सिनेमा पर केन्द्रित ब्लॉग की दृष्टि से दरिद्र और
राजनीति पर केन्द्रित ब्लॉग की दृष्टि से औसत रहा वर्ष-2011
भारतीय सिनेमा इस समय संसार का, फिल्मों की संख्या के मान से, सबसे बड़ा सिनेमा है। लेकिन सिनेमा पर आधारित ब्लॉग की दृष्टि से हम अभी भी काफी दरिद्र हैं । इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि वर्ष-2011 में एक मात्र प्रयोगधर्मी अभिनेता मनोज बाजपेयी ने अपने ब्लॉग के जरिए अनुभवों को बाँटते नज़र आये । अपने व्यस्त दिनचर्या के वाबजूद इन्होनें अपने ब्लॉग पर इस वर्ष 9 संस्मरणात्मक पोस्ट प्रकाशित किये हैं ।
वहीँ अजय ब्रह्मात्मज के चवन्नी चैप पर इस वर्ष फिल्म से संवंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गयी । यह ब्लॉग सिनेमा पर आधारित ब्लॉग की श्रेणी में सर्वाधिक सक्रिय रहा इस वर्ष । इस ब्लॉग पर इस वर्ष 200 से ज्यादा पोस्ट प्रकाशित हुए । फिल्म की समीक्षा के क्षेत्र में इधर रश्मि रविजा का नाम तेजी से लोकप्रिय हुआ है ।रश्मि रविजा, वरिष्ठ साहित्यकार और वेब पत्रकार हैं और इनकी गतिविधियाँ इनके स्वयं के ब्लॉग के अलावा विभिन्न महत्वपूर्ण वेब पत्रिकाओं पर भी देखी जा सकती है ।
सिनेमा पर आधारित सक्रिय ब्लॉग हालांकि हिंदी में बहुत कम दिखते हैं। प्रमोद सिंह के ब्लॉग सिनेमा सिलेमा पर पूरे वर्ष मात्र एक दर्जन पोस्ट पढ़ने को मिले हैं वहीं दिनेश श्रीनेत ने इंडियन बाइस्कोप पर इस वर्ष केवल छ: पोस्ट प्रकाशित किये,जो निजी कोनों से और भावपूर्ण अंदाज में सिनेमा को देखने की एक कोशिश मात्र कही जा सकती है ।वहीँ अंकुर जैन का ब्लॉग साला सब फ़िल्मी है पर 17 पोस्ट प्रकाशित हुए इस वर्ष ।महेन के चित्रपट ब्लॉग तथा राजेश त्रिपाठी का सिनेमा जगत ब्लॉग पर इस वर्ष पूरी तरह खामोशी छायी रही । हालांकि 15 जून 2011 को खुले पन्ने ब्लॉग पर प्रकाशित क्या है हिंदी सिनेमा का यथार्थवाद काफी पसंद किया गया । वैसे विस्फोट डोट कॉम पर भी सिनेमा पर आधारित कुछ वेहतर सामग्री प्रकाशित हुई है इस वर्ष।
जहां तक फिल्म समीक्षा का प्रश्न है हिंदी में अच्छी फिल्म समीक्षाएँ कम पढ़ऩे को मिलती हैं। खासकर ब्लॉग पर तो बहुत ही कम। कभी-कभार रवीश कुमार का ब्लॉग कस्बा, अविनाश का ब्लॉग मोहल्ला, अनुराग वत्स का ब्लॉग सबद, उन्मुक्त के साथ-साथ वेबदुनिया,फिल्म कहानी, तरकश,ख़ास खबर, पर फिल्म संबंधी लेख और समीक्षाएँ पढ़ने को मिले हैं इस वर्ष। ब्लॉग की दुनिया ने तमाम लोगों को आकर्षित किया है।
इस वर्ष तीन अच्छे फ़िल्मी ब्लॉग क्रमश: सिंगल थिएटर ,नवपथ और लेटेस्ट बोलीवुड न्यूज इन हिंदी अस्तित्व में आये हैं । फिर भी हिंदी सिनेमा के विस्तृत आकास के दृष्टिगत यह नाकाफी है । विनोद अनुपम ने सिंगल थिएटर पर इस दिशा में बहुत अच्छा काम किया है। विनोद की सबसे बड़ी खासियत है कि ये फिल्म की संश्लिष्ट समीक्षाओं के बजाय फिल्म की कुछ खूबियों और कमजोरियों का जिक्र करते हैं।
