नई दिल्ली। हिंदी साहित्य निकेतन, परिकल्पना डॉट कॉम और नुक्कड़ डॉट कॉम की इस गंगोत्री में आया हूं। एक ओर 50 बरसों की सुखद विकास यात्रा को तय करने वाला देश का विशिष्ट प्रकाशन संस्थान है तो दूसरी तरफ हिन्दी ब्लॉगिंग में सिरमौर रवीन्द्र प्रभात और अविनाश वाचस्पति का सामूहिक श्रम। हिंदी भाषा जब चहुं ओर से तमाम थपेड़े खा रही हो, अपने ही घर में अपमानित हो रही हो और हिंदी में सृजन करने वाला अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहा हो, ऐसे में इस प्रकार के कार्यक्रम की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। कहा गया है कि कल्पना स्वर्ग की तरंगों का अहसास कराती है, वहीं सृजन हमारे सामाजिक सरोकार को मजबूती देता है। आप सभी देश के विभिन्न हिस्सों से आए हैं और अभिव्यक्ति के नए माध्यम ब्लॉगिंग को नई तेज धार देने में जुटे हुए हैं। आप सभी का देवभूमि उत्तराखंड में स्वागत है। आप को मेरे सहयोग की जैसी भी आवश्यकता हो, हम सदैव तत्पर रहेंगे क्योंकि देश की संस्कृति का केन्द्र है उत्तराखंड और मैं चाहूंगा कि आप सबके सहयोग से वह विश्व पटल पर हिन्दी का एक सशक्त केन्द्र भी हो जाए।
शनिवार दिनांक 30 अप्रैल 2011 को हिंदी भवन दिल्ली में हिन्दी साहित्य निकेतन परिकल्पना सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए उपरोक्त विचार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने व्यक्त किए। इस अवसर पर उन्होंने परिकल्पना डॉट कॉम की ओर से देश विदेश के इक्यावन चर्चित और श्रेष्ठ तथा नुक्कड़ डॉट कॉम की ओर से हिंदी ब्लॉगिंग में विशिष्टता हासिल करने वाले तेरह ब्लॉगरों को सारस्वत सम्मान प्रदान किया।
यह कार्यक्रम दो सत्रों में संपन्न हुआ। पहले सत्र की अध्यक्षता हास्य व्यंग्य के सशक्त और लोकप्रिय हस्ताक्षर अशोक चक्रधर ने की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रामदरश मिश्र और विशिष्ट अतिथि रहे प्रभाकर श्रोत्रिय। साथ ही प्रमुख समाजसेवी विश्वबंधु गुप्ता और डायमंड बुक्स के संचालक नरेन्द्र कुमार वर्मा भी मंचासीन थे।
दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने किया। तत्पश्चात् अविनाश वाचस्पति और रवीन्द्र प्रभात द्वारा संपादित हिन्दी ब्लॉगिंग की पहली मूल्यांकनपरक पुस्तक ‘हिन्दी ब्लॉगिंग : अभिव्यक्ति की नई क्रांति’, रवीन्द्र प्रभात का नया उपन्यास ‘ताकी बचा रहे लोकतत्र’, निशंक जी की पुस्तक ‘सफलता के अचूक मंत्र’ तथा रश्मिप्रभा द्वारा संपादित परिकल्पना की त्रैमासिक पत्रिका ‘वटवृक्ष’ का लोकार्पण किया गया। इसके बाद चौंसठ हिंदी ब्लॉगरों का सारस्वत सम्मान हुआ।
इस अवसर पर प्रमुख समाजसेवी विश्वबंधु गुप्ता ने कहा कि जीवन के उद्देश्य ऐसे होने चाहिए कि जिसमें मानवीय सेवा निहित हो। मैं ब्लॉगिंग के बारे में बहुत ज्यादा तो नहीं जानता किंतु जहां तक मेरी जानकारी में है और मैंने महसूस किया है, उसके आधार पर यह दावे के साथ कह सकता हूं कि हिंदी ब्लॉगिंग में सामाजिक स्वर और सरोकार पूरी तरह दिखाई दे रहा है। कई ऐसे ब्लॉगर हैं जो सामाजिक जनचेतना को हिंदी ब्लॉगिंग से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। यह दुनिया विचारों की दुनिया है, बस कोशिश यह करें कि हमारे विचार आम आदमी से जुड़कर आगे आएं।
