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देह से परे मन की चाह देह से परे मन की चाह

इतिहास गवाह है  स्त्रियों की सहनशीलता  उन्हें दीवारों में चुनती गई है  या फिर अग्नि की समिधा बन गई है ....   रश्मि प्रभा...

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2:43 pm

उलझे,सुलझे आंखमिचौली खेलते एहसास उलझे,सुलझे आंखमिचौली खेलते एहसास

भावों का रेला जब उठता है तो  एक नहीं कई बार शब्द गम हो जाते हैं .... सिरहाने,दीवारों की पीछे,दाना चुगती चिड़िया की चोंच में  खिड़क...

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1:00 pm

सत्य का वीभत्स रस भी जीवन में होता है सत्य का वीभत्स रस भी जीवन में होता है

बहुत संभालकर पगडंडियां बनाई थीं  रास्तों में तब्दील करने से पहले  सारे कंकड़ बटोरे  पंथियों की थकान को  वृक्ष की छांव मिले  इस...

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10:00 am
 
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