२७ सितंबर को ऑनलाईन वार्ता के क्रम में "जनशब्द" वाले भाई अरविन्द श्रीवास्तव ने मुझसे पूछा की, भाई साहित्य अकेदमी की तर्ज पर दिल्ली में ’ब्लॉग अकादमी’ की संभावना है क्या..?
मैंने कहा क्यों नहीं ?
कुछ मित्रों से इस सन्दर्भ में मैं बात करता हूँ .
कुछ ब्लॉगर मित्रों के अतिरिक्त इस विषय पर मैंने कुछ अन्य हिंदी प्रेमियों तथा
शासन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रतिनिधियों से भी बात की
और संभावनाओं को टटोला ...
उन सभी के द्वारा सुझाए गए सुझावों के आधार पर
एक प्रारूप डा. अरविन्द श्रीवास्तव के द्वारा तैयार किया जा रहा है
इस दिशा में अपने कुछ निकटतम साहित्यिक मित्रों के साथ
मैंने पहला कदम बढाया है .......
संभव है अगले परिकल्पना ब्लॉगोत्सव-२०११ के आयोजन से पूर्व
हम किसी निष्कर्ष पर
अवश्य पहुँच जायेंगे.....
इस महत्वपूर्ण कार्य से संवंधित आपके सुझाव अपेक्षित है
यदि आपको ऐसा महसूस होता है कि आपका अनुभव इस महत्वपूर्ण कार्य में संजीवनी का
कार्य कर सकता है तो
आपका स्वागत है !
और हाँ यदि आपने अभीतक परिकल्पना ब्लॉग सर्वेक्षण-२०११ में हिस्सा नहीं लिया है तो इस लिंक पर जाकर अपने ब्लॉग की इंट्री अवश्य करें :
अच्छा विचार और कदम है. शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया पहल की है आपने और इस पहल का पूरी आत्मीयता के साथ स्वागत किया जाना चाहिए .ब्लॉग अकादमी में साहित्य अकादमी की तरह उन सभी भारतीय भाषाओं के ब्लॉग को शामिल किया जाना चाहिए जो भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल है. ब्लॉग अकादमी का एक स्वतंत्र ब्लॉग पोर्टल होना चाहिए जिसमें भारतीय भाषाओं के महत्वपूर्ण ब्लॉग्स का हर माह मूल्यांकन हो. अनुवाद को प्रश्रय देने वाले ब्लॉग्स को इस अकादमी के माध्यम से प्रमोट किया जाना चाहिए . इससे साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने वाले ब्लॉग्स को दूर रखा जाना चाहिए . यदि प्रारूप में इन सारे विषयों को शामिल किया जा सके तो एक सार्थक पहल हो सकती है.
जवाब देंहटाएंमेरे समझ से ब्लॉग जगत के लिए इससे वेहतर पहल और क्या हो सकती है, स्वागत है इस पहल का !
जवाब देंहटाएंये तो बहुत ही उम्दा ख्याल है कोई भी सहयोग चाहिये हो तो हम हाजिर हैं।
जवाब देंहटाएंनयी तकनीक, नयामंच, नये लोग, नयी सोच, नयी विधा, नयी अकादमी, .........
जवाब देंहटाएंआशा है कि कबीलावाद से परे सामाजिक गतिविधियों एक नया स्वरूप वर्गीकृत हो ...सुसज्जित हो.......संस्कारित हो, नयी सुरभि के साथ अस्तित्व में आयेगा. अकादमी की कल्पना मात्र से हम अभिभूत हैं..........जन्म से पूर्व ही स्वागत के लिए आतुर हैं.
ब्लॉग जगत में सूचना और बतकही से लेकर गंभीर साहित्य सृजन की कुलबुलाहट तक का अनुभव कर रहा हूँ. बहुत कुछ छंटेगा ....बहुत कुछ उभर कर प्रकाश में आयेगा. अन्धकार से प्रकाश की ओर ..........शीघ्र ही हम अकादमी के आयामों और संविधान के बारे में विचार रखने का प्रयास करेंगे.
वाह बहुत ही बढ़िया विचार है.बस इतना हो कि ब्लॉग्गिंग ब्लॉग्गिंग ही रहे यानि अपनी सहजता और वैचारिक आजादी के साथ.वो साहित्य की तर्ज़ न ले ले.
जवाब देंहटाएंसमस्त शुभकामनायें.
खुशामदीद,इस पहल का स्वागत है !
जवाब देंहटाएंकोई भी सहयोग चाहिये हो तो हम हाजिर हैं।
जवाब देंहटाएंबिलकुल उपयुक्त है जी !
जवाब देंहटाएंBahut hi behtreen vichar hai... Aisi har ek pahal ka hardik swagat hai...
जवाब देंहटाएंaap jo karoge, hindi ke behtari ke liye karoge..........badhai!
जवाब देंहटाएंकुछ लोगों के लिए स्थाई रोजगार का जुगाड़ , फिर उन्हें प्रसन्न करने वालों की पंक्तियाँ, फिर कुछ विवाद फिर उन विवादों पर गर्मागर्म ब्लाग पोस्टें। सचमुच बड़ा आनन्द आएगा।
जवाब देंहटाएंJaan kar prasanta hui, bahut badhiya!!!
