तुलसी का पत्ता क्या बड़ा क्या छोटा ? आज जिसप्रकार हिन्दी के चिट्ठाकार अपने लघु प्रयास से प्रभामंडल बनाने में सफल हो रहे हैं, वह भी साधन और सूचना की न्यूनता के बावजूद , कम संतोष की बात नही है । हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय स्वरुप देने में हर उस ब्लोगर की महत्वपूर्ण भुमिका है जो बेहतर प्रस्तुतीकरण, गंभीर चिंतन, सम सामयिक विषयों पर शुक्ष्म दृष्टि, सृजनात्मकता, समाज की कु संगतियों पर प्रहार और साहित्यिक- सांसकृतिक गतिविधियों के माध्यम से अपनी बात रखने में सफल हो रहे हैं। निश्चित रूप से अब हिन्दी में बेहतर ब्लॉग लेखन की शुरुआत हो चुकी है और यह हिन्दी के उत्थान की दिशा में शुभ संकेत का द्योतक है ।
इसमें कोई संदेह नही, कि आज कल हिन्दी ब्लॉग लेखन अति सम्बेदनात्मक दौर में है , लेकिन इसकी जड़ें अभी भी ठोस जमीन में होने के बजाय अतिशय भावुकता के धरातल पर टिकी है। इस केंचुल से बाहर निकलने की आवश्यकता है। हिन्दी ब्लॉग लेखन पर गंभीर वहस की भी आवश्यकता महसूस हो रही है । इसके लिए जरूरी है, की बिना किसी पूर्वाग्रह के चिट्ठाकार आपस में चर्चा- परिचर्चा करें और हिन्दी के माध्यम से सुंदर सह- अस्तित्व की परिकल्पना को मूर्त रूप देने हेतु पहल करें । मेरे समझ से यही ब्लॉग लेखन की सार्थकता होगी ।
यह सब बातें मैं नही कर रहा हूँ , आप सभी के बीच के कुछ ब्लोगर की राय है , जिसे मैंने यहाँ प्रस्तुत करना उपयुक्त समझा । दर असल बात यह है, कि विगत दिनों "परिकल्पना" पर " हिन्दी चिट्ठाकार विश्लेषण- २००८" से संम्बंध में मैंने सुझाव आमंत्रित किए थे । कई चिट्ठाकार बंधुओं के सुझाव मेल तथा एस एम् एस के माध्यम से प्राप्त हुए । बहुत सारे ब्लॉग के नाम सुझाए गए, जिनका विश्लेषण किया जाना उचित होगा , क्योंकि ब्लॉग के विश्लेषण से पाठकों में यह जिज्ञासा उत्पन्न होती है कि कौन से ब्लॉग का वाचन उनके लिए उपयुक्त है और वे अपनी मानसिकता के हिसाब से भावनात्मक रूप से उस ब्लॉग से जुड़कर ज्ञानार्जन कर सके ।
अब तक के प्राप्त सुझाव के आधार पर ऐसे हीं २५ चिट्ठों का नाम हमारे सामने आया है , जिनके विश्लेषण हेतु पेशकश की गयी है , वह इसप्रकार है-
ज्ञान दत्त पांडे का मानसिक हलचल /
उड़न तस्तरी /
सारथी /
रवि रतलामी का ब्लॉग/
दीपक भारतदीप की हिन्दी /
हिंद युग्म /
शिव कुमार मिश्रा और ज्ञान दत्त पांडे का ब्लॉग /
तीसरा खंभा /
आवाज़ /
गत्यात्मक ज्योतिष /
चक्रधर का चकल्लस /
अनंत शब्द योग /
नव दो ग्यारह /
मेरी कठपुतलियाँ /
चिट्ठा चर्चा /
आरंभ आरंभ /
शब्दों का सफर /
भडास /
रचनाकार/
मोहल्ला /
ह्रदय गवाक्ष /
ज्योतिष परिचय /
झकाझक टाईम्स /
निर्मल आनंद /
सत्यार्थ मित्र /
यहाँ मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि ये २५ चिट्ठे जिनके नाम का उल्लेख किया गया है वह आपके सुझाव पर आधारित है , न कि मेरी राय में ! यहाँ मैं यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि "परिकल्पना" पर अगले महीने कुल ५० चिट्ठों की चर्चा होगी कि क्यों ये चिट्ठे आपके पसंदीदा हैं ? विश्लेषण का आधार होगा- -(1) बेहतर प्रस्तुतीकरण (2) ब्लॉग लेखन का उद्देश्य (3) विश्व बंधुत्व की भावना (4) भाषा का अनुशासन (5) चिंतन में शिष्टाचार (6) रचनात्मकता (7) सक्रियता (8)जागरूकता (9) आशावादिता (10) विचारों की प्रासंगिकता आदि !