इसके बाद अशोक चक्रधर ने अपने चुटीले अंदाज में सर्वप्रथम हिन्दी साहित्य निकेतन के साथ अपनी भावनात्मक सहभागिता की बात की और स्वयं एक ब्लॉगर होने के नाते आयोजकत्रय गिरिराजशरण अग्रवाल, रवीन्द्र प्रभात और अविनाश वाचस्पति की भूरि भूरि प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि हिन्दी ब्लॉगिंग ने सचमुच समाज में एक नई क्रांति का सूत्रपात किया है क्योंकि पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में साहित्य और संस्कृति के पेज संकुचित होते जा रहे हैं और उनकी अभिव्यक्ति को धार दे रही है हिन्दी ब्लॅगिंग। ऐसे कार्यक्रमों से निश्चित रूप से हिंदी का विकास होगा और हिन्दी अंतरराष्ट्रीय फलक पर अग्रणी भाषा के रूप में प्रतिस्थापित होगी।
हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार प्रभाकर श्रोत्रिय ने अभिव्यक्ति के इस नए माध्यम को लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति से जोड़कर देखा और कहा कि हिंदी ब्लॉगिंग का तेजी से विकास हो रहा है, तमाम साधन और सूचना की न्यूनता के वाबजूद यह माध्यम प्रगति पथ पर तीब्र गति से अग्रसर है, तकनीक और विचारों का यह साझा मंच कुछ वेहतर करने हेतु प्रतिबद्ध दिखाई दे रहा है । यह कम संतोष की बात नहीं है ।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रामदरश मिश्र ने साहित्य के अपने लंबे अनुभवों को बांटा, वहीं अभिव्यक्ति के इस नए माध्यम के भविष्य को लेकर पूरी तरह आशान्वित दिखे। उन्होने कहा कि जब मैंने साहित्य सृजन करना शुरु किया था तो मैं यह महसूस करता था कि कलम सोचती है और आज़ हिन्दी ब्लोगिंग के इस महत्वपूर्ण दौर मे यह कहने पर विवश हो गया हूँ कि उंगलिया भी सोचती है। बहुत अच्छा लगता है जब आज की पीढ़ी को नूतनता के साथ आगे बढ़ते देखता हूँ । आयोजको को इस नयी पहल के लिए मेरी असीम शुभकामनाएं ।
दूसरे सत्र में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के छात्रों ने कालजयी साहित्यकार रविन्द्र नाथ टैगोर की बंगला नाटिका लावणी का हिंदी रूपांतरण प्रस्तुत कर सभागार में उपस्थित दर्शकों को मन्त्र मुग्ध कर दिया । इस अवसर पर हिंदी साहित्य निकेतन की ५० वर्षों की यात्रा को आयामित कराती पावर पोईन्ट प्रस्तुति भी हुई । कार्यक्रम का संचालन रवीन्द्र प्रभात और गीतिका गोएल ने किया ।
(दिल्ली से सुषमा सिंह की रपट )
(दिल्ली से सुषमा सिंह की रपट )
बहुत ही सार्थक कहा जा सकता है इस आयोजन को..आयोजक निश्चय ही धन्यवाद और आभार के पात्र हैं ...आने वाला वक्त ब्लोगिंग का स्वर्णिम युग होगा बस जरूरत है उसे ईमानदारी से सामाजिक सरोकार से जोड़ने और जन जन की आवाज बनाने की ....
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत मुबारक हो, ब्लोगिंग का भविष्य उज्जवल दिख रहा है
जवाब देंहटाएंआभार इस रिपोर्टिंग का.
जवाब देंहटाएंवाह! बढ़िया रिपोर्टिंग....
जवाब देंहटाएंकई मायनों में भव्य था परिकल्पना सम्मान समारोह!
अच्छी रिपोर्ट ...सार्थक आयोजन ..
जवाब देंहटाएंapki report se vidit hua ki aayojan bahut hi bhavya aur bade paimaaane par hua. hindi blogging ki seva ke liye sabhi aayojak koti koti dhanywaad ke paatra hain. badhai avm shubhkamnayen .
