हर्फ़ में जब तसब्बुर उतर जायेंगे ।
गीत तेरे उसी दिन संवर जायेंगे ।।
अपने दामन में भरने समंदर चलो -
वक़्त साहिल पे सारे गुजर जायेंगे ।।
मन से कोई तरन्नुम अगर छेड़ दो -
ज्वारभाटे दिलों में उत र जायेंगे ।।
खुलकर अकेले में जब भी हंसोगे -
अश्क सारे ग़मों के बिखर जायेंगे !!
अंग में अंग भर के कोई चूम ले -
जिस्म के पोर सारे सिहर जायेंगे ।।
लाख करले हिफाजत मगर ये "प्रभात" -
बक्त आएंगे जिसके वो मर जायेंगे ।।
यह ग़ज़ल माइकल जैक्सन की यादों को समर्पित है ......
() रवीन्द्र प्रभात
मन से कोई तरन्नुम अगर छेड़ देगा -
जवाब देंहटाएंज्वारभाटे दिलों में उतर जायेंगे
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तसव्वुर आपका तो मेरे भी दिल मे उतर गया
बहुत खूबसूरत रचना
बहुत सुन्दर जोरदार अभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंआपकी इस खुबसूरत ग़ज़ल को पढ़ने के बाद मेरी जुबान से इतना ही फूटा,
जवाब देंहटाएंबड़ा लगाव है उस शख्स से निगाहों को -
की जिसके गीत से रोशन हुए हैं हम ......
लाख करले हिफाजत मगर ये प्रभात -
जवाब देंहटाएंबक्त आएंगे जिसके वो मर जायेंगे
ये तो sachaai है जीवन की............ और आपने gazal में piro कर inko saarthak कर दिया है
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना!बधाई.
जवाब देंहटाएंआप तो लखनऊ वालों की शान हैं
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विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल , इस ग़ज़ल को मैं बार-बार पड़ती रही और इसका एक-एक हर्फ़ तसबुर में उतरता चला गया .....हमें गर्व है की हमारे बीच आप जैसे उम्दा गज़लकार हैं .....
जवाब देंहटाएंखुबसूरत ग़ज़ल,खुबसूरत ग़ज़ल...बधाई.
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