,तमिल आदि।
हिदी के प्रचार प्रसार में ब्लॉग का योगदान कम नहीं है। इसके माध्यम से हिंदी और समृद्ध हुई है। साहित्य में रूचि रखने वाले हिंदी से इतर भाषाओँ के लोग भी ब्लॉग और फेसबुक से जुड़े हैं | यह एक सुखद स्थिति है कि साहित्य से दूरी बना कर रखने वाला युवा वर्ग भी अब साहित्य से जुड़ने लगा है और इसका श्रेय बहुत हद तक ब्लॉग को जाता है। हिंदी ब्लॉग की दुनिया से जुड़ने के लिए बहुत से लोगों ने हिंदी भी सीखी है। ये वो लोग हैं जो वेदेशों में जा बसे और वहाँ की भाषा और संस्कृति में रच बस गये , मगर अपना देश ,अपनी मिट्टी उन्हें अपनी और खींचती रहती है। वे अपने देश के बारे में जानने को बेचैन रहते हैं , समाचर पत्रों और न्यूज़ चैनल से मिली जानकारी उन्हें पर्याप्त नही लगती। ऐसे लोगों के लिए ब्लॉग एक ऐसा माध्यम है , जिससे वे अपने प्रदेश ही नहीं, पूरे देश के बारे में जान सकते हैं। और इसी उद्देश्य को लेकर वे ब्लॉग की दुनिया से जुड़ते हैं।लावण्या शाह इसी उद्देश्य को लेकर ब्लॉग जगत में शामिल हुईं हैं। उनकी तरह और भी लोग हैं, जिन्होंने हिंदी ब्लॉग जगत में शामिल होने के लिए हिंदी सीखी है।
ब्लॉग अभी व्यक्तिगत शौक तक सीमित है। इससे कोई आर्थिक लाभ नहीं है। कुछ लोग जरुर यह कह रहे हैं कि ब्लॉग और फेसबुक से आर्थिक लाभ भी हो सकता है। मगर कैसे ? अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। निकट भविष्य में यह संभव भी हो सकता है।
अतएव यह कहा जा सकता है कि आज के हमारे परिवेश में हिंदी ब्लॉग का एक अहम स्थान है। कुछ लोग इसे डायरी की तरह उपयोग में लाते हैं और रोजमर्रा की घटनाओं को अपने ब्लॉग में दर्ज करते हैं। और कुछ लोग इसे अपनी साहित्यिक ,सांस्कृतिक , राजनैतिक रुचियों के अनुसार उपयोग करते हैं। इस तरह ब्लॉग हमारे परिवेश में शामिल होकर उसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। आने वाले समय में इसका क्षेत्र और भी विस्तृत होगा। जैसा की माना जा रहा है कि निकट भविष्य में यह आर्थिक लाभ से जुड़ जाएगा ,ऐसी स्थिति में इसका उपयोग इतना बढ़ जाएगा कि इस पर शुल्क भी लिया जा सकता है। शुल्क की बात तो अभी से उठने लगी है। अतएव भविष्य में ब्लॉग और ब्लॉगर्स की संख्या और बढ़ेगी। इसके विषय क्षेत्र में भी और इजाफा होगा। और यह हमारे और हमारे समाज के लिए और उपयोगी बन जायेगा।
() डा. उर्मिला शुक्ल
सहा. प्राध्यापक हिंदी विभाग
शा. छत्तीसगढ़ महाविद्यालय, रायपुर
vistrat aalekh... hindi blogging ke baare me. :)
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जवाब देंहटाएंयह सच है की हम महिलाओं के लिए घर और दफ्तर के बीच लिखना मुश्किल है लेकिन यह देख मन को अच्छा लगता है कि लिखने से मन को एक तरह का सुकून मिलता है ...
आपने विभिन्न पहलुओं पर हिंदी ब्लॉग के बारे में उत्साहजनक विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की है इसके लिए आपका आभार!
बढ़िया जानकारी धन्यवाद
जवाब देंहटाएंwww.gyankablog.blogspot.com
थोड़े से ज्ञान के आधार पर, यह ब्लॉग मैं खुद लिख रहा हूँ, इसे और अच्छा बनाने के लिए तथा अधिकतम पाठकों तक पहुँचाने के लिए तकनीकी जानकारी प्रदान करने वालोंका आभारी रहूँगा।
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - बृहस्पतिवार- 26/03/2015 को
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः 44 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,
Nice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us. Latest Government Jobs.
जवाब देंहटाएंसामाजिक परिवेश क्या है?
जवाब देंहटाएंविस्तृत विवरण दे