जवाब देंहटाएंसार्थक आयोजन की बढिया रिपोर्टिग । जय हिंदी जय ब्लॉगिंग ।
जवाब देंहटाएंएक इतिहास रचा गया है। जब भी ब्लॉगिंग और ब्लॉग जगत का इतिहास लिखा, कहा, सुना जाएगा, इस दिन के बिना वह अधूरा रहेगा। इस तरह के आयोजन से जहां एक तरफ़ ब्लॉगर को अपनी जिम्मेदारी का अहसास बढ़ता है वहीं दुनियां की नज़र इस क्षेत्र की ओर सकारात्मक होती है।
जवाब देंहटाएंरवीन्द्र जी निश्चित रूप से साधुवाद के पात्र हैं।
बहुत अच्छी रिपोर्टिंग।
विवाद भी बहुत उठे हैं..काफी कुछ कहा गया स्थापित लोगों की तरफ से..
जवाब देंहटाएंपुण्य जी के आमंत्रण का घालमेल खटकता रहा..
आभार आयोजन का
आशुतोष की कलम से....: धर्मनिरपेक्षता, और सेकुलर श्वान : आयतित विचारधारा का भारतीय परिवेश में एक विश्लेषण:
आपने कुछ किया, ठीक लेकिन आगे और बेहतर करने की कोशिश कीजियेगा.
जवाब देंहटाएंबधाई और शुभकामनाएं.
बहरहाल और आखि़रकार , Blog Fixing के संदर्भ में
आदरणीय रवीन्द्र जी,
जवाब देंहटाएंअरे ऐसा कुछ भी नहीं है भाई। कोई नाराज़गी नहीं है आपसे। आप लोगों ने अद्भुत प्रयास किया और लगातार करें और सफल भी हों। देखिये जब भी कोई अच्छा काम करता है लोग उसको गरियाते जरूर हैं। पर आप लोगों को विचलित होने की जरूरत नहीं है। पुण्य जी का कट लेना इस बात का प्रमाण है कि अब मीडिया की तबियत से बैण्ड हम ब्लॉगरों ने बजा दी है। वे घबराये हुए हैं और देखना प्रभात जी, इन लोगों को हमारी ताकत माननी ही पड़ेगी एक दिन। बशर्ते अब हम लोग आपस में कम से कम कुछ दिन एक दूसरे से टकराना छोड़ कर अहम मुद्दों पर विश्लेषण के अंदाज मे ब्लॉगिंग करें और इसे सशक्त परिवार और वार दोनों बनायें। अविनाश जी और अन्य सभी लोगों को इस सफल आयोजन की बहुत बहुत बधाई। परसों दिल्ली में होने के बावजूद समारोह में आ न सका इसका अफ्सोस है। एक बात और है सीक्रेट बताइयेगा मत किसी को। भले ही मैं ६’६" ऊँचा तगड़ा पहलवान हूँ मगर प्रभू, पिटने का डर तो मुझे भी रहता ही है ना, हा हा।
इसे भी आप वजह मान सकते हैं न आने की। (पुण्य प्रसून की ओर इंगित) हा हा।
सरकारी जिम्मेदारियों के चलते वहाँ पहुँच नहीं सका इसका पछतावा है। आपकी रिपोर्ट से काफ़ी कुछ पता चला। सफल आयोजन की बधाई।
जवाब देंहटाएंआलोचना से कत्तई विचलित न हों। इसी जज़्बे के साथ बढ़ते रहें। हाँ, सफलता की ऊँची सीढ़ियाँ वे ही चढ़ते हैं जो अपनी गलतियों से सीखते हैं। गलतियों को नोट कर लेने में कोई बुराई नहीं है।
आयोजन सराहनीय था / पुरस्कार वितरण कार्यकर्म थोडा सा अव्यस्थित प्रतीत हुआ लेकिन ब्लॉग्गिंग दुनिया के लिए ये स्वर्णिम अवसर था / हिंदी साहित्य निकेतन , नुक्कड़ और सभी आयोजक बधाई के पात्र हैं /
जवाब देंहटाएंइस रिपोर्टिंग के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंइस अभिनव कार्यक्रम के लिए हार्दिक बधाईयाँ .
जवाब देंहटाएं- विजय तिवारी "किसलय"
वहाँ पहुँच न पाने का मलाल तो हमेशा रहेगा.इस आयोजन के लिए बधाई !
जवाब देंहटाएंइस आयोजन हेतु हार्दिक बधाई!
