जैसा कि आप सभी को विदित है कि विगत वर्ष परिकल्पना पर ब्लॉगोंत्सव के नाम से एक सार्वजनिक उत्सव मनाया गया, जिसमें ३०० से ४०० के बीच हिंदी चिट्ठाकार शामिल हुए, उनमें से ५१ चिट्ठाकारों का चयन करते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया गया.....यह मेरी प्रतिबद्धता थी कि प्रत्येक वर्ग से मैं उन्हीं चिट्ठाकारों का चयन करूँ जो ब्लॉगोंत्सव में शामिल हुए हों, वही हुआ भी और चयनित ५१ चिट्ठाकारों को एक सार्वजनिक मंच से सारस्वत सम्मान किया गया, जो कहते हैं कि पारदर्शिता नहीं बरती गयी उन्हें निम्नलिखित लिंक पर गौर कर लेना चाहिए :
शुक्रवार, १२ मार्च २०१०
ब्लॉग उत्सव-2010 की परिकल्पना
बृहस्पतिवार, २५ मार्च २०१०
परिकल्पना ब्लॉग उत्सव-2010 की उद्घोषणा
शनिवार, ३ अप्रैल २०१०
परिकल्पना ब्लॉग उत्सव का आगाज १५ अप्रैल से (ये हैं वरिष्ठ लेखिका निर्मला कपिला जी)
शुक्रवार, ९ जुलाई २०१०
परिकल्पना सम्मान की उद्घोषणा १२ जुलाई से
(ये हैं अंतरजाल की मशहूर कवियित्री रश्मि प्रभा जी )
(ये हैं चर्चित लेखक प्रमोद ताम्बट )
(ये हैं गीतों की समर्पित साधिका संगीता स्वरुप )
( ये हैं देश की चर्चित चित्रकार अल्पना देशपांडे,
जिनका नाम लिमका बुक ऑफ वर्ल्ड रिकोर्ड में दर्ज है )
( ये हैं वरिष्ठ संस्मरण लेखिका शमा कश्यप )
( ये हैं हिंदी के चर्चित बाल साहित्यकार जाकिर अली )
( ये हैं छातिसगढ़ी लोक साहित्यकार संजीव तिवारी )
( ये हैं वरिष्ठ साहित्यकार डा. रूप चन्द्र शास्त्री मयंक )
(ये है हास्य-व्यंग्यकार राजिव तनेजा )
(ये हैं वरिष्ठ चिट्ठाकार जी के अवधिया )
(ये हैं चर्चित चिट्ठाकार ललित शर्मा ) ( ये हैं व्यंग्यकार अविनाश वाचस्पति, जो स्वयं अपना और डा. सुभाष राय जी का सम्मान ग्रहण कर रहे हैं )
(ये हैं एडवोकेट रंधीर सिंह सुमन )
( ये हैं धनवाद निवासी चर्चित महिला चिट्ठाकारा संगीता पुरी )
(ये हैं हर दिल अजीज चिट्ठाकार खुशदीप )
( ये हैं गिरीश बिल्लोरे मुकुल समीर लाल जी का सम्मान ग्रहण करते हुए )
ऐसे महत्वपूर्ण लेखकों व चिट्ठाकारों की सूची लंबी है जिसे आप निम्नलिखित लिंक पर जाकर देख -पढ़ सकते हैं, साथ ही मेरे, गिरिराज शरण अग्रवाल जी और अविनाश वाचस्पति जी की संयुक्त मंत्रणा के पश्चात १३ और चिट्ठाकारों के साम्मान की सहमति बनी जिन्हीनें हिंदी चिट्ठाकारी में बिभिन्न विषयों में विशेषज्ञता हासिल की है, यथा :
( ई-पंडित श्रीश शर्मा )
(ब्लॉग प्रहरी के संचालक कनिष्क कश्यप )
(हमारी वाणी के तकनीकी संपादक शाहनवाज़ )
( सामाजिक जनचेतना को ब्लॉगिंग से जोड़ने वाले जय कुमार झा )
(मीडिया सलाहकार अजय कुमार झा )
(तकनीकी विशेषज्ञ रविन्द्र पुंज )
(रतन सिंह शेखावत )
(गिरीश बिल्लोरे मुकुल )
(पद्म सिंह )
(ब्लॉग संरक्षक बी.एस. पावला )
(मीडिया में ब्लॉग की समीक्षा करने वाले ब्लॉगर अरविन्द श्रीवास्तव )
परिकल्पना सम्मान पाने वालों में और भी कई महत्वपूर्ण नाम है, जैसे रवि रतलामी, समीर लाल समीर, सरस्वती प्रसाद ,डा. सुभाष राय , शिखा वार्ष्णेय,राम त्यागी, दिगंबर नासवा,दीपक मशाल,सुमन सिन्हा,शास्त्री जे. सी. फिलिप, ज्ञान दत्त पाण्डेय, सिद्दार्थ शंकर त्रिपाठी, डा. अरविन्द मिश्र, मनोज कुमार,काव्य मजुषा अदा,प्रीति मेहता,रवि कान्त पाण्डेय, ओम आर्य आदि ....!