वैसे तो काफी सारे ब्लॉग्स हैं जहां सभी तरह की हिंदी फिल्म मुफ्त में देखे जा सकते हैं, इसमे न सिर्फ सभी वर्गों की फिल्मे है, साथ ही इसमे आपको डब फिल्मे, टीवी सीरिअल और शो, लाइव टीवी, लाइव रेडियो और साथ ही काफी सारे वृतचित्र (Documentaries) भी देखने को मिलेंगे वो भी मुफ्त, साईट का नाम है:- hindilinks-4-u और लिंक यह है।
इसी तरह की कुछ और मुफ़्त साइटें
साथ ही अगर आपको कुछ पैसे देकर फिल्म देखने का शौक है तो दो बेहतरीन वेबसाइट है जो कुछ पैसे लेकर आपको दुनिया भर की फिल्मे दिखाती है इसमे पहली है-
1. http://dingora.com/ ....इसमे आपको कुछ ऐसी फिल्मे भी देखने को मिलेंगे जो की सिर्फ समीक्षकों के किये ही बनी थी और दूसरी साईट है....
2. http://www.utvworldmovies.com/...इसमे आपको कई तरह की सुविधाएँ मिलेंगी जिसमे खास है अलग अलग देशों के अनुसार अलग अलग फिल्मे चुनने के लिए गूगल मेप जैसे सुविधा और भी कई तरह की सुविधाएँ है ।
इसीप्रकार जहाँ तक राजनीति को लेकर ब्लॉग का सवाल है तो वर्ष 2011 भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार की लगातार उधडती परतों के बाद ए. राजा जैसे मंत्रियों और कुछ कारपोरेट कंपनी के दिग्गज शाहिद बलवा, विनोद गोयेनका और संजय चंद्रा जैसे लोगो के तिहाड़ पहुँचने के साथ अन्ना के भ्रष्टाचार के विरोध और मजबूत लोकपाल के लिए हुए आन्दोलन और उसे मिले जनसमर्थन के लिए जाना जाएगा। भ्रष्टाचार के इन आरोपों ने उत्तराखंड से निशंक और कर्नाटक से येदुरप्पा को गद्दी छोड़ने के लिए मजबूर किया। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों जैसे संसद की सर्वोच्चता पर प्रश्न उठाने के लिए भी जाना जाएगा। महिला आरक्षण बिल इस वर्ष भी लटका रहा और वर्ष के अंत में राजनैतिक षड्यंत्र के बीच इसमे लोकपाल बिल का नाम भी जुड़ गया। ऐसा कहना है आशीष तिवारी का दखलंदाजी पर ।करीब 15 साल तक हिंदी के तमाम राष्ट्रीय समाचार पत्रों में काम करने करने के बाद अब दिल्ली में अपना बसेरा बनाने वाले महेंद्र श्रीवास्तव के ब्लॉग आधा सच का नाम मैं प्रमुखता के साथ लेना चाहूंगा, क्योंकि यह ब्लॉग 2011 में अस्तित्व में आया है और छ: दर्जन के आसपास पोस्ट प्रकाशित कर समसामयिक राजनीति और समाज की गहन पड़ताल करने की सफल कोशिश की है ।
दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि चाहे किसी भी भाषा का ब्लॉग हो अमूमन महिलाओं की राजनैतिक टिप्पणियाँ कम ही देखी जाती है, किन्तु हिंदी में एक ब्लॉग mangopeople लेकर आई अंशुमाला ने वर्ष-2010 के जनवरी महीने में जो वर्ष-2011 आते-आते आक्रामक दिखने लगा । सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर इस ब्लॉग में इस वर्ष कभी विरोध के स्वर देखे गए तो कहीं विचारों का द्वंद्व । कुल मिलाकर यह ब्लॉग राजनीति के वेहद सक्रीय चिट्ठों में से एक रहा इस वर्ष ।