अब आप कहेंगे कि मैं ऐसा क्यों कर रहा हूँ , तो लीजिये निम्न पंक्तोयों के माध्यम से आपका यह भी भ्रम दूर हो जायेगा -
" फासला हो लाख पर चाहत बचाए रखना ,
रिश्तों के दरमियाँ हरारत बचाए रखना !
मुझसे न करो प्यार की बातें मुझे कबूल-
औरों के लिए दिल में मोहब्बत बचाए रखना !
धड़कनों में हर किसी के हर कोई आता नहीं-
मुसकुराने की मगर आदत बचाए रखना !
सैकड़ों सपने हैं इन आंखों में देखो झांककर -
जीवन में कुछ करने की ताकत बचाए रखना !"
आज बस इतना हीं , आप अपना सुझाव भेजना जारी रखें,आपके सुझाव की पोटली लेकर पुन: आऊँगा आपके बीच...!
पसंदीदा 25 चिटठों में मुझे अपने चिटठे का नाम देखकर बहुत खुशी हुई। पाठकों को इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद। अब इसके विश्लेषण का इंतजार है। अपने चिटठे की ख्ूबियों के साथ उसकी कमियों को भी जानना चाहूंगी , ताकि उसे पाठको के लिए और उपयोगी बनाया जा सके।
जवाब देंहटाएंचयन अच्छा है। हम जैसों को चिट्ठे पढने में सहायता देता है ऐसा चयन क्योंकि हर कोई सारे चिट्ठे नहीं न पढ़ सकता है। आशा है बाकि के चिट्टाकार यह न समझें कि यह उन पर किसी प्रकार का आक्षेप है।
जवाब देंहटाएंमुझसे न करो प्यार की बातें मुझे कबूल-
जवाब देंहटाएंऔरों के लिए दिल में मोहब्बत बचाए रखना !
धड़कनों में हर किसी के हर कोई आता नहीं-
मुसकुराने की मगर आदत बचाए रखना !
waah bahutkhub
"...विश्लेषण का आधार होगा- -(1) बेहतर प्रस्तुतीकरण (2) ब्लॉग लेखन का उद्देश्य (3) विश्व बंधुत्व की भावना (4) भाषा का अनुशासन (5) चिंतन में शिष्टाचार (6) रचनात्मकता (7) सक्रियता (8)जागरूकता (9) आशावादिता (10) विचारों की प्रासंगिकता आदि !..." बहुत कड़ी शर्तें हैं। लेकिन इस प्रस्तुत सूची में भी काफ़ी गड़बड़ लगती है, जैसे कि 25 में से ज्ञानदत्त पांडे जी के दो ब्लॉग इसमें हैं,इसी प्रकार दीपक भारतदीप जी के भी दो ब्लॉग़ हैं, अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले दो-दो ज्योतिष ब्लॉग भी हैं, बिन्दु क्रमांक 4 के अनुसार "भाषा का अनुशासन" के आधार पर "भड़ास" और "मोहल्ला" का चयन भी समझ में नहीं आया…। तर्कपूर्ण तरीके से देखें तो यह सूची बेहद संदिग्ध और गड़बड़झाला लगती है… पता नहीं अगले 50 चिठ्ठों की सूची में क्या आने वाला है…
जवाब देंहटाएंवाह, चिपळुणकर जी ने कई मुद्दे उठा दिये हैं। :)
जवाब देंहटाएंसुरेशजी ने चयनित चिट्ठों की चीरफ़ाड करके चयन प्रक्रिया का कच्चा चिट्ठा तो खोल दिया ।आपने नए चयन की प्रक्रिया की शर्तें भी निर्धारित कर दीं लेकिन ऎसा लगता है कि शर्तों के पीछे की शर्तों का खुलासा होना अभी बाकी है । अगली पोस्ट का इंतज़ार रहेगा .....!