अब आप खुलकर बताएं कि क्या इनलोगों का हिंदी चिट्ठाकारी में कोई योगदान नहीं है ?
क्या ये सभी सम्मान के हक़दार नहीं हैं ?
सम्मान ही तो किया है, अपमान नहीं किया, फिर भी आपको ऐसा लगता है कि मैंने या फिर अविनाश जी ने कुछ गलत कर दिया......तो बताएं कि क्या ब्लॉगोंत्सव या परिकल्पना/नुक्कड़ सम्मान को बंद कर दिया जाए ?
यदि हाँ तो क्यों ?
यदि नहीं तो क्यों ?
पिछली बार मैं चूक गया था,नया-नया था इसलिए ब्लॉगोंत्सव का हिस्सा नहीं बन सका .....इसबार जब हमारी बारी है तो कैसे बंद कर देंगे आप, ऐसे महत्वपूर्ण आयोजन को हम नहीं बंद होने देंगे, हम भी जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल कर देंगे सारे असंतुष्टों के साथ बैठकर और नहीं होने देंगे बंद यह सम्मान, बिल्ली के छींकने से कहीं सिका टूटता है भला,आप जारी रखिये सर, मैं आपके साथ हूँ !
जवाब देंहटाएंऐसे आयोजनों को बंद करने का तो सवाल ही नहीं उठता..लेकिन हर बार कुछ बेहतर करने की चाह तथा ब्लोगरों के सुझाव व सलाह से पारदर्शिता को और बढ़ाने का प्रयास जरूर किया जा सकता है....आपका यह प्रयास सराहनीय व उम्दा है...कुछ नहीं करने वाले तथा ना ही किसी को करने देने वाले लोगों के बातों पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए....हाँ मैं इतना जरूर कहूँगा की ब्लोगरों के सम्मलेन के आयोजन में सहयोग व सहायता जो मर्जी करे लेकिन ब्लोगरों को सम्मान ऐसे व्यक्ति के हाथ से दिलायें जो विद्वान के साथ-साथ त्यागी,परोपकारी व असली इंसान हो...और जिसके हाथ से सम्मान लेकर ब्लोगर त्याग,परोपकार व असल इंसानी सोच के लिए प्रेरित हों...
जवाब देंहटाएंआपने हिंदी चिट्ठाकारी में जो कीर्तिमान बनाया है, जो ऊँचाई प्राप्त की है उसे छूने में उन्हें वर्षों लग जायेंगे जो आलोचनाओं को हवा दे रहे हैं, आपको इसी तर्ज़ पर आगे बढ़ना चाहिए कि हाथी चले बाज़ार, कुत्ते भूके हजार....जारी रखें यह सम्मान योजना, यही है मेरी विनम्र याचना प्रभु !
जवाब देंहटाएंआदरणीय रविन्द्र जी,
जवाब देंहटाएंइन आयोजनों ने ब्लॉग की महत्ता के सबके सामने लाया है, हो सकता है कि ऐसी बातें करना ही ब्लॉग्स के साथ हो/की जा रही किसी साजिश का हिस्सा हो।
निसंकोच कहूँगा कि अपने नही पहुँच पाने का अफ्सोस बना रहेगा...लेकिन आने वाले वर्ष और ब्लॉगोत्सव का इंतजार रहेगा....
