कहा गया है कि कार्यों पर विचारों का प्रभुत्व प्रासंगिक नही होता , प्रासंगिक होता है कि विचारों पर कार्यों का प्रभुत्व बनाया जाए । किसी भी कार्य की सफलता में परस्पर विचारों के आदान-प्रदान का विशेष महत्त्व होता है । पिछले वर्ष -२००७ में "परिकल्पना" पर "हिन्दी चिट्ठाकार विश्लेषण " की काव्यात्मक प्रस्तुति की गयी थी , कतपय लोगों को वह बेहद पसंद आयी । इसबार भी मेरी ईच्छा हुयी कि नए- पुराने सुंदर और सार्थक ब्लॉग का चुनाव किया जाए और उसकी प्रस्तुति कुछ नए अंदाज़ में की जाए । उसके लिए जनवरी माह के प्रथम सप्ताह का समय सुनिश्चित हुआ । आपके सुझाव आमंत्रित किए गए और कल के पोस्ट में केवल उल्लेख किया गया न कि विश्लेषण किया गया ।
कल के पोस्ट " आपके पसंदीदा २५ चिट्ठे " पर तमाम लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं । उद्देश्य था कि आपको इस चर्चा-परिचर्चा में शामिल किया जाए , ताकिअगले माह किया जाने वाला विश्लेषण आसान हो सके ।
इसी क्रम मेंकुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ की गयी है , शुरुआत Suresh Chiplunkar जी ने कई मुद्दे उठाते हुए की , कि - "25 में से ज्ञानदत्त पांडे जी के दो ब्लॉग इसमें हैं,इसी प्रकार दीपक भारतदीप जी के भी दो ब्लॉग़ हैं, अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले दो-दो ज्योतिष ब्लॉग भी हैं, बिन्दु क्रमांक 4 के अनुसार "भाषा का अनुशासन" के आधार पर "भड़ास" और "मोहल्ला" का चयन भी समझ में नहीं आया…। "परमजीत बाली जी ,Ratan Singh जी ,sareetha जी और भाई कुश ने इस पर पुन: विचार करने की बात कही । रचना जी ने इसे बेकार की बात कहकर खारिज कर दिया । नरेश सिह राठोङ झुन्झुनूँ राजस्थान ने इसमें तकनीकी चिट्ठा शामिल न किए जाने की बात कीआदि।
पिछले पोस्ट पर आप सभी के महत्वपूर्ण सुझाव के लिए आभार ! भाई कुश ने एक और सुझाव दिया कि शीर्षक में "आपके " की जगह "कुछ लोगों के .....!" देना उचित होगा । मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ , कि आगे से ऐसा ही होगा । विश्लेषण के समय आप सभी के विचार प्राथमिकताओं की श्रेणी में रखे जायेंगे । आप सभी का पुन: आभार !
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bahut sundar vichar,kisee ne khub kahaa hai- nindak niyare raakhiye.....!
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