अनियमितता के वाबजूद इस वर्ष जनोक्ति और विचार मीमांशा भी औसत रूप से मुखर रहा ।अफलातून के ब्लॉग समाजवादी जनपरिषद और प्रमोदसिंह के अजदक तथा हाशिया का जिक्र किया जाना चाहिए। इन सभी ब्लॉग्स पर पोस्ट की संख्या ज्यादा तो नहीं देखि गयी इस वर्ष,किन्तु विमर्श के माध्यम से ये सभी इस वर्ष अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज कराने में सफल हुए हैं । रविकांत प्रसाद का ब्लॉग बेवाक टिपण्णी पर इस वर्ष केवल तीन पोस्ट आये, वहीँ इस वर्ष नसीरुद्दीन के ढाई आखर पर सन्नाटा पसरा रहा ।जबकि उद्भावना पर सात पोस्ट और अनिल रघुराज के एक हिन्दुस्तानी की डायरी पर केवल एक पोस्ट आया इस वर्ष । भारतीय ब्लॉग लेखक संघ और महाराज सिंह परिहार के ब्लॉग विचार बिगुल पर भी इस वर्ष कुछ बेहतर राजनैतिक आलेख पढ़े गए ।
पुण्य प्रसून बाजपेयी ब्लॉग भी है और ब्लॉगर भी,जिसपर वर्ष-2011 में कूल 71 पोस्ट प्रकाशित हुए और सभी गंभीर राजनीतिक विमर्श से ओतप्रोत। पुण्य प्रसून बाजपेयी न्यूज़ (भारत का पहला समाचार और समसामयिक चैनल) में प्राइम टाइम एंकर और सम्पादक हैं। पुण्य प्रसून बाजपेयी के पास प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 20 साल से ज़्यादा का अनुभव है। प्रसून देश के इकलौते ऐसे पत्रकार हैं, जिन्हें टीवी पत्रकारिता में बेहतरीन कार्य के लिए वर्ष 2005 का ‘इंडियन एक्सप्रेस गोयनका अवार्ड फ़ॉर एक्सिलेंस’ और प्रिंट मीडिया में बेहतरीन रिपोर्ट के लिए 2007 का रामनाथ गोयनका अवॉर्ड मिला। इस श्रेणी के ब्लॉग में रजनीश के. झा का ब्लॉग आर्यावर्त भी काफी मुखर दिखा इस वर्ष। आलोचना के कॉमनसेंस के प्रतिवाद में इस वर्ष जगदीश्वर चतुर्वेदी का ब्लॉग नया ज़माना और रणधीर सिंह सुमन का ब्लॉग लोकसंघर्ष कुछ ज्यादा आक्रामक दिखा है । राजनीति पर कटाक्ष करते इस वर्ष इरफ़ान, काजल कुमार और चन्द्र प्रकाश हुडा के कार्टून पाठकों के द्वारा काफी पसंद किये गए ।
डा. सुभाष राय का बात बेबात ब्लॉग इस वर्ष अनियमितता के बावजूद भी कुछ वेहतर पोस्ट प्रस्तुत करने में सफल रहा है। जैसे सरकार और सरोकार नहीं बाज़ार बदल रहा है स्त्री को, मैं नाच्यो बहुत गोपाल आदि।उल्लेखनीय है कि डा. सुभाष राय हिन्दी दैनिक जनसंदेश टाइम्स का संपादक बनकर लखनऊ आये । आठ फरवरी 2011 से इसका विधिवत प्रकाशन शुरू हुआ। इन्हें पता है कि एक स्वस्थ और सकारात्मक समाज के लिए जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में घटने वाली मानवीय घटनाओं का कितना महत्त्व है। मनुष्य और उसके जीवन का परिष्कार करने वाले अनुशासनों की ओर लोगों को मोड़ने का इनका