सादर
मुकेश कुमार तिवारी
मेरा मानना है किसी भी चीज़ की आलोचना आसान है .... शुरुआत करना कठिन है बंद करना तो बहुत ही आसान है .... ज़रूरत है तो बस अगर कोई भूल हुई या ग़लती ह उसे सुधारने की .... खुले दिल से उसे मानने की .... ऐसे आयोजनों में ग़लती तो संभव है ही ... हर किसी को खुश भी नही किया जा सकता पर जहाँ तक संभव हो सुधार होना चाहिए न की बंद होना चाहिए .... सभी को साथ ले कर चलना चाहिए ... जो रूठ गये हों उन्हे मनाना चाहिए ....
जवाब देंहटाएंमेरे समझ से जारी रखना उचित होगा ताकि इस बार फिर कुछ नए चेहरों को शामिल किया जा सके !
जवाब देंहटाएंप्रोत्साहन की बिना सृजन संभव नहीं...आप एक बहुत उचित कार्य कर रहे हैं. चन्द आलोचनाओं से विचलित न हो कर उनसे सीख लेते हुए जारी रहें और हाँ, अनर्गल प्रलापों को नजर अंदाज ही करिये. उनका कोई औचित्य नहीं.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ.
आप किस किस् का मूँह बन्द करेंगे …………अब यदि आप इस आयोजन को बन्द करेंगे तो भी कहने वालों की जुबान को नही रोक सकते…………वो कह सकते हैं कि अपना ही सोचा बाकि ब्लोगर्स के बारे मे नही सोचा तब क्या कहेंगे…………आप सिर्फ़ अपना कर्म करते रहिए क्योंकि किसी भी कार्य की सराहना और आलोचनायें चलती ही रहती हैं लेकिन इस डर से वो कार्य बन्द नही कर दिये जाते………आप तो सिर्फ़ अपने कार्य को अन्जाम देते रहिये पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के…………फिर देखियेगा आलोचकों के भी मूँह अपने आप बन्द हो जायेंगे और एक दिन वो भी सराहेंगे।
जवाब देंहटाएंजब भी कदम बढ़ते हैं तो आलोचनाओं की आँधी उठती ही है , ... बन्द करना तो बेफिजूल की हवाओं से घबराना हुआ . बड़े से बड़े यज्ञ में भी कोई न कमी रह ही जाती है ! ऐसी बातें ना सोचें , जिस तरह आपने निष्पक्ष चयन किया है अब तक - उसी पर ध्यान केन्द्रित रखें
जवाब देंहटाएंham aapke saath hain..:)
जवाब देंहटाएंकभी नहीं बन्द होनी चाहिए।
जवाब देंहटाएंऔर जिस आयोजन पर थोड़ी बहुत आलोचना हुई है, उसे ध्यान में रखकर अगला अयोजन हो यह प्रयास होना चाहिए।
बाक़ी रचना के चयन को लेकर विवाद तो होते ही रहेंगे। मैं तो इतना ही कह सकता हूं कि मेरी जिस रचना को जिस श्रेणी के लिए सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया है, कोई उस समयावधि में उससे बेहेतर रचना का लिंक दे-दे तो मैं यह सम्मान वापस करने को तैयार हूं।
साहित्य की परिकल्पनाएं कभी रूकती नहीं,हाँ कोई ठोस,ज़ायज शिकायत पर निरंतर सुधार किया जा सकता है और उसमें सभी को साथ देना चाहिए।
जवाब देंहटाएंकिसीभी साहित्यकार का सम्मान करना बहुत अच्छी बात है इसे जारी रखें,हम सब आपके साथ है।
खिसियानी बिल्लियों को खम्बा नोचने दीजिए(इसके अलावा वो और कर भी क्या सकती हैं?)...
जवाब देंहटाएंआप बढ़िया काम कर रहे हैं...इसे जारी रखिये...
मै समीर जी की टीप से सहमत हूँ ....
जवाब देंहटाएंपरिकल्पना ब्लॉगोत्सव के सम्मान और आयोजन इत्यादि और नुक्कड़ सम्मान के कार्य को क्यों नहीं डॉ. अनवर को सौंप दिया जाता, अनवर और सलीम की जोड़ी खूब जमेगी। जो मेरी इस राय से सहमत न हों, वे कारण भी तो बतलायें।
जवाब देंहटाएंआप इस सम्मान को बंद करने के बारे में क्यों सोच रहे हैं,सोचिए कि इसे किस प्रकार और भी अच्छा किया जा सकता है
जवाब देंहटाएं.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअरे कुछ तो लोग कहेंगे.क्यों बेकार की बातों पर ध्यान दे रहे हैं.प्रोत्साहन किसी भी तरह की रचनात्मकता के लिए बेहद जरुरी है और आपका यह प्रयास बेहद सराहनीय है.इसे बंद करने का सोचिये भी नहीं.
