गंदा है पर धंधा है ।
चौपाल आज चटकी हुई है । चुहुल भी खुबई है । फुलि के कुप्पा हैं चौबे जी, जबसे सुने हैं कि दिग्गी राजा के ओसामा जी को ओबामा के कारिंदों ने मार गिराया है। मनमोहनी मुस्कान बिखेरते हुए कह रहे हैं कि " बकरे को एक न एक दिन तो जबह होना ही था, मगर ससुरी साईत नहीं बन पा रही थी ।"
"ऊ कईसे चौबे जी ?" पूछा राम भरोसे ।
ऊ अईसे बचवा कि देखो रावण को मारा राम ने ....दोनों के नाम का पहिला अक्षर र था, कृष्ण ने मारा कंश को......दोनों के नाम का पहिला अक्षर क था, गोडसे ने मारा गांधी को, दोनों के टाईटल का पहिला अक्षर जी था, प्रेमदासा ने मारा प्रभाकरण को,दोनों के टाईटल का पहिला अक्षर प्र था....यही कारण था कि ओसामा को मारने में बुश फुस्स हो गए और ओबामा रियल गुड फील हो गए यानी कि साईत के मुताबिक़ ओसामा को मारने में ओबामा की भूमिका तो होनी ही थी ....इसी को कहते हैं बचवा साईत, का समझे ?
"समझ गया महाराज, मगर एक बात को लेकर हमको अनकुस हो रहा है ।" मायूस होके बोला राम भरोसे ।
"कईसा अनकुस राम भरोसे ? खुलके बताओ न ss"
बात ई है महाराज कि " सांप को मारो और मकान न बदलो तो का फरक पडेगा ?"
तोहरी बात मा पूरा दम्म है राम भरोसे भईया, विल्कुल पते की बात कहे हो जवन देश मा अलग-अलग नाम से न जाने कितने ओसामा जी फन उठाये घूम रहे हैं ऊ देश मां एक ओसामा के मर जाने से यानी कि झींगा का एगो गोर टूट जाने से का फरक पडेगा ? अब देखो न s s ...सबसे बड़ा आतंकवादी तो पाकिस्तान के हुक्मरान है, ससुरा जहां चाहत है आतंकवादी भेज देत हैं , जिसे चाहत हैं लूट लेत हैं,जेकरा चाहत हैं क़त्ल करा देत हैं अऊर तो अऊर अमेरिका से आतंकवादी के खात्मा खातिर पईसा लेत हैं अऊर ऊ पईसा के इस्तेमाल ससुर आतंकवादियों की ट्रेनिंग में खर्च करत हैं, उन्हें संरक्षण देत हैं अऊर बेशरम जईसन दांत निपोर के कहत हैं कि हम्म स्थायी शान्ति की ओर बढ़ रहे हैं । एक तो दोगला चरित्र यानी करेला अऊर ऊपर से वेशर्मी का नीम चढ़ा हुआ......बोला गुलटेनवा ।
तुम्हारे कहने का आशय हम्म भी समझ गए बरखुरदार, कि तुम लक्षमण सिल्वेनिया के विज्ञापन की तरह पूरे घर को यानी कि पूरे पाकिस्तान को बदलना चाहते हो ? अपनी लंबी दाढ़ी सहलाते हुए पूछा रमजानी मियाँ ।
"रहमान मल्लिक हो या युशुफ राजा गिलानी सब हैं एक ही थैले के चाटते-बट्टे । सबसे बड़ा बेशर्म तो शुजा पाशा और उसके चमचे हैं ससुर, सात साल से ओसामा जीजा जी को अपने घर में बिठाए थे, काजू भुन भुन के खिलाये जा रहे थे, जाम से जाम टकराए जा रहे थे और उसी को पकड़ने के लिए ससुर अपने अमेरिकी बाबूजी के बटुआ में हाथ डाल रहे थे, यानी कि मूंछ भले उखड जाए , ऐंठ न जाए .....।" यह कहकर गजोधर धीरे से फुसफुसाया ।
चौबे जी को रहा नहीं गया, बोले " देख गजोधर, ई हाई लेवल की राजनीति है, तुम नाही समझोगे, मगर जब बात छिड़ ही गयी है तो बचवा बतायी देते हैं कि विज्ञापन में गन्दी कमीज को उजला करने का रास्ता बताया जाता है और राजनीति में साफ़ कमीज को गंदा करने के रास्ते तलाशे जाते हैं । बड़ी गन्दी चीज है ई ससुरी राजनीति । भारत हो या पाकिस्तान दोनों देश के नेता हो गए हैं ससुर बईमान । राजनीति में अब साफ़ कमीज दो-चार ही बची है पर जो है भी सबकी आँखों में खटकती है । खासकर उनकी गजोधर जो पैर के नाखून से सर के बाल तक गन्दगी में सराबोर हैं । वे कोई मौक़ा नहीं चुकते, वे गंदा सोचते हैं,गंदा बोलते हैं, गंदा करते हैं .....मगर का करोगे बचवा गंदा है पर धंधा है ....का धनेसर गलत कहत हईं का ?"