संकल्प है। साहित्य, कला, संस्कृति और विचार मनुष्य को मानवीय और मददगार बनाये रखने में सहायता करते हैं, इसलिए इन क्षेत्रों की गतिविधियों के लिए इनके ह्रदय में भरपूर जगह है। एक संस्कार संपन्न, सभ्य और परहितकातर समाज बनाने में ये आजकल रचनात्मक रूप से पूर्णत: जुटे हुए हैं । इनके द्वारा लिखे गए संपादकीय को आप इस ब्लॉग जनसंदेश टाइम्स पर क्रमवार पढ़ सकते हैं ।
इस वर्ष जून में शिवम् मिश्रा द्वारा संचालित अपने आप में एक अनोखा ब्लॉग आया नाम है पोलिटिकल जोक्स - Political Jokes । इस ब्लॉग की सबसे बड़ी विशेषता है राजनितिक और समसामयिक विषयों पर चुटीली वो मारक टिपण्णी । एक बानगी देखिए "ये मनमोहन भी ले लो; ये दिग्विजय भी ले लो; भले छीन लो हमसे सोनिया गांधी ! मगर हमको लौटा दो, वो कीमतें पुरानी; वो आटा, वो गैस, वो बिजली, वो पानी ! बड़ी मेहरबानी, बड़ी मेहरबानी !! "
पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणामों से इस बार नेता से लेकर टीवी चैनल्स तक सब सकते में हैं। जिस को सबसे ज्यादा सीटें हासिल हुई हैं वह खुश तो है लेकिन उसे भी यकीन नहीं था कि वह इतनी सीटें जीत लेंगी।कामरेड मुँह छिपाते फिर रहे हैं। उनका सुर्ख रंग बदरंग हो चुका है। चुनाव परिणामों, सत्ता की लालसा, विश्लेषण को लेकर ब्लॉग दुनिया ने खुलकर इस वर्ष अपनी प्रतिक्रिया दी है।राज्य से लेकर राष्ट्रीय राजनीति के कुछ बिंदुओं पर बात की गई है। कहीं गुस्सा है, कहीं खुशी है, कहीं विश्लेषण है तो कहीं व्यंग्य भी है और कहीं-कहीं काव्यमय प्रतिक्रिया भी दी गई हैं। आइए,एक नजर कुछ चुनिंदा ब्लॉग प्रतिक्रियाओं पर डाली जाए।
मेरी खबर डोट कॉम ने कहा बिखराव के कगार पर वाम मोर्चा, जबकि हस्तक्षेप डोट कॉम ने पूछा कि पश्चिम बंगाल के आम चुनावों में अमेरिकी दखलंदाजी पर भारतीय मीडिया चुप क्यों? पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के चुनाव नतीजों ने दो महिलाओं के नेतृत्व में दो बड़ी राजनैतिक क्रांतियों को अंजाम दिया है। दो ऐसे दिग्गजों को हाशिये से परे धकेल दिया गया, जिन्हें चुनौती देना कल तक असंभव सा था। ऐसा कहा है राजनितिक मंथन पर बालेन्दु शर्मा दाधीच ने । वहीँ मुहल्ला लाईव पर विश्वजीत सेन का कहना था कि अब बंगाल में जनता के साथ जो होगा, वह अकल्पनीय है! लोकजतन पर प्रकाश कारत का कहना था आगे कड़ी और लंबी लड़ाई है । हिमालय गौरव ने जहां पश्चिम बंगाल में जनता द्वारा लिखी गई इबारत के मायने पूछे वहीँ प्रवक्ता में जगदीश्वर चतुर्वेदी ने पश्चिम बंगाल में ‘स्वशासन’ बनाम ‘सुशासन’ की जंग पर खुलकर चर्चा की है ।