जवाब देंहटाएंबाकी मनोज कुमार जी की बात से भी सहमत.
यह एक सराहनीय कार्य है , इसे जारी रखिये। विवादों से विचलित होने की आवश्यकता नहीं है।
जवाब देंहटाएंसंभव ही नहीं है सबको प्रसन्न देख पाना .
जवाब देंहटाएंअसहमति के स्वरों को एक सीमा तक ही देखना चाहिए ... यदि ऐसा न होता तो मैं शायद बचपन में ही कार्टून बनाना छोड़ चूका होता :-)
आलोचनाओं की आँधी सदैव अच्छे कलमकारों को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से चलाई जाती है। जब तक ब्लॉगरों को प्रोत्साहन व सम्मान नहीं मिलेगा। तब तक वे लोग एकजुट होकर कार्य नहीं कर पाएँगे और यह तो अच्छे कार्य का सम्मान है। जिसे अवश्य जारी रखना चाहिए ताकि ब्लॉगिंग की यह विधा जन-जन के बीच प्रचलित हो व उनकी आवाज भी सत्ता के गलियारों तक पहुँचे।
जवाब देंहटाएंआप पहले प्रदान किए गए परिकल्पना सम्मानों को वापिस लेने के संबंध में तो गंभीर नहीं हैं। आपको भी एक पुरस्कार मिलना बनता है। यूं ही फोकट में कीबोर्ड की कट कट विद ब्लॉगों और ब्लॉगरों की झक झक के साथ कब तक .......... महर्षि बने रहेंगे रवीन्द्र भाई।
जवाब देंहटाएंनए लोगो को प्रोत्साहन मिलता है ऐसे कार्यक्रम से
जवाब देंहटाएंआप इसे ऐसे बंद नहीं कर सकते .....
आप सब से नए लेखको की उम्मीद बंधी हुई है
कामयाबियों को दुबारा और कामयाब बनाने वाले और कमियों को दुरुस्त करके आगे बढ़ने वाले ही इतिहास बनाते हैं.और जो कामयाबियों के दंभ में चूर हो जाते हैं अथवा कमियों से सबक नहीं लेते वह इतिहास में गुम हो जाया करते हैं.
जवाब देंहटाएंआपने तो एक नए इतिहास की शुरआत की है, इसे परवान चढ़ाना है... अभी तो बहुत लम्बा फासला तय करना है. याद रखिये आपके विरोधी ही आपकी सबसे बड़ी ताकत होते हैं, चापलूसी तो सभी कर लेते हैं, लेकिन हकीक़त से रूबरू करना हर एक के बस की बात नहीं है.
बस अपनी आलोचनाओं में से स्वस्थ आलोचनाओं पर ध्यान दीजिये और आपसे जल कर जो आलोचना कर रहे हैं उनको और जलाते रहिये.
मेरी ओर से आपको ढेर सारी कामयाबियों के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ!
ये शायद उन लोगो की प्रतिक्रिया है जिन्हें पुरस्कार नहीं मिला [ वैसे मुझे भी नहीं मिला :( ]
जवाब देंहटाएंपर ये बात शायद समझी जा सकती है की ये तो बस शुरुआत है, जो इस सम्मान से वंचित रह गए किसी भी कारण से इसकी बहुत संभावना है ये सम्मान जारी रहेगा तो आने वाले वर्षों में उनको भी ये प्राप्त हो जाए .
अगर ये प्रयास अभी बंद कर देंगे तो दोहरा नुकसान है एक अच्छे प्रयास के बंद हो जाने का और भविष्य में सम्मान मिलने की संभावना भी नहीं होगी .
जो लोग सिर्फ सम्मान करने के लिए ब्लॉग्गिंग कर रहे हैं तो उनकी एक सूची बना लीजिये हम मिलकर उनका सम्मान कर देंगे :)
प्रोत्साहित करते रहें॥ अब जिसको अंगूर खट्टे लगे, वो कुछ न कुछ तो कहेंगे... कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना :)
जवाब देंहटाएंभई परेशानियां बढ़ी हैं...
जवाब देंहटाएंअपेक्षाएं पूरी ना हो सकी हों...
जैसा कि लग रहा है...
तो बंद कर ही दीजिए...ऊर्जा को कोई और बेहतर रास्ता ढूंढ़ने का अवसर मिलेगा...
