सतापक्ष का एक असफल नेता
जब घोटाले में नही पा सका दलाली के दाम
तो सोचा कुछ ऐसा किया जाये कम
कि आम के आम भी रह जाये
और मिल जाये गूठली के दाम
सो उसने स्केंदल बनाया और तोहमत लगाई पार्टी- प्रधान पर
भाई, जनता तो भावुक होती है
सोचा न समझा बी पी सिंह की तरह
उसे भी पहुंचा दिया सातवें आसमान पर
अब आप कहेंगे कि-
कौन से गुण थे उसमें जो उसने ऎसी लंबी छलांग लगाई
और पार कर गया समंदर
वह किस नश्ल का था
आदमी था, कुत्ता था या बन्दर?
भाई मेरे,
न वह आदमी था, न कुत्ता था, न बन्दर था
वह नेता था ओम प्रकाश चौटाला कि तरह
जितना ही जमीं से ऊपर, उतना ही जमीन के अन्दर था
मज़ा आता था उसे चंद्र बाबु नैडो की तरह
अपने बदले हुये बयान पर
और फक्र करता था चौधरी अजीत सिंह की तरह
वह भी अपने खोखले स्वाभिमान पर
वह मुलायम की तरह
कभी धरती पकड़ तो कभी कुर्सी पकड़ जाता था
अटल बिहारी बाजपेयी की तरह
अपनी हीं बातों में जकड जाता था
चुप रहता था हमेशा मनमोहन की तरह
और लालू प्रसाद यादव की तरह
राबड़ी में चारा मिलाता था, खाता था
और अकड़ जाता था
भाई, आप मानें या न मानें
मगर यह सच है ,कि-
नेता बनाना आसान नहीं है हिंदुस्तान में
क्योंकि, उसे एक पैर जमीन पर रखना पड़ता है, तो दूसरा आसमान में
उसके भीतर कला होती है , कि-
मास्टर को मिनिस्टर बाना दे
और कुत्ता को कलक्टर बाना दे
कभी माया के नाम पर, तो कभी राम के नाम पर
भीख मांग सके, और-
जरूरत पड़ने पर हाई स्कूल फेल को वैरिस्टर बाना दे
नेता बनना हर प्रकार की प्रतियोगिता से कठिन है
ये मैं नहीं कह रहा हूँ, दोस्तो-
नेता जी कहिन है ......../
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रवीन्द्रजी, बात महीन है. हम का कहें ? सब कुछ तो नेताजी कहिन है.एक अच्छी कविता के लिए बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद.
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