ब्लॉग को न्यू मीडिया का स्वरुप दिलाने में कुछ ब्लॉग्स की अहम् भूमिका रही है, जिसमें से एक है भड़ास 4मीडिया । चाहे सामजिक अतिक्रमण हो या राजनीति का अपराधीकरण, चाहे विकास की कहर हो या विनास की लहर, चाहे भ्रष्टाचार का मुद्दा हो या विकृतियों के खिलाफ आन्दोलन, हर विषय पर इस वर्ष यह ब्लॉग सर्वाधिक मुखर रहा । जागरण जंक्सन के पोलिटिकल एक्सप्रेस और सोशल इश्यू स्तंभ पर इस वर्ष अनेकानेक महत्वपूर्ण राजनितिक सामग्रियां दखी गयी ।
इसके अलावा कबाडखाना, मुहल्ला लाईव , भड़ास, भड़ास blog, नुक्कड़, सीधी खरी बात, न दैन्यं न पलायनम, डंके की चोट पर , रोज़ की रोटी, रोजनामचा, किश्तियाँ, आवाज़, पुरबिया, मीडिया केयर ग्रुप, खरी खरी, आज का मुद्दा, देश्नामा, इंद्रधनुष,कुछ परेशां सा करते सवाल, है कोई जवाब ?, पंकज के कुछ 'पंकिल शब्द' , अंतर्मंथन, देश वन्धु, आर्यावर्त..,सुनिए मेरी भी , उलटा पुल्टा, कलम का सिपाही, नेटवर्क ६, आधारशिला, कडुवा सच ... , बुरा भला , कुछ बातें अनकही, अख्तर खान अकेला, जनशब्द, बिखरे आखर, ज़िन्दगी एक खामोश शहर, जागो भारत,माली गाँव, युवा मन,ZEAL ,पढ़ते पढ़ते, लोकसंघर्ष, ललित डोट कॉम, बोल पहाडी ,जनपक्ष ,अंदाज़े मेरा , लोक वेब मीडिया, दीपक बाबा की बकबक , जो मेरा मन कहे , मेरा सरोकार , कलम , आनंद जोशी , जुगाली , जीवन की आपाधापी , अंधड़ , आवाज़ इंडिया , मुझे कुछ कहना है , गिरीश पंकज , सर रतन, ढिबरी, कोशी खबर , कुछ अलग सा, परिकल्पना ब्लॉगोंत्सव , प्रतिभा की दुनिया , भारतीय नारी , बैसवारी baiswari , Hindi Bloggers Forum International (HBFI) , धान के देश में! , यदुकुल , प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ ,इयत्ता , मनोज , आदत...मुस्कुराने की , जिज्ञासा , स्वप्नदर्शी , हिन्दुस्तान का दर्द , मुकुल का मीडिया , अमीर धरती गरीब लोग आदि ब्लॉग पर भी इस वर्ष राजनीति और समाज से संवंधित अत्यंत सार्थक और सकारात्मक पोस्ट पढ़ने को मिले हैं ।
........विश्लेषण अभी जारी है,फिर मिलते हैं लेकर वर्ष-2011 की कुछ और झलकियाँ
विस्तृत विश्लेषण कई जानकारियों को समेटे हुए ...आभार आपका ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अन्दाज़ मे यात्रा चल रही है…………सुन्दर विश्लेषण्।
जवाब देंहटाएंकमाल है साहब ... हर बार आप अपना लोहा मनवा ही लेते है ... मान गए आपको ... मेरे जिस ब्लॉग की आपने यहाँ चर्चा की है मुझे कतई उम्मीद नहीं थी कि लोगो का ध्यान उस की ओर भी गया होगा ... सच में आपकी निगाह से कोई भी ब्लॉग नहीं बच पाता ! बहुत बहुत आभार आपका !
जवाब देंहटाएंआज के अंक में आपने विश्लेषण को एक नया आयाम दिया है।
जवाब देंहटाएंसिनेमा की समीक्षा में रश्मि रविजा जी का भी जवाब नहीं।
प्रभात जी, आपका समीक्षात्मक लेख जानकारी से परिपूर्ण होते है. कई अच्छे ब्लॉग के बारे में जानकारी भी मिल जाती है. शायद महेंद्र श्रीवास्तव का ब्लॉग "आधा सच" आपके निगाह से बच गया, श्रीवास्तव जी के ब्लॉग पर अच्छे लेख होते है.
