आज चौबे जी की चौपाल लगी है राम भरोसे की मडई में । चटकी हुई है चौपाल । चुहुल भी खुबई है । घर के उहार की ओर खुले बरामदे में पालथी मार के बैठे हैं चौबे जी महाराज और सुना रहे हैं खिस्सा,कि कैसे भारत मा दिवाली पोपुलर हुई । कह रहे हैं क़ि "एकबार की बात है,स्वर्ग मा इन्द्र के निरंकुश शासन से उबके देवता लोग इन्द्र की जगहिया पर दोसर देवराज बनाबे के सोचत रहलें । मगर देवता लोग देवराज खातिर एगो कवनो देवता के नाम पर सहमत ना भईलें । काहे कि सब देवता के मन में देवराज बने के लालसा दबल रहे । ई समस्या से बाहर निकाले की जिम्मेदारी दिहल गईल नारद के । नारद कहलें कि अब समय आ गया है कि स्वर्ग में भी प्रजातंत्र की नींब डाल दी जाए और निष्पक्ष चुनाव खातिर पार्यवेक्षक विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र से लाया जाए । सारे देवता सहमत हो गए । नारद जी के पहल पर रातो-रात भारत से एक सत्ताधारी नेता को उठाके स्वर्ग में मांगा लिया गया और उन्हें यह फरमान सुनाया गया कि पृथ्वी के जईसा यहाँ भी प्रजातंत्र लागू कराया जाए । चुनाव की प्रक्रिया शुरू भईल । शुरुआत में दुई गो पार्टी बनल एक 'स्वर्ग देवबादी पार्टी' और दोसर 'स्वर्ग कल्याण परिषद्' । जब दूनू पार्टी के अध्यक्ष बने के बारी आईल तS देवता लोग आपन-आपन उपहार लेके नेता जी के पास पहुँचलें । उपहार प्राप्त कईला के बाद नेता जी स्वर्ग देवबादी पार्टी के अध्यक्ष वरुण के तथा स्वर्ग कल्याण परिषद् के अध्यक्ष कुबेर के बनवा दिहलें । काहे कि देवता सब के उपहार में वरुण तथा कुबेर के उपहार ज्यादा कीमती रहे । देवता सब के चुनाव प्रचार में भिडाके नेता जी पहुंचे क्षीर सागर जहां लक्ष्मी जी विष्णु को पाँव दबाती मिल गई । नेता जी दु;ख भरे स्वर में बोले कि हे माते, यह कैसा स्वर्ग है जहां नारी का सम्मान नही । नेता जी की बात से लक्ष्मी प्रभावित हुई और बोली हे पुत्र , तुम्हीं बताओ कि स्वर्ग के देवता से हम अपना अधिकार कैसे प्राप्त करें ? नेता जी कहलें कि माता पहिले हवाला फिर निबाला । लक्ष्मी जी पूछीं कि ये हवाला क्या होता है बच्चा । नेता जी ने कहा हवाला का मतलब है कृपा द्रष्टि का बायपास यानी फर्जी नाम से स्विस बैंक मा पईसा के स्थानान्तरण । लक्ष्मी जी ने कहा एवमस्तु ...अब बताओ उपाय । नेता जी ने मुस्कुराके लक्ष्मी को सलाह दी कि हे माते हमारे देश में लोकतंत्र का एक नज़ारा आजकल खुबई सफल है कि पार्टी का अध्यक्ष बन जाया जाए और प्रधान मंत्री की कुर्सी किसी विश्वासपात्र उल्लू को दे दिया जाए । ताकि भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्ति भी मिलती रहेगी और जब भी इच्छा होगी उसके स्थान पर किसी और उल्लू को बैठा दिया जाएगा ।लक्ष्मी जी को खुश करने के बाद नेता जी पहुंचे सरस्वती के शरण में कहलें क़ि हे माते, आपको कछु मालूम है क़ि नाही ? सरस्वती जी ने अनभिज्ञता जाहिर की तो नेता जी ने कहा क़ि आपके लिए बहुत ही मनहूस खबर है ...बात ई है क़ि लक्ष्मी जी औरतन पर श्रेष्ठता हासिल करे के खातिर एगो पार्टी बनायी है । इतना सुनत सरस्वती जी आपनी वीणा पटकी और गुस्सा से लाल-पियर होके स्वर्ग की तरफ भागी । एकरा बाद नेता जी कैलाश पर्वत पहुचलें जहां भोला बाबा चिलम मा गांजा भरके सुरकत रहलें । नेता जी भोला बाबा के प्रणाम करके कहलें क़ि ओ बौरहवा बाबा आप यहाँ गांजा-भांग पी के मस्त हैं और उधर आपके परम भक्त इंद्र को स्वर्ग से हटाने की तैयारी चल रही है । स्वर्ग मा प्रजातंत्र लागू हो जाई तS आपके इज्जत का रही ? इतना सुनते ही भोला बाबा ने त्रिशूल उठा लिया । थोड़ी देर में स्वर्ग के दृश्य बदल गए । सब देवता एक-दूसरा से लड़े लागल । सुनहरा मौक़ा देख के नेता जी कुबेर के खजाना पर हाथ साफ़ करके नौ दो ग्यारह हो गए ।इसप्रकार स्वर्ग मा प्रजातंत्र का प्रयोग असफल हुआ और इस ख़ुशी में नेता,अफसर,व्यापारी मिलके मिलावट के बल पे रिकॉर्ड तोड़ दिवाली मनाई। स्वर्ग के देवताओं को भी उल्लू बनाने वाले उल्लू जी के स्वागत खातिर ऐसी दिवाली मनी भारत मा कि मोस्ट पोपुलर हो गई। तभी तो दिवाली में अच्छे-अच्छों का दिवाला निकल जाता है और उल्लूओं की बल्ले-बल्ले हो जाती है । का समझे ?