आप को ही नहीं किसी को भी अधिकार हैं पुरूस्कार को प्रायोजित कर के दिलवाने का . ये सब "व्यक्तिगत " होता हैं लेकिन शुरुवात "एक व्यक्ति " ही करता हैं .
जवाब देंहटाएंमुझे केवल एक आपत्ति हैं और वो में आप के ब्लॉग पर आयी शुरू की पोस्ट से कर चुकी हूँ की आप को " पूरी हिंदी ब्लॉग्गिंग " को हिजैक करने का अधिकार नहीं हैं . आप अपनी पसंद के ब्लोगर / ब्लॉग पोस्ट को पुरूस्कार देने के अधिकारी हैं लेकिन आप को ये कहना चाहिये की ये आप के पसंद के ब्लोग्गर हैं और परिकल्पना समूह के ब्लोग्गर हैं .
ये परिकल्पना समूह का पुरूस्कार समारोह था ना की हिंदी ब्लोगिंग का पुरूस्कार समारोह . जिनको पुरूस्कार मिला आप की नज़र में वो शेष्ठ हो सकते हैं पर वो सब "हिंदी ब्लॉग्गिंग के चेहरे " नहीं हो सकते हैं ,
और अगर आप सच में "हिंदी ब्लोगिंग " के लिये पुरूस्कार दे रहे होते तो "परिकल्पना समूह " के लोगो को नहीं यानी उन लोगो को नहीं जिन्होने अपनी पोस्ट भेजी पुरूस्कार देते अपितु जितने भी हिंदी ब्लॉग हैं उनमे आधार बनाकर अपनी पसंद से नामांकन करते
रवीन्द्र प्रभात जी आप ने जो तरीका अपनाया हैं पुरूस्कार देने का वो "प्रिंट मीडिया " मै प्रचलित हैं जहां अपनी किताब सबमिट करनी होती हैं पुरूस्कार समिति को और जितने पुस्तके आती हैं उन मै से ही चुनाव होता हैं , लेकिन ब्लॉग प्रिंट मीडिया से अलग हैं . यहाँ का तरीका भी अलग होना चाहिये .
पुरूस्कार का आधार आप की पसंद हो सकता हैं पर आप की पसंद के जो नहीं हैं और जो परिकल्पना से नहीं जुड़े हैं वो जिनको पुरस्कार मिला हैं उनसे कमतर है या ये पुरूस्कार "हिंदी ब्लोगिंग का इतिहास " हैं कहना गलत हैं . ये पूरे मीडियम को हाइजैक करने जैसा हैं
बहुत से लोगो ने आपत्तियां दर्ज की हैं पर वो यहाँ कमेन्ट बॉक्स मे नहीं दिखे हैं कोई बात नहीं मे तो स्पष्टवादी हूँ २००६-७ से ब्लॉग माध्यम से जुड़ कर हिंदी मे अपनी बात कह रही हूँ अगर नेटवर्क से जुड़ कर पुरस्कार लेना होता तो कभी का नेटवर्क से जुड़ गयी होती लेकिन नेटवर्क से जुडने का अर्थ होता हैं वो कहना या करना जो पुरूस्कार दे रहा हैं चाहता हो
किताबो मे भी अगर जितने ज्यादा से ज्यादा ब्लॉग का नाम आता उतना अच्छा होता लेकिन आप ने तो वो भी प्रायोजित किया यानी जो हिंदी ब्लोग्गर कहलाना चाहते हैं वो अपना नाम प्रेषित कर दे प्रति के दाम के साथ
यहाँ आप ने प्रिंट मीडिया से उल्टा किया , प्रिंट मीडिया मे किताब छपती हैं तो ज्यादा से ज्यादा और किताबो का नाम होता हैं जहां से भी सन्दर्भ लिया गया हो .