जवाब देंहटाएंभाई सुरेश जी,
जवाब देंहटाएंआपका कथन उचित है , किंतु जिन २५ चिट्ठों की चर्चा प्रसंगवश की गयी है , वह पाठकों द्वारा सुझाए गए ब्लॉग चर्चा के अंतर्गत प्रस्तुत की गयी है , मैं पहले स्पष्ट कर चुका हूँ कि यह परिकल्पना के द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला विश्लेषण नही है ! बिन्दु क्रमांक 4 के अनुसार "भाषा का अनुशासन" के आधार पर "भड़ास" और "मोहल्ला" का चयन की बात आपने उठायी है , तो इस सन्दर्भ में मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मेरे द्वारा पाठकों से सुझाव आमंत्रित किए गए थे , उन्हें शर्तों में नही बांधा गया था ! आपके महत्वपूर्ण सुझाव के लिए आपका धन्यवाद !
आप प्रतीक्षा करें अगले माह होने वाले विश्लेषण आपकी आशाओं के अनुरूप हीन होंगे !
आपका पुन: आभार !
पुन: विचार की अवश्यकता है।टिप्पणीयां पढ कर तो ऐसा ही महसूस हो रहा है।
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पर जब भी आता हूँ कुछ नया करने का जज्बा साथ लेकर जाता हूँ , बहुत सुंदर पहल है आपका , जारी रखें .
जवाब देंहटाएंaap paathakho kae naam kae saath unki pasand dae sab apne aap samney aajaayega .
जवाब देंहटाएंbloging mae yae sab karkae aap kyaa sabit karna chahtey haen .
sms aur email par kyaa kyaa contrl rakhe gayae . ek ip sae kitney baar pasand kiya gayaa
sab purii baat bataaye tab koi list dae .
is parkaar sae koi bhi list dena aur bina aadar kae ek bekaar ki baat haen kewal aur kewal popularty gain karney kaa stunt aur kuch nahin
आपके महत्वपूर्ण सुझाव के लिए आपका धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंपुन: विचार की अवश्यकता है।टिप्पणीयां पढ कर तो ऐसा ही महसूस हो रहा है।
जवाब देंहटाएंमैं भी ब्लॉग जगत का एक पाठक हू.. और माफ़ कीजिएगा मैने किसी भी ब्लॉग के लिए कोई वोट नही दिया.. सुरेश जी से पूर्णतया सहमत..
जवाब देंहटाएंरचना जी की बात पर भी ध्यान दिया जाए.. उन पाठको के नाम दिए जाए जिन्होने पसंद किए.. या फिर शीर्षक बदल कर "कुछ लोगो के पसंदीदा चिट्ठे" किया जाए..
आपका प्रयास सराहनीय है.. इस प्रकार का प्रयास होना चाहिए.. परंतु इनकी विश्वसनीयता का विशेष ख्याल रखा जाए तो अच्छा है..
क्योंकि इनमे से कुछ ब्लॉग्स तो ऐसे है जिन्हे कोई पढ़ना भी पसंद नही करता.. (ब्लॉगवानी पर अधिक पढ़े गये और टिप्पणी के आधार पर) फिर वो कौन से पाठक थे जिन्होने आपको एस एम एस करके उन ब्लॉग्स का नाम बता दिया जिन पर वो टिप्पणी करना भी मुनासिब नही समझते..
पुन: विचार की अवश्यकता है,क्यो कि आपकी लिस्ट में एक भी तकनिकी चिठ्ठा शामिल नही ,स्पष्ट कुछ तो गडबड है ।
जवाब देंहटाएंचिपलूनकर जी, रचना जी एवं कुश की बात से सहमत हूँ ! इस तरह के विशलेषण किस उद्देश्य के तहत किए गए हैं ? क्या आप साबित कर सर सकते हैं की ये ही २५ चिट्ठे सर्वश्रेष्ठ हैं ? इनमे से दो/तीन नाम छोड़ दे तो बाक़ी के तो निचे से भी श्रेष्ट नही हो सकते ! इस लेख का शीर्षक आपने ग़लत रख दिया और कोई गलत बात नही है ! कुश के अनुसार इसका नाम "कुछ लोगो के पसंदीदा चिट्ठे" किया जाता तो बेहतर होता ! और ताज्जुब की बात की अन्धविश्वासी चिट्ठों को आपने इसमे किस हिसाब से जगह दी ?
जवाब देंहटाएंबेकार की कवाइत करने से कोई फायदा नही है, जो कुछ होना था हो गया, भलाई यही में है कि अपना मन लिखो अपने मन का पढ़ो। अपने आप आपके पंसदीदा चिट्ठे कौन है। हम तो जानते ही है कि हमारे कौन है।
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