हम्म तो समझ ही गए महाराज लेकिन स्वर्ग के देवता लोग भी भारत के उल्लूओं से खार खा गए होंगे । इसी लिए तो हमरे देश मा ई परिपाटी चल रही है क़ि नेता करे न चाकरी, अफसर करे ना काम ...जुआ खेलके मस्त है बाबू राजा राम । बोला राम भरोसे ।
तभी बीच में टपक पडा गजोधर और बोला "महंगाई से त्रस्त हमनी आम जनता खातिर दिवाली 'कंगाली में आटा गीला' करने जैसी है राम भरोसे । महंगाई की वजह से त्योहारों की खुशी कहीं खो गई है ससुरी । सभी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। घर का बजट गडबडाने लगा है।खो गई है गरीबों की मनमोहनी मुस्कान। करें भी तो क्या करें। बढ़ती मंहगाई ने अमीर व गरीब के बीच की खाई को और गहरा कर दिया है। आज अमीर और अमीर हो रहा है, ऐसे में वो तो महंगी से महंगी चीज बड़ी आसानी से खरीद सकते हैं लेकिन इस महंगाई के दौर में गरीब आदमी की तो मन गई दिवाली…वो तो सिर पकड़कर बैठ जाता है कि दिवाली कैसे मनाए और अगर किसी तरह गरीब इंसान मंहगाई से बच भी जाये तो नकली मिठाई, नकली पटाखे आदि आपका दीवाला निकाल देंगे और रही-सही कसर प्रदूषण और शराबी लोग पूरी कर देंगे।"
एकदम्म सही कहत हौ गजोधर भैया, हम्म तोहरे बात कS समर्थन करत हईं ।चावल में कंकर की मिलावट , लाल मिर्च में ईंट - गारे का चूरन, दूध में यूरिया , खोया में सिंथेटिक सामग्रियाँ , सब्जियों में विषैले रसायन की मिलावट और तो और देशी घी में चर्वी, मानव खोपडी, हड्डियों की मिलावट क्या आपकी किश्तों में खुदकुशी के लिए काफी नहीं ?भाई साहब, क्या मुल्ला क्या पंडित इस मिलावट ने सबको मांसाहारी बना दिया , अब अपने देश में कोई शाकाहारी नहीं , यानी कि मिलावट खोरो ने समाजवाद ला दिया हमारे देश में , जो काम सरकार चौंसठ वर्षों में नहीं कर पाई वह व्यापारियों ने चुटकी बजाकर कर दिया ,यानी कि हम रहे निठल्ले के निठल्ले और हो गयी ऊल्लूँ की बल्ले-बल्ले । दिवाली मा ना लड्डू ना भगवान की,जय बोलो बईमान की।बोली तिरजुगिया की माई ।
इतना सुनकर रमजानी मियाँ ने पान की गुलेली मुह मा डालते हुए अपने कत्थई दांतों पर चुना मार के कहा कि " बरखुरदार एक शेर फेंक रहा हूँ विल्कुल मौजू है कि जाने कैसे कैसे लोग ऐसे वैसे हो गये जाने ऐसे वैसे लोग कैसे कैसे हो गये। चौबे साहब, आपने तो मुद्दे उठा दिए मगर समाधान नहीं बताया, चलिए समधान मैं बता दे रहा हूं । वाणी माधुर हो, विचार हों शुद्ध,सबके हो मन में ईशा, राम ,बुद्ध,न मिलावाट हो और न बनावट हो,हर कोई मुस्कुराए बच्चे या वृद्ध ।इस दिवाली मा अनैतिकता को ढिबरी में जलाके एक नयी परंपरा बनाते हैं और बोलते हैं ज़ोर से, चक दे इंडिया ।"
विल्कुल सही फरमाए हो रमजानी मियाँ...एक तो गरीबी की मार , ऊपर से मिलावट का तांडव । मिलावट खोरो ने कुछ भी ऐसा संकेत नही छोड़ रखा है जिससे पहचान की जा सके की कौन असली है और कौन नकली ? ऐसे में किसकी दिवाली? कैसी दिवाली ? इतना कहकर चौबे जी ने चौपाल को अगले शनिवार तक के लिए स्थगित कर दिया ।
(दैनिक जनसन्देश टाइम्स/२३.१०.२०११)