अंत मे यही कहूँगी आप को पूरा क़ानूनी और संवैधानिक अधिकार हैं कुछ भी करने का और उतना ही अधिकार उन सब को भी जिन्हे इस प्रकार के पुरूस्कार गलत लगते हैं क्युकी बात पुरूस्कार की नहीं हैं बात मीडियम के हाइजैक होने की हैं
जो लोग ये कह रहे हैं उन से बेहतर और कोई नहीं था इसलिये उनको मिला या जो लोग कह रहे हैं नहीं मिला इस लिये ये प्रतिक्रया हैं वो सब अपनी जगह ठीक हैं क्युकी जितनो को मिला हैं उनसब को अगर ये उपलब्धि लगती हैं तो हो सकता हैं उनके लिये उपलब्धि की सीमा पुरूस्कार मिलने तक सिमित होती होगी
जवाब देंहटाएंजो सम्मानित हुए उन्हें मुबारकवाद,जिन्होंने सम्मानित किया उन्हें धन्यवाद.सम्मान किया जाता है-माँगा नहीं जाता और न ही सम्मान पर टीका-टिप्पणी की जानी चाहिए.यह पूरी तरह आयोजकों पर निर्भर है -वे जारी रखें या समाप्त करें.
जवाब देंहटाएंआपने ब्लोगरों को जो सम्मान दिया है वह काबिले तारीफ है | मैं तो पहले बार ऐसे आयोजन में हिस्सा लेने पहुंचा था और आश्चर्य चकित रह गया आपके प्रयास को देख कर | आप परिकल्पना सम्मान को बंद करने की सोचियेगा भी मत | ऐसे आयोजन ही तो हम ब्लोगरों में जान डालते हैं | आलोचकों का मुख तो कोई बंद कर नहीं सकता | आप अपना यह अच्छा कार्य करते रहिये | जिनको सम्मान नहीं मिला उनमे ऐसे लोग तो होंगे ही जो आलोचना करेंगे | उनसे विचलित न होवें |
जवाब देंहटाएंlog to kuchh na kuchh kahenge hi..chahe aap achchha kro ya bura..par hame in sab baton par dhyan nahi dena chahiye ....
जवाब देंहटाएंkeep going.....best of luck
कल से आप की पोस्ट नहीं खुल रही थी। अब जा कर खुली है।
जवाब देंहटाएंनिश्चित रूप से इस सम्मान समारोह के लिए जो श्रम आपने किया वह स्तुत्य है। लेकिन मेरी समझ में जो लक्ष्य आप आरंभ में ले कर चले थे उसे किन्ही परिस्थितियों में आप ने त्याग दिया। फिर इस की बागडोर आप के हाथ से निकल गई और परिस्थितियों ने तय किया कि इस सम्मान का स्वरूप क्या हो? कौन लोग इस से जुड़ें और कौन लोग अलग हो जाएँ?
परिकल्पना समूह आप का अपना संस्थान है। आप चाहें जिसे पुरस्कृत करें और करते रहें। इस में किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? आप आगे न करना चाहें तो न करें, उस में भी किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? मैं तो तलाश कर कर के थक गया कि ये परिकल्पना समूह चीज क्या है? मैं समझ नहीं सका और न कहीं आप ने स्पष्ट किया है। थक हार कर उसे मैं ने आप का निजि संस्थान मान लिया। यदि इस मान्यता में कोई त्रुटि हो तो आप स्पष्ट कर दें।
आप व्यंग लिखते हैं। न जाने किन-किन पर व्यंग लिखते हैं। कोई आप से आ कर यह नहीं पूछता कि वह जो काम कर रहा है उसे बंद कर दे या नहीं। आप ने राहुलगांधी की आलोचना की, सारे व्यंग्यकार करते हैं। उस ने तो आप से या किसी व्यंग्यकार से नहीं कहा कि क्या वह राजनीति बंद कर दे।
आप पुरस्कार जारी रखिए। लेकिन दान की उम्मीद के बूते यह सम्मान बहुत दिनों तक आप न चला पाएंगे। चलाएंगे तो उन की शर्तें भी झेलनी पड़ेंगी। अच्छा तो यह है कि आप परिकल्पना को इतना सशक्त बनाइए कि वह अपने बूते लोगों को सम्मानित कर सके। फिर चाहे वह हर वर्ष इक्यावन के स्थान पर पाँच लोगों को ही सम्मानित क्यों न करे। फिर देखिए उस सम्मान का कितना मान होता है?
जहाँ तक सम्मान ग्रहण करने वाले लोगों का सवाल है तो यह उन को तय करना है कि वे आप से सम्मानित होना चाहते हैं या नहीं।
प्रोत्साहन की बिना सृजन संभव नहीं...आप एक बहुत उचित कार्य कर रहे हैं. चन्द आलोचनाओं से विचलित न हो कर उनसे सीख लेते हुए जारी रहें और हाँ, अनर्गल प्रलापों को नजर अंदाज ही करिये. उनका कोई औचित्य नहीं.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ.