जवाब देंहटाएंhttp://aadhasachonline.blogspot.com/
बहुत नयी जानकारी मिली .. आभार
जवाब देंहटाएंविस्तृत जानकारी ... कोई विषय आपकी नज़र से छूटता नहीं है ...
जवाब देंहटाएंgr8
जवाब देंहटाएंसिनेमा और राजनीति पर ब्लॉग का विस्तृत और वहुआयामी विश्लेषण देखकर आश्चर्यचकित हूँ मैं, आपने हर कोण से एक अवलोकन हिन् नहीं किया है, अपितु एक सारगर्भित विवेचना भी प्रस्तुत की है ! निश्चित रूप से आप हम सभी ब्लॉगरों के प्रेरणा स्त्रोत हैं, आपका आभार !
जवाब देंहटाएंशिवम् जी से सहमत कि हर बार आप अपना लोहा मनवा ही लेते है .
जवाब देंहटाएंबहुत नयी जानकारी मिली .. आभार !
जवाब देंहटाएंअनोखा और अतुलनीय विश्लेषण है यह, जानकारी से परिपूर्ण !
जवाब देंहटाएंविश्लेषण में आपका जवाब नहीं।
जवाब देंहटाएंसम्पूर्ण जानकारी से परिपूर्ण
जवाब देंहटाएंबढिया विश्लेषणों की एक और कडी।
जवाब देंहटाएंकडी मेहनत का बेहतरीन परिणाम नजर आ रहा है।
आभार।
ब्लोग्स की विशिष्टताओं को समेटे उनके बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रस्तुत करती विस्तृत समीक्षा ! आभार आपका !
जवाब देंहटाएं"ब्लॉगर अपने आप में एक उत्कृष्ट आधुनिक समाचार एजेंसी है जिसमें फोटोग्राफर, पत्रकार, विश्लेषक, समीक्षक व संपादक का सम्मिश्रण है उसकी प्रत्येक ब्लॉग पोस्ट समाचार पत्रों व टेलीविजन न्यूज से कहीं ज्यादा निष्पक्ष व फुर्तीली होती है ... यह कहना अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं होगा कि आने वाले समय में ब्लॉगर सूचना संचार के एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में जाना व पहचाना जाए !"
जवाब देंहटाएंmangopoeple blog reh gyaa haen daekh lae aur sahii lagae to jod lae
जवाब देंहटाएंlaekhika anshumala
सही कहा उदय जी, मैं आपकी बातों से पूर्णत: सहमत हूँ !
जवाब देंहटाएंअभी देखता हूँ, आपका आभार रचना जी !
जवाब देंहटाएंआपके आदेशानुसार जोड़ दिया रचना जी, यह महत्वपूर्ण ब्लॉग कैसे मेरी नज़रों से बच गया आश्चर्य है, आपका आभार याद दिलाने के लिए !
जवाब देंहटाएंBehtreen Vishleshan....
जवाब देंहटाएंहर बार की तरह बहुत ही जानकारी पूर्ण पोस्ट। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया विश्लेषण .......
जवाब देंहटाएंआपके श्रम को , आपकी पारखी नज़र को और आपकी निष्ठा को हमारा सलाम । सोचता हूं पिछले बरस की सारी टिप्पणियां पुन: समेट लाऊं । आखिर हर बार आप मुग्ध कर देते हैं । बेहतरीन विश्लेषण ।आभार ।
जवाब देंहटाएंsarvottam vishleshan...:)
जवाब देंहटाएंhar blog pe jana, aur itna mehtan karna.. ye aapse hi sambhav hai sir... :)
bahut umda blogvishleshan..aabhar!
जवाब देंहटाएंबहुत परिश्रम करते हैं आप... आपको बहुत बहुत साधुवाद ...
जवाब देंहटाएंबहुत नयी जानकारी मिली .
जवाब देंहटाएंEssay Hindi In this blog ,You can read here very interesting essay hindi language.Essay on indian festival in hindi. you can read that by your own interest.
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