"अरे नाही चौबे बाबा आप अऊर गलत, ई नाही हो सकत....हम्म त s s बस एतना जानत हईं कि देश की राजनीति हो चाहे विदेश की सब हैं ससुर बाबन गज के.......।" बोला धनेसर ।
मगर एक बात तो मानही के परी चौबे जी कि अपने देश की राजनीति से बहुत दबंग है ससुरी पाकिस्तान की राजनीति, काहे कि हमरे देश मा आतंकवादी, गुंडे, बदमाश जेल में जाकर अपने को सुरक्षित करते हैं, गुलगुली खाते हैं अफजल गुरु अऊर कसाब की तरह ...... मगर पाकिस्तान में जेल-वेळ कुछ नहीं होता, जो होता है मंजूरे हुक्मरान होता है । जिसको संरक्षण दे दिया फिर उसे न तो इनकम टेक्स वाले परेशान करेंगे और न हाऊस टेक्स वाले ,सरकारी अधिकारी, अफसरशाह, निजी क्षेत्र के कर्मचारी, सिविल सोसाइटी और मीडिया किसकी कूबत जो झाँक ले संरक्षण प्राप्त घरों के भीतर ... ऐसा दुनिया में पाकिस्तान के अलावा कहां संभव है ?"
"सही कह रहे हो बचवा,वह पाकिस्तान में ही संभव है तो जेल के भीतर मलाई काटने की सुविधा हिन्दुस्तान के अलावा कहाँ संभव है ? जेल में आराम फरमाओ और पूरी दुनिया में आतंक का गैंग चलाओ । मोबाइल सुविधा इतनी आसानी से उपलब्ध हो जायेगी कि आराम से भारतीय जेल में बैठकर पूरी दुनिया में ऑपरेशन संचालित कराते जाओ ....करवाते जाओ और राजनेताओं के गुण गाते जाओ ......अब देखो न हमारे कसाब भाई कितने आराम से जीवनयापन कर रहे हैं ? हमरे देश मां जेल जाने वाला दामाद से जादा इज्जत पाता है,जेल में रहकर आराम से पूरी दुनिया में आतंक का गैंग चलाता है । मोबाइल सुविधा इतनी आसानी से उपलब्ध हो जाती है कि वह आराम से भारतीय जेल में बैठकर पूरी दुनिया में ऑपरेशन संचालित कर सकता है । हम्म तो इतना ही जानते हैं कि हिन्दुस्तान हो या पाकिस्तान दोनों जगह के नेता हैं ससुर बईमान ...कोई सीधे-सीधे नाक पकड़ता है तो कोई घुमा के बचवा ।"
इतना कहकर चौबे जी ने चौपाल अगले इतबार तक के लिए स्थगित कर दिया ।
रवीन्द्र प्रभात
(दैनिक जनसंदेश टाइम्स/२२.५.२०११ )
अजकल के हालात पर सटीक रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएं`हमरे देश मां जेल जाने वाला दामाद से जादा इज्जत पाता है,;
जवाब देंहटाएंअरे चौबे जी, [ई ओसामा जी का जी नाही] अब तो बिटिया भी जेल मा जा कर जादा इज्जत कमा रहिन हा :)
सटीक और अच्छी प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंवाह रविन्द्र जी क्या बात लिखी है बेहद सटीक एवं खोजी बधाई
जवाब देंहटाएंबढ़िया है।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा है आपने ।
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने, राजनीति अब धंधा है पर गंदा है यानी गंदा है पर धंधा है !
जवाब देंहटाएंउम्दा है आपका व्यंग्य रवीन्द्र जी, आपको बधाइयां !
जवाब देंहटाएंबढ़िया है।
जवाब देंहटाएंसटीक रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंbahut badhiyaa vyangya, badhayiyan !
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