दरख्तों के लम्बे साए
सूरज की किरणों के साथ
अँधेरे के
घूँघट से निकल पड़ते
कभी छोटे कभी लम्बे होते
बहती बयार में
दरख्तों के साथ
खुशी से झूमते
उन्हें पता है
सूरज के ढलते ही
उन्हें भी अँधेरे में छुपना
पडेगा
डूबते के साथ
उन्हें भी डूबना होगा
अपना
अस्तित्व खोना होगा
जब तक अस्तित्व है
झूम सको
जितना झूम लो
नहीं तो
पछताना होगा
(डा.राजेंद्र तेला"निरंतर")
06-06-2012
574-24-06-12
जब तक अस्तित्व है
जवाब देंहटाएंझूम सको
जितना झूम लो
नहीं तो
पछताना होगा
Very Very Very nice said sir..!!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी लगाई जा रही है!
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
प्रकाश में ही साये का अस्तित्व है वरना तो सब अंधकार ।
जवाब देंहटाएं