जवाब देंहटाएंbadhai...safal aayojan k liye... karykram mey shamil n ho pane ka dukh hai. kash, bache hue blogaron ke liye bhi aisa sundar aayojan luchnow men ho jaye, to aanad aa jaye...samman aur goshthee bhi.jo dilli men naheen ho saki..aapke shahar men bhi to aise log honge hi jo prayojakeey -dharm nibha sake,?
जवाब देंहटाएंआयोजन की सफलता पर बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंक्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ. आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें
जवाब देंहटाएंब्लॉग राजभाषा हिंदी की पोस्ट परिकल्पना सम्मान २०१० और एक बैक बेंचर ब्लोगर की रिपोर्ट पर श्री अविनाश वाचस्पति जी, आपने कहा कि-निकेतन ने अपने प्रकाशन की एक एक प्रति प्रत्येक दर्शक को बतौर उपहार दी थी और अपनी पत्रिका शोध दिशा की प्रति भी। किसी भी समारोह में इस प्रकार की पुस्तकें फ्री में देने का चलन नहीं है। शोध दिशा का पुराना अंक (अक्तूबर-दिसंबर 2010) था. उसका अवलोकन करने पर पता चला कि-पत्रिका त्रेमासिक है और उसके बाद जनवरी-मार्च 2011 व अप्रैल-जून 2011 भी प्रकाशित हो चुकी हैं. इसके अलावा डॉ. योगेन्द्रनाथ शर्मा "अरुण" की ग़ज़लों वाली किताब "बहती नदी हो जाइए" भी 2006 में प्रकाशित हो चुकी थीं. अब पुराना माल तो कोई भी दे सकता है, कुछ थोड़ा-बहुत नया मिला भी तो "वटवृक्ष" त्रेमासिक पत्रिका है,वो उनकी नहीं है.
जवाब देंहटाएंहम ब्लोगिंग जगत के "अजन्मे बच्चे" हैं और ब्लोगिंग जगत की गुटबाजी के जानकार भी नहीं है, लेकिन ब्लोगिंग जगत का अनपढ़, ग्वार यह नाचीज़ इंसान प्यार, प्रेम और इंसानियत की अच्छी भावना के चलते एक ब्लॉगर के बुलाने(आपके अनुसार बिन बुलाये) चला आया था. वैसे मेरे पेशेगत गलत भी नहीं था, क्योंकि जहाँ कहीं चार-पांच व्यक्ति एकत्रित होकर देश व समाजहित में कोई चर्चा करें. तब वहां बगैर बुलाये जाना बुरा नहीं होता है. बाकी हमारा तो गरीबी में आटा गिला हो गया है. इन दिनों कुछ निजी कारणों से हमें भूलने की बीमारी है और उसी के चलते ही हम अपने डिजिटल कैमरे के एक सैट सैल(दो) और उसका चार्जर बिजली के प्लग में लगाये ही भूल आये क्योंकि हमें संपूर्ण कार्यक्रम की रुपरेखा की जानकारी नहीं थीं. हमने सोचा शायद कार्यक्रम अभी और चलने वाला है. तब क्यों नहीं "विक" सैलों को चार्जर कर लिया जाये. घर पहुंचकर याद आया तो आपको मैसेज किया और अगले दिन आपके 9868xxxxxx पर छह बार और 9717xxxxxx पर दो बार फ़ोन किया. मगर हमारी उम्मीदों के मोती बरसात के बुलबलों की तरह तुरंत खत्म हो गए.एक फ़ोन कई घंटों तक व्यस्त रहा और दूसरा रिसीव नहीं हुआ. अगले दिन हमें श्री अन्ना हजारे के इण्डिया गेट की कवरेज करने जाना था. जो उम्मीदों का टूटने का सदमा सहन नहीं कर पाने और सैल का सैट के साथ चार्जर तुरंत न खरीद(इन दिनों आर्थिक स्थिति डावाडोल है) पाने की व्यवस्था के चलते संभव नहीं हो पाया. अब यह तो पता नहीं कि-हमारा कैमरा कब दुबारा चित्र लेना शुरू करेगा, मगर उसकी कुछ "गुस्ताखी माफ़ करें" पोस्ट एक दो दिन में मेरे ब्लॉग डब्लूडब्लूडब्लू.सिरफिरा.ब्लागस्पाट.कॉम पर पढना न भूले.