जवाब देंहटाएंशिखा जी ! उवाच -"ब्लॉग्गिंग ब्लॉग्गिंग ही रहे यानि अपनी सहजता और वैचारिक आजादी के साथ.वो साहित्य की तर्ज़ न ले ले...."
जवाब देंहटाएंशिखा जी ! ब्लॉग वह चौराहा है जहाँ मात्र सूचना और बतकही से लेकर साहित्य की मनोरंजन और गंभीर धाराओं को भी स्थान सहज सुलभ है. साहित्य की सीमाएं हैं ....वह ब्लॉग नहीं बन सकता. किन्तु ब्लॉग असीमित है .....वह साहित्य को अपने में समेट सकता है. इन दोनों में यही एक मूलभूत अंतर मैं समझ पाया हूँ अभी तक. जहाँ तक सामाजिक सरोकारों की बात है ...तो ब्लॉग बहुआयामी है...यह समाज से साहित्य की अपेक्षा कहीं अधिक सहजता के साथ बोंड बनाता है. इसकी यह सहजता बनी रहनी चाहिए ......तमाम खुले विकल्पों और शालीनता के साथ. इसे किसी भी एक परिधि में सीमित कर देने के पक्ष में नहीं हूँ मैं.
सच पूछा जाय तो ब्लॉग की सीमाएं कब साहित्य की सीमाओं को स्पर्श करने लगती हैं यह बता पाना किंचित मुश्किल सा है. हम कोई एक सुनिश्चित सीमा खींच पाने की स्थिति में नहीं हैं.
वैचारिक स्वतंत्रता के पक्ष में मैं भी हूँ. साथ ही इसकी अनंत सीमाओं की तरलता के पक्ष में भी.........
मैंने इसीलिए ब्लॉग के वर्गीकरण की बात की है .......
स्वागत योग्य विचार है, और निःसंदेह ये एक सार्थक पहल होगा. मेरे विचार से इसमें हर विषय को शामिल किया जाना चाहिए. भाषा, साहित्य, विज्ञान, तकनीक, सामाजिक-सांस्कृतिक और धार्मिक सरोकार, हास्य व्यंग, चिकित्सा, स्वास्थय, स्त्री-पुरुष-बच्चे आदि सभी विषय होने से विचारों के आदान प्रदान को साझा करने और विचारों के पोषण में सहायक होंगे तथा सहज विस्तार मिलेगा. इस प्रयास की सफलता के लिए अग्रिम शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंस्वागत योग्य कदम
जवाब देंहटाएं... इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
जवाब देंहटाएंमेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए
जल्द ही इस मिशन में की शुरूआत होगी... पर्यावरण दुषित हो रहा है.. कागज के लिए पेड़ व वनस्पतियों पर कहर ढाया जा रहा है। किसी भी मायने में इंटरनेट पर लिखे जाने वाले साहित्य को हम कमजोर नहीं कह सकते। सरकार को इधर ध्यान देने की जरूरत है। अब नहीं तो कब ?
उपयुक्त है...!
जवाब देंहटाएंअच्छी बात है।
जवाब देंहटाएंमतलब बीमार हैं तो दिल्ली वालों को पता ही नहीं। वैसे बहुत सुंदर पहल, हिंदी के विकास का मजबूत हल, ब्लॉगिंग को जीवंतता मिलेगी। इसके तहत एक पत्रिका और पुरस्कारों और पुस्तकों का नियमित प्रकाशन भी हो। स्वस्थ हो जाऊं तो मुझे भी नौकरी पर रख लीजिएगा रवीन्द्र भाई।
जवाब देंहटाएं@ कौशलेन्द्र जी! ब्लॉग की विविधता उसकी पहचान है और उसमें साहित्य की मौजूदगी से भी कोई एतराज़ किसी को नहीं है..न मैंने साहित्य की खूबियों को नकारा है .
जवाब देंहटाएं"साहित्य की तर्ज़ न ले" से मेरा मतलब था कि साहित्य के नाम पर उसे आम जन साधारण अभिव्यक्ति से अलग न किया जाये.साहित्य की तरह उसे कुछ तथाकथित ग्रुप का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए.यहाँ दिनेशराय द्वेवेदी जी की टिप्पणी काफी कुछ कहती है.
बिलकुल शिखा जी !
जवाब देंहटाएंकदाचित मेरे समझने में त्रुटी हुयी है. ब्लॉग की विविधता बनी रहनी चाहिए.
शानदार पहल है , मगर दिनेशजी जी की टिप्पणी पर गौर करना भी ज़रूरी है ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनाये!
आप सब को विजयदशमी पर्व शुभ एवं मंगलमय हो।
जवाब देंहटाएंपहल तो अच्छी है। मेरी ओर से शुभकामनाएं। किन्तु यह भी ध्यान रखना होगा कि इसमें संस्थावाद एवं अकादमीवाद की तमाम समस्याएं भी आ सकती हैं।
जवाब देंहटाएंmeri bhi shubhakamanayen le leejiye. dhanyavad.
जवाब देंहटाएंyah to nischit hi ek saarthak pahal hogi...
जवाब देंहटाएंMeri bhi haardik shubhkamnayen sweekar karen..
बहुत अच्छा प्रयास ... ब्लोगिंग को नए आयाम मिलेंगे
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