आप एक और जहां इस सम्मानजनक कार्य को करके उत्साहित थे, वहीं अब आलोचनाओं से विचलित पर आलोचना तो प्रत्येक सर्वश्रेष्ठ कार्य के बाद होती ही है और आपके इस कार्यक्रम की भी हुई होगी ... पर आप जो कर रहे हैं वह अनुकरणीय है ...सराहनीय है इसे बन्द करके बुरा कहने वालों की मंशा को कामयाब मत होने दीजिएगा ...बस आप अपना यह प्रयास जारी रखिये ...शुभकामनाओं के साथ आभार ।
जवाब देंहटाएंविचलित होने की ज़रुरत नहीं है. हर काल में अच्छे कामों की आलोचनाएँ हुई है. भविष्य में भी होंगी. यह मानवीय प्रवृत्ति है. जिसे पुरस्कार नहीं मिलता वह कुंठित हो जाता है, जिन्हें पुरस्कार मिलता है, उनमें भी एकाध मसीहा बनाने की कोशिश करते है. बड़े आयोजनों के साथ यही दिक्कत होती है. हमें अपना मन निर्मल रखना है और माफियागीरी से बच कर रहना है. जानबूझ कर किसी का नाम करना अपराध है. अनजाने में गलती हो सकती है. पुरस्कार देते रहे.अभियान जारी रहे.
जवाब देंहटाएंनिसंदेह इस तरह के प्रयास सतत होते रहने चाहिए. परन्तु आलोचनाओं से कुछ सीखा जा सकता हो, कुछ सुधार हो सके तो भी बुराई क्या है?
जवाब देंहटाएंrai haan ya naa me maangi jati to achchha hota. abhi bhi der nahin hui hai. ek daur haan ya na ka bhee chalna chahiye. koi tika tippani nahin, sirf haan ya naa ?
जवाब देंहटाएंपुरस्कार की बहस तो जारी रहेगी. हम जब स्कूलों में पढाई करते थे तब भी ऐसा ही सोचते थे की उसे पुरस्कार मिला हमें क्यों नहीं मिला. जरुर पर्सिलियाटी हुई है. क्या आज भी सभी वैसे ही सोचते है या कुछ बदलाव हुआ है......
जवाब देंहटाएंकिसीभी साहित्यकार का सम्मान करना बहुत अच्छी बात है इसे जारी रखें,हम सब आपके साथ है।
जवाब देंहटाएंआप अपना कार्य जारी रखिये..हम आपके साथ हैं..
जवाब देंहटाएंपरिकल्पना से जुड़े सभी लोगों का मेरे ब्लॉग www.pradip13m.blogspot.com में सादर आमंत्रण है । कविता के क्षेत्र में मैं आपलोगो की तरह बहुत मँजा हुआ नहीं हूँ । पर आप सबसे आग्रह है कि मेरी रचनाओं को पढ़कर शुभकामनाएँ, प्रोत्साहन और सही मार्गदर्शन करें ।
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रयास जारी रहना चाहिए , सहमति या असहमति के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए !
जवाब देंहटाएंऐसे रचनात्मक प्रयासों को बढ़ावा देने की जरुरत है..ब्लागिंग के हित में इसे जारी रखें.
जवाब देंहटाएंआप हिंदी साहित्यकारों की सुनो
जवाब देंहटाएंहिंदी साहित्यकार सुनेंगे जरूर
हिंदी ब्लॉगरों की
चाहे पुकारो उन्हें हिंदी ब्लॉगर
या समूचे अंतर्जाल के चिट्ठाकार
सब सबकी सुनेंगे
पाठक, लेखक और प्रकाशक
इतना तो तय है कि होगा फायदा
नीतियों की उन्नति का कायदा
पी एम मोदी ने भी है फरमाया
विकास हरेक अपेक्ि
शत ने पाया
इसमें न कोई भ्रम अौर मा
या
चलो भूटान मिलो भूटान
वहीं मिल जुल मन करेंगे
अल्पाहार अौर भोजन
अभिव्यक्ति अनुभूति का लिखेंगे
रोज नव नूतन इतिहास
क्रांति का बिगुल बजायेंगे
रोज लिखेंगे इबारत नयी
झण्डा हिंदी ब्लॉंगिंग का
परचम मनभावन फहराएंगे।